हंस लो दो छन खुशी मिली वरना जीवन भर क्या है?वरना जीवन भर क्रंदन है। उनको मेरा अभिनंदन है। गवाह इसका नील गगन है। तभी तो संवरे जन जन का जीवन है। Show कवि दो क्षण के लिए मिली खुशी पर हँसने के लिए क्यों कह रहा है?दूर तलक धरती की गाथा मौन मुखर कहता कण-कण है। यदि तुमको सामर्थ्य मिला तो मुसकाओं सबके संग जाकर । " कितने रह-रह गिर जाते हैं, हँसता शशि भी छिप जाता है जब सावन घन घिर आते हैं। उगता-ढलता रहता सूरज जिसका साक्षी नील गगन है।
Krandan में कौन हंसता है?नयनों में दीपक से जलते, पलकों में निर्झरिणी मचली ! नभ के नव रंग, बुनते दुकूल, छाया में मलय-बयार पली ! सुधि मेरे आगम की जग में, सुख की सिहरन हो अंत खिली !
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