ऐसा प्रतीत होता है कि ऋग्वेद के सभी संवाद सूक्त अपूर्ण हैं। ये संवाद प्राचीन आख्यानों के अवशिष्ट रूप हैं ऐसा पाश्चात्य विद्वान ओल्डेनबर्ग का मत है। इनके अनुसार वास्तव में ये आख्यान गद्य पद्यात्मक है किंतु गद्य भाग क्रमशः लुप्त हो गया और केवल पद्य भाग ही अधिक रोचक और काव्यात्मक होने के कारण बच गया। Show
वेद- एक सामान्य परिचय । Veda - A General Introduction"वेद" प्राचीन भारत के पवित्रतम साहित्य हैं जो हिन्दुओं के प्राचीनतम और आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं । वेद विश्वमानव के कल्याणधायक ग्रन्थ रत्न हैं । भारतीय संस्कृति में वेद वर्णाश्रम धर्म के मूल और सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं । मान्यता है कि इनके मन्त्रों को परमेश्वर ने प्राचीन ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था, इसलिए वेदों को 'श्रुति' भी कहा जाता है । इस पोस्ट में ऋग्वेद की सम्पूर्ण जानकारी (Rigveda ki sampurn jankari) प्रदान की जा रही है । वेद शब्द कैसे बना ? How did the word Veda come into being ? # "वेद" शब्द संस्कृत की विद् धातु के साथ "घञ्" अथवा "अच्" प्रत्यय के मिलने से बना है । "विद्" धातु का प्रयोग ज्ञानार्थक के लिए होता है । 'वेद' शब्द का अर्थ ज्ञान है ।
वैदिक वाङ्मय के कितने भाग हैं ? How many parts of Vedic hymn are there ? # वैदिक वाङ्मय के 4 भाग हैं 1. मन्त्र भाग या संहिता 2. ब्राह्मण 3. आरण्यक 4. उपनिषद
संहिता किसे कहते हैं ? What is Samhita ? मन्त्रों के समूह का नाम 'संहिता' है ।
संहिता के कितने भेद हैं ? ( वेद कितने हैं ) How many differences does Samhita have ?# संहिता के 4 भेद हैं- 1. ऋक् संहिता या ऋग्वेद 2. साम संहिता या सामवेद 3. यजु: संहिता या यजुर्वेद 4. अथर्व संहिता या अथर्ववेद ।
वेदत्रयी में कौन-कौन से वेद आते हैं ? Which Vedas come in Vedatrayi ? # वेदत्रयी- ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद को वेदत्रयी कहा जाता है ।
वेदों की कितनी शाखाएँ हैं ? How many branches of Vedas are there ?# मंत्रों के संकलन, ग्रहण, उच्चारण विषयक भेदों से संहिताओं की अनेक शाखाएँ बन गई । # महाभाष्यकार पतंजलि जी ने पस्पशाह्निक में ऋग्वेद की 21, यजुर्वेद की 100, सामवेद की 1000 और अथर्ववेद की 9 शाखाओं का उल्लेख किया है । # कुल 1130 शाखाओं में से अधिकांश शाखाएँ अध्ययन के अभाव में समाप्त हो गई हैं, आज कुछ ही शाखाएँ उपलब्ध हैं ।
ऋग्वेद की सम्पूर्ण जानकारीRigveda - A General Introduction
ऋग्वेद-# "ऋच्यन्ते स्तूयन्ते अनया इति ऋक्" अर्थात् देवताओं की स्तुतियों अथवा उनके प्रति गायी गई प्रार्थनाओं का वेद ऋग्वेद कहलाता है । # चारों वेदों में ऋग्वेद का महत्व सबसे अधिक है । # ऋग्वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ है । # भाषा एवं भाव की दृष्टि से ऋग्वेद अन्य वेदों से प्राचीन है । # ऋग्वेद का ऋत्विक 'होता' है ।
