मांग का नियम केवल गुणात्मक कथन है। वह वस्तु की कीमत एवं मांग मात्रा के बीच किसी परिमाणात्मक संबंध को व्यक्त नहीं करता। यह तो केवल इतना बताता है कि कीमत बढ़ने से मांग घटती है और कीमत में कमी होने से मांग बढ़ती है। Show
अर्थशास्त्र में मांग की लोच का मतलब होता है मांग को प्रभावित करने वाले घटकों के परिवर्तन के प्रति मांग कितनी संवेदनशील है। यानी यदि मांग के घटकों जैसे उपभोक्ता की आय में परिवर्तन होने से मांग में कितना बदलाव आता है। मांग की कीमत लोच क्या होती है? (Price elasticity of demand)मांग की लोच का मतलब होता है की आर्थिक चरों में बदलाव आने से मांग में आने वाला बदलाव है। लोच में यह पका नहीं होता की किस चार में बदलाव आया है। उपभोक्ता की आय में भी बदलाव आ सकता है, सम्बंधित वस्तुओं के मूल्य में भी बदलाव आ सकता है। मांग की कीमत लोच का मतलब होता है केवल वस्तु की कीमत में बदलाव आने से उसकी मांग में बदलाव आना। यानी कीमत के प्रति उस वस्तु की मांग कितनी संवेदनशील है। यदि कीमत लोच ज्यादा है तो इसका मतलब है की कीमत के बदलने से मांग में बड़ा बदलाव आता है एवं यदि यह कम है तो इसका मतलब है की कीमतें बदलने से मांग में बहुत कम प्रभाव पड़ता है। उदाहरण :मान लेते हैं उपभोक्ता की आय पहले 100 रूपए मासिक से बढ़कर 150 रूपए मासिक हो गयी है। इसके साथ साथ मान 10 इकाई से बढ़कर 15 इकाई हो गयी है। तो आप देख सकते हैं यहाँ जैसे उपभोक्ता की आय बढ़ी वैसे ही वस्तुओं की मांग में भी बढ़ोतरी देखी गयी। मांग की लोच की गणना कैसे करते हैं? (how to calculate elasticity of demand)हम मांग की लोच की गणना करने के लिए सबसे पहले यह ज्ञात करते हैं की मान के अन्य आर्थिक चर में कितने प्रतिशत बदलाव आया एवं उसकी वजह से मांग में कितने प्रतिशत बदलाव आया। इन्हें ज्ञात करने के बाद मांग के प्रतिशत बदलाव को अन्य आर्थिक चर के प्रतिशत बदलाव से विभाजित कर देते हैं। यदि लोच ज्यादा होती है इसका मतलब है की आर्थिक चरों में बदलाव से इस वस्तु की मांग पर बहुत असर पड़ता है। यदि यह कम होती है तो उस वस्तु पर अन्य आर्थिक चरों का कम बदलाव होता है। मांग की लोच का सूत्र :(formula of elasticity of demand)जैसा की आप देख सकते हैं मांग की लोच केवल वस्तु की कीमत पर नहीं बल्कि बहुत सारे चरों पर निर्भर करती है। अतः विभिन्न चरों की वजह से मांग की लोच पर प्रभाव पड़ता है। लेकिन मांग की कीमत लोच में ऐसा नहीं है। यह केवल वस्तु की कीमत से लोच में परिवर्तन होता है। मांग की कीमत लोच का सूत्र :(formula of price elasticity of demand)जैसा की आप देख सकते हैं मांग की कीमत लोच में केवल मूल्य ही मांग को प्रभावित करता है। मांग की कीमत लोच के प्रकार :मांग की कीमत लोच मुख्यतः पांच प्रकार की होती है :
