प्रमुख धर्मों की मुख्य शिक्षाओं का उल्लेख कीजिए - pramukh dharmon kee mukhy shikshaon ka ullekh keejie

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प्राचीन काल से ही भारतीय जीवन का हर पक्ष धर्म से प्रभावित रहा है | विभिन्न अवसरों पर धर्म को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नए विचारों मत एवं व्याख्याओं का सामना भी करना पड़ा है किंतु तथ्यों के ठोस धरातल पर खड़ा भारतीय संस्कृति निर्बाध गति से समाज और जीवनशैली को संचालित करने में सफल रहा है | क्या आप जानते है की भारत के प्रमुख धर्म कौन कौन से हैं अथवा भारत में कुल कितने धर्म है? भारत में प्रमुख रूप से हिन्दू, इस्लाम, बौद्ध, जैन, सिक्ख, ईसाई, पारसी और यहूदी आदि है | इस पोस्ट में भारत के सभी प्रमुख धर्मों की चर्चा किया जाना प्रासंगिक होगा| How many Religion in india in hindi. list of religions in india in hindi.

प्रमुख धर्मों की मुख्य शिक्षाओं का उल्लेख कीजिए - pramukh dharmon kee mukhy shikshaon ka ullekh keejie

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धर्म शब्द मूलता ‘धृ’ धातु से उत्पन्न होता है जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘धारण करना’ | वस्तुतः धर्म से तात्पर्य आचरण की उस संहिता से है जिसके माध्यम से मनुष्य नियमित होता हुआ विकास करता है और अंततोगत्वा मोक्ष प्राप्त करता है | हम इस पोस्ट में प्रमुख भारतीय धर्म हिन्दू, इस्लाम, ईसाई, बौद्ध, जैन, सिक्ख, पारसी और यहूदी धर्म के बारे में बता रहे है | इस पोस्ट को पढने के बाद आप जान सकेंगे की भारत के प्रमुख धर्म कौन कौन से हैं अथवा भारत में कुल कितने धर्म है? How many Religion in india in hindi.

भारतीय इतिहास के कालक्रम में अनेक मतों का आविर्भाव हुआ जो धर्म के रूप में प्रतिष्ठित हुए और भारत के अभिन्न अंग बन गए | ऐसे धर्मों में बौद्ध, जैन, सिख आदि शामिल किए जाते हैं | इसके अतिरिक्त कुछ धर्म बाहर से आकर भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग बन गए | इनमें इस्लाम, ईसाई, यहूदी, पारसी आदि है जो बाहर से आकर यहीं के हो गए | अति प्राचीन काल से ही भारत में धर्म को एक प्रेरक तत्व के रूप में स्वीकार किया गया | यही कारण है कि धार्मिक सहिष्णुता का जो आदर्श हमें यहां देखने को मिलता है वह विश्व के किसी अन्य संस्कृति में देखने को नहीं मिलता |

प्रमुख भारतीय धर्म हैं: हिन्दू, इस्लाम, ईसाई, बौद्ध, जैन, सिक्ख, पारसी और यहूदी | 2011 के जनगणना के अनुसार इन्हें मानने वाले भारतीय आबादी को निम्न सारणी में देखा जा सकता है: (How many Religion in india in hindi. list of religions in india in hindi)

भारत के प्रमुख धर्म कौन कौन से हैं:

रैंकधर्मआबादी
1 हिन्दू 79.8 %
2 इस्लाम 14.2 %
3 ईसाई 2.3%
4 सिख 1.7%
5 बौद्ध 0.7%
6 जैन 0.4%
7 पारसी 0.1%
8 अन्य 0.9%

आइये भारत के प्रमुख धर्म कौन कौन से हैं अथवा भारत में कुल कितने धर्म है के बारे में थोडा विस्तार से समझते है|

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हिंदू धर्म: कुल आबादी का 79.8 फीसदी (Hinduism – 79.8%)

हिंदू धर्म की गणना विश्व के प्राचीन धर्मों में की जाती है | कोई एक विशेष संस्थापक अथवा विशेष ग्रंथ ना होने के कारण इस धर्म की व्याख्या कठिन है | 2011 के जनगणना के अनुसार भारत की 79.8 % आबादी इस धर्म को मानती है | इस तरह से सर्वाधिक भारतीय जनसंख्या द्वारा माने जाने वाली धर्म के रूप में हिन्दू धर्म स्थापित है |

मूल रूप से हिंदू शब्द न तो धर्म का प्रतीक था और न ही किसी विचारधारा का | इसके पीछे भौगोलिक परिस्थितियां जिम्मेदार थी | प्राचीन ईरानियों ने सिंधु नदी के पूर्व के क्षेत्र को हिंद कहा और इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को हिंदू कहा | कालांतर में हिंदू शब्द धर्म और संस्कृति से जुड़ गया और उस समय प्रचलित धर्म को हिंदू धर्म की संज्ञा दी गई |

