सबसे शुभ मुहूर्त कौन सा है? - sabase shubh muhoort kaun sa hai?

किसी भी कार्य का प्रारंभ करने के लिए शुभ लग्न और मुहूर्त को देखा जाता है। जानिए वह कौन-सा वार, तिथि, माह, वर्ष लग्न, मुहूर्त आदि शुभ है जिसमें मंगल कार्यों की शुरुआत की जाती है।

*श्रेष्ठ दिन : दिन और रात में दिन श्रेष्ठ है।

*श्रेष्ठ मुहूर्त : दिन-रात के 30 मुहूर्तों में ब्रह्म मुहूर्त ही श्रेष्ठ है।

*मुहूर्तों के नाम : एक मुहूर्त 2 घड़ी अर्थात 48 मिनट के बराबर होता है। 24 घंटे में 1440 मिनट होते हैं:- मुहूर्त सुबह 6 बजे से शुरू होता है:- रुद्र, आहि, मित्र, पितॄ, वसु, वाराह, विश्वेदेवा, विधि, सतमुखी, पुरुहूत, वाहिनी, नक्तनकरा, वरुण, अर्यमा, भग, गिरीश, अजपाद, अहिर, बुध्न्य, पुष्य, अश्विनी, यम, अग्नि, विधातॄ, क्ण्ड, अदिति जीव/अमृत, विष्णु, युमिगद्युति, ब्रह्म और समुद्रम।

*श्रेष्ठ वार : सात वारों में रवि, मंगल और गुरु श्रेष्ठ है।

*श्रेष्ठ चौघड़िया : शुभ चौघड़िया श्रेष्ठ है जिसका स्वामी गुरु है। अमृत का चंद्रमा और लाभ का बुध है।

*श्रेष्ठ पक्ष : कृष्ण और शुक्ल पक्षों के दो मास में शुक्ल पक्ष श्रेष्ठ है।

*श्रेष्ठ एकादशी : प्रत्येक वर्ष 24 और अधिकमास हो तो 26 एकादशियां होती हैं। शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में एकादशियों को श्रेष्ठ माना है। उनमें भी इसमें कार्तिक मास की देव प्रबोधिनी एकादशी श्रेष्ठ है।

*श्रेष्ठ माह : मासों में चैत्र, वैशाख, कार्तिक, ज्येष्ठ, श्रावण, अश्विनी, मार्गशीर्ष, माघ, फाल्गुन श्रेष्ठ माने गए हैं उनमें भी चैत्र और कार्तिक सर्वश्रेष्ठ है।

*श्रेष्ठ पंचमी : प्रत्येक माह में पंचमी आती है उसमें माघ माह के शुक्ल पक्ष की बसंत पंचमी श्रेष्ठ है।

*श्रेष्ठ अयन : दक्षिणायन और उत्तरायण मिलाकर एक वर्ष माना गया है। इसमें उत्तरायण श्रेष्ठ है।

*श्रेष्ठ संक्रांति : सूर्य की 12 संक्रांतियों में मकर संक्रांति ही श्रेष्ठ है।

*श्रेष्ठ ऋ‍तु : छह ऋतुओं में वसंत और शरद ऋतु ही श्रेष्ठ है।

*श्रेष्ठ नक्षत्र : नक्षत्र 27 होते हैं उनमें कार्तिक मास में पड़ने वाला पुष्य नक्षत्र श्रेष्ठ है। इसके अलावा अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा, श्रावण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, रेवती नक्षत्र शुभ माने गए हैं।

मुहूर्त दो तरह के होते हैं शुभ मुहूर्त और अशुभ मुहूर्त। शुभ को ग्राह्य समय और अशुभ को अग्राह्‍य समय कहते हैं। शुभ मुहूर्त में रुद्र, श्‍वेत, मित्र, सारभट, सावित्र, वैराज, विश्वावसु, अभिजित, रोहिण, बल, विजय, र्नेत, वरुण सौम्य और भग ये 15 मुहूर्त है। ...रवि के दिन 14वां, सोमवा रके दिन 12वां, मंगलवार के दिन 10वां, बुधवार के दिन 8वां, गुरु के दिन 6टा, शुक्रवार के दिन 4था और शनिवार के दिन दूसरा मुहूर्त कुलिक शुभ कार्यों में वर्जित हैं।

किसी भी कार्य का प्रारंभ करने के लिए शुभ लग्न और मुहूर्त को देखा जाता है। जानिए वह कौन-सा वार, तिथि, माह, वर्ष लग्न, मुहूर्त आदि शुभ है जिसमें मंगल कार्यों की शुरुआत की जाती है।

मुहूर्त संबंधित ग्रंथ : मुहूर्त संबंधित कई ग्रंथ हैं जो वेद, स्मृति आदि धर्मग्रंथों पर आधारित है। ये ग्रंथ है- मुहूर्त मार्तण्ड, मुहूर्त गणपति, मुहूर्त चिंतामणि, मुहूर्त पारिजात, धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु, मुहूर्त प्रकरण आदि।

