महात्मा गाँधी को ऐसा क्यों लगता था कि हिंदुस्तानी राष्ट्रीय भाषा होनी चाहिए? Show
राष्ट्रीय कोंग्रस ने तीस के दशक में यह स्वीकार कर लिया था कि हिंदुस्तानी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिलना चाहिए। गाँधीजी जी भी हिंदुस्तानी को राष्ट्र कि भाषा बनाने के पक्ष में थे। महात्मा गाँधी का मानना था कि हरेक को एक ऐसी भाषा बोलनी चाहिए जिसे लोग आसानी से समझ सकें। उनका मानना था कि हिंदुस्तानी भाषा में हिंदी के साथ-साथ उर्दू भी शामिल है और ये दो
भाषाएँ मिलकर हिंदुस्तानी भाषा बनी है तथा यह हिंदू और मुसलमान दोनों के द्वारा प्रयोग में लाई जाती है। वे कौन सी ऐतिहासिक ताकतें थीं जिन्होंने संविधान का स्वरूप तय किया? अनेक ऐतहासिक ताकतों ने भारतीय संविधान के स्वरूप निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसका विवरण निम्नलिखित प्रकार से हैं:
उद्देश्य प्रस्ताव में किन आदर्शो पर ज़ोर दिया गया था? 13 दिसंबर 1946 को जवाहर लाल नेहरू ने संविधान सभा के सामने ''उद्देश्य प्रस्ताव'' पेश किया। इस उद्देश्य प्रस्ताव में निम्नलिखित बातों पर बल दिया गया था:
प्रांतों के लिए ज़्यादा शक्तियों के पक्ष में क्या तर्क दिए गए? संविधान सभा में केंद्र व प्रांतों के अधिकारों के प्रश्न पर काफ़ी बहस हुई। कुछ सदस्य केंद्र को शक्तिशाली बनाने के पक्ष में थे, तो कुछ सदस्यों ने राज्यों के अधिक अधिकारों की शक्तिशाली पैरवी की। प्रांतो के अधिकारों का सबसे शक्तिशाली समर्थन मद्रास के. सन्तनम ने किया।
विभिन्न समूह 'अल्पसंख्यक' शब्द को किस तरह परिभाषित कर रहे थे? संविधान सभा में विभिन्न समूह 'अल्पसंख्यक' शब्द को अलग-अलग प्रकार से परिभाषित कर रहे थे:
महात्मा गांधी को क्यों लगता था कि हिंदुस्तानी राष्ट्रीय भाषा होनी चाहिए?महात्मा गाँधी को लगता था कि यह बहुसांस्कृतिक भाषा विविध समुदायों के बीच संचार की आदर्श भाषा हो सकती है: वह हिंदुओं और मुसलमानों को, उत्तर और दक्षिण के लोगों को एकजुट कर सकती है। इसलिए उन्हें हिंदुस्तानी भाषा में राष्ट्रिय भाषा होने के सभी गुण दिखाई देते थे।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने राजभाषा से संबंधित लक्षण बताए थे उनमें से गलत क्या है?आइए जानते हैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हिन्दी के प्रति विचार... राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है। हृदय की कोई भाषा नहीं है, हृदय-हृदय से बातचीत करता है और हिन्दी हृदय की भाषा है। हिंदुस्तान के लिए देवनागरी लिपि का ही व्यवहार होना चाहिए, रोमन लिपि का व्यवहार यहां हो ही नहीं सकता।
महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता क्यों कहा जाता है?4 जून 1944 को सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुए महात्मा गांधी को 'देश का पिता' कहकर संबोधित किया था इसके बाद 6 जुलाई 1944 को सुभाष चन्द्र बोस ने एक बार फिर रेडियो सिंगापुर से एक संदेश प्रसारित कर गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया। बाद में भारत सरकार ने भी इस नाम को मान्यता दे दी।
महात्मा गांधी की लोकप्रियता के क्या कारण थे?रेडियो जॉकी गौरव कुमार कहते हैं, "गांधी जी के दर्शन में हर समस्या का आसान उपाय सुझाने की क्षमता है. यही वजह है कि वह बेहद प्रेक्टिकल और रेलेवेंट है." स्टूडेंटस की शेल्फ में इंजीनियरिंग और मेडिकल की मोटी तगड़ी किताबों के बीच बापू की जीवनी सत्य के साथ प्रयोग का मिलना अब कोई हैरानी की बात नहीं है.
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