राजा साहब ने लोटन को क्यों सहारा दिया था? - raaja saahab ne lotan ko kyon sahaara diya tha?

लुट्टन सिंह जब जवानी के जोश में आकर चाँद सिंह नामक पहलवान को ललकार बैठा तो सारा जनसमूह, राजा और पहलवानों का समूह आदि की यह धारणा थी कि यह कच्चा किशोर जिसने कुश्ती कभी सीखी नहीं है, पहले दाँव में ही ढेर हो जाएगा। हालाँकि लुट्न सिंह की नसों में बिजली और मन में जीत का जज्बा उबाल खा रहा था। उसे किसी की परवाह न थी। हाँ, ढोल की थाप में उसे एक एक दाँव पेंच का मार्गदर्शन जरूर मिल रहा था। उसी थाप का अनुसरण करते हुए उसने 'शेर के बच्चे' को खूब धोया, उठा-उठाकर पटका और हरा दिया। इस जीत में एकमात्र ढोल ही उसके साथ था। अतः जीतकर वह सबसे पहले ढोल के पास दौड़ा और उसे प्रणाम किया।

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प्रश्न 2:'पहलवान की ढोलक कहानी के प्रारंभ में चित्रित प्रकृति का स्वरूप कहानी की भयावहता की ओर संकेत करता है। इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर -

कहानी के प्रारंभ में प्रकृति का स्वरूप कहानी की भयावहता की ओर संकेत करता है। रात के भयावह वर्णन में बताया गया है कि चारों तरफ सन्नाटा है। सियारों का क्रंदन व उल्लू की डरावनी आवाज निस्तब्धता को कभी-कभी भंग कर देती थी। गाँव की झोपड़ियों से कराहने और कै करने की आवाज सुनाई पड़ती थी। बच्चे भी कभी-कभी निर्बल कंठों से माँ-माँ पुकारकर रो पड़ते थे। इससे रात्रि की निस्तब्धता में बाधा नहीं पड़ती थी।


प्रश्न 3:पहलवान लुट्टन के सुख-चैन भरे दिन का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर -

पहलवान लुट्टन के सुख-चैन के दिन तब शुरू हुए जब उसने चाँद सिंह को कुश्ती में हराकर अपना नाम रोशन किया। राजा ने उसे दरबार में रखा। इससे उसकी कीर्ति दूर दूर तक फैल गई। पौष्टिक भोजन व राजा की स्नेह दृष्टि मिलने से उसने सभी नामी पहलवानों को जमीन सुंघा दी। अब वह दर्शनीय जीव बन गया। मेलों में वह लंबा चोंगा पहनकर तथा अस्त-व्यस्त पगड़ी बाँधकर मस्त हाथी की तरह चलता था। हलवाई उसे मिठाई खिलाते थे।


प्रश्न 4लुट्टन के राज-पहलवान बन जाने के बाद की दिनचर्या पर प्रकाश डालिए।

उत्तर -

लुटून जब राज पहलवान बन गया तो उसकी कीर्ति दूर दूर तक फैल गई। पौष्टिक भोजन मिलने से वह राज दरबार का दर्शनीय जीव बन गया। ठाकुरबाड़े के सामने पहलवान गरजता-'महावीर। लोग समझ लेते पहलवान बोला। मेलों में वह घुटने तक लंबा चोंगा पहनकर तथा अस्त व्यस्त पगड़ी बाँधकर मतवाले हाथी की तरह चलता था। मेले के दंगल में वह लंगोट पहनकर, शरीर पर मिट्टी मलकर स्वयं को साँड़ या भैसा साबित करता रहता था।


प्रश्न 5:लुट्टन पहलवान का चरित्र-चित्रण कीजिए।                              अथवा'पहलवान की ढोलक' पाठ के आधार पर लुट्टन का चरित्र चित्रण कीजिए।

उत्तर =

लुट्न पहलवान के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं।

1. व्यक्तित्व- लुट्टन सिंह लंबा-चौड़ा व ताकतवर व्यक्ति था। वह लंबा चोंगा पहनता था तथा अस्त-व्यस्त पगड़ी बाँधता था। वह इकलौती एवं अनाथ संतान था। अतः उसका पालन-पोषण उसकी विधवा सास ने किया था।

2 भाग्यहीन-लुट्टन का भाग्य शुरू से ही खराब था। बचपन में माता-पिता गुजर गए। पत्नी युवावस्था में ही चल बसी थी। उसके दोनों लड़के महामारी की भेंट चढ़ गए। इस प्रकार वह सदैव पीड़ित रहा।

3 साहसी-लुट्टन साहसी था। उसने अपने साहस के बल पर चाँद सिंह जैसे पहलवान को चुनौती दी तथा उसे हराया। उसने 'काला खाँ' जैसे पहलवान को भी चित कर दिया। महामारी में भी वह सारी रात ढोल बजाता था।

