सन्दर्भ Show प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह-भाग -2’ में संकलित गोस्वामी तुलसीदास जी की अमर कृति ‘रामचरित मानस’ के लंका काण्ड में वर्णित प्रसंग ‘लक्ष्मण-मूर्छा और राम का विलाप’ से लिया गया है | प्रसंग तव प्रताप उर राखि प्रभु जैहउँ नाथ तुरंत। व्याख्या लक्ष्मण के मूर्छित होने के बाद श्री राम उनकी दशा देखकर विलाप कर रहे थे | सुषेण वैद्य की सलाह पर संजीवनी लेने गए हनुमान की लौटते समय मार्ग में, अयोध्या में भरत से भेंट हुई | प्रसंग उहाँ राम लछिमनहि निहारी। बोले बचन मनुज अनुसारी।। व्याख्या इस काव्यांश में तुलसीदास जी ने दुःख की स्थिति के प्रभाव को दर्शाते हुए बताया है की दुःख में समर्थ से समर्थ व्यक्ति भी असहाय हो जाता है | प्रसंग उहाँ राम लछिमनहि निहारी। बोले बचन मनुज अनुसारी।। व्याख्या बोले आधी रात बीत गई है, हनुमान अभी तक नहीं आए | राम ने अधीर होकर अपने अनुज लक्ष्मण को उठाकर छाती से लगा लिया | प्रसंग सुत बित नारि भवन परिवारा। होहिं जाहिं जग बारहिं बारा।। व्याख्या यहाँ राम लक्ष्मण की मूर्छित अवस्था को देखकर बहुत ज्यादा विचलित हो रहे हैं | राम कह रहे हैं की वह अयोध्या जाकर लोगों के प्रश्नों का क्या उत्तर देंगे | प्रसंग अब अपलोकु सोकु सुत तोरा। सहिहि निठुर कठोर उर मोरा।। व्याख्या इस काव्यांश में लक्ष्मण की मूर्छा से व्याकुल और असहाय होकर राम विलाप करते हैं | प्रसंग हरषि राम भेटेउ हनुमाना। अति कृतग्य
प्रभु परम सुजाना।। व्याख्या इस काव्यांश में श्रीराम प्रसन्न होकर हनुमान से भेंट करते हैं तथा वैद्य तुरंत ही लक्ष्मण का उपचार
करते हैं | प्रसंग यह बृतांत दसानन सुनेऊ। अति बिषाद पुनि पुनि सिर धुनेऊ।। व्याख्या इस काव्यांश में यह बताया गया है की लक्ष्मण के होश
में आने से रावण किस प्रकार व्याकुल हो उठा तथा अपने भाई कुम्भकरण के पास चला गया | प्रसंग कथा कही सब तेहिं अभिमानी। जेहि प्रकार सीता हरि आनी।। व्याख्या इस काव्यांश में यह बताया गया है की किस प्रकार रावण ने
कुम्भकरण के साथ वार्तालाप किया | प्रसंग सुनि
दसकंधर बचन तब कुंभकरन बिलखान। व्याख्या इस काव्यांश में यह बताया है की रावन के वचन सुनकर कुम्भकरण ने क्या प्रतिक्रिया दी | विशेष----------------- ------------------------ Coming soon VIDEO WATCH
लक्ष्मण कैसे मूर्छित हुए थे?रावण की ओर से सेनापति मेघनाथ और लक्ष्मण में घनघोर युद्ध होता है। अंत में मायावी मेघनाथ के शक्ति बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो जाते हैं। इससे रामदल में शोक की लहर दौड़ जाती है।
लक्ष्मण जी की मृत्यु कैसे हुई?श्रीराम द्वारा त्यागे जाने से दुखी होकर लक्ष्मण सीधे सरयू नदी के तट पर पहुंचे और योग क्रिया द्वारा अपना शरीर त्याग दिया।
लक्ष्मण जी जब युद्ध में मूर्छित हुए थे तो हनुमान जी कौन सा पर्वत उठा लाए थे?लक्ष्मण के मूर्छित होने पर हनुमान उठा लाए संजीवनी पर्वत
लक्ष्मण जी को शक्ति बाण कैसे लगा?लंका में युद्ध के दौरान जब रावण अपने पुत्र मेघनाथ को युद्ध करने के लिए भेजता है तो मेघनाथ ब्रह्माशक्ति बाण से लक्ष्मण जी को मूर्छित कर देता है। भाई को मूर्छित देख श्री राम विलाप करते हैं, इसी दौरान वैद्य के बताने पर हनुमान जी द्रोणगिरी पर्वत से संजीवनी बूटी लाते हैं।
|