ऋग्वेद का वाङ्मय । Rigvedic literature-# ऋग्वेद के ब्राह्मण- 1. ऐतरेय 2. शांखायन हैं । # ऋग्वेद के आरण्यक - 1. ऐतरेय 2. शांखायन हैं । # ऋग्वेद के उपनिषद् - 1. ऐतरेय 2. कौषीतकी हैं ।
ऋग्वेद की शाखाएँ । Rigveda branches-# पतंजलि ने ऋग्वेद की 21 शाखाएँ स्वीकारी हैं । # चरणव्यूह नामक ग्रन्थ में ऋग्वेद की 5 शाखाएँ बताई गई हैं- 1. शाकल 2. वाष्कल 3. आश्वलायनी 4. शांखायनी 5. माण्डूकायनी । # वर्तमान में केवल 'शाकल' शाखा ही उपलब्ध होती है ।
ऋग्वेद के कितने विभाग हैं ? # ऋग्वेद का विभाग 2 प्रकार से किया गया है 1. अष्टक क्रम 2. मण्डल क्रम ।
1. अष्टक क्रम- (Ashtak kram)अष्टक क्रम में समस्त ऋग्वेद को आठ अष्टकों में विभक्त किया गया है । प्रत्येक अष्टक में आठ अध्याय है, प्रत्येक अध्याय को अध्ययन की सुविधा के लिये वर्गों में बांटा गया है । इस कार ऋग्वेद में 8 अष्टक, 64 अध्याय और 2006 वर्ग हैं ।
2. मण्डल क्रम- (Mandal kram)मण्डल क्रम आधृत विभाग को अधिक ऐतिहासिक व वैज्ञानिक माना जाता है । मण्डल क्रम में कुल 10 मण्डल, 85 अनुवाक और 1017 सूक्त हैं । 10 मण्डल होने के कारण इसे 'दशतयी' भी कहते हैं । इन सूक्तों के अतिरिक्त 11 सूक्त वालखिल्य नाम से विख्यात हैं । जिनका स्थान अष्टम मण्डल के मध्य सूक्त 49 से लेकर सूक्त 59 तक है । इनमें मन्त्रों की संख्या 80 है |
खिल का क्या अर्थ है ? # खिल का अर्थ है परिशिष्ट अथवा बाद में जोड़े गए मन्त्र । कुल 11 सूक्त खिल या वालखिल्य नाम से विख्यात हैं । अष्टम मण्डल में मुख्य सूक्त 92 हैं, जबकि खिल सूक्तों सहित यह संख्या 103 हो जाती है । # खिल सूक्तों को स्वाध्याय के समय पढ़ने का विधान है, किंतु न तो इनका पद पाठ मिलता है और न ही अक्षर गणना में इनका समावेश होता है ।
ऋग्वेद में कुल सूक्त कितने हैं ?# इस प्रकार ऋग्वेद में कुल 1028 सूक्त हैं ।
ऋग्वेद की रचना काल सम्बन्धी मत 1. बालगंगाधर तिलक- इनके अनुसार ऋग्वेद की रचना 6000 ई. पू. में हुई । 2. मैक्समूलर इनके अनुसार 1200 से 1000 ई. पू. में हुई । 3. विंटर नित्स- इनके अनुसार 3000 ई. पू. में हुई । 4. मान्य मत- इस मत के अनुसार 1500 से 1000 ई. पू. में हुई । भारतीय मान्यतओं के अनुसार वेदों की रचना किसी ने नहीं की है अपितु स्वयं ईश्वर मुख से प्राप्त है । ईश्वर से ऋषियों को वेद श्रुति रूप में प्राप्त हुए हैं ।
ऋग्वेद के सूक्तों का विभाजन- मण्डलानुसार सूक्तों की संख्या - प्रथम मण्डल- 191 द्वितीय मण्डल- 43 तृतीय मण्डल - 62 चतुर्थ मण्डल- 56 पंचम मण्डल- 87 षष्ठ मण्डल- 75 सप्तम मण्डल- 104 अष्टम मण्डल- 92 + 11 नवम मण्डल- 114 दशम मण्डल- 191 इस प्रकार कुल 1028 सूक्त हैं ।
ऋग्वेद के ऋषि Rigveda ke Rishi-ऋग्वेद के मण्डल एवं उनके ऋषि- प्रथम मण्डल- मधुच्छन्दा, मेधातिथि, दीर्घतमा द्वितीय मण्डल- गृत्समद व उनके वंशज तृतीय मण्डल- विश्वामित्र व उनके वंशज चतुर्थ मण्डल- वामदेव व उनके वंशज पंचम मण्डल- अत्रि व उनके वंशज षष्ठ मण्डल भारद्वाज व उनके वंशज सप्तम मण्डल- वसिष्ठ व उनके वंशज अष्टम मण्डल-कण्व, अंगिरा व उनके वंशज नवम मण्डल- अनेक ऋषि दशम मण्डल- अनेक ऋषि
