नात्सी जर्मनी में युवाओं की स्थिति क्या थी? - naatsee jarmanee mein yuvaon kee sthiti kya thee?

नात्सी जर्मनी में युवाओं की क्या स्थिति थी?

इसे सुनेंरोकेंनात्सी जर्मनी में बच्चों और युवाओं के प्रति अपनाई गई निति : (i) बच्चों के लिए नात्सी विचारधारा की जानकारी आवश्यक थी। उन्हें कठोर अनुशासन में रख कर इसकी शिक्षा दी जाती थी। (ii) अवांछित बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया।

हिटलर कौन सा देश का था?

ऑस्ट्रियाई-हंगेरियाई
जर्मन
एडोल्फ़ हिटलर/राष्ट्रीयता

नात्सीवाद पर आम लोगों की क्या प्रतिक्रिया रही *?

इसे सुनेंरोकेंनाज़ी यहुदियों से सख़्त नफ़रत करते थें और यूरोप और जर्मनी में हर बुराई के लिये उन्हें ही दोषी मानते थे। नाज़ीयों ने केंद्र में अपनी सरकार बनते ही जर्मनी में हिटलर की तानाशाही स्थापित की और फिर यहुदियों के जर्मनी में दिन भर गये। द्वितीय विश्व युद्ध में यहुदियों के क़त्ले-आम के पीछे भी नाज़ीयों का ही हाथ था।

नात्सी सोच के खास पहलू क्या थे?

इसे सुनेंरोकेंनात्सी सोच के खास पहलू इस प्रकार थे- लोग देश के लिए हैं न कि देश लोगों के लिए। नाजी सोच सभी प्रकार की संसदीय संस्थाओं को समाप्त करने के पक्ष में थी और एक महान नेता के शासन में विश्वास रखती थी। यह सभी प्रकार के दल निर्माण व विपक्ष के दमन और उदारवाद, समाजवाद एवं कम्युनिस्ट विचारधाराओं के उन्मूलन की पक्षधर थी।

इसे सुनेंरोकेंउन्हें यहूदियों से नफ़रत और हिटलर की पूजा करने को कहा जाता था। (v) खेलकूद के जरिए भी युवाओं में हिंसा और आक्रामकता की भावना पैदा की जाति थी । (vi) जर्मन बच्चों और युवाओं को राष्ट्रिय समाजवाद की भावना से लैस करने की जिम्मेदारी युवा संगठनों को सौपी गई थी।

ग्रिम बन्धु कौन थे उन्होंने जर्मन राष्ट्रीय भावनाओं के विकास में क्या योगदान दिया?

इसे सुनेंरोकेंस्रोत ख ग्रिम्सफेयरीटेल्स एक जाना-माना नाम है। जैकब ग्रिम और विल्हेल्म ग्रिम बंधुओं का जन्म क्रमशः 1785 और 1786 में जर्मनी के हनाऊ शहर में हुआ था। जिस समय ये दोनों भाई कानून की पढ़ाई कर रहे थे उसी समय उन्होंने शौकिया तौर पर पुरानी लोक कथाएँ इकट्ठा करना शुरू कर दिया। वे छह साल तक गाँव-गाँव जाकर यही काम करते रहे।

जर्मनी में नात्सी शिक्षा प्रणाली की क्या विशेषता थी?

इसे सुनेंरोकेंसभी स्कूल के भीतर व बाहर, दोनों जगह बच्चों पर बुरा नियंत्रण किया गया। ‘यहूदी’ या ‘राजनीतिक रूप से ‘अविश्वसनीय’ दिखाई देने वाले शिक्षकों को नौकरी से हटाया गया। जर्मन व यहूदी बच्चों को अलग-अलग बैठाया जाता था। बाद मे अवांछित बच्चो को यानी यहूदियों, जिप्सियों के बच्चे और विकलांग बच्चों को स्कूलों से निकाल दिया गया।

ऑस्ट्रिया के राजकुमार आर्कड्यूक फ्रांसिस फर्डिनेंड की हत्या कब हुई थी?

इसे सुनेंरोकेंआज से ठीक 100 साल पहले 28 जून 1914 को ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के उत्तराधिकारी आर्चड्यूक फ़र्डिनेंड अपनी पत्नी के साथ बोस्निया में साराएवो के दौरे पर थे. वहाँ उनकी और उनकी पत्नी की हत्या कर दी गई जिसके बाद शुरू हुआ वो घटनाक्रम जो प्रथम विश्व युद्ध कहलाया.

ग्रिम बंधु कौन थे?

