लोहे में जंग लगना कौन सा परिवर्तन है - lohe mein jang lagana kaun sa parivartan hai

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लोहे में जंग लगना है केमिकल परिवर्तन है क्योंकि जो इसमें जो जंग बन रही है वह हाइड्रेटेड आयरन ऑक्साइड है तो इसमें एक नई चीज बन रही है हाइड्रेटेड आयरन ऑक्साइड जबकि फिजिकल चेंज में फिजिकल चेंज में उसकी फिजिकल प्रॉपर्टीज चेंज मिला फिजिकली चेंज हो जाता है वह केमिकल ही नहीं चेंज होता यहां पर केमिकल चेंज हो रहा है तो एक केमिकल रिएक्शन

lohe mein jung lagna hai chemical parivartan hai kyonki jo isme jo jung ban rahi hai vaah hydrated iron oxide hai toh isme ek nayi cheez ban rahi hai hydrated iron oxide jabki physical change mein physical change mein uski physical properties change mila physically change ho jata hai vaah chemical hi nahi change hota yahan par chemical change ho raha hai toh ek chemical reaction

जब लोहे पर जंग लगना शुरू होती है तो इसकी सतह पर इसके कारण विद्युत रासायनिक पदार्थ का बनना शुरू हो जाता है।

किसी भी धातु या लोहे आदि पर जंग लगना या संक्षारण एक प्राकृतिक क्रिया या घटना है , संक्षारण के कारण धातु अन्य पदार्थों या यौगिकों जैसे ऑक्साइड या हाइड्रॉक्साइड या सल्फाइड आदि में परिवर्तित हो जाते है।

लोहे पर जंग लगना एक प्रकार का रासायनिक परिवर्तन है। जिसमें आयरन , आयरन ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है।

जब जल की बूंदे लोहे के संपर्क में आती है तो पानी की बूंदों में ऑक्सीजन (O2) और कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) उपस्थित रहती है , यह जल की बुँदे लोहे पर एक परत बना लेती है।

पानी की बूंदों में कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) होने के कारण , पानी की चालकता बढ़ जाती है और पानी जल अपघट्य की तरह व्यवहार करता है।

यहाँ जल अपघट्य कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2)  के साथ क्रिया करके विद्युत अपघट्य की तरह निम्न प्रकार आयनों में टूटता है –

CO2
+ H2O = 2H+  + CO32-

यहाँ लोहे (आयरन) के परमाणु एनोड की तरह कार्य करते है इस प्रकार यह सतह एक छोटे विद्युत रासायनिक सेल की तरह कार्य करने लगता है जिसमें निम्न अभिक्रिया संपन्न होती है –

लोहे के कण + ऑक्सीजन + जल → आयरन ऑक्साइड

Fe + O2 + H2O —> FeO and Fe2O3

 

यहाँ FeO को फेरस ऑक्साइड कहते है और Fe2O3 को फेरिक ऑक्साइड कहते है।

लोहे की जंग को रोकने के उपाय

लोहे पर जंग को रोकने के लिए लोहे की सतहों को चिकना बनाया जाता है जिसके लिए लोहे की सतह पर ग्रीस , तेल , पेंट आदि लगाया जाता है जिससे वायु , जल और लोहे की सतह का सीधा संपर्क नहीं हो पाता है और लोहा कुछ हद तक जंग लगने अर्थात संक्षारण से बचा रहता है।

लोहे में जंग लगना किसका परिवर्तन है?

सही उत्तर रासायनिक परिवर्तन है। जंग लगना एक ऑक्सीकरण अभिक्रिया है।

लोहे में जंग लगना कौन सी अभिक्रिया का उदाहरण है?

लोहे पर जंग लगना एक विद्युत रासायनिक क्रिया है। लोहे पर जंग लगना एक प्रकार का संक्षारण है अर्थात लोहे पर जंग लगने को संक्षारण का एक उदाहरण कहा जा सकता है। संक्षारण : कुछ धातुओं की सतह वायुमंडल और जल आदि के संपर्क में आने के कारण धीरे धीरे अवांछित यौगिकों में परिवर्तित होने लगती है इस क्रिया को संक्षारण कहते है।

लोहे में जंग लगने की क्रिया को क्या कहते हैं?

Detailed Solution. आयरन के साथ ऑक्सीजन और जलवाष्प लौह ऑक्साइड देता है। जिन क्षेत्रों में उच्च आर्द्रता होती है, वहाँ जंग लगने की प्रक्रिया तेजी से होती है क्योंकि हवा में नमी की मात्रा अधिक होती है। ऑक्सीजन और पानी या जलवाष्प की उपस्थिति में जंग लगने की इस प्रक्रिया को रस्टिंग (जंग लगना) कहा जाता है।

रस्टिंग क्या है किस प्रकार का परिवर्तन जंग खा रहा है?

लोहे पर जंग लगना एक प्रकार का रासायनिक परिवर्तन है। जिसमें आयरन , आयरन ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है। जब जल की बूंदे लोहे के संपर्क में आती है तो पानी की बूंदों में ऑक्सीजन (O2) और कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) उपस्थित रहती है , यह जल की बुँदे लोहे पर एक परत बना लेती है।