UP Board Solutions for Class 11 Geography: Fundamentals of Physical Geography Chapter 8 Composition and Structure of Atmosphere (वायुमंडल का संघटन तथा संरचना)These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 Geography. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Geography: Fundamentals of Physical Geography Chapter 8 Composition and Structure of Atmosphere (वायुमंडल का संघटन तथा संरचना) Show
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न प्रश्न (ii) वह वायुमण्डलीय परत जो मानव जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण है प्रश्न (iii) समुद्री नमक, पराग, राख, धुएँ की कालिमा, महीन मिट्टी किससे सम्बन्धित हैं? प्रश्न (iv) निम्नलिखित में से कितनी ऊँचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा नगण्य हो जाती है? प्रश्न (v) निम्नलिखित में से कौन-सी गैस सौर विकिरण के लिए पारदर्शी है तथा पार्थिव विकिरण के लिए अपारदर्शी? 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए प्रश्न (ii) मौमस एवं जलवायु के तत्त्व कौन-कौन से हैं? प्रश्न (iii) वायुमण्डल की संरचना के बारे में लिखें। प्रश्न (iv) वायुमण्डल के सभी संस्तरों में क्षोभमण्डल सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों है? 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में
दीजिए 2. जलवाष्प-जलवाष्प वायुमण्डल का सर्वाधिक परिवर्तनशील तत्त्व है। वायु में इसकी अधिकतम मात्रा 5% तक होती है। वायुमण्डल को जलवाष्प की प्राप्ति झीलों, सागरों, महासागरों आदि से वाष्पीकरण क्रिया द्वारा होती है। यह क्रिया तापमान पर निर्भर होती है। 3. धूलकण-वायुमण्डल के निचले भाग में अनेक अशुद्धियाँ देखने को मिलती हैं जो धूलकणों के कारण होती हैं। इनकी उत्पत्ति बालू, मिट्टी उड़ने, समुद्री लवण, ज्वालामुखी, राख, उल्कापात तथा धुएँ के कणों से होती है धूल के ये कण आर्द्रताग्राही होते हैं; अत: संघनन में इनका बहुत योगदान होता है। कोहरे व मेघों का निर्माण इनके ही सहयोग से होता है। यह वायुमण्डल की पारदर्शिता को भी प्रभावित करते हैं। प्रश्न (ii) वायुमण्डल की संरचना का चित्र खींचें और व्याख्या करें। परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर बहुविकल्पीय प्रश्न प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन पृथ्वी के वायुमण्डल की सबसे निचली परत है? प्रश्न 3. निम्नलिखित में से वायुमण्डल के सबसे निचले भाग में कौन पाया जाता है? प्रश्न 4. निम्नलिखित में से कौन-सी गैस वायुमण्डल में सर्वाधिक मात्रा में पायी जाती है? प्रश्न 5. निम्नलिखित में से किसमें वायुमण्डल का सर्वाधिक भाग स्थित है? प्रश्न
6. निम्नलिखित में से कौन पृथ्वी के वायुमण्डल की सबसे ऊपरी परत है? प्रश्न 7. क्षोभमण्डल में ऊँचाई के साथ तापमान प्रश्न 8. निम्नलिखित वायुमण्डलीय परतों में से किसमें ओजोन गैस का सर्वाधिक संकेन्द्रण है?
।। प्रश्न 9. पृथ्वी के वायुमण्डल की निम्नलिखित परतों में से किस एक में जलवाष्प का सर्वाधिक संक्रेन्द्रण पाया जाता है? अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. वायुमण्डल को परिभाषित
कीजिए। प्रश्न 2. वायुमण्डल की रचना किन तत्त्वों (पदार्थों) से हुई है? प्रश्न 3. वायुमण्डल के संघटन में कौन-कौन-सी भारी गैसें सम्मिलित हैं? प्रश्न 4. वायुमण्डल के संघटन में कौन-कौन-सी हल्की गैसें सम्मिलित हैं? प्रश्न 5. उस विरल गैस का नाम बताइए जो सूर्य के पराबैंगनी विकिरण का अवशोषण करती है। प्रश्न 6. वायुमण्डल में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड गैस का क्या महत्त्व है? प्रश्न 7. क्षोभ सीमा या मध्य स्तर का महत्त्व बताइए। प्रश्न 8. समतापमण्डल का महत्त्व बताइए। प्रश्न 9. आयनमण्डल का हमारे लिए क्या महत्त्व है? प्रश्न
10. परिवर्तनमण्डल क्या है? इसका महत्त्व बताइए। प्रश्न 11, मानव एवं जीव-जन्तु के लिए ओजोनमण्डल को वरदान कहा जाता है। क्यों? प्रश्न 12. मनुष्य के जीव-जन्तु के लिए वायुमण्डल का क्या महत्त्व है? प्रश्न 13, पृथ्वी पर जैविक विविधता का क्या कारण है? प्रश्न 14. ऊँचाई के साथ वायुमण्डल के तापमान में क्या परिवर्तन होते हैं?