इसे सुनेंरोकेंदो भाई जैकब ग्रिम और विल्हम ग्रिम मिलकर ग्रिम ब्रदर्स के नाम से कहानियां लिखते थे। ग्रिम ब्रदर्स का जन्म जर्मनी में हुआ। जैकब का जन्म 4 जनवरी 1785 को, तो विल्हम का 24 फरवरी 1786 को हुआ। दोनों भाइयों को कहानियां सुनने का गजब का शौक था।

जर्मनी के एकीकरण के बाद वहां का सम्राट कौन बना?

इसे सुनेंरोकेंजर्मन-साम्राज्य का गठन इस प्रकार जर्मनी का एकीकरण पूर्ण हुआ। 18 जनवरी 1871 ई. में विलियम प्रथम का राज्याभिषेक जर्मनी के सम्राट के रूप में हुआ। इस असंभव से लगने वाले कार्य को पूर्ण करने का श्रेय बिस्मार्क को है।

Solution : नात्सी जर्मनी में बच्चों और युवाओं के प्रति अपनाई गई निति : (i) बच्चों के लिए नात्सी विचारधारा की जानकारी आवश्यक थी। उन्हें कठोर अनुशासन में रख कर इसकी शिक्षा दी जाती थी। (ii) अवांछित बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया। (iii) जो बच्चे नात्सी टेस्ट में पास हो जाते थे उन्हें पाला जाता था और जो अवांछित थे उन्हें अनाथालय में डाल दिया जाता था। (iv) नात्सी शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम तैयार किया गया और उन्हें उसी पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षा दी जाती थी। उन्हें यहूदियों से नफ़रत और हिटलर की पूजा करने को कहा जाता था। (v) खेलकूद के जरिए भी युवाओं में हिंसा और आक्रामकता की भावना पैदा की जाति थी । (vi) जर्मन बच्चों और युवाओं को राष्ट्रिय समाजवाद की भावना से लैस करने की जिम्मेदारी युवा संगठनों को सौपी गई थी। इसके बाद उन्हें सेना में काम करना पड़ता था और किसी नात्सी संगठन की सदस्यता लेनी पड़ती थी।

नात्सी जर्मनी में स्कूलों की क्या स्थिति थी?


  1. सभी स्कूल के भीतर व बाहर, दोनों जगह बच्चों पर बुरा नियंत्रण किया गया।
  2. 'यहूदी' या 'राजनीतिक रूप से 'अविश्वसनीय' दिखाई देने वाले शिक्षकों को नौकरी से हटाया गया।
  3. जर्मन व यहूदी बच्चों को अलग-अलग बैठाया जाता था।
  4. बाद मे अवांछित बच्चो को यानी यहूदियों, जिप्सियों के बच्चे और विकलांग बच्चों को स्कूलों से निकाल दिया गया।


नात्सी सोच के खास पहलू कौन-से थे?


(i) हिटलर के अनुसार प्रत्येक जीवित वस्तु को फलने फूलने के लिए अधिक क्षेत्र की आवश्यकता होती है। इसलिए एक राज्य को भी आगे बढ़ने के लिए अधिक क्षेत्रफल और नई सीमाओं  की आवश्यकता होती है।(ii) इससे मातृ देश का क्षेत्रफल भी बढ़ेगा। क्षेत्र के आकार में वृद्धि होने से शक्ति एवं सम्मान में भी बढ़ोतरी होगी।
(iii) नए इलाकों में जाकर बसने वाले जर्मन लोगों को अपने जन्मस्थान के साथ गहरे संबंध बनाए रखने में मुश्किल भी नहीं आएगी।
(iv) इस तरीके से जर्मन राष्ट्र के लिए संसाधन और बेहिसाब शक्ति इकट्ठा किए जा सकते हैं तथा मातृदेश के लिए अतिरिक्त संसाधनों को एक जगह इकट्ठा किया जा सकता है।
(v) हिटलर जर्मन सीमाओं को पूरब की ओर फैलाना चाहता था ताकि सारे जर्मनों को भौगोलिक दृष्टि से एक ही जगह पर इकट्ठा किया जा सके।
 

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इस बारे में चर्चा कीजिए कि 1930 तक आते-आते जर्मनी में नात्सीवाद को लोकप्रियता क्यों मिलने लगी?