वास्तव में हड़प्पा संस्कृति के धार्मिक विश्वासों और आर्यों से पहले भारत में रहने वाले लोगों के धार्मिक विश्वासों का समन्वय होने पर विविध प्रकार के धार्मिक विश्वासों और प्रथाओं का विकास हुआ, जो सब मिलाकर हिंदू धर्म का अंग माने जाते हैं | इस तरह हिंदू धर्म कभी एक रूप स्थिर और अपरिवर्तनशील धर्म नहीं रहा है | वह अपने को बदलती हुई परिस्थितियों और दशाओं के अनुरूप बनाने में समर्थ रहा है |

विविध सिद्धांतों मतों और कर्मकांड के कारण हिंदू धर्म में अनेक संप्रदायों का जन्म हुआ | कालक्रम में इन संप्रदायों ने पूजा की अपनी पद्धतियां विकसित की | परंतु प्रत्येक संप्रदाय अपनी व्यवस्था का अनुसरण करते हुए भी दूसरे के विचारों के प्रति सम्मान पूर्वक दृष्टिकोण रखते हैं |

अन्य धर्मों की भांति इस धर्म के एक नहीं बल्कि अनेक ग्रंथ हैं जिनमें सबसे महत्वपूर्ण वेद माने गए हैं | वेद चार हैं: ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद | ऋग्वेद में देवताओं के लिए की जाने वाली स्तुतियां हैं जिनका उपयोग यज्ञों के समय किया जाता है | यजुर्वेद उन तमाम कर्मकांड का विवरण है जिन्हें पुरोहित करवाते थे | सामवेद में ऋचाओं की संगीतमय प्रस्तुति है | अथर्ववेद मुख्यतया जादू टोना और तंत्र मंत्र का संग्रह है |

वेद के अलावा ब्राह्मण, पुराण, उपनिषद और भगवत गीता भी हिंदू धर्म से संबंधित प्रमुख ग्रंथ माने जाते हैं | हिंदू धर्म में दो महाकाव्य महाभारत और रामायण भी श्रेष्ठ माने जाते हैं |

आरंभिक वैदिक धर्म में मूर्तियों या मंदिरों का कोई स्थान नहीं था | कालक्रम में अनेक कर्मकांड एवं अदृश्य शक्ति की पूजा प्रतिको एवं मूर्तियों के रूप में होने लगी | आज भी हिंदू धर्म में अनेक अनेक देवताओं का स्थान है उनकी पूजा की जाती है लेकिन इसका बुनियादी रुप कर्म और सांसारिक सिद्धांतों से जुड़ा है | 

उपनिषदों के अनुसार जीवन में चार अवस्थाएं होती है जिन्हें आश्रम के नाम से जाना जाता हैं | चार आश्रम हैं:  ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, वानप्रस्थ आश्रम और सन्यास आश्रम | यह सभी अवस्थाएं अंतरिम अवस्थाएं होती हैं जिन से होकर गुजरते हुए भी ध्यान तो अंतिम लक्ष्य पर ही केंद्रित होना चाहिए | यही गंतव्य एकात्मकता की प्राप्ति है यानी मोक्ष है | कर्म और सांसारिक सिद्धांतों का भी उपनिषद की शिक्षा में महत्वपूर्ण स्थान है | कर्म नैतिकता के संसार का एक आधारभूत नियम है | चेतन अवस्था में किए गए कार्य अचेतन रूप से आदते बन जाती है और मनुष्य के चरित्र का हिस्सा हो जाती है | प्रतिक्रिया स्वरूप चरित्र कार्य और उसके परिणामों को निर्धारित करता है |

चिंतकों ने अलौकिक समस्याओं पर नए सिरे से विवेचना की और हिंदुओं के षड दर्शन की व्यवस्था सामने आई | इन छह दर्शनों में से चार सांख्य, न्याय, योग एवं वैशेषिक अपनी रचना में किसी अन्य से प्रभावरहित थे जबकि पूर्व मीमांसा और उत्तर मीमांसा पर वेदों का प्रभाव था | इस काल की एक अन्य बड़ी उपलब्धि थी भगवत गीता | भगवत गीता दुनिया को शिक्षा देती है कि जो कोई भी मेरे पास किसी रास्ते से चलकर आता है मैं उसके पास उसी रास्ते से पहुंचता हूं बहुत से लोग भिन्न-भिन्न रास्तों से मेरे पास पहुंचने के प्रयास में लगे हैं और वह सब रास्ते मेरे हैं |