प्रश्न 15. वायुमण्डल की किस परत में वायुयानों के परिवहन की आदर्श दशाएँ उपलब्ध हैं ? प्रश्न 16. हाइड्रोजन किस प्रकार की गैस है? वायुमण्डल में इसकी स्थिति बताइए। प्रश्न 17. वायुमण्डल में कौन-सी गैस रासायनिक प्रक्रिया में भाग नहीं लेती है? प्रश्न 18. एयरोसोल्स क्या हैं? लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. वायुमण्डल संरचना से आप क्या समझते हैं? वायुमण्डल के स्तरों के नाम लिखिए। वायुमण्डल के स्तर वायुमण्डल को आधार मानकर सामान्यत: निम्नलिखित पाँच मण्डलों या स्तरों अथवा परतों में बाँटा गया है–
प्रश्न 2. वायुमण्डल की चौथी परत की विशेषता एवं उपयोगिता समझाइए। प्रश्न 3. वायुमण्डल की अन्तिम परत पर प्रकाश डालिए। प्रश्न 4. वायुमण्डल का महत्त्व
स्पष्ट कीजिए। प्रश्न 5. वायुमण्डल की संरचना में गैसों का क्या योगदान है? प्रश्न 6. जलवाष्प तथा धूलकण मौसम तथा जलवायु की विभिन्नता के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण हैं। दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. वायुमण्डल किसे कहते हैं? वायुमण्डल का संघटन (संरचना) समझाइए तथा इसका
महत्त्व स्पष्ट कीजिए। वायुमण्डल का संघटन या संरचना वायुमण्डल का संघटन विभिन्न गैसों, जलवाष्प एवं धूल-कणों आदि से मिलकर हुआ है। इसमें सम्मिलित पदार्थों का विवरण निम्नलिखित है– 2. जलवाष्प (Water Vapour)-जलवाष्प का
वायुमण्डल में महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। इसकी अधिकतम मात्रा 5% तक होती है। जलवाष्प की यह मात्रा धरातल के विभिन्न भागों; जैसे–महासागरों, सागरों, झीलों, जलाशयों, मिट्टियों, वनस्पति आदि के वाष्पीकरण द्वारा वायुमण्डल में विलीन होती रहती है। ऑक्सीजन वाष्पीकरण का कम या अधिक होना तापमान की कमी या वृद्धि के ऊपर निर्भर करता है। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि सूर्याभिताप प्रति सेकण्ड 1.6 करोड़ टन जल का वाष्पीकरण कर उसे जलवाष्प में बदल देता है। यदि वायुमण्डल में उपस्थित समस्त जलवाष्प को धरातल पर गिरा दिया जाए तो धरातलीय सतह पर 2.5 सेण्टीमीटर जल एकत्र हो जाएगा। वायुमण्डल की निचली परत में जलवाष्प की मात्रा प्रत्येक भाग में कम या अधिक अवश्य ही मिलती है। वायुमण्डल की ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ जलवाष्प की मात्रा घटती जाती है अर्थात् 7.5 किमी की ऊँचाई पर वायुमण्डल में जलवाष्प नहीं पायी जाती। विषुवत् रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर वायुमण्डल में जलवाष्प की मात्रा घटती जाती है। उदाहरण के लिए-शीतोष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों में 50° अक्षांश पर जलवाष्प की मात्रा 2.6 प्रतिशत, 70° अक्षांश पर 0.9 प्रतिशत और इससे अधिक ऊँचाई वाले अक्षांशों पर केवल 0.2 प्रतिशत ही रह जाती है। वायुमण्डलीय घटनाएँ-बादल, वर्षा, तुषार, हिमपात, ओस, ओला, पाला आदि जलवाष्प पर ही आधारित हैं। जलवाष्प की यह मात्रा सौर्यिक विकिरण के लिए पारदर्शक शीशे की भाँति कार्य करती है। 