पीरियड ज्यादा हो तो क्या करना चाहिए? - peeriyad jyaada ho to kya karana chaahie?

पीरियड महिलाओं को होने वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. अगर मासिक धर्म चक्र सही और तय समय पर आ रहा है, तो इसका मतलब यह है कि महिला स्वस्थ है. वहीं, अगर इसमें किसी तरह की गड़बड़ी होती है, तो इसका मतलब यह है कि महिला किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रही है. न सिर्फ पीरियड का कम आना या देर से आना चिंताजनक है, बल्कि पीरियड का तय समय से ज्यादा देर तक रहना भी सही नहीं है. ऐसा वजन के बढ़ने, कैंसर होने या थायराइड की समस्या होने पर हो सकता है.

आज इस लेख में हम इसी विषय पर बात करेंगे और पीरियड के ज्यादा दिन तक रहने के कारणों के बारे में जानेंगे -

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हर महीने की परेशानी यानि पीरियड्स के दौरान बहुत ज्‍यादा ब्‍लीडिंग इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का लक्षण हो सकता है।

Verified by Dr. Vishnu Sharma 

पीरियड्स के दौरान बहुत ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होना एक चिंताजनक समस्या हो सकती है। ब्‍लीडिंग में जरूरत से ज्‍यादा ब्‍लीडिंग को मेडिकल की भाषा में मेनोरेजिया कहा जाता है। इसमें पीरियड्स 7 दिनों से ज्यादा होते हैं या फिर  मेंस्ट्रुअल साइकिल 21 दिनों से कम का होता है। 

यदि पीरियड्स ज्यादा और लंबे समय तक हो रहे हैं तो अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव लाना बेहद जरूरी है, नहीं तो जीवन को पूरी तरह से जीने में मुश्किल आती है। मेनोरेजिया की वजह से एनीमिया का खतरा भी काफी बढ़ जाता है।

मेनोरेजिया का एक लक्षण, इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिक (आईटीपी)

कई मामलों में पीरियड्स में ज्यादा ब्‍लड निकलने के मूल कारणों की जानकारी नहीं होती है, लेकिन यह जानना बेहतर होगा कि यह इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (आईटीपी) नामक समस्या का एक संकेत हो सकता है। 

आईटीपी एक ब्लड डिसऑर्डर है, जहां इम्यून सिस्टम किसी के प्लेटलेट्स पर हमला करता है और उन्हें नष्ट कर देता है। इसलिए, इसे लो प्लेटलेट काउंट के रूप में जाना जाता है, जोकि ब्‍लड क्‍लॉट जमने में रुकावट पैदा करता है। ब्‍लड क्‍लॉट ना जम पाने के कारण काफी ज्यादा ब्लीडिंग होती है, जिसकी वजह से पीरियड्स में अत्यधिक ब्‍लीडिंग, आईटीपी के सबसे आम स्पष्ट लक्षणों में से एक है।

heavy bleeding reason

आसानी से जख्म होना, थकान, रैशेज होना और लगातार नाक से खून आना, इस समस्या के अन्य चेतावनी वाले संकेत हैं। आज इस आर्टिकल के माध्‍यम से इसके बारे में जयपुर के  एसएमएस मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के हेमेटोलॉजिस्ट, हेमेटो-ऑन्कोलॉजिस्ट और बोन मैरो ट्रांसप्लांट फिजिशियन, डॉ विष्णु शर्मा जी बता रहे हैं।

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आईटीपी की पहचान

यदि किसी महिला को कुछ समय से पीरियड्स के दौरान असामान्य रूप से ब्‍लीडिंग हो रही हो तो यह सलाह दी जाती है कि ब्लड टेस्ट कराएं- आमतौर पर कम्प्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी) जरूर कराएं। इस ब्लड टेस्ट से प्लेटलेट काउंट का एक अंदाजा मिल जाता है, यदि वह कम होता है तो वह आईटीपी की ओर इशारा करता है। सामान्य रूप से प्लेटलेट काउंट 150 हजार और 450 हजार के बीच होता है, लेकिन ओटीपी में यह काउंट 100 हजार से कम होता है।

आईटीपी को कैसे मैनेज करें? 