भारतीय इतिहास का मध्यकाल देश के एक नए सांस्कृतिक जीवन का साक्षी रहा | इस समय एक नई समन्वित परंपरा का क्रमिक विकास हुआ जिसे हिंदी इस्लामी संस्कृति की संज्ञा दी गई | धार्मिक जीवन में यह भक्ति आंदोलन और सूफी मत के रूप में सामने आया | भक्ति आंदोलन का संबंध मुख्यतः हिंदू धर्म से था और इसमें हिंदू धर्म एवं समाज सुधार के साथ-साथ हिंदू-मुस्लिम सहिष्णुता को बढ़ाने का प्रयास किया गया |

भक्ति आंदोलन में सर्व शक्तिमान ईश्वर की आराधना और ऊंच-नीच के बीच भेदभाव की समाप्ति की बात कही गई | भक्ति के विचार उपनिषदों एवं वेदों में मिल जाते हैं | मध्यकाल में इस सिद्धांत को आंदोलन का रूप देने का श्रेय दक्षिण भारत की अलवार और नयनार संतो को दिया जा सकता है | बाद में इन संतों के दो संप्रदाय सामने आए रूढ़ीवादी अर्थात शगुन संप्रदाय व उदारवादी अर्थात निर्गुण संप्रदाय |

रूढ़िवादी समुदाय के प्रमुख संत तुलसीदास थे | निर्गुण संप्रदाय के प्रमुख संतों में कबीरदास और गुरु नानक आते हैं | कबीर इस्लाम और हिंदू दोनों धर्मों के गुणों के प्रशंसक थे पर निरर्थक कर्मकांड के सख्त विरोधी थे | वह तीर्थ व्रत एवं पूजा के वैसे ही विरोधी थे जैसे रोजा और नमाज के विरोधी थे |

कृष्ण भक्ति संप्रदाय का विकास पश्चिम भारत राजस्थान और पूर्वी भारत में विशेष रूप से हुआ इसमें वल्लभाचार्य, मीराबाई और चेतन का विशेष योगदान रहा |

इस प्रकार हिन्दू धर्म के अनुयायियों के दृष्टिकोण एवं विश्वास में भी अंतर है | कोई एकेश्वरवाद में विश्वास करता है तो कोई अपनी आस्था अनेक ईश्वर में प्रकट करता है | किसी की आराध्य राम है तो किसी के विष्णु, कृष्ण, शिव आदि | यद्यपि हिंदू धर्म में दर्शन परंपरा व इष्ट को लेकर मत भिन्नता है किंतु सभी अपने को हिंदू धर्म का अनुयाई मानते हैं |

हिंदू धर्म की विशेषताएं इस प्रकार हैं

  • ईश्वर की सत्ता में असीम आस्था 
  • विभिन्न देवी देवताओं की उपासना 
  • प्रकृति की उपासना में विश्वास 
  • अवतारवाद की अवधारणा में विश्वास 
  • आत्मा की अमरता में विश्वास 
  • वेदों में असीम आस्था 
  • कर्म में विश्वास 
  • पुनर्जन्म में विश्वास 
  • मूर्ति पूजा में विश्वास 
  • जीवन का प्रमुख लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति

हिंदू धर्म में ईस्ट इंडिया कंपनी के राज्य में कई आयाम जुड़े | इस समय तक मूल धर्म को दरकिनार करते हुए इसमें काफी अधिक कुरीतियाँ आ चुकी थी | पश्चिमी धर्म, पाश्चात्य सभ्यता और आधुनिक समाज के संपर्क में आने से वे कुरीतियां और उग्र हो उठी | विशेष तौर पर इस उग्रता को उन्होंने अधिक महसूस किया जिन्हें आधुनिक शिक्षा और पाश्चात्य ज्ञान-विज्ञान और दर्शन को समझने का अवसर मिला था | इन लोगों ने हिंदू सामाजिक रचना, रीति रिवाज तथा परंपराओं को तर्क के तराजू पर तौलना शुरू किया | परिणाम स्वरूप सामाजिक एवं धार्मिक आंदोलनों का जन्म हुआ जिनमें ब्रह्म समाज प्रार्थना समाज और थियोसॉफिकल सोसायटी प्रमुख थे |

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जैन धर्म: कुल आबादी का 0.4 फीसदी (Jainism – 0.4%)

भारतीय धर्मों में जैन धर्म का एक विशिष्ट स्थान है | 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की 0.4 % आबादी इस धर्म को मानती है |