श्रेष्ठ दिन : दिन और रात में दिन श्रेष्ठ है।
श्रेष्ठ मुहूर्त : दिन-रात के 30 मुहूर्तों में ब्रह्म मुहूर्त ही श्रेष्ठ है।

श्रेष्ठ वार : सात वारों में रवि, मंगल और गुरु श्रेष्ठ है।
चौघड़िया : शुभ चौघड़िया श्रेष्ठ है जिसका स्वामी गुरु है। अमृत का चंद्रमा और लाभ का बुध है।श्रेष्ठ पक्ष : कृष्ण और शुक्ल पक्षों के दो मास में शुक्ल पक्ष श्रेष्ठ है।
श्रेष्ठ एकादशी : प्रत्येक वर्ष चौबीस और अधिकमास हो तो 26 एकादशियां होती हैं। शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में एकादशियों को श्रेष्ठ माना है। उनमें भी इसमें कार्तिक मास की देव प्रबोधिनी एकादशी श्रेष्ठ है।
श्रेष्ठ माह : मासों में चैत्र, वैशाख, कार्तिक, ज्येष्ठ, श्रावण, अश्विनी, मार्गशीर्ष, माघ, फाल्गुन श्रेष्ठ माने गए हैं उनमें भी चैत्र और कार्तिक सर्वश्रेष्ठ है।श्रेष्ठ पंचमी : प्रत्येक माह में पंचमी आती है उसमें माघ माह के शुक्ल पक्ष की बसंत पंचमी श्रेष्ठ है।
श्रेष्ठ अयन : दक्षिणायन और उत्तरायण मिलाकर एक वर्ष माना गया है। इसमें उत्तरायण श्रेष्ठ है।
श्रेष्ठ संक्रांति : सूर्य की 12 संक्रांतियों में मकर संक्रांति ही श्रेष्ठ है।
श्रेष्ठ ऋ‍तु : छह ऋतुओं में वसंत और शरद ऋतु ही श्रेष्ठ है।श्रेष्ठ नक्षत्र : नक्षत्र 27 होते हैं उनमें कार्तिक मास में पड़ने वाला पुष्य नक्षत्र श्रेष्ठ है। इसके अलावा अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा, श्रावण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, रेवती नक्षत्र शुभ माने गए हैं।

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शुभ मुहूर्त

पंच मुहूर्त में शुभ मुहूर्त, या शुभ समय, वह समय अवधि जिसमें ग्रह और नक्षत्र मूल निवासी के लिए अच्छे या फलदायक होते हैं। एक ही दिन में तीस शुभ मुहूर्त होते हैं, जिसके दौरान किसी व्यक्ति को शुभ परिणाम प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य शुरू करना चाहिए। शुभ मुहूर्त का आशय है महत्वपूर्ण कार्यों में सार्थक परिणाम प्राप्त करना है। सरल शब्दों में कहे तो, किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत शुभ समय पर करने को ही मुहूर्त कहा जाता है।

सबसे शुभ मुहूर्त कौन सा है? - sabase shubh muhoort kaun sa hai?

सबसे शुभ मुहूर्त कौन सा है? - sabase shubh muhoort kaun sa hai?
सबसे शुभ मुहूर्त कौन सा है? - sabase shubh muhoort kaun sa hai?

24 November 2022 |

अभिजीत मुहूर्त - 11:53 - 12:43

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सबसे शुभ मुहूर्त कौन सा है? - sabase shubh muhoort kaun sa hai?

मुहूर्तों के नाम


ज्योतिष के अनुसार कुल 30 मुहूर्त हैं। जो क्रमशः इस प्रकार हैं - रुद्र, आहि, मित्र, पितॄ, वसु, वाराह, विश्वेदेवा, विधि, सतमुखी, पुरुहूत, वाहिनी, नक्तनकरा, वरुण, अर्यमा, भग, गिरीश, अजपाद, अहिर, बुध्न्य, पुष्य, अश्विनी, यम, अग्नि, विधातॄ, कण्ड, अदिति, जीव/अमृत, विष्णु, युमिगद्युति, ब्रह्म और समुद्रम हैं। ध्यान रहे इस में शुभ अथवा अशुभ दोनों ही मुहूर्तों के नाम शामिल हैं।

