मनुष्य के जीवन का सार क्या है? - manushy ke jeevan ka saar kya hai?

जीवन का सार तत्व धर्म है

Publish Date: Mon, 18 Mar 2013 11:15 AM (IST)Updated Date: Mon, 18 Mar 2013 11:15 AM (IST)

जीवन का सार तत्व धर्म है। धर्म से ही जीवों की वास्तविक पहचान होती है। इसलिए धर्म का स्थान सर्वोपरि है और किसी भी सत्ता का स्थान उससे ऊपर नहीं है। हर हालत में धर्म की रक्षा करनी है। अगर किसी का धर्म चला गया तो उसका सब कुछ चला गया। दूध से उसकी सफेदी हटा देने से उसे दूध नहीं कहेंगे।

जीवन का सार तत्व धर्म है। धर्म से ही जीवों की वास्तविक पहचान होती है। इसलिए धर्म का स्थान सर्वोपरि है और किसी भी सत्ता का स्थान उससे ऊपर नहीं है। हर हालत में धर्म की रक्षा करनी है। अगर किसी का धर्म चला गया तो उसका सब कुछ चला गया। दूध से उसकी सफेदी हटा देने से उसे दूध नहीं कहेंगे। इसी प्रकार किसी भी सत्ता का धर्म नष्ट हो जाने से उसकी विश्वसनीयता समाप्त हो जाती है। जब कोई जीव या कोई सत्ता अपने धर्म से हट जाती है तो उसका सर्वनाश हो जाता है। इसलिए किसी भी हालत में धर्म को नष्ट नहीं करना है, धर्म को बचाना है। संक्षेप में कहें तो परोपकार करना और अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को निभाना ही धर्म है। इसी तरह किसी व्यक्ति को उत्पीडि़त करना और अपने दायित्वों से मुंह फेर लेना ही अधर्म है।

जब कुबुद्धि, अशिक्षा और अज्ञानता के कारण मनुष्य धर्म की राह से हट जाता है तब भगवान धर्म की संस्थापना के लिए आविर्भूत होते हैं। धर्म के नाश के पीछे भी कारण हैं। जब समाज में अन्याय का बोलबाला होता है तो उस समय अच्छे लोग मजबूरी में सिर झुकाकर जीने लगते हैं। इस स्थिति में धर्म पर अधर्म हावी हो जाता है। उस वक्त अच्छे लोगों की हालत दयनीय हो जाती है और वह कुछ कर नहीं पाते।

ऐसी स्थिति में यह आवश्यक हो जाता है कि धर्म के बताए निर्देशों के अनुसार मूल्यों और मर्यादाओं के आधार पर आचरण पर बल दिया जाए। जिस समाज में मूल्यों और मर्यादाओं का वर्चस्व होता है वहां अधर्म अपने पैर नहीं पसार पाता। आज हमारे समाज की यही सबसे बड़ी समस्या है कि मूल्यों का लगातार पतन होता जा रहा है। पूरे समाज का यह दायित्व है कि इस स्थिति में परिवर्तन लाया जाए ताकि एक सुशिक्षित-सुसंस्कृत समाज का लक्ष्य हासिल किया जा सके। इसके लिए सभी को अपने-अपने स्तर पर प्रयास करने के लिए आगे आना होगा।

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मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य क्या है?

मानवजीवन का उद्देश्य ज्ञान की प्राप्ति करना होता है। सतगुरू की शरण में आने से मानव जीवन ज्ञान रूपी प्रकाश से भर जाता है। सतगुरू से ज्ञान की दीक्षा प्राप्त कर मनुष्य का जीवन आनंदमय हो जाता है।

जीवन का सार क्या है?

जीवन का सार तत्व धर्म है। धर्म से ही जीवों की वास्तविक पहचान होती है। इसलिए धर्म का स्थान सर्वोपरि है और किसी भी सत्ता का स्थान उससे ऊपर नहीं है।

हमारे जीवन में क्या महत्व है?

कर्मों के उपरांत, परोपकारी बनने, दान पुण्य को नियमित करने से ही मानव तन मिलता है। जब परमात्मा ने हमें सर्वश्रेष्ठ जीव बना कर धरा पर भेजा है तो यह हमारा नैतिक कर्तव्य बनता है कि हमें इंसानियत का भाव रखते हुए सर्व जीव कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए।

जीवन का अंतिम उद्देश्य क्या है?

हमारे जीवन का वास्तविक उद्देश्य है शाश्त्रनुसार भक्ति कर के मोक्ष प्राप्ति की ओर अग्रसर होना । भक्ति करने से ही मोक्ष होता है, गीता जी के अनुसार तत्वदर्शी संत से उपदेश लेकर शास्त्रों के अनुसार भक्ति करने से ही मोक्ष होता है । तथा यही जीवन का प्रथम व अन्तिम लक्ष्य है ।