4. संवेदनशील-लुट्टन में संवेदना थी। वह अपनी सास पर हुए अत्याचारों को सहन नहीं कर सका और पहलवान बन गया। गाँव में महामारी के समय निराशा का माहौल था। ऐसे में वह रात में ढोल बजाकर लोगों में जीने के प्रति उत्साह पैदा करता था।


प्रश्न 6:'पहलवान की ढोलक' कहानी का प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -

'पहलवान की ढोलक' कहानी व्यवस्था के बदलने के साथ लोक-कला और इसके कलाकार के अप्रासंगिक हो जाने को रेखांकित करती है। राजा साहब के मरते ही नयी व्यवस्था ने जन्म लिया। पुराने संबंध समाप्त कर दिए गए। पहलवानी जैसा लोक-खेल समाप्त कर दिया गया। यह 'भारत' पर इंडिया' के छा जाने का प्रतीक है। यह व्यवस्था लोक-कलाकार को भूखा मरने पर मजबूर कर देती है।


प्रश्न 7:लुट्टन को गाँव वापस क्यों आना पड़ा?

उत्तर =

तत्कालीन राजा कुश्ती के शौकीन थे, परंतु उनकी मृत्यु के बाद विलायत से शिक्षा प्राप्त करके आए राजकुमार ने सत्ता संभाली। उन्होंने राजकाज से लेकर महल के तौर तरीकों में भी परिवर्तन कर दिए। मनोरंजन के साधर्मों में कुश्ती का स्थान घुड़दौड़ ने ले लिया। अतः पहलवानों पर राजकीय खर्च का बहाना बनाकर उन्हें जवाब दे दिया गया। इस कारण लुट्टन को गाँव वापस आना पड़ा।


प्रश्न 8 :पहलवान के बेटों की मृत्यु पर गाँव वालों की हिम्मत क्यों टूट गई?

उत्तर =

पहलवान के दोनों बेटे गाँव में फैली महामारी की चपेट में आकर चल बसे। इस घटना से गाँव वालों की हिम्मत टूट गई क्योंकि वे पहलवान को अपना सहारा मानते थे। अब उन्हें लगा कि पहलवान अंदर से टूट जाएगा तथा उनकी सहायता करने वाला कोई नहीं रहेगा।


प्रश्न 9:'पहलवान की ढोलक' कहानी में किस प्रकार पुरानी व्यवस्था और नई व्यवस्था के टकराव से उत्पन्न समस्या को व्यक्त किया गया है? लिखिए।

उत्तर -

'पहलवान की ढोलक कहानी में पुरानी व्यवस्था और नई व्यवस्था के टकराव से उत्पन्न समस्या यह है-

1. पुरानी व्यवस्था में कलाकारों और पहलवानों को राजाओं का आश्रय एवं संरक्षण प्राप्त था। वे शाही खर्च पर जीवित रहते थे, पर नई व्यवस्था में ऐसा न था।

2. पुरानी व्यवस्था में राज-दरबार और जनता द्वारा इन कलाकारों को मान सम्मान दिया जाता था, पर नई व्यवस्था में उन्हें सम्मान देने का प्रचलन न रहा।

राजा साहब ने लुट्टन को क्यों सहारा दिया था?

राजा साहब के लुट्टन को सहारा देने व अंत में उसकी दुर्गति होने के कारण निम्नलिखित हैं। - लुट्टन एक पहलवान था, उसने बचपन से ही पहलवानी सीखी थी तथा उसने अपनी पहलवानी से लोगों का दिल जीत लिया था। - उसने श्यामनगर के मेले के दंगल में चांद सिंह पहलवान को हरा दिया , इससे प्रभावित हो रहा साहेब ने उसे आश्रय दिया

राजा ने लोटन पहलवान से क्या कहा?

This is Expert Verified Answer. ➲ राजा ने लुट्टन पहलवान से कहा, जीते रहो बहादुर तुमने मिट्टी की लाज रख ली। ✎... 'पहलवान' की ढोलक कहानी में ये घटना उस समय की है, जब लुट्टन पहलवान ने चाँद सिंह पहलवान को पराजित किया था।

लुट्टन ने ढोल को ही अपना गुरु क्यों माना?

लुट्टन पहलवान ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है? उत्तर:- लुट्टन ने कुश्ती के दाँव-पेंच किसी गुरु से नहीं बल्कि ढोल की आवाज से सीखे थे। ढोल से निकली हुई ध्वनियाँ उसे दाँव-पेच सिखाती हुई और आदेश देती हुई प्रतीत होती थी।

लुट्टन ने पहलवानी क्यों शुरू की?

लुट्टन के जीवन में कसरत की धुन सवार होने का भी एक कारण था। गाँव के लोग उसकी सास को तकलीफ दिया करते थे। उन लोगों से बदला लेने के लिए ही वह कसरत की ओर मुड़ा ताकि शरीर को मजबूत बना सके। गाँव में उसे पहलवान समझा जाने लगा।