संप्रेषण कितने प्रकार के होते हैं नाम? - sampreshan kitane prakaar ke hote hain naam?

श्रोता तथा प्राप्तकर्ता के बीच विचारों या भावों के आदान-प्रदान में जो सेतु का कार्य करता है वह संप्रेषण ही है। यह सेतु जितना सशक्त एवं प्रभावशाली होगा उतना ही संप्रेषण प्रभावपूर्ण होगा। चाहे हम माध्यम के रूप में भाषा का प्रयोग करे अथवा अशाब्दिक वस्तुओं, कार्यों तथा संकतों का, चाहे हम जो भी कहना चाहें हमारे द्वारा अपनाये गए तरीके इस तरह के होने चाहिए कि संप्रेषण में सम्मिलित प्राप्तकर्ता हमारे द्वारा अभिव्यक्त विचारों या भावों को उसी रूप तथा अर्थों में ग्रहण करें जैसा हम चाहते हैं। इस हेतु हम संप्रेषण को निम्न प्रकारों में बाँट कर उपयोग कर सकते हैं


संप्रेषण माध्यम की दृष्टिः स्रोत तथा प्राप्तकर्ता के बीच विचार तथा भावनाओं आदि के आदान-प्रदान की प्रकृति और स्वभाव पर संप्रेषण माध्यम का गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिये संप्रेषण माध्यमों को ध्यान में रखते हुए हम इनके बीच होने वाले संप्रेषण को शाब्दिक एवं अशाब्दिक तथा स्वाभाविक एवं यांत्रिक में वर्गीकृत कर सकते हैं।


शाब्दिक एवं अशाब्दिक संप्रेषण : कक्षा के कमरों में अध्यापक और विद्यार्थियों के बीच जो संप्रेषण होता है उसका प्रारूप अधिकतर शाब्दिक एवं अशाब्दिक संप्रेषण ही होता है। जिस संप्रेषण में स्रोत तथा प्राप्तकर्ता विचारों तथा भावों के आदान-प्रदान में भाषा के मौखिक या लिखित रूपों का प्रयोग करें उसे शाब्दिक संप्रेषण कहा जाता है। इसके विपरीत भाषा का प्रयोग न करके अशाब्दिक संकेतों द्वारा न सम्पन्न संप्रेषण को अशाब्दिक संप्रेषणका नाम दिया जाता है। शाब्दिक संप्रेषण में उसी भाषा का स्रोत तथा प्राप्तकर्ता दोनों द्वारा प्रयोग किया जाता है, जिसे वे भलीभांति समझते हों तथा उसके संकेतन (Coding) एवं विसंकेतन (Decoding) में उन्हें कठिनाई न हो। इस दृष्टि में दोनों को सर्वमान्य एवं सर्वव्यापी भाषा का प्रयोग करना आवश्यक नहीं, वे ऐसी भाषा का प्रयोग भी कर सकते हैं, जिन्हें केवल वे ही जानते हों।


अशाब्दिक संप्रेषण का प्रयोग भी, चाहे हम वाचिक संप्रेषण में कितने भी कुशल क्यों न हों, हम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करते ही रहते हैं। कुछ अवस्थाओं में तो हमारे सामने अशाब्दिक संप्रेषण के तरीकों का प्रयोग करने के अलावा कोई चारा ही नहीं रहता। एक-दूसरे की भाषा न जानना,

भाषा के बोलने, पढ़ने, लिखने आदि में कठिनाई होना, गूंगे बहरे होना आदि बातें ऐसी परिस्थितियों के ही उदाहरण हैं। कई बार अशाब्दिक संप्रेषण का प्रयोग हम इसलिये भी करते हैं कि इसके द्वारा संप्रेषण को और भी अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है। अशाब्दिक संप्रेषण के भी कई रूप तथा प्रकार हो सकते हैं जैसे मुख मुद्रा आँखों की भाषा, शारीरिक भाषा, वाणी या ध्वनि संकेत, संकेतात्मक कूट भाषा आदि ।


स्वाभाविक एवं यांत्रिक संप्रेषण : ऐसा संप्रेषण जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति का समूह बिना किसी कृत्रिम साधन या उपकरण की सहायता लिए हुए स्वाभाविक रूप से विचारों तथा भावों का आदान-प्रदान करते हैं, प्राकृतिक या स्वाभाविक संप्रेषण कहलाता है।


इसके विपरीत जब संप्रेषण के स्रोत, प्राप्तकर्ता या माध्यम में से कोई एक या अधिक अपने स्वाभाविक रूप में न रहकर यांत्रिक बन जाते हैं तो उस अवस्था में उनके द्वारा सम्पन्न संप्रेषण यांत्रिक या मशीनी संप्रेषण कहलाता है। टेलीफोन, टेलीप्रिन्टर, पेजिंग, ऑडियो, वीडियो रिकार्डिंग, उपग्रह तथा टेलीविजन संचालित संप्रेषण इसी श्रेणी में आता है।


संप्रेषण परिस्थितियों की दृष्टिः संप्रेषण के समय संप्रेषण में व्यक्तियों की संस्था तथा उपलब्ध परिस्थितियों की दृष्टि से संप्रेषण के निम्न रूप तथा प्रकार हो सकते हैं। द्विवैयक्तिक संप्रेषणः इस प्रकार का संप्रेषण दो व्यक्तियों के बीच होता है। हम लोग एक-दूसरे से आम जिन्दगी में जो भी अनौपचारिक तथा कभी-कभी जो औपचारिक संप्रेषण मित्र, सम्बन्धी, पार्टनर अथवा दो अपरिचितों के रूप में करते रहते हैं वह सब इसी प्रकार का संप्रेषण होता है।