मुहूर्त व ज्योतिष शास्त्र

ज्योतिषी दृढ़ता से मानते हैं कि हर अच्छे और शुभ कार्य को शुरू करने का एक निश्चित समय होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस दौरान ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव से सकारात्मक ऊर्जा का अच्छा आदान-प्रदान होता है। ब्रह्मांड में होने वाली खगोलीय घटनाएं हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं। इसलिए, शुभ मुहूर्त के दौरान की गई कोई भी गतिविधि व्यक्ति के जीवन में खुशहाली लाती है। हमारे जीवन को ग्रहों की परिवर्तन व उनकी गति प्रभावित करती है। ग्रहों की चाल ही है जो हमें अच्छे और बुरे समय का अनुभव कराती हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि किसी काम को शुभ मुहूर्त के दौरान किया जाए तो कार्य की सफलता की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि, शुभ समय के दौरान कार्य करने का अधिकतम परिणाम को जातक का भाग्य प्रभावित जरूर करता है। यही कारण है कि कार्य शुरू करने से पहले मुहूर्त के समय पर जातक की जन्म कुंडली का क्या प्रभाव पड़ सकता है इस पर विचार करना महत्वपूर्ण हो जाता है। शुभ मुहूर्त की गणना करते समय ज्योतिषियों को कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है।

वैदिक ज्योतिषी अक्सर हिंदू कैलेंडर, वैदिक ज्योतिष पंचांग के आधार पर मुहूर्त की गणना करते हैं। वे हमेशा ग्रहों की गति और स्थिति, विशेष दिन के सूर्योदय और सूर्यास्त की गणना करते हैं, क्योंकि यह माना जाता है कि मुहूर्त निकालने के लिए तिथि, वार, नक्षत्र, योग एवं करण का आकलन किया जाता है और इन्हीं के आधार पर शुभ समय निश्चित किया जाता है। अधिकतर, लोग विभिन्न पर्व और अनुष्ठान करने के लिए शुभ मुहूर्त की गणना करवाते हैं। शुभ मुहूर्त की गणना कोई नई परंपरा नहीं है। पहले राजा-महराजा ब्रह्मणों और ज्योतिषियों से संधियों पर हस्ताक्षर करने से पहले या नए क्षेत्र पर शासन शुरू करने से पहले शुभ समय की गणना करवाते थे। इतना ही नहीं, राजा अपने विवाह मुहूर्त की गणना करवाते थे। भगवद गीता इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि समय कितना महत्वपूर्ण और शक्तिशाली है। पौराणिक कहानी इस बात का समर्थन करती है कि व्यक्ति को हमेशा अनुकूल समय के अनुसार अच्छे समारोह और नई गतिविधियां क्यों शुरू करनी चाहिए।

वर्तमान जीवन में मुहूर्त की उपयोगिता

अब शुभ मुहूर्त विवाह और एक नया व्यवसाय शुरू करने के लिए ही नहीं निकाला जाता है, बल्कि कई लोग ज्योतिषियों से नया घर खरीदने, कॉलेज शुरू करने से पहले भी शुभ मुहूर्त पर सलाह लेते हैं। अन्य अवसरों के दौरान, शुभ मुहूर्त की गणना की जाती है, जिसमें यात्रा मुहूर्त, संपत्ति या वाहन खरीदने का मुहूर्त और यहां तक ​​कि मुंडन संस्कार के लिए भी शामिल है। भारत में विशेष रूप से, रीति-रिवाजों और परंपराओं के लिए, शुभ मुहूर्त की गणना के लिए ज्योतिषियों से सलाह ली जाती है। त्योहारों और आध्यात्मिक तिथियों में पूजा कब की जानी चाहिए, यह तय करने के लिए भी शुभ समय की गणना की जाती है।

सबसे बढ़िया मुहूर्त कौन सा होता है?

अमृत/जीव मुहूर्त और ब्रह्म मुहूर्त बहुत श्रेष्ठ होते हैं ; ब्रह्म मुहूर्त सूर्योदय से पच्चीस नाड़ियां पूर्व, यानि लगभग दो घंटे पूर्व होता है। यह समय योग साधना और ध्यान लगाने के लिये सर्वोत्तम कहा गया है।

2022 में मकान बनाने का शुभ मुहूर्त कब है?

अक्टूबर और नवंबर 2022 में भूमि पूजन का मुहूर्त हिंदू कैलेंडर के अनुसार, अक्टूबर और नवंबर 2022 के महीने में भूमि पूजन या गृह निर्माण के लिए कोई शुभ तिथियां या मुहूर्त नहीं हैं।

विष्णु मुहूर्त कितने बजे होता है?

दिन और रात के 24 घंटे के समय के अनुसार देखा जाए तो प्रात: 6 बजे से लेकर दिन-रात मिलाकर प्रात: 5 बजकर 12 मिनट तक कुल 30 मुहूर्त होते हैं। एक मुहूर्त 2 घड़ी अर्थात 48 मिनट के बराबर होता है। 24 घंटे में 1440 मिनट होते हैं:- मुहूर्त सुबह 6 बजे से शुरू होता है। विष्णु मुहूर्त : ब्रह्म मुहूर्त रा‍त्रि का चौथा प्रहर होता है।

कौन सा दिन शुभ माना जाता है?

सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार कार्य प्रारंभ करने के लिए शुभ हैं। द्वितीया, पंचमी, सप्तमी, नवमी, एकादशी, त्रयोदशी।