नर हो न निराश करो मन को अर्थ सहित – motivational poem in hindiजब भी मैं निराशा से घिर जाता हूँ तब मैं राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त की नर हो न निराश करो मन को- motivational poem प्रेरणादायक कविता को गुनगुनाता हूँ। यह कविता संघर्ष के क्षणों में हमें सम्बल प्रदान करती है। आज का यह आपाधापी भर जीवन, इस जीवन के संघर्ष और समस्याएं हम सभी में कभी न कभी नैराश्य की भावना जरूर उत्पन्न करती हैं। Show उन क्षणों में आप भी यह कविता जरूर गुनगुनाकर देखिए। इस कविता की पंक्तियाँ जादू जैसा असर करती हैं। प्रस्तुत है- नर हो न निराश करो मन को- प्रेरणादायक कवितानर हो, न निराश करो मन को। यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो, संभलो कि सुयोग न जाय चला, जब प्राप्त तुम्हें सब तत्त्व यहाँ, निज गौरव का नित ज्ञान रहे, प्रभु ने तुमको कर दान किए, किस गौरव के तुम योग्य नहीं, करके विधि वाद न खेद करो, नर हो न निराश करो मन को, कविता का भावार्थ- nar ho na nirash karo man koराष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त इस कविता में जीवन के संघर्षों से निराश हो चुके लोगों को संबोधित करते हुए कहते हैं- हे मानव, अपने मन को निराश मत करो। कुछ काम करो। कुछ ऐसा काम करो जिससे इस संसार में नाम हो। तुम्हारा जन्म किस लिए हुआ है, इसे समझो, और जीवन को बैठकर मत गंवाओ। इस जीवन का कुछ तो उपयोग करो। हे मानव, निराश मत हो। इससे पहले कि अवसर हाथ से निकल जाए, सम्भल जाओ। मन से किया गया प्रयास कभी व्यर्थ नहीं होता। इस संसार को कल्पना में मत जिओ। बल्कि अपना रास्ता खुद बनाओ। तुम्हें सहारा देने के लिए ईश्वर हैं। हे मानव, निराश मत हो। जब तुम्हें इस संसार के सभी साधन सुलभ हैं। तो तुमसे साररूप कर्मफल कहाँ दूर जा सकता है। तुम अपने आत्मबल रूपी अमृत के बल पर उठो और उठकर अमरत्व के नए नियम लिखो। अर्थात सफलता की नई कहानी लिखो। इस संसार रूपी जंगल में तुम शेर की भांति रहो। हे मानव, अपने मन को निराश मत करो। अपने गौरव का हमेशा ध्यान रखो। अपने महत्व को समझो। ऐसे कर्म करो कि मृत्यु के बाद भी हमारा यश गान हो। चाहे सब कुछ चला जाये लेकिन हमारा आत्मसम्मान नहीं जाना चाहिए। चाहे जो हो कर्म का त्याग मत करो। हे मानव, मन को निराश मत करो। ईश्वर ने तुमको दो हाथ दिए हैं। सभी सुख, सुविधा की वस्तुएं प्रदान कर दी है। फिर भी अगर तुम उनको प्राप्त न करो तो इसमें किसका दोष है? इस संसार में ऐसी कोई वस्तु नहीं है जो प्राप्त न की जा सके। इसलिए अपने मन को निराश मत करो। ऐसा कौन सा गौरव है, तुम जिसके योग्य नहीं हो? ऐसा कौन सा सुख है, जो तुम्हें नहीं प्राप्त हो सकता? अन्य सभी लोगों की तरह तुम भी ईश्वर की संतान हो। ईश्वर की संतान के लिए कौन सी चीज दुर्लभ है? इसलिए निराश न हो। भाग्यवाद का सहारा लेकर दुख मत प्रकट करो। लगातार अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करो। उद्यम या प्रयास ही एकमात्र विधि है। जिससे सभी सुख प्राप्त हो सकते हैं। निष्क्रिय जीवन को धिक्कार है। इसलिए हे मानव अपने मन से निराशा को निकाल दो आइए कुछ काम करो। ये भी पढ़ें– 10+ Best Motivational Poems in Hindiबेटी पर मार्मिक कविताएं- beti par kavitaहिंदी दिवस पर कविता- Hindi Diwas Poemveer ras kavita- 15 वीर रस की प्रसिद्ध कविताएंकबीरदास के 51 प्रसिद्ध दोहे। श्यामाचरण लाहिड़ी- भारत के संत हिंदी कहानियां- मधुर व्यवहार नर हो न निराश करो मन को- nar ho na nirash karo man ko इस प्रेरणादायक कविता motivational poem ने निश्चित रूप से आपमें स्फूर्ति और उत्साह का संचार किया होगा। ये कविता आपको कैसी लगी? कमेंट करके जरूर बताएं। पसंद आई हो तो इसे फेसबुक और व्हाट्सएप पर शेयर भी करें और हमारी वेबसाइट को सब्सक्राइब भी करें। |