यह बताना जरूरी है कि आईटीपी एक जानलेवा बीमारी नहीं है और इसे दवाओं की मदद से आसानी से ठीक किया जा सकता है। उपचार की अवधि आपके प्लेटलेट काउंट और ब्लीडिंग/पीरियड्स की ब्‍लीडिंग पर निर्भर करता है। सामान्य ब्लड टेस्ट से इस समस्या पर नजर रखने में मदद मिल सकती है और डॉक्टर इस टेस्‍ट के नतीजों को देखकर उपचार बताने में सक्षम होंगे।

Immune thrombocytopenia

ध्यान रखे

बार-बार ब्लड टेस्ट नहीं कराने की सलाह दी जाती है। ऐसा देखा गया है कि कई रोगी अपने प्लेटलेट काउंट पर नजर रखने के लिए लगातार ब्लड टेस्ट कराते रहते हैं। इससे केवल उनकी बेचैनी बढ़ती है और ऐसा करने से वे कई सारे डॉक्टर की सलाह लेने लगते हैं। 

उनमें से कई लोग प्लेटलेट काउंट सामान्य नजर आने पर दवाएं बंद कर देते हैं। यह समझना जरूरी है कि रूटीन टेस्ट कराना जरूरी है, लेकिन यह डॉक्टर की सलाह पर ही करवाना चाहिए। इसके अलावा, नियमित रूप से दवाएं लेना इस समस्या का प्रबंधन करने के लिये बेहद अहम है और उपचार के चक्र को तोड़ा नहीं जाना चाहिए। 

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अत्यधिक ब्लीडिंग के मूल कारणों को जानने के लिये महिलाओं को एक मेंस्ट्रुअल डायरी बनानी चाहिए। जिसमें उनके पीरियड्स, फ्लो, वो दिन जब ज्यादा ब्लीडिंग हुई हो और कितने दिनों में ब्लीडिंग खत्म हुई, उसका विवरण लिखें। आईटीपी में, नियमित दवाओं से ज्यादा ब्लीडिंग को नियंत्रित किया जा सकता है और रोगी एक बेहतर जिंदगी जी सकता है।

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Image Credit: Shutterstock & Freepik

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पीरियड्स के दौरान बहुत अधिक ब्लीडिंग होने से कमजोरी हो जाती है. इस स्थिति को चिकित्सा जगत में menorrhagia नाम से जाना जाता है. हर महिला की पीरियड साइकिल दूसरे से अलग होती है. कुछ की साइकिल पांच दिन की होती है तो कुछ में ये साइकिल सात दिन की भी हो सकती है.

कई महिलाओं को इस दौरान बहुत अधिक दर्द सहना पड़ता है तो कुछ के लिए ये सामान्य होता है. कुछ लोगों में ब्लीडिंग क्लॉट्स के रूप में होती है. ये स्थिति काफी दर्दनाक होती है.

बहुत अधिक ब्लीडिंग होने के कई कारण हो सकते है. अगर आपका वजन बहुत अधिक है या फिर अगर आप कुछ ऐसी दवाइयां लेती हैं जिनसे खून पतला होता है तो हेवी ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है. इसके अलावा अगर अगर घर में ऐसा रिकॉर्ड रह चुका है तो ये अनुवांशिक भी हो सकता है.