1930 तक आते-आते जर्मनी में नात्सीवाद को लोकप्रियता निम्नलिखित कारणों से मिलने लगी-

(i) 1929 के बाद बैंक दिवालिया हो चुके थे। काम धंधे बंद होते जा रहे थे। मजदूर बेरोजगार हो रहे थे और मध्यवर्ग को लाचारी और भूखमरी का डर सता रहा था। नात्सी प्रोपोगैंडा ने लोगों को एक बेहतर भविष्य की उम्मीद दिखाई देती थी। 1929 में नात्सी पार्टी को जर्मन संसद-राइटख़स्टाग-के लिए हुए चुनावो में महज़ 2.6 फीसदी वोट मिले 1932 तक आते-आते यह देश की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी थी और उसे 37 फ़ीसदी वोट मिले।

(ii) हिटलर जबरदस्त वक्ता था। उसका जोश और उसके शब्द लोगों को हिलाकर रख देते थे। वह अपने भाषाणों में एक शक्तिशाली राष्ट्र की स्थापना वर्साय संधि में हुई नाइंसाफ़ी के प्रतिरोध और जर्मन समाज को खोई हुई प्रतिष्ठा वापस दिलाने का आश्वासन देता था। उसका वादा था कि वह बेरोजगारों को रोजगार और नौजवानों को एक सुरक्षित भविष्य देगा। उसने आश्वासन दिया कि वह देश की विदेशी प्रभाव से मुक्त कराएगा तमाम विदेशी 'साज़िशों' का मुंहतोड़ जवाब देगा।

(iii) हिटलर ने राजनीति की एक नई शैली रची थी। वह लोगों को गोलबंद करने के लिए आडंबर और प्रदर्शन की अहमियत समझता था। हिटलर के प्रति भारी समर्थन दर्शाने और लोगों में परस्पर एकता का भाव पैदा करने के लिए नात्सियों में बड़ी-बड़ी रैलियों और जनसभाएँ आयोजित की। स्वास्तिक छपे लाल झंडे, नात्सी सैल्युट और भाषणों के बाद खास अंदाज में तालियों की गड़गड़ाहट की सारी चीजें शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा थी।

(iv) नात्सियों ने अपने धुआंधार प्रचार केसरी हिटलर को एक मसीहा, एक रक्षक ,एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश किया। जिसने मानो जनता को तबाही से उभारने के लिए ही अवतार लिया था। एक ऐसी समाज को यह छवि बेहद आकर्षक दिखाई देती थी जिसकी प्रतिष्ठा और गर्व का अहसास चकनाचूर हो चुका था और जो एक भीषण आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुज़र रहा था।

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वाइमर गणराज्य के सामने  क्या समस्याएँ थी ?


राजनीति स्तर पर जर्मनी का वाइमर गणराज्य कमज़ोर और अस्थिर था। वाइमर गणराज्य में कुछ ऐसी कमियाँ थी जिनके कारण गणराज्य कभी भी अस्थिर और तानाशाही का शिकार बन सकता था, जो इस प्रकार है-
(i) पहली कमी अनुपातिक प्रतिनिधित्व से संबंधित थीl इस प्रवधान की वजह से किसी एक पार्टी को बहुमत मिलना बहुत मुश्किल होता जा रहा था। यहाँ हर बार गठबंधन सरकार सत्ता में आ रही थी।
(ii) दूसरी समस्या अनुच्छेद 48 की वजह से थी जिसमें राष्ट्रपति को आपातकाल लागू करने, नागरिक अधिकार रद्द करके और अध्यादेशों के ज़रिए शासन चलाने का अधिकार दिया गया था।
(iii) अनुच्छेद 48 के फलस्वरुप ही अपने छोटे से जीवन काल में वाइमर गणराज्य का शासन 20 मंत्रिमंडलों के हाथों में रहा और उनकी औसत 239 मैं दिन से ज्यादा नहीं रही।
(iv) अनुच्छेद 48 के उदारपूर्वक इस्तेमाल के बाद भी गणराज्य के संकट दूर नहीं हो पाए थे।
(v) समस्या का कोई समाधान नहीं खोज पाने के कारण लोकतांत्रिक संसदीय व्यवस्था पर से लोगों का विश्वास खत्म होने लगा।

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नात्सियों का प्रोपेगैंडा यहूदियों के खिलाफ नफ़रत पैदा करने में इतना असरदार क्यों रहा?