जैन धर्म की स्थापना का श्रेय प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव को दिया जाता है परंतु इस धर्म का सर्वाधिक प्रचार प्रसार 24 वे तीर्थंकर महावीर ने किया | जैन अनुश्रुतियों के अनुसार यह अंतिम तीर्थंकर माने जाते हैं | इन्होंने जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ द्वारा प्रतिपादित मुख्य शिक्षाओं सत्य अहिंसा, अस्तेय और अपरिग्रह में पांचवी शिक्षा के रूप में ब्रह्मचर्य को सम्मिलित किया | इन्हें पांच महाव्रत कहा जाता है | मोक्ष प्राप्ति के लिए इन्होंने तीन साधन सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन और सम्यक चरित्र प्रतिपादित किए जिन्हें त्रिरत्न कहा जाता है |

जैन धर्म में वैदिक धर्म की तरह यज्ञ और कर्मकांड के लिए कोई स्थान नहीं है | इसमें सदाचार और सद व्यवहार पर विशेष बल दिया गया है | जैन धर्म की गणना नास्तिक धर्मों में की जाती है क्योंकि इसके अनुयाई वेदों को ईश्वर की रचना नहीं मानते |

इस धर्म के प्रमुख सिद्धांत इस प्रकार हैं

  • जैन अनुयायी इस धर्म के 24 तीर्थंकरों में अटूट आस्था व्यक्त करते हैं | इन्हें वह सर्वशक्तिमान एवं सर्वज्ञ मानते हैं |
  • मोक्ष अथवा निर्वाण प्राप्ति जैन धर्म के अनुयायियों का परम लक्ष्य है |
  • इस धर्म में आत्मा के अस्तित्व को स्वीकार किया गया है |
  • यह अहिंसा में विश्वास करता है |
  • यह कर्म के महत्व को स्वीकार करता है |

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  • जैन धर्म की प्रासंगिकता
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बौद्ध धर्म: कुल आबादी का 0.7 फीसदी (Buddhism – 0.7%)

भारतीय धर्मों में बौद्ध धर्म का भी महत्वपूर्ण स्थान है | 2011 की जनसंख्या के अनुसार भारत की कुल आबादी का 0.7 %लोग बौद्ध धर्म को मानते है |

गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक माने जाते हैं | इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था परंतु ज्ञान प्राप्ति के बाद इन्हें महात्मा बुद्ध कहा गया | महात्मा बुद्ध द्वारा प्रतिपादित धर्म को बौद्ध धर्म के नाम से जाना जाता है | ज्ञान प्राप्ति के पश्चात महात्मा बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ में दिया जिसे धर्म चक्र प्रवर्तन की संज्ञा दिया जाता है |

महात्मा बुद्ध का उपदेश दुख, दुखों के कारणों तथा उनके समाधान के उपायों से संबंधित था | इन्हें चार आर्य सत्य कहा जाता है | आवागमन के बंधन से मुक्ति या दुःख की समाप्ति के लिए मनुष्य को सदमार्ग से परिचित होना चाहिए, जिसे उन्होंने अष्टांगिक मार्ग कहा |

महावीर की भांति बुद्ध ने भी अहिंसा का उपदेश दिया किंतु उन्होंने इस पर उतना अधिक बल नहीं दिया जितना कि महावीर ने दिया था | बुद्ध ने वैदिक कर्मकांड तथा पशु बलि जैसी कुप्रथाओं का जमकर विरोध किया | उन्होंने जाति प्रथा पर आधारित सामाजिक विषमताओं को भी स्वीकार नहीं किया | उनके अनुसार कोई भी व्यक्ति संघ में शामिल हो सकता था |

बौद्ध धर्म ईश्वर और आत्मा दोनों में विश्वास नहीं करता है | बुध के अनुसार सृष्टि का कर्ता ईश्वर नहीं वरन इसकी उत्पत्ति कर्ता कारण सिद्धांत के अनुसार हुई है | आत्मा के अस्तित्व को अस्वीकार करने के बावजूद वे पुन जन्म तथा कर्म के सिद्धांत को स्वीकार करते हैं | बौद्ध धर्म में मध्यम मार्ग के महत्व पर बल दिया गया है उसके अनुसार पवित्र जीवन बिताने को दोनों प्रकार की अति से बचना चाहिए | न तो बहुत अधिक तप करना चाहिए और ना ही सांसारिक सुखों में लगे रहना चाहिए इस धर्म का मुख्य लक्ष्य निर्वाण प्राप्त करना है |

बौद्ध धर्म के सिद्धांत व शिक्षाएं इस प्रकार है

चार सत्य

  • दुख 
  • दुख समुदाय 
  • दुख निरोध
  • दुख निरोध मार्ग

अष्टांगिक मार्ग:  महात्मा बुद्ध ने दुखों से मुक्ति के लिए 8 बातों के पालन पर विशेष बल दिया इससे अष्टांगिक मार्ग या मध्य मार्ग कहा जाता है यह है:

  1. सम्यक दृष्टि 
  2. सम्यक संकल्प
  3.  सम्यक वाक्
  4. सम्यक कर्मान्त
  5. सम्यक आजीव
  6. सम्यक व्यायाम 
  7. सम्यक् स्मृति 
  8. म्यक समाधि

दस शील: शील का तात्पर्य सम्यक आचरण से है, ये हैं:

  1. अहिंसा 
  2. सत्य 
  3. अस्तेय 
  4. अपरिग्रह 
  5. ब्रह्मचारी 
  6. नृत्य-संगीत का त्याग 
  7. सुगंधित पदार्थों का त्याग 
  8. असमय भोजन का त्याग 
  9. कोमल शैय्या का त्याग 
  10. कामिनी कंचन का त्याग

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  • बौद्ध धर्म के उदय और महात्मा बुद्ध की शिक्षा एवं दर्शन
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इस्लाम धर्म: कुल आबादी का 14.2 फीसदी (Islam – 14.2%)

इस्लाम धर्म भारत की दूसरी ऐसी बड़ी धर्म है जिसे सबसे अधिक भारतीय जनसंख्या द्वारा माना जाता है | 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की 14.2 % जनसंख्या इस्लाम धर्म को मानती है |

इस्लाम का शाब्दिक अर्थ आत्मसमर्पण है | इस्लाम धर्म के संस्थापक पैगंबर मोहम्मद साहब माने जाते हैं | इनका जन्म 570 ई. में अरब के मक्का नामक स्थान पर हुआ था | हजरत मोहम्मद जब 40 वर्ष के हुए तो उन्हें सत्य के दिव्य दर्शन हुए और वह पैगंबर बन गए | पैगंबर बनने के बाद उन्होंने इस्लाम धर्म के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | दिव्य दर्शनों के बाद मोहम्मद साहब को पूर्ण विश्वास हो गया कि अल्लाह ही एकमात्र ईश्वर है और ईश्वर के पैगंबर हैं |

इस्लाम एक ईश्वर परक धर्म है | इस धर्म में मूर्ति पूजा के लिए कोई स्थान नहीं है | प्रत्येक मनुष्य को सर्वशक्तिमान अल्लाह में और अल्लाह के पैगंबर के शब्दों में आस्था रखनी चाहिए | ईश्वर की इच्छा के सामने मनुष्य की कोई शक्ति नहीं है अतः मनुष्य का ईश्वर की इच्छा के आगे झुकना श्रेयस्कर है |

भारत में इस्लाम धर्म का प्रचार प्रसार 712 से माना जाता है  किंतु सल्तनत काल में भारत में इस्लाम के प्रचार प्रसार में और तेजी आई | इसके बाद जब मुगलों ने भारत की सत्ता संभाली तो इस धर्म के अनुयायियों की संख्या में और वृद्धि हुई | आज भी भारत में इस धर्म को मानने वालों की काफी जनसंख्या निवास करती है |

इस धर्म के प्रमुख शिक्षाएं इस प्रकार है

  • अल्लाह या खुदा एक है तथा सभी मनुष्य उसके बंदे हैं 
  • अल्लाह सच्चा ज्ञान अपने पैगंबर को देता है 
  • इस्लाम की दृष्टि में सभी समान है 
  • इस्लाम के अनुयायियों को हर रोज पांच बार नमाज पढ़नी चाहिए और प्रत्येक शुक्रवार को दोपहर के बाद मस्जिद में नमाज पढ़ना चाहिए 
  • निर्धनों और भिक्षुकों की मदद करनी चाहिए
  • इस्लाम के पवित्र महीने रमजान में उसे सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत रखना चाहिए 
  • ब्याज लेना जुआ खेलना शराब पीना और सूअर का मांस खाना अनिवार्य रूप से निषेध माना जाता है

इस्लाम में शरीयत का तात्पर्य धार्मिक विधिशास्त्र से है | वह कानून जो कुरान शरीफ तथा हदीस के विवरणों पर आधारित होती है तथा इस्लाम के आचार व्यवहार का पालन करते हैं , शरीयत के अंतर्गत आते हैं|

मुसलमानों के दो प्रमुख संप्रदाय शिया और सुन्नी है तथा न्याय नियमों के चार संप्रदाय हैं: हनफी, सफई, मलिकी एवं हंबली | इनका पवित्र धर्म ग्रंथ कुरान शरीफ है | भारत में मुसलमानों की अधिकतम संख्या सुन्नियों की है | अपने आगमन के समय से लेकर वर्तमान काल तक इस्लाम लगभग हर क्षेत्र में भारतीय संस्कृति को प्रभावित करता रहा है |

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ईसाई धर्म: कुल आबादी का 2.3 फीसदी (Christianity – 2.3%)

