पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर और भावार्थ - साखियाँ एवं सबद क्षितिज भाग - 1साखियाँ Show मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराहिं। अर्थ - इस पंक्ति में कबीर ने व्यक्तियों की तुलना हंसों से करते हुए कहा है की जिस तरह हंस मानसरोवर में खेलते हैं और मोती चुगते हैं, वे उसे छोड़ कहीं नही जाना चाहते ठीक उसी तरह मनुष्य भी जीवन के मायाजाल में बंध जाता है और इसे ही सच्चाई समझने लगता है। प्रेमी ढूंढ़ते मैं फिरौं, प्रेमी मिले न कोइ। अर्थ - यहां कबीर यह कहते हैं की प्रेमी यानी ईश्वर को ढूंढना बहुत मुश्किल है। वे उसे ढूंढ़ते फिर रहे हैं परन्तु वह उन्हें मिल नही रहा है। प्रेमी रूपी ईश्वर मिल जाने पर उनका सारा विष यानी कष्ट अमृत यानी सुख में बदल जाएगा। हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि। अर्थ - यहां कबीर कहना चाहते हैं की व्यक्ति को ज्ञान रूपी हाथी की सवारी करनी चाहिए और सहज साधना रूपी गलीचा बिछाना चाहिए। संसार की तुलना कुत्तों से की गयी है जो आपके ऊपर भौंकते रहेंगे जिसे अनदेखा कर चलते रहना चाहिए। एक दिन वे स्वयं ही झक मारकर चुप हो जायेंगे। पखापखी के कारनै, सब जग रहा भुलान। अर्थ - संत कबीर कहते हैं पक्ष-विपक्ष के कारण सारा संसार आपस में लड़ रहा है और भूल-भुलैया में पड़कर प्रभु को भूल गया है। जो ब्यक्ति इन सब झंझटों में पड़े बिना निष्पक्ष होकर प्रभु भजन में लगा है वही सही अर्थों में मनुष्य है। हिन्दू मूआ राम कहि, मुसलमान खुदाई। अर्थ - कबीर ने कहा है की हिन्दू राम-राम का भजन और मुसलमान खुदा-खुदा कहते मर जाते हैं, उन्हें कुछ हासिल नही होता। असल में वह व्यक्ति ही जीवित के समान है जो इन दोनों ही बातों से अपने आप को अलग रखता है। काबा फिरि
कासी भया, रामहिं भया रहीम। अर्थ - कबीर कहते हैं की आप या तो काबा जाएँ या काशी, राम भंजे या रहीम दोनों का अर्थ समान ही है। जिस प्रकार गेहूं को पीसने से वह आटा बन जाता है तथा बारीक पीसने से मैदा परन्तु दोनों ही खाने के प्रयोग में ही लाए जाते हैं। इसलिए दोनों ही अर्थों में आप प्रभु के ही दर्शन करेंगें। उच्चे कुल का जनमिया, जे करनी उच्च न होइ। अर्थ - इन पंक्तियों में कबीर कहते हैं की केवल उच्च कुल में जन्म लेने कुछ नही हो जाता, उसके कर्म ज्यादा मायने रखते हैं। अगर वह व्यक्ति बुरे कार्य करता है तो उसका कुल अनदेखा कर दिया जाता है, ठीक उसी प्रकार जिस तरह सोने के कलश में रखी शराब भी शराब ही कहलाती है। सबद मोको कहाँ ढूँढ़े बंदे , मैं तो तेरे पास में । अर्थ - इन पंक्तियों में कबीरदास जी ने बताया है मनुष्य ईश्वर में चहुंओर भटकता रहता है। कभी वह मंदिर जाता है तो कभी मस्जिद, कभी काबा भ्रमण है तो कभी कैलाश। वह इश्वार को पाने के लिए पूजा-पाठ, तंत्र-मंत्र करता है जिसे कबीर ने महज आडम्बर बताया है। इसी प्रकार वह अपने जीवन का सारा समय गुजार देता है जबकि ईश्वर सबकी साँसों में, हृदय में, आत्मा में मौजूद है, वह पलभर में मिल जा सकता है चूँकि वह कण-कण में व्याप्त है। संतौं भाई
आई ग्याँन की आँधी रे । कवि परिचय कबीरकबीर के जन्म और मृत्यु के बारे में अनेक मत हैं। कहा जाता है उनका जन्म 1398 में काशी में हुआ था। उन्होंने विधिवत शिक्षा नही प्राप्त की थी, परन्तु सत्संग, पर्यटन द्वारा ज्ञान प्राप्त किया था। वे राम और रहीम की एकता में विश्वास रखने वाले संत थे। उनकी मुख्या रचनाएँ कबीर ग्रंथावली में संग्रहित हैं तथा कुछ गुरुग्रंथ साहिब में संकलित हैं। उनकी मृत्यु सन 1518 में मगहर में हुआ था। कठिन शब्दों के अर्थ • सुभर - अच्छी तरह भरा हुआ • भांडा फूटा - भेद खुला • निरचू - थोड़ा भी • चुवै - चूता है • बता - बरसा निरपख होइ के हरि भजै सोई संत सुजान पंक्ति का क्या आशय है?निरपख होई के हरी भजै, सोई संत सुजान। एक विचार या दूसरे विचार या धर्म का पक्ष लेने के चक्कर में दुनिया भूल भुलैया में पड़ी रहती है। जो निष्पक्ष होकर ईश्वर की पूजा करता है वही सही ज्ञान पाता है। ... सही मायने में वही जीता जो इन दोनों से परे मुझे ईश्वर समझता है।
कबीर की साखी अर्थ सहित Class 12?इसका यह भावार्थ है कबीर दास जी यह कहते हैं साधु से हमें कभी भी उसकी जाति नहीं पूछनी चाहिए परंतु उनके साथ ज्ञान की बातें करनी चाहिए और उनसे ज्ञान लेना चाहिए।
साखी शब्द का क्या अर्थ है class 9?साखी संस्कृत 'साक्षित्' (साक्षी) का रूपांतर है। संस्कृत साहित्य में आँखों से प्रत्यक्ष देखने वाले के अर्थ में साक्षी का प्रयोग हुआ है। कालिदास ने कुमारसंभव (5,60) में इसी अर्थ में इसका प्रयोग किया है।
कबीर की साखियाँ कक्षा 9 हिंदी?(ख) आँधी पीछे जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ। 14. संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए। 2022-23 साखियाँ Page 8 94/ क्षितिज पाठेतर सक्रियता • कबीर की साखियों को याद कर कक्षा में अंत्याक्षरी का आयोजन कीजिए ।
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