लघु समूह संप्रेषण: इस प्रकार का संप्रेषण एक छोटे समूह (जिसमें दो से अधिक व्यक्ति शामिल हों) के सदस्यों के बीच घटित होता है। जैसे परिवार के व्यक्तियों के बीच, कक्षा में विद्यार्थियों के बीच तथा मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारों में जाने वाले व्यक्तियों के बीच, बस तथा रेलगाड़ी में सफर करते हुए यात्रियों के बीच । व्यक्तियों के अलावा समूहों के बीच भी पारस्परिक संप्रेषण हो सकता है जैसे एक परिवार का अपने पड़ोसी परिवार या मोहल्ले में अन्य सदस्यों के साथ होने वाला संप्रेषण ।


दीर्घ समूह या सार्वजनिक संप्रेषण: इस प्रकार के संप्रेषण में बहुत सारे व्यक्ति या उनके समूह शामिल होते है । इस प्रकार के संप्रेषण का रूप अधिकतर औपचारिक ही होता है। प्रार्थना सभा तथा पाठान्तर क्रियाओं में आयोजन के लिये जो संप्रेषण विद्यालय प्रांगण में होता है उसे सार्वजनिक संप्रेषण कानाम दिया जा सकता है। नेताओं द्वारा जनसभा को सम्बोधित करने, गाँव की चौपाल पर मंत्रणा करने,

मंदिर या अन्य धार्मिक स्थानों पर प्रवचन या कार्यक्रमों के आयोजन के समय जो संप्रेषण व्यक्तियों तथा समूहों के मध्य चलता है उसे दीर्घ समूह या सार्वजनिक संप्रेषण का नाम दिया जा सकता है। द्वि-वैयक्तिक तथा लघु समूह सम्प्रेषणों की तुलना में इस प्रकार के संप्रेषण में पूर्व नियोजन, संगठन तथा व्यवस्था पर अधिक बल दिया जाता है।


संगठन या संस्थागत संप्रेषण : ऐसा संप्रेषण जो विभिन्न संगठनों तथा संस्थाओं जैसे औद्योगिक संस्थान, चिकित्सालय, शिक्षा संस्थान, पुलिस, सेना तथा अन्य सरकारी दफ्तरों एवं विभागों आदि में होता रहता है, वह इस श्रेणी के अंतर्गत आता है। इस प्रकार का संप्रेषण बहुत अधिक नियोजित, संरचित तथा व्यवस्थित होता है और इसलिये इसमें पूरी तरह औपचारिकता का ही वातावरण रहता है। जन-संप्रेषण : इस प्रकार के संप्रेषण का क्षेत्र बहुत अधिक व्यापक होता है। रेडियो, टेलीविजन, वीडियो, फिल्म, सिनेमा, समाचार-पत्र, पत्रिकायें, विज्ञापन, पुस्तकें तथा साहित्य आदि जनसंपर्क तथा संचार साधनों का प्रयोग इस प्रकार के संप्रेषण में माध्यमों के रूप में किया जाता है। यह एक प्रकार से अप्रत्यक्ष संप्रेषण है जिसमें स्रोता तथा प्राप्तकर्ता के बीच कोई प्रत्यक्ष सम्पर्क तो नहीं होता, परन्तु किसी भी व्यक्ति या संगठन को अपने विचार तथा भावों को ज्यादा से ज्यादा व्यक्तियों को एक ही समय में एक जैसे रूप में पहुँचाने के लिये इससे बढ़िया और तरीका भी नहीं हो सकता।

संप्रेषण के कितने प्रकार होते हैं नाम लिखिए?

संप्रेषण के प्रकार.
मौखिक संप्रेषण.
लिखित संप्रेषण.
औपचारिक संप्रेषण.
अनौपचारिक संप्रेषण.
अधोमुखी संप्रेषण.
ऊर्ध्वमुखी संप्रेषण.
क्षैतिज संप्रेषण.

सम्प्रेषण के कितने माध्यम है?

विभिन्न माध्यमों का प्रयोग संप्रेषण, संगठन के व्यक्तियों एवं समूहों का वाहक एवं विचार अभिव्यक्ति का माध्यम है। संप्रेषण प्रक्रिया में संदेश को भेजने या आदान-प्रदान करने के लिए विभिन्न माध्यमों का सहारा लिया जाता है। यह माध्यम लिखित, मौखिक, सांकेतिक, औपचारिक, अनौपचारिक आदि होता है।

मानव कितने प्रकार के संप्रेषण करता है?

मनुष्य दो प्रकार से संप्रेषण करता है। भाषिक संप्रेषण में हम उच्चरित या लिखित भाषा के माध्यम से संप्रेषण करते हैं । भाषा - इतर संप्रेषण में मनुष्य इंगित द्वारा, हाव-भाव के माध्यम से अपने विचार संप्रेषित करते हैं। संप्रेषण के ये दोनों माध्यम परिपूरक भी हो सकते हैं, याने व्यक्ति दोनों का एक साथ भी उपयोग कर सकता है।

संप्रेषण के कितने आयाम होते हैं?

संप्रेषण के इन आयामों की विशिष्ट चर्चा तीन विशिष्ट अध्ययन क्षेत्रों में होती है। (1) श्रोता A संप्रेषण का एक भाषिक पक्ष है, जिसका अध्ययन भाषाविज्ञान के अंतर्गत होता है। भाषा के माध्यम से हम विचारों का आदान-प्रदान कैसे करते हैं, कैसे एक दूसरे को समझते हैं आदि इसके विषय क्षेत्र में आते हैं