इसके अलावा हॉर्मोन्स का संतुलन बिगड़ने पर, यूट्रस में ट्यूमर होने पर भी ब्लीडिंग अधिक होती है. कुछ मेडिकल कंडिशन्स भी होती है जिनमें पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग अधिक हेाती है. ज्यादा ब्लीडिंग होने से पूरी दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो जाती है. मानसिक और समाजिक तौर पर भी महिला को काफी अजीब सी परिस्थिति का सामना करना पड़ता है. कई बार स्थिति इतनी बुरी हो जाती है कि महिला को एनीमिया की शिकायत हो जाती है. ऐसी स्थिति में डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए इसके अलावा ये उपाय भी फायदेमंद रहते हैं:

1. अगर आपको पीरियड्स के दौरान बहुत अधिक ब्लीडिंग की शिकायत है तो आप अपने साथ एक ठंडा बैग रखें. इससे ब्लीडिंग में कमी आएगी. साथ ही दर्द में भी राहत का एहसास होगा. एक तौलिए में बर्फ के कुछ टुकड़े डालकर उसे अच्छी तरह बांध लीजिए. इस पोटली को 15 से 20 मिनट तक पेट पर रखें. इससे आराम होगा.

2. बहुत अधिक ब्लीडिंग होने पर आप सिरके का इस्तेमाल कर सकती हैं. ये शरीर की सारी गंदगी को बाहर कर देता है. साथ हॉर्मोन्स को व्यवस्थित करने का भी काम करता है. एक गिलस पानी में दो से तीन चम्मच सिरका मिलाकर पीने से फायदा होगा.

3. आयुर्वेद के अनुसार, पीरियड्स के दौरान अगर बहुत अधिक ब्लीडिंग हो रही हो तो धनिया के बीजों का इस्तेमाल किया जा सका है. ये हॉर्मोन्स को संतुलित करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं. धनिया के बीजों को दो कप पानी में भिगों दीजिए. इसे उबलने के लिए रख दीजिए. जब पानी आधा हो जाए तो उसे उतार लीजिए. इसमें थोड़ी सी मात्रा में शहद मिलाकर पीने से राहत मिलेगी. ऐसा दिन में 2 से तीन बार कीजिए.

4. दालचीनी के सेवन से भी इस समस्या में राहत मिलती है. एक चम्मच दालचीनी को को गर्म पानी में मिलाकर छोड़ दीजिए. इसमें शहद मिलाकर दिन में दो बार पीने से फायदा होता है.

5. महिलाओं के लिए आयरन का विशेष महत्व है. पीरियड्स के दौरान महिलाओं को अधिक से अधिक मात्रा में आयरन लेना चाहिए.

पीरियड ज्यादा आने पर कम कैसे करें?

सरसों के दाने सरसो के दानों को मिक्सी में डालकर उसका पाउडर बना लें। पीरियड्स में हैवी ब्लीडिंग होने पर गुनगुने दूध के साथ एक चम्मच इसके पाउडर को फांक लें। बहुत ही असरदार घरेलू नुस्खा है।.
सौंफ सौंफ को पीसकर उसका पाउडर बना लें और इसे एक कप पानी के साथ लगभग 5 मिनट तक उबालें। छानकर गर्मा गरम ही इसे पिएं।.

पीरियड में ज्यादा ब्लड आने का क्या कारण है?

अक्सर फाइब्रायड, रसौली, ट्यूमर जैसी बीमारियों के कारण पीरियड्स (Periods) में हैवी ब्लीडिंग (Bleeding) होती है. हालांकि, कुछ लड़कियों में हैवी ब्लीडिंग का कारण कुछ समय के लिए हार्मोन में होने वाला बदलाव भी होता है.

ब्लीडिंग रोकने के लिए क्या खाना चाहिए?

मैग्नीशियम से भरपूर फूड्स इसलिए तिल के बीज, तरबूज के बीज, जई, कोको, कद्दू, स्क्वैश और मैग्नीशियम युक्त अन्य फूड्स को अपनी डाइट में शामिल करें। मैग्‍नीशियम पीरियड्स में हैवी ब्लीडिंग को रोकने में मदद करता है।

ब्लीडिंग रोकने के लिए कौन सी दवा?

मिसोगोन 200mcg टैबलेट एक दवा है जो चिकित्सीय गर्भपात (गर्भपात) के लिए इस्तेमाल की जाती है. यह डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग को रोकने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. यह दवा गर्भाशय पर कार्य करती है और इसके संकुचन को बढ़ाती है.