वेद- एक सामान्य परिचय । Veda - A General Introduction
"वेद" प्राचीन भारत के पवित्रतम साहित्य हैं जो हिन्दुओं के प्राचीनतम और आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं । वेद विश्वमानव के कल्याणधायक ग्रन्थ रत्न हैं । भारतीय संस्कृति में वेद वर्णाश्रम धर्म के मूल और सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं । मान्यता है कि इनके मन्त्रों को परमेश्वर ने प्राचीन ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था, इसलिए वेदों को 'श्रुति' भी कहा जाता है ।
इस पोस्ट में ऋग्वेद की सम्पूर्ण जानकारी (Rigveda ki sampurn jankari) प्रदान की जा रही है ।
वेद शब्द कैसे बना ? How did the word Veda come into being ?
# "वेद" शब्द संस्कृत की विद् धातु के साथ "घञ्" अथवा "अच्" प्रत्यय के मिलने से बना है । "विद्" धातु का प्रयोग ज्ञानार्थक के लिए होता है । 'वेद' शब्द का अर्थ ज्ञान है ।
वैदिक वाङ्मय के कितने भाग हैं ? How many parts of Vedic hymn are there ?
# वैदिक वाङ्मय के 4 भाग हैं 1. मन्त्र भाग या संहिता 2. ब्राह्मण 3. आरण्यक 4. उपनिषद
संहिता किसे कहते हैं ? What is Samhita ?
मन्त्रों के समूह का नाम 'संहिता' है ।
संहिता के कितने भेद हैं ? ( वेद कितने हैं ) How many differences does Samhita have ?
# संहिता के 4 भेद हैं-
1. ऋक् संहिता या ऋग्वेद 2. साम संहिता या सामवेद 3. यजु: संहिता या यजुर्वेद 4. अथर्व संहिता या अथर्ववेद ।
वेदत्रयी में कौन-कौन से वेद आते हैं ? Which Vedas come in Vedatrayi ?
# वेदत्रयी- ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद को वेदत्रयी कहा जाता है ।
वेदों की कितनी शाखाएँ हैं ? How many branches of Vedas are there ?
# मंत्रों के संकलन, ग्रहण, उच्चारण विषयक भेदों से संहिताओं की अनेक शाखाएँ बन गई ।
# महाभाष्यकार पतंजलि जी ने पस्पशाह्निक में ऋग्वेद की 21, यजुर्वेद की 100, सामवेद की 1000 और अथर्ववेद की 9 शाखाओं का उल्लेख किया है ।
# कुल 1130 शाखाओं में से अधिकांश शाखाएँ अध्ययन के अभाव में समाप्त हो गई हैं, आज कुछ ही शाखाएँ उपलब्ध हैं ।
ऋग्वेद की सम्पूर्ण जानकारी
Rigveda - A General Introduction
ऋग्वेद-
# "ऋच्यन्ते स्तूयन्ते अनया इति ऋक्" अर्थात् देवताओं की स्तुतियों अथवा उनके प्रति गायी गई प्रार्थनाओं का वेद ऋग्वेद कहलाता है ।
# चारों वेदों में ऋग्वेद का महत्व सबसे अधिक है ।
# ऋग्वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ है ।
# भाषा एवं भाव की दृष्टि से ऋग्वेद अन्य वेदों से प्राचीन है ।
# ऋग्वेद का ऋत्विक 'होता' है ।
ऋग्वेद का वाङ्मय । Rigvedic literature-
# ऋग्वेद के ब्राह्मण- 1. ऐतरेय 2. शांखायन हैं ।
# ऋग्वेद के आरण्यक - 1. ऐतरेय 2. शांखायन हैं ।
# ऋग्वेद के उपनिषद् - 1. ऐतरेय 2. कौषीतकी हैं ।
ऋग्वेद की शाखाएँ । Rigveda branches-
# पतंजलि ने ऋग्वेद की 21 शाखाएँ स्वीकारी हैं ।
# चरणव्यूह नामक ग्रन्थ में ऋग्वेद की 5 शाखाएँ बताई गई हैं-
1. शाकल 2. वाष्कल 3. आश्वलायनी 4. शांखायनी 5. माण्डूकायनी ।
# वर्तमान में केवल 'शाकल' शाखा ही उपलब्ध होती है ।
ऋग्वेद के कितने विभाग हैं ?
# ऋग्वेद का विभाग 2 प्रकार से किया गया है 1. अष्टक क्रम 2. मण्डल क्रम ।
1. अष्टक क्रम- (Ashtak kram)
अष्टक क्रम में समस्त ऋग्वेद को आठ अष्टकों में विभक्त किया गया है । प्रत्येक अष्टक में आठ अध्याय है, प्रत्येक अध्याय को अध्ययन की सुविधा के लिये वर्गों में बांटा गया है । इस कार ऋग्वेद में 8 अष्टक, 64 अध्याय और 2006 वर्ग हैं ।
2. मण्डल क्रम- (Mandal kram)
मण्डल क्रम आधृत विभाग को अधिक ऐतिहासिक व वैज्ञानिक माना जाता है । मण्डल क्रम में कुल 10 मण्डल, 85 अनुवाक और 1017 सूक्त हैं । 10 मण्डल होने के कारण इसे 'दशतयी' भी कहते हैं । इन सूक्तों के अतिरिक्त 11 सूक्त वालखिल्य नाम से विख्यात हैं । जिनका स्थान अष्टम मण्डल के मध्य सूक्त 49 से लेकर सूक्त 59 तक है । इनमें मन्त्रों की संख्या 80 है |
खिल का क्या अर्थ है ?