3. धूल-कण (Dust Particles)-सूर्य के प्रकाश में देखने से मालूम होता है कि वायुमण्डल में धूल के ठोस तथा सूक्ष्म कण स्वतन्त्रतापूर्वक विचरण करते रहते हैं। ये धूल-कण भूतल से अधिक ऊँचाई पर नहीं जा पाते। भूपृष्ठ की मिट्टी के अतिरिक्त ये धूल-कण धुआँ, ज्वालामुखी की धूल तथा समुद्री लवण से भी उत्पन्न होते हैं। ये धूल-कण जलवाष्प को अपने में सोख लेते हैं। वर्षा कराने में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। वर्षा के समय इन धूल-कणों पर जमी जल की बूंदें चमकते मोती के समान दिखलाई पड़ती हैं। सूर्य की किरणों का वायुमण्डल में बिखराव इन्हीं | धूल-कणों के द्वारा होता है। इन्हीं के कारण आकाश में विभिन्न रंग दिखाई पड़ते हैं। वायुमण्डल का महत्त्व वायु केवल मानव के लिए ही आवश्यक नहीं है, अपितु जल, थल तथा वायुमण्डलों में निवास करने वाले सभी प्राणिमात्र, जीव-जन्तु, पेड़-पौधों आदि सभी के लिए अनिवार्य है। वायु के अभाव में प्राणिमात्र एक पल भी जीवित नहीं रह सकता। वायु द्वारा ही सभी वायुमण्डलीय प्रक्रियाएँ-ताप, वायुदाब, वर्षा, तुषार, कोहरा, पाला, विद्युत चमक, ऋतु-परिवर्तन आदि निर्धारित होते हैं। जलवायु का निर्धारण भी वायुमण्डल द्वारा ही किया जाता है। इसके अतिरिक्त कृषि-क्रियाओं पर वायुमण्डल का प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। पूर्वी एशियाई कृषि-प्रधान देशों में वायुमण्डलीय क्रियाओं से भारी धन-जन की हानि होती है। वास्तव में कृषक का भाग्य ही इस वायुमण्डल से जुड़ा हुआ है। पश्चिमी यूरोपीय देशों में फलों की कृषि वायुमण्डलीय दशाओं पर निर्भर करती है। यही नहीं, उद्योग-धन्धे भी इन्हीं क्रियाओं से ही जुड़े हुए हैं। वायुमण्डल में पायी जाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजन का प्रभाव वनस्पति तथा जीव-जन्तुओं पर अधिक पड़ता है। पश्चिमी देशों में कृषक अपनी कृषि भूमि में नाइट्रोजन की पूर्ति अन्य विधियों से कर लेते हैं तथा अधिक उत्पादन प्राप्त करते हैं। इसके विपरीत भारतीय कृषि में कम उत्पादन का कारण नाइट्रोजन की पूर्ति न कर पाना है। कार्बन डाइऑक्साइड गैस से वनस्पति जगत की श्वसन क्रिया चलती है। यही कारण है कि विषुवतरेखीय प्रदेशों में इस गैस की अधिकता के कारण ही सघन वनस्पति का आवरण छाया हुआ है, जबकि टुण्ड्रा एवं टैगा प्रदेशों में इस गैस की कमी मिलती है; अतः । यहाँ वनस्पति भी विरल रूप में ही पायी जाती है। वायुमण्डल में व्याप्त अन्य गैसें-हाइड्रोजन, हीलियम, नियॉन, क्रिप्टॉन, ऑर्गन, ओजोन, जेनॉन आदि–भी प्राणिमात्र के लिए किसी-न-किसी रूप में लाभ पहुँचाती हैं। उदाहरण के लिए वायुमण्डल की ओजोन गैस का आवरण सूर्य की तीक्ष्ण पराबैंगनी किरणों को अपने में सोख लेता है। यदि यह गैस न होती तो पृथ्वी पर जीव-जगत न होता अर्थात् प्राणिमात्र तीक्ष्ण गर्मी से झुलस जाता और धरा जीवनशून्य हो जाती। प्रश्न 2. वायुमण्डल की परतों पर प्रकाश डालिए और प्रत्येक का महत्त्व भी बताइए। | (i) सममण्डल (Homosphere)–तापमानं परिवर्तन को देखते हुए सममण्डल को तीन उप मण्डलों में विभाजित किया जाता है–(अ) परिवर्तनमण्डल या अधोमण्डल या क्षोभमण्डले (Troposphere), (ब) समतापमण्डल (Stratosphere) एवं (स) मध्यमण्डल (Mesosphere)। इन तीनों मण्डलों में रासायनिक