पावस ऋतु में प्रकृति में कौन कौन से परिवर्तन आते हैं कविता के आधार पर बताइए? - paavas rtu mein prakrti mein kaun kaun se parivartan aate hain kavita ke aadhaar par bataie?

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए 
पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए?

वर्षा ऋतु में मौसम बदलता रहता है। तेज़ वर्षा होती है। जल पहाड़ों के नीचे इकट्ठा होता है तो दर्पण जैसा लगता है। पर्वत मालाओं पर अनगिनत फूल खिल जाते हैं। ऐसा लगता है कि अनेकों नेत्र खोलकर पर्वत देख रहा है। पर्वतों पर बहते झरने मानो उनका गौरव गान गा रहे हैं। लंबे-लंबे वृक्ष आसमान को निहारते चिंतामग्न दिखाई दे रहे हैं। अचानक काले-काले बादल घिर आते हैं। ऐसा लगता है मानो बादल रुपी पंख लगाकर पर्वत उड़ना चाहते हैं। कोहरा धुएँ जैसा लगता है। इंद्र देवता बादलों के यान पर बैठकर नए-नए जादू दिखाना चाहते हैं।

पावस ऋतु में प्रकृति में कौन कौन से परिवर्तन होते हैं?

पावस ऋतु में प्रकृति में बहुत-से मनोहारी परिवर्तन आते हैं। पर्वत, पहाड़, ताल, झरने आदि भी मनुष्यों की ही भाँति भावनाओं से ओत-प्रोत दिखाई देते हैं। पर्वत ताल के जल में अपना महाकार देखकर हैरान-से दिखाई देते हैं। पर्वतों से बहते हुए झरने मोतियों की लड़ियों से प्रतीत होते हैं।

वसंत ऋतु में प्रकृति में क्या क्या परिवर्तन होते हैं कविता के आधार पर लिखिए?

(क) बगीचे में भँवरों का समूह बढ़ जाता है। (ख) बगीचों में विभिन्न रंगों के फूल खिलने लगते हैं। (ग) आम के वृक्षों पर बौर लग जाती हैं। (घ) नवयुवक भी इसके रंग में रंग गए हैं

पावस ऋतु में पर्वत प्रदेश का रूप परिवर्तित क्यों हो जाता है?

पर्वतीय प्रदेश में वर्षा ऋतु में पलपल प्रकृति के रूप में परिवर्तनजाता है। ऐसे वातावरण को देखकर लगता है मानो वर्षा का देवता इंद्र बादल रूपी यान पर बैठकर जादु का खेल दिखा रहा हो । आकाश मे उमडते - घुमडते बादलों को देखकर ऐसा लगता था जैसे बड़े-बड़े पहाड अपने पंखो को फड़फड़ाते हुए उड़ रहे है।

पिवत प्रदेश में पािस कविता में कवि ने तािाब की समानता ककससे की ्ै और क्यों?

Solution. कवि ने तालाब की समानता दर्पण से की है। जिस प्रकार दर्पण से प्रतिबिंब स्वच्छ व स्पष्ट दिखाई देता है, उसी प्रकार तालाब का जल स्वच्छ और निर्मल होता है। पर्वत अपना प्रतिबिंब दर्पण रुपी तालाब के जल में देखते हैं।