# खिल का अर्थ है परिशिष्ट अथवा बाद में जोड़े गए मन्त्र । कुल 11 सूक्त खिल या वालखिल्य नाम से विख्यात हैं । अष्टम मण्डल में मुख्य सूक्त 92 हैं, जबकि खिल सूक्तों सहित यह संख्या 103 हो जाती है ।
# खिल सूक्तों को स्वाध्याय के समय पढ़ने का विधान है, किंतु न तो इनका पद पाठ मिलता है और न ही अक्षर गणना में इनका समावेश होता है ।
ऋग्वेद में कुल सूक्त कितने हैं ?
# इस प्रकार ऋग्वेद में कुल 1028 सूक्त हैं ।
ऋग्वेद की रचना काल सम्बन्धी मत
1. बालगंगाधर तिलक- इनके अनुसार ऋग्वेद की रचना 6000 ई. पू. में हुई ।
2. मैक्समूलर इनके अनुसार 1200 से 1000 ई. पू. में हुई ।
3. विंटर नित्स- इनके अनुसार 3000 ई. पू. में हुई ।
4. मान्य मत- इस मत के अनुसार 1500 से 1000 ई. पू. में हुई ।
भारतीय मान्यतओं के अनुसार वेदों की रचना किसी ने नहीं की है अपितु स्वयं ईश्वर मुख से प्राप्त है । ईश्वर से ऋषियों को वेद श्रुति रूप में प्राप्त हुए हैं ।
ऋग्वेद के सूक्तों का विभाजन-
मण्डलानुसार सूक्तों की संख्या -
प्रथम मण्डल- 191
द्वितीय मण्डल- 43
तृतीय मण्डल - 62
चतुर्थ मण्डल- 56
पंचम मण्डल- 87
षष्ठ मण्डल- 75
सप्तम मण्डल- 104
अष्टम मण्डल- 92 + 11
नवम मण्डल- 114
दशम मण्डल- 191
इस प्रकार कुल 1028 सूक्त हैं ।
ऋग्वेद के ऋषि Rigveda ke Rishi-
ऋग्वेद के मण्डल एवं उनके ऋषि-
प्रथम मण्डल- मधुच्छन्दा, मेधातिथि, दीर्घतमा
द्वितीय मण्डल- गृत्समद व उनके वंशज
तृतीय मण्डल- विश्वामित्र व उनके वंशज चतुर्थ मण्डल- वामदेव व उनके वंशज
पंचम मण्डल- अत्रि व उनके वंशज
षष्ठ मण्डल भारद्वाज व उनके वंशज
सप्तम मण्डल- वसिष्ठ व उनके वंशज
अष्टम मण्डल-कण्व, अंगिरा व उनके वंशज नवम मण्डल- अनेक ऋषि
दशम मण्डल- अनेक ऋषि
ऋग्वेद के अन्य महत्वपूर्ण बिन्दु-
# द्वितीय से सप्तम मण्डल तक का भाग ऋग्वेद का सबसे प्राचीनतम अंश है ।
# प्रथम व दशम मण्डल को सबसे नया माना जाता है, दोनों में सूक्त संख्या भी समान (191) है ।
# नवम मण्डल के सभी सूक्त सोम देवता के गुण गाते हैं, सोम को 'पवमान' भी कहा जाता है, अतः इस मण्डल को 'पवमान मण्डल' भी कहते हैं ।
# शौनक के अनुसार ऋग्वेद में 10580 मन्त्र, 153826 शब्द और 432000 अक्षर हैं ।
# इतिहासकारों और वेदज्ञों ने ऋग्वेद में 10467 से लेकर 10589 तक मन्त्रो की संख्या स्वीकारी है ।
# ऋग्वेद के मन्त्र 14 छंदों में रचे गए हैं । सबसे ज्यादा मन्त्र त्रिष्टुप्, गायत्री, जगती और अनुष्टुप छंद में हैं ।
# ऋग्वेद के अनुसार देवताओं की संख्या कुल 33 है । जिनमें 11 पृथ्वी में, 11 अंतरिक्ष में और 11 द्युलोक में हैं । वेदों के अनुसार कोटि शब्द का अर्थ प्रकार है, न कि संख्यावाचक करोड़ ।
# ऋग्वेद का उपवेद आयुर्वेद है । आयुर्वेद के कर्ता धन्वंतरि हैं । सुश्रुत के अनुसार आयुर्वेद, अथर्ववेद का उपवेद है ।
# ऋग्वेद के नासदीय सूक्त में निर्गुण ब्रह्म का वर्णन है ।
# इस वेद में आर्यों के निवास स्थल के लिए सर्वत्र 'सप्त सिन्धवः' शब्द का प्रयोग हुआ है ।
# इस वेद में लगभग 25 नदियों का उल्लेख किया गया है, जिनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण नदी सिन्धु है । सर्वाधिक पवित्र नदी सरस्वती को माना गया है । इसमें गंगा का प्रयोग एक बार तथा यमुना का प्रयोग तीन बार हुआ है ।
# ऋग्वेद में राजा का पद वंशानुगत होता था ।
# ऋग्वेद के 9वें मण्डल में सोम रस की प्रशंसा की गई है ।
# इस वेद में गाय के लिए 'अहन्या' शब्द का प्रयोग किया गया है ।
# ऋग्वेद में कृषि का उल्लेख 24 बार हुआ है ।
# इस वेद में केवल हिमालय पर्वत तथा इसकी एक चोटी मुञ्जवन्त का उल्लेख हुआ है ।
# ऋग्वेद में इंद्र को सर्वमान्य तथा सबसे अधिक शक्तिशाली देवता माना गया है । इन्द्र की स्तुति में ऋग्वेद में 250 सूक्त हैं ।