रुद्राक्ष शब्द में कौन सी संधि है? - rudraaksh shabd mein kaun see sandhi hai?

यह एकदश रूप है। यानि 11 रुद्र इसके देवता माने गए हैं। जिसको धारण करने से व्यक्ति जीवन में विजय प्राप्त करता है। साथ ही संतान उत्पत्ति या उससे जुड़ी समस्या के समाधान के लिए ग्यारह मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। यह व्यक्ति के फेफड़ों से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं का अंत करता है।

बारह मुखी

यह भगवान सूर्य का रूप माना गया है। जोकि व्यक्ति के जीवन को प्रकाशित करता है।इसके माध्यम से व्यक्ति को जीवन में ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। यह व्यक्ति को सिर दर्द से छुटकारा दिलवाता है। साथ ही हृदय से जुड़ी समस्याओं का भी निवारण करता है।

तेरह मुखी

इसे कामदेव का रूप माना गया है। जो व्यक्ति के जीवन में शुभ मंगल की चेष्टा करता है। इसको पहनने से व्यक्ति को किडनी और लीवर जैसी गंभीर समस्या से छुटकारा मिलता है। साथ ही महिलाओं को इसे पहनने से गर्भ संबंधी दिक्कतों से मुक्ति मिल जाती है।

चौदह मुखी

यह भगवान हनुमान और श्रीकंठ का रूप माना गया है। जिसे पहनने से व्यक्ति को शांति का अनुभव होता है। यह रुद्राक्ष व्यक्ति को निराशा, बेचैनी और भय से मुक्त कराता है। चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनने से किसी भी प्रकार की तंत्र मंत्र विद्या का बुरा असर व्यक्ति पर नही पड़ता है।

इसके अतिरिक्त गौरी शंकर, नंदी, गणेश, त्रिशूल, त्रिजूटी, लक्ष्मी और डमरू इत्यादि रुद्राक्षों को देवीय रूप की संज्ञा दी गई है। जिनको पहनने से व्यक्ति को दुःख व दरिद्रता से छुटकारा मिलता है और उसका यश संसार भर में व्याप्त हो जाता है। 

किन लोगों को पहनना चाहिए रुद्राक्ष?

अब आपके मन में यह प्रश्न अवश्य आ रहा होगा? कि रुद्राक्ष मुख्य रूप से किन व्यक्तियों को पहनना चाहिए। तो चलिए जानते हैं…रुद्राक्ष मानव ऊर्जा को स्थिर बनाए रखने में सहायक है। ऐसे में यदि आपको अपने जीवन से निराशा होने लगी है, या किसी कार्य में अपना मन नहीं लगता है।

तो अपनी सम्पूर्ण इंद्रियों पर विजय पाने के लिए आप रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं। लेकिन हां हम आपको यह अवश्य कहेंगे कि बिना परामर्श और जानकारी के आपको रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। बल्कि किसी जानकार व्यक्ति से विचार विमर्श करने के बाद ही आपको रुद्राक्ष पहनना चाहिए।

रुद्राक्ष को पहनने के पीछे का एक कारण यह भी है कि प्राचीन समय में जब ऋषि और मुनि जंगल में योग साधना किया करते थे। तब वह पेड़ों के फल और नदियों के पानी पर ही जीवन बसर किया करते थे। ऐसे में रुद्राक्ष के द्वारा यह पता लगाया जाता था कि उपरोक्त चीज़ें खाने और पीने के  योग्य है।

यानि इसमें किसी प्रकार का कोई विषैला पदार्थ तो नही मौजूद है। जिसका निर्धारण कुछ ऐसे किया जाता था कि खाने पीने की वस्तु के ऊपर रुद्राक्ष लटकाया जाए। तो यदि वह सीधा घुमा तो माना जाता था कि यह वस्तु स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।

अन्यथा रुद्राक्ष के विपरीत दिशा में घूमने पर उपरोक्त खाने पीने की चीज़ों को दूषित माना जाता था। ऐसे में कहा जा सकता है कि रुद्राक्ष को कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है। बजाय इसके कि यदि उसके मन में दूसरों के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है, तो रुद्राक्ष उसके लिए फलदाई हो सकता है।


छात्रों के लिए विशेष रुद्राक्ष

यदि आप विद्यार्थी हैं या किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो आपको चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है। जहां गौरी शंकर रुद्राक्ष वैवाहिक जीवन में सुख शांति की कामना के लिए पहना जाता है, तो वहीं विद्यार्थी जीवन में सफलता पाने के लिए आप चार मुखी रूद्राक्ष पहन सकते हैं।

चार मुखी रुद्राक्ष को भगवान ब्रह्मा और माता सरस्वती का प्रतीक माना गया है। ऐसे में जिन छात्र छात्राओं को पढ़ते समय एकाग्रता में कमी महसूस होती है, उन्हें चार मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। यदि आपका मन पढ़ाई लिखाई से दूर भागता है, तो चार मुखी रुद्राक्ष धारण करके आप अपनी पढ़ाई में रुचि उत्पन्न कर सकते हैं।

साथ ही जो परीक्षार्थी किसी परीक्षा में विशेष सफलता हासिल करना चाहते हैं, ये रुद्राक्ष उन्हें भी लाभ पहुंचाता है।

विद्यार्थियों द्वारा चार मुखी रुद्राक्ष पहनने से उनके शिक्षा के क्षेत्र में आने वाले सारे व्यवधान दूर हो जाते हैं। इसके अलावा अन्य व्यक्तियों को भी चार मुखी रुद्राक्ष से काफी फायदा पहुंचता है। विशेषकर व्यवसायियों को चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।