ईसाई धर्म विश्व का एक प्रमुख धर्म है और आज भी संसार में इस धर्म को मानने वालों की संख्या सर्वाधिक है | भारत में भी एक बड़ी आबादी इस धर्म को मानती है | 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल आबादी का 2.3 % इस धर्म को मानते है |

इस धर्म के संस्थापक ईसा मसीह माने जाते हैं | ईसाइयों के अनुसार प्रभु एक है और उसी ने दुनिया बनाई है और उसका भरण पोषण करता है | प्रभु ने ही यीशु को अपने मसीहा के रूप में संसार में भेजा है | अधिकांश इसाई यीशु को प्रभु का अवतार मानते हैं जिन्होंने इस पूरी मानवता को पापों से बचाने हेतु अपने प्राण गंवाएं |

भारत में ईसाई धर्म का प्रवेश अंग्रेजों के आगमन से पूर्व हो चुका था | ईसाई धर्म की एक संत सेंट थॉमस प्रथम शताब्दी में ही भारत आ गए थे | इन्होंने मालाबार के तटवर्ती क्षेत्र में ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार किया किंतु अंग्रेजी शासनकाल में भारत में इस धर्म का और प्रचार प्रसार हुआ | आज भी भारत में धर्म के अनुयायियों की संख्या काफी अधिक है |

संक्षेप में इसाई धर्म की शिक्षाएं इस प्रकार है

  • ईश्वर एक है 
  • ईश्वर क्षमाशील है 
  • सभी प्राणियों के प्रति दया भाव रखनी चाहिए 
  • सांसारिक लोग मोह का त्याग करना चाहिए 
  • दुष्कर्मो से घृणा करो पापी से नहीं 
  • कर्मो के अनुसार दंड एवं पुरस्कार मिलता है 
  • दूसरों के साथ वैसा बर्ताव करें जैसा स्वयं चाहते हैं

ईसाई धर्म में हुए धर्म सुधार आंदोलन के अंतर्गत दो प्रमुख संप्रदायों का प्रचलन हुआ कैथोलिक संप्रदाय और प्रोटेस्टेंट समुदाय

कैथोलिक समुदाय: कैथोलिक का आशय है व्यापक अथवा सार्वभौम | इस के अनुयायियों के अनुसार कैथोलिक संप्रदाय मानव जाति को ईसा मसीह की धार्मिक शिक्षाओं और सिखलाने को तत्पर रहता है | अमेरिका यूरोप तथा एशिया के अनेक स्थानों पर रोमन कैथोलिक चर्च ही मान्य है |

प्रोटेस्टेंट समुदाय: यह समुदाय कैथोलिक संप्रदाय के विरोध में उत्पन्न हुआ | 16वीं शताब्दी में मार्टिन लूथर के नेतृत्व में यह शुरू हुआ | इस संप्रदाय का मुख्य उद्देश्य ईसाई धर्म में सुधारवादी गतिविधियों को चलाना है |

ईसाई धर्म का प्रमुख ग्रंथ बाइबिल है | बाइबिल दो भागों में विभाजित है ओल्ड टेस्टामेंट जो कि यहूदी स्रोतों और धार्मिक विश्वासों के इतिहास पर आधारित है और न्यू टेस्टामेंट यह यूनानी स्रोत पर आधारित है | इसमें ईसा मसीह के जीवन उनकी शिक्षाओं तथा ईसाई धर्म के प्रारंभिक इतिहास का वर्णन है |

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सिख धर्म: कुल आबादी का 1.7 फीसदी (Sikhism – 1.7%)

सिख शब्द का शाब्दिक अर्थ शिष्य होता है | इस धर्म के प्रवर्तक गुरु नानक भी कबीर की तरह तीर्थयात्रा, जप-तप, पूजा-पाठ, जाती पाती आदि आडम्बरों के कट्टर विरोधी थे | 2011 के जनगणना के अनुसार भारत की कुल आबादी का 1.7% सिख धर्म को मानते है |

16 वीं शताब्दी में भारत में उदित इस धर्म के संस्थापक सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक माने जाते हैं | इनका जन्म वर्तमान पाकिस्तान के ननकाना साहिब नामक स्थान पर हुआ था |

गुरु नानक ने हिंदू मुस्लिम एकता पर बल देते हुए ऐसे मत का प्रवर्तन किया जिसमें दोनों की समर्पण भावना झलकती है | नानक ने ईश्वर को निराकार, अबोधगम्य और अविनाशी बताया | उनके अनुसार एक ही ईश्वर सभी धर्मों में प्रकट हुआ है और एकमात्र कर्ता है | उन्होंने अहंकार के खतरों से बचने का उपदेश दिया | नानक ने निस्वार्थ भाव से सेवा पर अधिक बल दिया और साथ ही झूठ व पाखंड को मानवता का सबसे बड़ा शत्रु तथा धर्म के रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा बताया |