1. पूर्णतया बेलोचदार मांग :(perfectly inelastic demand)अब किसी वस्तु की मांग में कीमत में परिवर्तन की तुलना में कोई परिवर्तन नहीं आता है तब उसे पूर्णतया बेलोचदार मांग कहते हैं। ऐसा मुख्यतः दैनिक जरूरतों की वस्तुओं एवं दवाइयों की मांग पर होता है। उनका मूल्य कितना भी हो वे ज़रूरी होती हैं इसलिए खरीदनी पड़ती हैं। काम हो जाए तो हम बिना ज़रुरत के उन्हें खरीद नहीं सकते हैं। इस मांग का माप शून्य के बाराबर होता है। इसमें ED = 0 होता है। पूर्णतया बेलोचदार मांग का वक्र :(perfectly inelastic demand curve)ऊपर दिए गए चित्र में जैसा की आप देख सकते हैं यहाँ मूल्य में बदलाव देखा जा रहा है लेकिन मांग की मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं आ रहा है। अतः यहाँ मांग वक्र Y अक्ष के बिलकुल समान्तर होगा क्योंकि केवल मूल्य में बढ़ोतरी हो रही है।मांग की मात्र अपरिवर्तित है। 2. बेलोचदार मांग : (inelastic demand)जब वस्तु की मांग की मात्र में अनुपातिक बदलाव कीमत में बदलाव से कम होता है ऐसी स्थिति में उसे बेलोचदार मांग कहा जाता है। ऐसी मांग जीवन की आवश्यकता वाली वस्तुएं जैसे भोजन, इंधन आदि में देखि जाती है। जब इनकी कीमत में परिवर्तन आता है तो मांग की मात्र भी कुछ हद तक परिवर्तित हो जाती है। इसमें मांग की लोच का माप शुन्य से ज्यादा एवं एक से कम होता है। ED > 0 एवं ED < 1 होता है। बेलोचदार मांग का वक्र :(inelastic demand curve)जैसा की आप चित्र में देख सकते हैं मांग वक्र थोड़ा सा झुका हुआ है। इसका अर्थ यह है की मूल्य में बड़े परिवर्तन के बाद भी मांग में तनिक परिवर्तन होगा या मांग की मात्रा का अनुपातिक परिवर्तन मूल्य के अनुपातिक परिवर्तन से कम होगा। 3. इकाई लोचदार मांग :(unity elastic demand)जब मांग का अनुपातिक परिवर्तन उस वस्तु की कीमत के अनुपातिक परिवर्तन के बराबर होता है तो इस स्थिति में वह इकाई लोचदार माँग कहलाती है। ऐसी मांग मुख्यतः सामान्य वस्तुओं में पायी जाती है। ऐसे में मांग की लोच का मान 1 के बराबर ED = 1 होता है। इकाई लोचदार मांग का वक्र : (unity elastic demand curve)ऊपर दिए चित्र में जैसा की आप देख सकते हैं यहां हमें मांग का माप इकाई के बराबर फदे रखा है जिसका अर्थ यह है की मांग एवं मूल्य में अनुपातिक परिवर्तन बराबर होता है। इसलिए यह वक्र ऊपर से निचे की ओर घुमावदार है एवं इसमें हर बिंदु पर मांग एवं मूल्य में अनुपातिक बदलाव समान है। 4. लोचदार मांग : (elastic demand)जब मांग की मात्र में अनुपातिक परिवर्तन कीमत की मात्र में अनुपातिक परिवर्तन की तुलना में अधिक होता है तो ऐसी स्थिति में उस वस्तु की मांग लोचदार कहलाती है। ऐसी मांग मुख्यतः विलासिता की वस्तुओं जैसे महँगी कार, आभूषण आदि में देखी जाती है क्योंकि उनकी कीमत गिरने पर ज्यादा से ज्यादा लोग इन्हें खरीदने लगते हैं। लोचदार मांग का वक्र :(elastic demand curve)ऊपर दिए गए चित्र में जैसा की आप देख सकते हैं यहाँ हमें लोचदार मांग का वक्र दे रखा है। यह बिलोचदार मांग के वक्र की तुलना में थोड़ा ज़्यादा झुक रहा है क्योंकि मूल्य में परिवर्तन की तुलना में इसकी मांग में ज़्यादा परिवर्तन हो रहा है। 