दृष्टिकोण से गैसों की मात्रा में कोई परिवर्तन दिखलाई नहीं पड़ता। समुद्र-तल से इसकी ऊँचाई 90 किमी तक आँकी गयी है। रचना के दृष्टिकोण से सममण्डल में मुख्य गैसें ऑक्सीजन 20.946% तथा नाइट्रोजन 78.054% अर्थात् 99% भाग घेरे हुए हैं। शेष गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड, ऑर्गन, हीलियम, क्रिप्टॉन, जेनॉन तथा हाइड्रोजन प्रमुख हैं। महत्त्व-सममण्डल में अधोमण्डल या क्षोभमण्डल सबसे महत्त्वपूर्ण परत है, क्योंकि यह वायुमण्डल की सबसे निचली परत है तथा मानव का इससे सीधा सम्पर्क है। पर्यावरण के सभी तत्त्व इसी मण्डल में पाये जाते हैं। धूल-कण भी इसी मण्डल में पर्याप्त मात्रा में विद्यमान हैं। भारी कण निचली सतह में तथा हल्के कण ऊपरी भागों में पाये जाते हैं। अधोमण्डल के ऊपर धूल-कणों का अभाव पाया जाता है। (ii) विषममण्डल (Heterosphere)-इस मण्डल की ऊँचाई 90 किमी से 10,000 किमी तक ऑकी गयी है। इस ऊँचाई पर स्थित गैसों के आधार पर विषममण्डल को चार उपविभागों में बाँटा गया है—(अ) आणविक नाइट्रोजन परत (Atomic Nitrogen Layer), (ब) आणविक ऑक्सीजन परत (Atomic Oxygen Layer), (स) हीलियम परत (Helium Layer) तथा (द) आणविक हाइड्रोजन परत (Atomic Hydrogen Layer)। गैसों की प्रधानता के आधार पर इनका नामकरण किया गया है। 90 से 125 किमी की ऊँचाई तक आणविक नाइट्रोजन गैस, 125 से 700 किमी की ऊँचाई तक आणविक ऑक्सीजन गैस, 700 से 1100 किमी की ऊँचाई तक हीलियम गैस तथा 1,100 से 10,000 किमी की ऊँचाई तक आणविक हाइड्रोजन परेंत की स्थिति आँकी गयी है, परन्तु विषममण्डल की अन्तिम सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती। हाइड्रोजन गैस सबसे हल्की होने के कारण वायुमण्डल के सबसे ऊपरी भाग में विस्तृत है। 2. वायुमण्डल का सामान्य स्तरीकरण (i) परिवर्तनमण्डल या क्षोभमण्डल-इसे अधोमण्डल भी कहते हैं। इसकी औसत ऊँचाई 11 किमी है। विषुवत रेखा पर इसकी औसत ऊँचाई 16 किमी तथा ध्रुवों पर केवल 6-7किमी रह जाती है। इसका मुख्य कारण यह है कि विषुवत् रेखा से ध्रुवों की ओर जाने में इसकी ऊँचाई कम होती जाती है। इसी मण्डल में प्राणिमात्र निवास करते हैं। इस मण्डल का पर्यावरण कुछ गरम होता है जिसका मुख्य कारण सूर्यताप की प्राप्ति का होना है। इस मण्डल में जलवाष्प, जल-कण एवं धूल-कण विद्यमान हैं। यह मण्डल संवाहन, संचालन एवं विकिरण की क्रिया द्वारा क्रमशः गर्म तथा ठण्डा होता रहता है। इस मण्डल में वायुमण्डलीय घटनाएँ घटित होती रहती हैं। इसीलिए इसे परिवर्तनमण्डल का नाम दिया गया है। ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ वायुमण्डल में ताप एवं दबाव कम होता जाता है। इस मण्डल में प्रति 300 मीटर की ऊँचाई पर 1.8° सेग्रे ताप कम हो जाता है। अधोमण्डल की अन्तिम सीमा पर वायुदाब घटकरे धरातल की अपेक्षा एक-चौथाई रह जाता है। महत्त्व-इस मण्डल में वायु वेग एवं दिशा, तापमान, वर्षा, आर्द्रता, आँधी, तूफान, बादलों की गर्जना, विद्युत चमक आदि सभी वायुमण्डलीय घटनाएँ घटित होती रहती हैं। (ii) क्षोभ सीमा या मध्य-स्तर- अधोमण्डल की समाप्ति एवं समतापमण्डल के आरम्भ वाले मध्य भाग को मध्य-स्तर का नाम दिया