नात्सियों का प्रोपेगैंडा यहूदियों के खिलाफ नफरत पैदा करने में इतना असरदार निम्नलिखित कारणों से रहा-
(i) नात्सी विश्व दृष्टिकोण को फैलाने के लिए हिटलर ने मीडिया का बहुत सोच-समझकर इस्तेमाल किया। इस प्रचार में नात्सियों की यहूदियों के प्रति घृणा का समावेश था। ग्योबल्स, हिटलर के प्रचार मंत्री थे। 
(ii) नात्सी विचारो को फैलाने के लिए तस्वीरों, रेडिओ, पोस्टर, आकर्षक नारों और इश्‍तहारी चर्चा का खूब सहरा लिया जाता था।
(iii) नात्सी प्रचार के अनुसार यहूदी एक अवांछित नस्ल था जिसे ख़त्म कर दिया जाना चाहिए और वे इसमें सफल भी रहे। यहूदियों को शेष समाज से अलग-थलक कर दिया गया।
(iv) नात्सी प्रचार में यहूदियों के प्रति ईसाई धर्म में मौजूद परंपरागत घृणा को भी एक आधार बनाया गया। ईसाइयों का आरोप था कि यहूदियों ने ही ईसा मसीह को मारा था।
(v)  यहूदियों को सूदखोर कहकर गाली दी जाती थी।
(vi) प्रचार फिल्मों में भी यहूदियों के प्रति नफरत करवाने पर जोर दिया गया। उन्हें चूहा और कीड़ा आदि नामों से संबोधित किया गया।
(vii) हिटलर की दृष्टि में यहूदियों को पूरी तरह से खत्म कर देना ही इस समस्या का एकमात्र हल था।

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नात्सियों ने जनता पर पूरा नियंत्रण हासिल करने के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाए?


(i) हिटलर ने लोकतांत्रिक शासन की संरचना एवं संस्थानों को समाप्त करना शुरू कर दिया।
(ii) जर्मन संसद में हुए रहस्मय अग्निकांड से उनका रास्ता आसान हो गया। 28 फरवरी 1933 को जारी अध्यादेश के माध्यम से अभिव्यक्ति, प्रेस एवं सभा करने की आजादी को छीन लिया गया।

(iii) कम्युनिस्ट हिटलर का कट्टर शत्रु था। 3 मार्च 1933 को जर्मनी में प्रसिद्ध विशेषाधिकार अधिनियम के माधयम से तानाशाही स्थापित कर दी गई।

(iv) ट्रेड यूनियन पर पाबंदी लगा दी गई।

(v) अर्थव्यवस्था, मीडिया, न्यायपालिका और सेना पर राज्य ने पूरी तरह से  नियंत्रण स्थापित कर लिया।

(vi) पूरे समाज को नात्सियों के हिसाब  से नियंत्रित व्यवस्थित करने के लिए सुरक्षा दस्ते गठित किए गए। इसमें गेस्तापो, एस.एस. और सुरक्षा सेवा शामिल थे।

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नात्सी समाज में युवाओं की क्या स्थिति थी?

(iv) नात्सी शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम तैयार किया गया और उन्हें उसी पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षा दी जाती थी। उन्हें यहूदियों से नफ़रत और हिटलर की पूजा करने को कहा जाता था। (v) खेलकूद के जरिए भी युवाओं में हिंसा और आक्रामकता की भावना पैदा की जाति थी

नात्सी शासन के जर्मनी पर क्या प्रभाव पड़े?

नात्सीवाद की विजय के प्रमुख परिणाम- जर्मनी में हिटलर के नेतृत्व में नात्सी पार्टी की तानाशाही स्थापित हो गई। इससे वहाँ आतंकवाद छा गया तथा नात्सी विरोधी नेताओं की बड़े पैमाने पर हत्या कर दी गई। जर्मनी की कम्युनिस्ट पार्टी पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। समाजवादियों व साम्यवादियों का भी विरोध किया गया।

नात्सी विचारधारा की मुख्य विशेषताएं कौन कौन सी थी?

कट्टर जर्मन राष्ट्रवाद, देशप्रेम, विदेशी विरोधी, आर्य और जर्मन हित इस विचार धारा के मूल अंग हैं. नात्सी यहुदियों से नफरत करते थे और यूरोप और जर्मनी मे हर बुराई के लिये उन्हें ही दोषी मानते थे. नात्सीयों ने केंद्र मे अपनी सरकार बनते ही जर्मनी मे हिटलर की तानाशाही स्थापित की और फिर यहुदियों के जर्मनी मे दिन भर गए.

हिटलर यूथ में युवाओं को क्या शिक्षा दी जाती थी?

यह संगठन हिटलर का युवा संगठन था। जहाँ पर इन नवयुवकों को युद्ध लड़ने का कौशल सिखाया जाता, इन्हें आक्रामकता होने व नाजी होकर गौरवान्वित होने का शिक्षा दी जाती थी। यहाँ पर इन्हें लोकतंत्र की बुराई करने की ट्रेनिंग दी जाती थी