Updated: Sep 25, 2022 17:31 PM | बारें में | संबंधित जानकारियाँ | यह भी जानें Show Pitru Paksha Date: Shraddha Purnima: Friday, 29 September 2023 पितृ पक्ष जिसे श्राद्ध या कानागत भी कहा जाता है, श्राद्ध पूर्णिमा के साथ शुरू होकर सोलह दिनों के बाद सर्व पितृ अमावस्या के दिन समाप्त होता है। हिंदू अपने पूर्वजों (अर्थात पितरों) को विशेष रूप से भोजन प्रसाद के माध्यम से सम्मान, धन्यवाद व श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। श्राद्ध तिथियाँ 2022 | पितृ पक्ष तिथियाँ कब-कब है? ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध के समय, पूर्वजों को अपने रिश्तेदारों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। श्राद्ध कर्म की व्यख्या रामायण और महाभारत दोनों ही महाकाव्य में मिलती है। पितृ पक्ष का महाभारत से एक प्रसंग: इस पर, इंद्र ने कर्ण को बताया कि पूरे जीवन में उन्होंने सोने, चांदी और हीरों का ही दान किया, परंतु कभी भी अपने पूर्वजों के नाम पर कोई भोजन नहीं दान किया। कर्ण ने इसके उत्तर में कहा कि, उन्हें अपने पूर्वजों के बारे मैं कोई ज्ञान नही था, अतः वह ऐसा करने में असमर्थ रहे। तब, इंद्र ने कर्ण को पृथ्वी पर वापस जाने के सलाह दी, जहां उन्होंने इन्हीं सोलह दिनों के दौरान भोजन दान किया तथा अपने पूर्वजों का तर्पण किया। और इस प्रकार दानवीर कर्ण पित्र ऋण से मुक्त हुए।
यह भी जानें
Pitru Paksha in EnglishPitru Paksha also known as Shraaddha or Kanagat start with Purnima Shraddha, ends after 16 days on Sarva Pitru Amavasya which is also known as Sarvapitri Amavasya or Mahalaya Amavasya. Kanagat 2022 | Pitru Paksha Start - 10 September 2022 | Pitru Paksha End - 25 September 2022 सर्वपितृ अमावस्या25 September 2022 पितृ पक्ष के अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या या महालया अमावस्या के रूप में जाना जाता है। महालया अमावस्या पितृ पक्ष का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। जिन व्यक्तियों को अपने पूर्वजों की पुण्यतिथि की सही तारीख / दिन नहीं पता होता, वे लोग इस दिन उन्हें श्रद्धांजलि और भोजन समर्पित करके याद करते हैं। श्राद्ध तिथियाँ की महत्तापूर्णिमा बाकी सभी श्राद्ध तिथि के अनुसार ही हैं द्वादशी चतुर्दशी अमावस कनागत 2022पितरों के लिए श्रद्धा से किया गया तर्पण, पिण्ड तथा दान को ही श्राद्ध कहते है। मान्यता अनुसार सूर्य के कन्याराशि में आने पर पितर परलोक से उतर कर अपने पुत्र - पौत्रों के साथ रहिने आते हैं, अतः इसे कनागत भी कहा जाता है। प्रत्येक मास की अमावस्या को पितरों की शांति के लिये पिंड दान या श्राद्ध कर्म किये जा सकते हैं, परंतु पितृ पक्ष में श्राद्ध करने का महत्व अधिक माना जाता है। पितृ पक्ष में पूर्वज़ों का श्राद्ध कैसे करें? श्राद्ध तीन पीढि़यों तक करने का विधान बताया गया है। यमराज हर वर्ष श्राद्ध पक्ष में सभी जीवों को मुक्त कर देते हैं, जिससे वह अपने स्वजनों के पास जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। तीन पूर्वज में पिता को वसु के समान, रुद्र देवता को दादा के समान तथा आदित्य देवता को परदादा के समान माना जाता है। श्राद्ध के समय यही अन्य सभी पूर्वजों के प्रतिनिधि माने जाते हैं। श्राद्ध अनुष्ठानों के लिए भारत के पवित्र स्थानहिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भारत में कुछ महत्वपूर्ण जगहें हैं जो निर्वासित आत्माओं की शांति और खुश रहने के लिए श्रद्धा अनुष्ठान करने के लिए प्रसिद्ध हैं। संबंधित जानकारियाँसुरुआत तिथि भाद्रपद शुक्ला पूर्णिमा समाप्ति तिथि आश्विन कृष्ण अमावस्या पिछले त्यौहार Sarvapitri Amavasy: 25 September 2022, Chaturdashi Shradh: 24 September 2022, Triodashi Shradh: 23 September 2022, Dwadashi Shradh (Magha Shradh): 22 September 2022, Ekadashi Shradh: 21 September 2022, Dashami Shradh: 20 September 2022, Navami Shradh: 19 September 2022, Ashtami Shradh: 18 September 2022, Saptami Shradh: 16 September 2022, Shashthi Shradh: 15 September 2022, Panchami Shradh: 14 September 2022, Chaturthi Shradh (Maha Bharani): 13 September 2022, Tritiya Shradh: 12 September 2022, Dwitiya Shradh: 11 September 2022, Pratipada Shradh: 10 September 2022, Sarvapitri Amavasy: 17 September 2020, Shraddha Purnima: 1 September 2020 फोटो प्रदर्शनीफुल व्यू गैलरी श्राद्ध तिथियाँ 2022 अगर आपको यह त्योहार पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें! इस त्योहार को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें
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कुंवारा पंचमी कब है?Kunwara Panchami 2022: पितृपक्ष 10 सितंबर से शुरू हो चुके हैं, जो कि 25 सितंबर तक रहने वाले हैं। इस दौरान तिथिनुसार पितरों का श्राद्ध करने का विधान है। 14 सितंबर को भी श्राद्ध किया जाएगा, जिसे कुंवारा पंचमी भी कहा जाता है। कुंवारा पंचमी पर अविवाहित पितरों का श्राद्ध किया जाता है।
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