गया है। इसे संक्रमण स्तर भी कहते हैं। इसकी चौड़ाई 1.5 किमी है। महत्त्व—यह एक शान्त पेटी है। इस स्तर में परिवर्तन की कोई घटना घटित नहीं होती। (iii) समतापमण्डल-मध्य-स्तर के बाद समतापमण्डल प्रारम्भ होता है जिसकी ऊँचाई 16 किमी से 80 किमी तक है। इस मण्डल में ताप एक-सा रहता है, इसी कारण इसे समतापमण्डल का नाम दिया गया है, परन्तु इसकी ऊँचाई अक्षांश एवं ऋतुओं के अनुसार परिवर्तित होती रहती है अर्थात् ग्रीष्मकाल में वायुमण्डलीय घटनाएँ अधिक होने के कारण इसकी ऊँचाई में वृद्धि हो जाती है तथा शीतकाल में घट जाती है, जबकि वायुमण्डलीय घटनाएँ इस मण्डल में घटित नहीं होतीं। महत्त्व-यह मण्डल संवाहन प्रक्रिया से रहित है तथा इसमें बादल भी नहीं बनते। इस परत का महत्त्व वायुयानों के लिए अधिक है। (iv) ओजोनमण्डल-वायुमण्डल में इस परत की ऊँचाई समतापमण्डल के ऊपर 32 किमी से 80 किमी तक है। इसमें ओजोन गैस की अधिकता के कारण इसे ओजोनमण्डल नाम दिया गया है। वर्तमान समय में वायुमण्डल के इस छतरी रूपी आवरण में दो छेद हो गये हैं जिसका मुख्य कारण धरातल पर प्रदूषणों में वृद्धि होना है। वैज्ञानिकों को ध्यान इस ओर गया है तथा प्रदूषण एवं आणविक अस्त्र-शस्त्रों की होड़ को रोकने के प्रयास किये जा रहे हैं, जिससे जीवमण्डल के इस सुरक्षा कवच की रक्षा की जा सके। इस घटना के कारण ही पृथ्वी के औसत तापमान में 0.5° सेग्रे की वृद्धि हो गयी है; अतः सभी मानव-समुदाय को इसकी रक्षा के प्रयास करने चाहिए। महत्त्व-इस परत का महत्त्व मानवमात्र के लिए है, क्योंकि इसी परत में सूर्य की विषैली पराबैंगनी किरणों का अवशोषण होता है। यह परत न होती तो कदाचित् पृथ्वी पर किसी प्रकार का जीवन सम्भव नहीं होता। (v) आयनमण्डल-वायुमण्डल में इस परत की ऊँचाई 80 किमी से 640 किमी तक है, जो | ओजोनमण्डल के ठीक ऊपर है। कुछ वैज्ञानिक इसकी अन्तिम सीमा हजारों किमी तक मानते हैं। यह मण्डल रेडियो तरंगों को पृथ्वी की ओर लौटा देता है। यदि यह मण्डल न होता तो रेडियो तरंगें असीम आकाश में चली जातीं और कभी भूतल पर वापस न लौटतीं। इस मण्डल की स्थिति के कारण ही रेडियो तरंगें पृथ्वी पर एक वक्राकार मार्ग का अनुसरण करती हैं। ध्वनि तरंगों तथा रॉकेटों द्वारा भी इस मण्डल के विषय में अनेक जानकारियाँ प्राप्त हुई हैं, परन्तु अभी तक पूर्ण खोज नहीं हो पायी है। ओजोन की समाप्ति पर तापमान गिरने लगता है जो 30 किमी ऊँचाई पर -38° सेग्रे हो जाता है। इसके बाद तापमान में वृद्धि होती है तथा 95 किमी की ऊँचाई पर 10° सेग्रे तापमान हो जाता है। आकाश का नीला रंग, विद्युत चमक तथा ब्रह्माण्ड किरणें इस परत की विशेषताएँ हैं। महत्त्व-इस परत का महत्त्व दूरसंचार के लिए अधिक है। (vi) बहिर्मण्डल-ऊँचाई के आधार पर यह वायुमण्डल की सबसे ऊँची तथा अन्तिम परत हैं। इस परत की ऊँचाई 640 किमी से 690 किमी तक मानी गयी है अथवा इससे भी कहीं अधिक हो सकती है। वायुमण्डल की बाह्य सीमा पर 5568° सेग्रे ताप हो जाता है, परन्तु यह तापमान धरातलीय तापमान से भिन्न होता है। इसमें हीलियम तथा हाइड्रोजन जैसी अत्यधिक हल्की गैसों का आधिक्य है। वैज्ञानिक इस मण्डल की खोज में जुटे हुए