यह रुद्राक्ष व्यक्ति को अध्यात्म और धर्म के पथ पर ले जाने का कार्य करता है। इसको पहनने से व्यक्ति के आचरण में शालीनता और वाणी में सौम्यता आती है। विज्ञान, शोध और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र से जुड़े लोगों को भी इसे पहनने से फायदा पहुंचता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तुला, मकर, कुंभ, मिथुन, कन्या और वृषभ राशि के जातकों को भगवान शंकर का जाप करके चार मुखी रुद्राक्ष को पहनना चाहिए।


असली और नकली रुद्राक्ष की पहचान

रुद्राक्ष हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना गया है। इसलिए उसे धारण करने से पहले उसकी गुणवत्ता जांचना आवश्यक हो जाता है। अन्यथा हमने जिस उद्देश्य के लिए उसे धारण किया है, वह रुद्राक्ष की सही पहचान न होने के कारण अधूरा ही रह जाता है।

वर्तमान समय में रुद्राक्ष के हुबहू भद्राक्ष चलन में है। जिसे लाभ कमाने के उद्देश्य से मंदिरों और मठों के आगे बेचा जा रहा है। जो देखने में तो रुद्राक्ष की तरह लगता है, लेकिन असल में उससे काफी अलग होता है। इसलिए हम आपको कुछ एक उपाय बताएंगे। जिसके माध्यम से आप रुद्राक्ष के असली या नकली होने का पता लगा सकते हैं।

  1. असली रुद्राक्ष के भीतर रेशे पाए जाते हैं। ऐसे में रुद्राक्ष खरीदने के बाद उसे सुई से कुरेदें। यदि उसमें से रेशे नही निकले तो समझिए वह नकली रुद्राक्ष है।

  2. यदि आप असली रुद्राक्ष के ऊपर सरसों का तेल डालते हैं और उसका रंग अत्यंत गहरा लगने लगता है। तो समझिए आपका रुद्राक्ष असली है।

  3. असली रुद्राक्ष की सबसे बड़ी पहचान यह होती है कि इसकी ऊपरी सतह कभी एक समान नहीं होती है। 

  4. जो रुद्राक्ष जितना गहरे रंग का होगा, उसके असली होने की उतनी ही अधिक संभावना होती है।

  5. रुद्राक्ष असली है या नकली। इसकी पहचान करने के लिए उसे गरम पानी में कुछ देर तक उबालें। इस दौरान यदि उसका रंग हल्का नही पड़ता है, तो समझिए आपका रुद्राक्ष असली है।


रुद्राक्ष पहनते समय किन बातों का रखें ध्यान

भगवान शिव द्वारा प्रदत्त रुद्राक्ष का मानव जीवन में बहुत महत्व है। लोगों द्वारा इसे गृह शांति, सुरक्षा और आध्यात्मिक लाभ पाने के लिए धारण किया जाता है। लेकिन रुद्राक्ष पहनने से पहले आपको कुछ एक बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।

अन्यथा इसके गलत प्रयोग का आपके ऊपर विपरीत प्रभाव भी पड़ सकता है। इसलिए रुद्राक्ष धारण करते समय कभी न करें ये गलतियां, वरना हो सकता है नुकसान।

  1. प्रत्येक व्यक्ति को शुद्ध गंगाजल से स्नान करने के बाद ही रुद्राक्ष को पहनना चाहिए। आगे जब कभी आप स्नान आदि के लिए जाएं तो रुद्राक्ष को उतारकर ही जाएं।

  2. रुद्राक्ष को केवल काले और लाल धागे में ही पिरोकर पहना जाना चाहिए।

  3. इसे पहनते समय ओम ह्रीं नम: मंत्र का करीब 108 बार जाप करना चाहिए।

  4. इसे केवल हाथ की कलाई, कंठ और हृदय पर ही पहनना चाहिए। 

  5. कंठ पर रुद्राक्ष के 36, कलाई पर 12 और हृदय पर 108 दाने ही पहनने चाहिए।

  6. रुद्राक्ष धारण करने के बाद व्यक्ति को सात्विक जीवन अपनाना चाहिए। अन्यथा व्यक्ति को इसका अच्छा प्रभाव नहीं प्राप्त होता है।

  7. रुद्राक्ष को सावन के दिनों में भगवान शिव का आह्वान करके  पहनना शुभ माना जाता है। 

  8. कई लोग रुद्राक्ष को शिवरात्रि के पवित्र दिन पर भी धारण करते हैं। क्योंकि रुद्राक्ष भगवान शिव के नेत्र जल का प्रतीक माने गए हैं।

  9. रुद्राक्ष का केवल एक दाना भी लाल रंग के धागे में डालकर पहनने से आपको इसका लाभ प्राप्त होता है।

  10. रुद्राक्ष की माला में मनकों की संख्या 108 से कम नहीं होनी चाहिए।

इस प्रकार, हम आशा करते हैं कि रुद्राक्ष के बारे में हमारे द्वारा दी गई सारी जानकारी आपको उपयोगी लगी होगी। इसके अलावा, यदि आप रुद्राक्ष के विषय में और कुछ जानना चाहते हैं तो हमें कमेंट करके अवश्य बताएं। इसी प्रकार के धार्मिक महत्व से जुड़े विषयों के बारे में पढ़ने के लिए gurukul99 को फॉलो करना ना भूलें।

*आपसे निवेदन है कि रुद्राक्ष खरीदने से पहले उसकी पूर्णतः जांच का लें, चाहे आप online लें या दुकान में जाकर।

अंशिका जौहरी

मेरा नाम अंशिका जौहरी है और मैंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है। मुझे सामाजिक चेतना से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से लिखना और बोलना पसंद है।

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