5. पूर्णतया लोचदार मांग: (perfectly elastic demand)जब किसी वस्तु की कीमत अपरिवर्तित रहती है एवं ऐसी स्थिति में उसकी मांग में बढ़ोतरी या कमी होती है तो इस मांग को पूर्णतया लोचदार मांग कहा जाता है। ऐसी मांग मुख्यतः पूर्ण प्रतियोगिता(perfect competition) की अवस्था में पायी जाती है। इसमें मांग का मान अनंतता ED = ∞ के बराबर होता है। पूर्णतया लोचदार मांग का वक्र : (perfectly elastic demand curve)ऊपर चित्र में जैसा की आप देख सकते हैं यहाँ हमें पूर्णतया लोचदार वक्र दे रखा है जोकि x अक्ष के समान्तर है क्योंकि मूल्य में कोई बदलाव नहीं हो रहा है लेकिन मांग में निरंतर बदलाव देखा जा रहा है। मांग की लोच को प्रभावित करने वाले कारक : (factors affecting elasticity of demand)मांग की लोच को निम्न कारक प्रभावित करते हैं: 1. वस्तु की प्रकृति :किसी वस्तु की लोच उसकी प्रकृति से प्रभावित होती है। विभिन्न प्रकृति वाली वस्तुओं की लोच विभन्न होती है। जैसे:
2. विकल्प की उपलब्धता : (availability of substitute)यदि किसी वस्तु के बाज़ार में कई विकल्प होते हैं तो उसकी मांग ज्यादा लोचदार होती है।
3. उपभोक्ता की आय :काम आय वाले लोग किसी वस्तु की कीमत काम होने पर ज़्यादा खरीददारी करते हैं वहीँ अमीर लोग ज़्यादा कीमत पर भी उस वस्तु को खरीद सकते हैं। अतः इस वस्तु के किस प्रकार के उपभोक्ता होंगे यह भी इसकी मांग की लोच को प्रभावित करता है। 4. वस्तु के मूल्य का स्तर :एक वस्तु का मूल्य किस स्तर पर है इसका भी प्रभाव इसकी लोच पर पड़ता है। यदि वस्तु लैपटॉप, टीवी आदि है इनका मूल्य अधिक होता है जिसके कारण कीमत में बदलाव इसकी मांग पर बड़ा प्रभाव दाल सकता है लेकिन यदि वस्तु कम कीमत की है तो कीमत में बदलाव का इसकी मांग पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। मांग की लोच क्या है इसके प्रकार बताइए?सामान्य तौर से वस्तुओं की माँग की लोच केवल तीन प्रकार की होती है- लोचदार माँग, अधिक लोचदार माँग तथा बेलोच माँग। माँग की आय लोच की प्रकृति - अधिकांश वस्तुओं की माँग की आय लोच सामान्यतः धनात्मक होती है, अर्थात् आय में वृद्धि, माँग में वृद्धि तथा आय में कमी वस्तु की माँग में कमी को जन्म देती है।
मांग कितने प्रकार के होते हैं?मांग के प्रकार । कीमत मांग, आय मांग, तिरछी मांग और अन्य मांग ।
मांग की लोच की विशेषताएं क्या है?मांग की लोच को परिभाषित करते हुये प्रो. मार्शल ने कहा है कि- " बाजार मे मांग की लोच इस तथ्य के अनुसार अधिक या कम होती है कि मूल्य मे निश्चित कमी होने के कारण मांग की मात्रा मे अधिक या कम वृद्धि हो अथवा मूल्य मे निश्चित वृद्धि होने पर मांग की मात्रा मे अधिक या कम गिरावट हो।
मांग की लोच का क्या महत्व है?कीमत पर भी उनकी माँग घटती नहीं। इसके विपरीत, जिन वस्तुओं की माँग की लोच लोचदार होती है, उनकी लागत कम आँकी जाती है जिससे उनकी कीमत भी कम होती है। कम कीमत निर्धारित होने से उनकी माँग बढ़ती है, घटती नहीं। सम्बन्धित उद्योगों को जनहित में सरकार को अपने हाथों में ले लेना चाहिए ।
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