उन्होंने असमानता का घोर विरोध किया तथा सभी प्रकार के भेदभाव को सिरे से नकार दिया | वह मूर्ति पूजा के खिलाफ थे उन्होंने अंधविश्वासों का जमकर विरोध किया चाहे वह हिंदुओं के हो या मुसलमानों के | गुरु नानक ने जगह-जगह घूमकर अंधविश्वासों से बचने व उस सच्चे निरंकार के प्रति समर्पित होने का संदेश दिया | उन्होंने कविताओं और गीतों के माध्यम से भाईचारा सहिष्णुता प्रेम एवं भक्ति का प्रकाश फैलाया | उनके विचारों गीतों व कविताओं का संकलन किया गया जिसे पवित्र ‘आदि ग्रंथ’ का नाम दिया जाता है | 

गुरु नानक की शिक्षाएं 3 तरीके से व्यवहार में लाई जाती हैं| बंद चक्कों अर्थात दूसरों से बांटो और जरूरतमंदों की मदद करो; कीरत करो अर्थात धूर्तता और छल के बिना ईमानदारी के साथ आजीविका चलाना; नाम जपना अर्थात ईश्वर का नाम जपना तथा सदैव स्मरण करना ईश्वर का नाम लेना, ईश्वरीय आज्ञा का पालन करना, गुरुओं का आदर व अनुसरण करना, ईश्वर के गुणों का गुणगान करना और इश्वर पर संदेह न करना सिक्ख धर्म की मूलभूत शिक्षाएं हैं |

गुरु नानक के बाद नौ गुरु और हुए 10वें और आखरी गुरु गुरु गोविंद सिंह थे | इन्होने मुगलों के खिलाफ लड़ाका फौज तैयार की जिसे ‘खालसा’ के नाम से जाना जाता है |  सिख धर्म की शाखा खालसा में पांच वस्तुएं कंघा, कड़ा, केस, कच्छा तथा कृपाण के प्रयोग पर बल दिया गया है |

सिख धर्म आज भारत में माने जाने वाले प्रमुख धर्मों में से एक है जिसके अनुयायियों की संख्या काफी अधिक है | इस धर्म के प्रमुख सिद्धांत व शिक्षाएं इस प्रकार हैं:

  • एकेश्वरवाद में विश्वास 
  • आत्मा की अमरता में विश्वास 
  • मूर्ति पूजा का विरोध 
  • बाल विवाह का विरोध 
  • जाति प्रथा का विरोध

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  • सिख और अंग्रेजों के बीच संघर्ष
  • भारत में अंग्रेजो की सफलता का कारण

पारसी धर्म: कुल आबादी का 0.1 फीसदी (Zoroastrianism – 0.1%)

इस धर्म का उदय छठी शताब्दी में ईरान में हुआ था | इस धर्म के संस्थापक जरथुश्त्र माने जाते हैं | 2011 के जनगणना के अनुसार भारत की कुल आबादी का 0.1 % आबादी इस धर्म को मानते है |

इस धर्म के केंद्र बिंदु में यह विश्वास है कि अच्छे और बुरे के बीच संघर्ष होता है और अंततः अच्छाई की जीत और बुराई की पराजय होती है | यह एक शाश्वत ईश्वर में आस्था रखते हैं जिसे अपूर्व मजदा कहा जाता है |

इस धर्म की उपासना पद्धति में अग्नि का विशेष महत्व है | यद्यपि पृथ्वी और वायु को भी इस धर्म में महत्व दिया जाता है | यह अपने मृतकों को खुले स्थानों पर छोड़ देते हैं ताकि चील कौवे उसे खा जाए इसके पीछे उनका तर्क है कि मरी या नष्ट हुई वस्तुएं वातावरण को प्रदूषित करती है | इस धर्म की शिक्षाएं व सिद्धांत अवेस्ता नामक ग्रंथ में मिलती है |

आठवीं शताब्दी में जब अरबों का इरान पर अधिकार स्थापित हो गया तो वहां से पारसी धर्म के लोगों का भारत में प्रवेश हुआ | यद्यपि इस धर्म को अन्य धर्मों के समान भारत में महत्त्व नहीं मिला किंतु फिर भी यह धर्म आंशिक रूप से अपना महत्व बनाए रखे हुए हैं | अकबर के समय भारत में इस धर्म के महान संत दस्तूर मेहर जी थे |

पारसी धर्म की प्रमुख शिक्षाएं व सिद्धांत इस प्रकार है

  • अग्नि व सूर्य की उपासना में विश्वास 
  • सदाचरण और सादगी में विश्वास 
  • कर्मफल में विश्वास

