Show दोनो हम अपने जीवन में जो भी काम करते है उनके पीछे एक अर्थ छुपा होता है. हालंकि हमने कभी उसको जानने की कोशिश नही की है. हम अच्छा या बुरा, जन्म या मृत्यु से जुड़ा कोई भी काम करते है तो उसके पीछे एक वजह होती है. आज हम आपको अंतिम संस्कार से जुडी एक ऐसी बात बताने वाले है जिसे जानना आपके लिए बेहद जरुरी है. आपने ध्यान तो दिया होगा कि जब मनुष्य का अंतिम संस्कार होता है उस समय एक मटकी भी शव के साथ श्मशान घाट ले जाई जाती है. इस मटकी में छेद करके बाद में उससे शव के चारो तरफ परिक्रमा की जाती है. जब परिक्रमा पूरी हो जाती है तो इसे पटककर फोड़ दिया जाता है. गरुड पुराण में शव यात्रा के समय जल से भरी मटकी ले जाने के पीछे के कारणों को बताया गया है. गरुड पुराण के अनुसार ऐसा माना जाता है कि मृतक व्यक्ति की आत्मा का उसके शरीर से मोह भंग करने के लिए ही ऐसा किया जाता है. यहाँ मनुष्य के जीवन की तुलना एक जल से भरी मटकी से की गयी है. एक मनुष्य का जीवन एक मटकी की तरह होता है और इसमें भरा पानी हमारा समय है. जिस प्रकार मिटटी के भरे घड़े से एक एक बूंद पानी टपकता है. उसी तरह हमारे घड़े रूपी जीवन में से ये आयु रूपी पानी हर क्षण बूंद बूंद करके टपक रहा है. जिसका अंत होने पर व्यक्ति इस संसार में बनाये सम्बन्धो को छोडकर परमात्मा के पास चला जाता है. जीवन के अंत के बाद ये मटकी फोड़ने का यही अर्थ निकाला गया है. यदि आपने किसी मृतक के अंतिम संस्कार में भाग लिया है तो आप जरुर जानते होंगे कि अंतिम संस्कार की क्रिया के दौरान जब मृत देह को आग लगाई जाती है तो उससे पहले मटकी लेकर उसके चारो तरफ परिक्रमा की जाती है. जिसके बाद शव के सर पर 3 बार डंडे से मारा जाता है. इसके बाद ही चिता को आग लगाई जाती है. कहा जाता है कि जिस दिन जीव का जन्म होता है यमराज उसी दिन से उसके पीछे लगे रहते है और जैसे ही मौत का समय आता है उसे अपने साथ लेकर चले जाते है. इसलिए जिसका जन्म हुआ है उसे एक दिन मरना है. जिस प्रकार हिन्दू ग्रंथो के अनुसार शव यात्रा में मटकी में जल ले जाने की बात कही है उसी प्रकार जल के महत्व को भी अलग से समझाया गया है. हिन्दू धर्म के शास्त्रों के अनुसार गंगाजल को शुद्धी करने वाला माना गया है. एक मान्यता ये भी है कि अंत समय में मुह में गंगाजल होने से यमदूत नही सताते और जीव के आगे का सफर आसान हो जाता है. इसलिए ये भी कहा जाता है कि मृत्यु के बाद मुह में जल इसलिए भी डाला जाता है कि कोई भी व्यक्ति इस संसार को छोडकर प्यासा नही जाए . दोस्तों आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी कैसी लगी कमेन्ट में जरुर बताएं और अपने दोस्तों परिवार से भी ये जानकारी शेयर करे.
रात को दाह संस्कार नहीं करते हिन्दू, जानें परिक्रमा के बाद क्यों फोड़ते हैं मटकीसभी फोटोज का इस्तेमाल प्रेजेंटेशन के लिए किया गया है।
नई दिल्ली/मुंबई. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी ) ने चिता जलाने के तरीके में बदलाव लाने की बात की है। एक रिट पर सुनवाई के दौरान एनजीटी ने कहा, 'चिता जलाने के वैकल्पिक इंतजाम करने होंगे। इसके लिए सरकार और धार्मिक नेताओं को मिलकर काम करना होगा।’ बता दें कि हिंदू धर्म में दाह संस्कार की परंपरा है। शास्त्रों और पुराणों में भी इसका उल्लेख है। आखिर क्यों किया जाता है दाह संस्कार। जानिए इससे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें..... -हिंदू धर्म में जन्म से मृत्यु तक सोलह संस्कार बताए गए हैं। इनमें आखिरी यानी सोलहवां संस्कार है मृत्यु के बाद होने वाले संस्कार। जिनमें व्यक्ति की अंतिम विदाई, दाह संस्कार के रीति-रिवाज शामिल हैं। - दाह संस्कार से जुड़ा एक और बड़ा नियम है कि व्यक्ति की मृत्यु अगर रात में या शाम ढलने के बाद होती है तो उनका अंतिम संस्कार सुबह सूर्योदय से लेकर शाम सूर्यास्त होने से पहले करना चाहिए। - सूर्यास्त होने के बाद शव का दाह संस्कार करना शास्त्र विरुद्ध माना गया है। इसके पीछे कई कारण हैं। - शास्त्रों का एक मत यह भी है कि सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार करने से मृतक व्यक्ति की आत्मा को परलोक में कष्ट भोगना पड़ता है और अगले जन्म में उसके किसी अंग में दोष हो सकता है। - एक मान्यता यह भी है कि सूर्यास्त के बाद स्वर्ग का द्वार बंद हो जाता है और नर्क का द्वार खुल जाता है। परिक्रमा के बाद क्यों फोड़ दी जाती है मटकी.... अंतिम संस्कार के समय एक छेद वाले घड़े में जल लेकर चिता पर रखे शव की परिक्रमा की जाती है और इसे पीछे की ओर पटककर फोड़ दिया जाता है। इस नियम के पीछे एक दार्शनिक संदेश छुपा है। कहते हैं कि जीवन एक छेद वाले घड़े की तरह है जिसमें आयु रूपी पानी हर पल टपकता रहता है और अंत में सब कुछ छोड़कर जीवात्मा चली जाता है और घड़ा रूपी जीवन समाप्त हो जाता। इस रीति के पीछे मरे हुए व्यक्ति की आत्मा और जीवित व्यक्ति दोनों का एक-दूसरे से मोह भंग करना भी उद्देश्य होता है। आगे की स्लाइड्स में पढ़ें हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार से जुड़ी खास बातें.... शवयात्रा में मटकी में जल क्यों ले जाया जाता है?गरुड पुराण में शव यात्रा के समय जल से भरी मटकी ले जाने के पीछे के कारणों को बताया गया है. गरुड पुराण के अनुसार ऐसा माना जाता है कि मृतक व्यक्ति की आत्मा का उसके शरीर से मोह भंग करने के लिए ही ऐसा किया जाता है. यहाँ मनुष्य के जीवन की तुलना एक जल से भरी मटकी से की गयी है.
शव यात्रा क्या है?हर धर्म के लोगों में मृत्यु के बाद शवयात्रा निकाली जाती है और ये एक पारंपरिक प्रथा है जो सदियों से चली आ रही है। अकाल मृत्यु हो या फिर व्यक्ति अपनी आयु से मृत्यु को प्राप्त हो, शवयात्रा को जरूर निकाली जाती है और कहा जाता है कि इससे आत्मा को शांति मिलती है।
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