ऋग्वेद के अन्य महत्वपूर्ण बिन्दु- # द्वितीय से सप्तम मण्डल तक का भाग ऋग्वेद का सबसे प्राचीनतम अंश है । # प्रथम व दशम मण्डल को सबसे नया माना जाता है, दोनों में सूक्त संख्या भी समान (191) है । # नवम मण्डल के सभी सूक्त सोम देवता के गुण गाते हैं, सोम को 'पवमान' भी कहा जाता है, अतः इस मण्डल को 'पवमान मण्डल' भी कहते हैं । # शौनक के अनुसार ऋग्वेद में 10580 मन्त्र, 153826 शब्द और 432000 अक्षर हैं । # इतिहासकारों और वेदज्ञों ने ऋग्वेद में 10467 से लेकर 10589 तक मन्त्रो की संख्या स्वीकारी है । # ऋग्वेद के मन्त्र 14 छंदों में रचे गए हैं । सबसे ज्यादा मन्त्र त्रिष्टुप्, गायत्री, जगती और अनुष्टुप छंद में हैं । # ऋग्वेद के अनुसार देवताओं की संख्या कुल 33 है । जिनमें 11 पृथ्वी में, 11 अंतरिक्ष में और 11 द्युलोक में हैं । वेदों के अनुसार कोटि शब्द का अर्थ प्रकार है, न कि संख्यावाचक करोड़ । # ऋग्वेद का उपवेद आयुर्वेद है । आयुर्वेद के कर्ता धन्वंतरि हैं । सुश्रुत के अनुसार आयुर्वेद, अथर्ववेद का उपवेद है । # ऋग्वेद के नासदीय सूक्त में निर्गुण ब्रह्म का वर्णन है । # इस वेद में आर्यों के निवास स्थल के लिए सर्वत्र 'सप्त सिन्धवः' शब्द का प्रयोग हुआ है । # इस वेद में लगभग 25 नदियों का उल्लेख किया गया है, जिनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण नदी सिन्धु है । सर्वाधिक पवित्र नदी सरस्वती को माना गया है । इसमें गंगा का प्रयोग एक बार तथा यमुना का प्रयोग तीन बार हुआ है । # ऋग्वेद में राजा का पद वंशानुगत होता था । # ऋग्वेद के 9वें मण्डल में सोम रस की प्रशंसा की गई है । # इस वेद में गाय के लिए 'अहन्या' शब्द का प्रयोग किया गया है । # ऋग्वेद में कृषि का उल्लेख 24 बार हुआ है । # इस वेद में केवल हिमालय पर्वत तथा इसकी एक चोटी मुञ्जवन्त का उल्लेख हुआ है । # ऋग्वेद में इंद्र को सर्वमान्य तथा सबसे अधिक शक्तिशाली देवता माना गया है । इन्द्र की स्तुति में ऋग्वेद में 250 सूक्त हैं । ऋग्वेद के ऋषि का नाम क्या है?ऋग्वेद के प्रसिद्ध ऋषि अंगिरा ब्रह्मा के पुत्र थे। उनके पुत्र बृहस्पति देवताओं के गुरु थे। ऋग्वेद के अनुसार, ऋषि अंगिरा ने सर्वप्रथम अग्नि उत्पन्न की थी। अंगिरा: ऋग्वेद के प्रसिद्ध ऋषि अंगिरा ब्रह्मा के पुत्र थे।
ऋग्वेद के लेखक कौन है?ऋग्वेद के सूक्तों के पुरुष रचियताओं में गृत्समद, विश्वामित्र, वामदेव, अत्रि, भारद्वाज, वशिष्ठ आदि प्रमुख हैं। सूक्तों के स्त्री रचयिताओं में लोपामुद्रा, घोषा, शची, कांक्षावृत्ति, पौलोमी आदि प्रमुख हैं।
ऋग्वेद का दूसरा नाम क्या है?ऋग्वेद की संहिता को 'ऋकसंहिता' कहते हैं। वस्तुत: 'ऋक' का अर्थ है- 'स्तुतिपरक मन्त्र और 'संहिता' का अभिप्राय संकलन से है। अत: ऋचाओं के संकलन का नाम 'ऋकसंहिता' है।
ऋग्वेद का प्रथम मंत्र कौन सा है?ओम् अग्निमीले पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम् । होतारं रत्नधातमम् ।। भौतिक अग्नि अर्थात विद्युत् आदि ।
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