हैं। महत्त्व-भू-भौतिकी वैज्ञानिकों एवं जलवायुवेत्ताओं ने इससे ऊपर चुम्बकीय मण्डले की परिकल्पना की है, जिसकी जानकारी उपग्रहों द्वारा प्राप्त हुई है। इसकी ऊँचाई का निर्धारण 80,000 किमी तक किया गया है। इसे ऊँचाई पर पृथ्वी के वायुमण्डल का समापन सूर्य की परिधि में हो जाता है। प्रश्न 3. वायुमण्डल के प्रथम संस्तर तथा इसकी सीमा का वर्णन कीजिए। | जलवायु विज्ञान की दृष्टि से इस परत का विशेष महत्त्व है, क्योंकि सभी मौसमी घटनाएँ इसी मण्डल में घटित होती हैं। ऊँचाई में वृद्धि के साथ-साथ तापमान में गिरावट इस परत की सबसे बड़ी विशेषता है। ताप की यह कमी 6.5° सेल्सियस प्रति किलोमीटर होती है। इसे सामान्य ताप ह्रास दर (Normal Lapse Rate of Temperature) कहते हैं। इस मण्डल में वायु कभी शान्त नहीं रहती है, कुछ-न-कुछ परिवर्तनों की क्रिया सदैव जारी रहती है। इस कारण इसे परिवर्तनमण्डल का नाम भी दिया गया है। वायुमण्डल की यह निचली परत ही भूतल और उस पर स्थित जैवमण्डल में सम्पर्क में रहती है जिस कारण यहाँ मेघ गर्जन, आँधी व तूफान आदि वायुमण्डलीय क्रियाएँ सम्पन्न होती हैं। मौसम सम्बन्धी सभी घटनाएँ इसी मण्डल में घटित होती हैं। क्षोभ सीमा या मध्य स्तर-क्षोभमण्डल एवं समतापमण्डल के मध्य क्षोभ सीमा अथवा मध्य स्तर स्थित है। यह इन दोनों मण्डलों के मध्य संक्रमण क्षेत्र है। इस पेटी की चौड़ाई लगभग 3 किमी तक है। मध्य अक्षांशों में जेट स्ट्रीम के कारण कभी-कभी इस स्तर की ऊँचाई में अन्तर पड़ जाता है। विषुवत् । रेखा पर इसकी ऊँचाई 18 से 20 किमी तथा ध्रुवों पर 8 से 10 किमी तक होती है। We hope the UP Board Solutions for Class 11 Geography: Fundamentals of Physical Geography Chapter 8 Composition and Structure of Atmosphere (वायुमंडल का संघटन तथा संरचना) help you. 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सूर्यातप का क्या अर्थ है?| लघु तरंगों के रूप में पृथ्वी की ओर आने वाले सौर विकिरण को सूर्यातप कहते हैं । पृथ्वी की सतह पर पहुँचने वाली सूर्याताप की मात्रा सूर्य से विकिरित ताप की मात्रा से बहुत ही कम होती है, क्योंकि पृथ्वी सूर्य से बहुत छोटी है और यह सूर्य से बहुत दूर है।
सूर्यातप क्या है इसे प्रभावित करने वाले चार प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए?सूर्यताप को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं_
सूर्य से स्वीकृत समस्त सूर्य ताप का 35% भाग विकिरण और परावर्तन द्वारा सूर्य में पुनः विलीन हो जाता है। 14% भाग वायु मंडल द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है केवल 51% भाग पृथ्वी को प्राप्त होता है। इस प्रकार वायुमंडल सूर्यताप वितरण को प्रभावित करता है।
सूर्य ताप और तापमान में क्या अंतर है?वायुमण्डल तथा पृथ्वी की ऊष्मा (Heat) का प्रमुख स्रोत सूर्य है। सौर ऊर्जा को ही सूर्यातप कहते हैं। अनुमान है कि सूर्य के धरातल पर लगभग 5,700° सेण्टीग्रेड अथवा 6000° केल्विन से भी अधिक तापमान रहता है और इसके नाभिक (Nucleous) में 1.5 से 2.0 करोड़ डिग्री केल्विन तापमान रहता है।
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