यहूदी धर्म (Judaism)

विश्व के प्राचीनतम धर्म में यहूदी धर्म का महत्वपूर्ण स्थान है | इस धर्म को यहूदी अथवा हिब्रू लोग मानते हैं | ईसाई और इस्लाम धर्म का आविर्भाव यहूदी धर्म से ही हुआ | इस धर्म का उदय पश्चिम एशिया के जेरूसलम नामक स्थान पर हुआ | इस धर्म के संस्थापक मूसा माने जाते हैं | ऐसा विश्वास किया जाता है कि मूसा के माध्यम से ईश्वर ने उपदेश दिए |

यहूदी धर्म की बुनियादी शिक्षा एक इश्वर में विश्वास है जिसे ‘यहवा’ या ‘जेहोवा’ कहा जाता है | यह सभी मनुष्यों से प्रेम करता है और जब वे कुमार्ग पर चलते हैं तो वह उनसे बदला लेता है और जब वे पश्चाताप करते हैं तो वह उन्हें क्षमा कर देता है | यहूदी धर्म में न्याय दया और विनम्रता पर जोर दिया गया है | यहूदी धर्म के अनुयाई इस बात पर विश्वास करते हैं कि उन्हें पवित्र करने और संसार को पाप एवं दुष्टता से मुक्त कराने के लिए एक मसीहा एक न एक दिन अवश्य अवतरित होगा | ओल्ड टेस्टामेंट और एपोकृफा इस धर्म के पवित्र ग्रंथ माने जाते हैं |

लगभग 2000 वर्ष पूर्व यहूदी शरणार्थी भारत के पश्चिमी तट पर आकर बसे थे | यद्यपि आज भी भारत में इस धर्म के अनुयायियों की संख्या काफी कम है फिर भी उन्हें अपने तरीके से जीने और उपासना की अनुमति प्रदान की गई है | भारत में यहूदियों के दो संप्रदाय की कोचीनी और बेने इजराइल निवास करते हैं | 2011 के जनगणना के अनुसार भारत में यहूदियों की संख्या लगभग 5000 है |

यहूदी धर्म के प्रमुख सिद्धांत इस प्रकार है:

  • ईश्वर अमूर्त, निर्गुण एवं सर्वव्यापी है 
  • ईश्वर अपनी आज्ञाओं के उल्लंघन पर दंड भी देता है 
  • यहोवा हिब्रू को धर्म की रक्षा के लिए सैन्य संघर्ष का आदेश भी देता है |

स्पष्ट है की भारत में प्रमुख रूप से हिन्दू, इस्लाम, ईसाई, बौद्ध, जैन, सिक्ख, पारसी और यहूदी आदि धर्म के लोग है

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धर्म से आप क्या समझते हैं इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?

धर्म की पहली विशेषता यह है कि यह शक्ति मे विश्वास पर आधारित है। धर्म शक्ति पर आधारित है वह मनुष्य निर्मित न होकर प्राकृतिक होता है। धर्म से जिस शक्ति मे विश्वास किया जाता है, उसकी प्रकृति अलौकिक होती है। चूंकि यह चरित्र दिव्य होता है, अतः मानव समाज से परे होती है।

भारत के प्रमुख धर्म क्या है?

भारत की जनसंख्या के 79.8% लोग हिंदू धर्म का अनुसरण करते हैं। इस्लाम, बौद्ध धर्म, ईसाई धर्म और सिक्ख धर्म, भारतीयों द्वारा अनुसरण किये जाने वाले अन्य प्रमुख धर्म हैं।

धर्म से आप क्या समझते हैं प्रमुख धर्म कौन कौन से हैं?

धर्म शब्द मूलता 'धृ' धातु से उत्पन्न होता है जिसका शाब्दिक अर्थ है 'धारण करना' | वस्तुतः धर्म से तात्पर्य आचरण की उस संहिता से है जिसके माध्यम से मनुष्य नियमित होता हुआ विकास करता है और अंततोगत्वा मोक्ष प्राप्त करता है | हम इस पोस्ट में प्रमुख भारतीय धर्म हिन्दू, इस्लाम, ईसाई, बौद्ध, जैन, सिक्ख, पारसी और यहूदी धर्म के ...

भारत में धर्म कितने प्रकार के होते हैं?

भारत में धर्म कितने हैं? इसे सुनेंरोकेंआपकी जानकारी के लिए बता दे कि भारत में कुल 7 धर्म हैं जिन्हें भारत सरकार से मान्यता मिली हुई है जैसे हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी जबकि दुनियाभर में धर्मों की संख्या 300 से भी अधिक मानी जाती है।