प्रश्न 91. लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा क्या-क्या प्रयास किये गये हैं ? लिखिए। Show उत्तर-लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा निम्नांकित प्रयास किये गये हैं— (1) बोर्डों एवं निगमों की स्थापना-सरकार ने समय-समय पर विभिन्न बोर्डों एवं निगमों की स्थापना की है; जैसे-अखिल भारतीय कुटीर उद्योग बोर्ड व खादी एवं ग्रामोद्योग मण्डल आदि। (2) भारतीय लघु उद्योग परिषद की स्थापना-इस परिषद् में लघु उद्योग विकास निगम, राष्ट्रीयकृत बैंक, प्रान्तीय वित्त निगम व अन्य वाणिज्य बैंक सदस्य हैं। (3) वित्तीय सहायता-लघु उद्योगों को विभिन्न संस्थाओं द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है तथा राज्य सरकारें भी सरकारी सहायता उद्योग अधिनियम के अन्तर्गत दीर्घकालीन ऋण देती हैं। (4) तकनीकी सहायता-लघु उद्योगों को तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए लघु उद्योग विकास संगठन की स्थापना कर भारतीयों को विदेशों में प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु भेजा जाता है। (5) करों में छुट-लघु उद्योगों को करों में छूट दी जाती है। इनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं पर उत्पादन कर या इस प्रकार के अन्य कर नहीं लगाये जाते हैं। (6) विपणन सुविधाएँ- केन्द्रीय तथा प्रान्तीय सरकारों की सहायता से बड़ी-बड़ी विपणन समितियाँ व संघ भी बनाये गये हैं जो लघु उद्योगों द्वारा निर्मित वस्तुओं का विक्रय करते हैं। (7) लाइसेंस में छूट-लघु उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ वस्तुओं का उत्पादन केवल इस क्षेत्र के लिए सुरक्षित कर दिया गया है। (8) सरकारी खरीददारी में प्राथमिकता- सरकार द्वारा लघु उद्योगों की वस्तुओं को अपने विभागों के उपयोग के लिए प्राथमिकता दी जाती है। (9) प्रदर्शनियों का आयोजन-जनता को लघु उद्योगों की वस्तुओं के बारे में जानकारी देने के लिए स्वयं सरकार द्वारा विभिन्न स्थानों पर समय-समय पर प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है। (10) राष्ट्रीय समता कोष-केन्द्रीय सरकार द्वारा एक कोष स्थापित किया गया है, जिसमें 5 करोड़ रुपये केन्द्र सरकार द्वारा व 5 करोड़ भारतीय औद्योगिक विकास बैंक द्वारा दिये जाते हैं। (11) भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक की स्थापना-इस बैंक की स्थापना भारतीय औद्योगिक विकास बैंक की सहयोगी संस्था के रूप में की गयी है। इसका मुख्य कार्य लघु उद्योगों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है। (12) भुगतान में देरी होने पर ब्याज- इस सम्बन्ध में भारत सरकार द्वारा एक आध्यादेश जारी कर एक व्यवस्था की गई है कि यदि खरीददार लघु औद्योगिक इकाई से खरीदे हुए माल का भुगतान करने में विलम्ब करता है तो उसे ब्याज की अदायगी करनी होती है। (13) लघु उद्यमी क्रेडिट कार्ड योजना- छोटे व्यापारियों, दस्तकारों, उद्यमियों आदि को सहज साख उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वर्ष 2002-03 से यह योजना लागू की गई है। (14) सिले-सिलाए वस्त्रों पर से प्रतिबंध हटाना- इसमें प्रौद्योगिकी उन्नयन, उत्पादकता में वृद्धि, गुणवत्ता के प्रति जागरूकता, उत्पादों में विविधता, निर्यातों में वृद्धि और नवीनतम विपणन सम्बन्धी नीतियों में वृद्धि सहित रोजगार के अवसरों को अधिकतम बढ़ाकर इस क्षेत्र को सहायता प्रदान की जाती है। (15) एकीकृत ढांचागत विकास केन्द्रों की स्थापना- इस योजना के अन्तर्गत एक औद्योगिक परिसर में विकसित स्थान, बिजली, पानी, दूरसंचार, निकासी व्यवस्था जैसी आधारभूत सुविधाओं के साथ-साथ बैंक, कच्चा माल, भण्डारण, विपणन, प्रौद्योगिकी तथा अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई गई हैं। कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा हाल ही में क्या उपाय किए गए हैं?सामाजिक-विज्ञान. उत्तर-लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा निम्नांकित प्रयास किये गये हैं—. (1) बोर्डों एवं निगमों की स्थापना-सरकार ने समय-समय पर विभिन्न बोर्डों एवं निगमों की स्थापना की है; जैसे-अखिल भारतीय कुटीर उद्योग बोर्ड व खादी एवं ग्रामोद्योग मण्डल आदि।. हम कुटीर उद्योगों को कैसे प्रोत्साहित कर सकते हैं?खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए खादी और ग्रामोद्योगों को बढ़ावा देने और विकसित करने में लगा हुआ है जिससे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सके।
लघु एवं कुटीर उद्योगों की समस्या को सुधारने के लिए कितने उपाय हैं?भारत में लघु-उद्योगों के सामने आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के 6 उपाय।
भारत में लघु उद्योगों को सुधारने के लिए सरकार द्वारा क्या प्रयास किए गए थे?लघु उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकारी उपाय
लघु उद्योग विकास कोष (एसआईडीएफ) - लघु उद्योग विकास कोष (एसआईडीएफ) - एसएसआई के विकास, विस्तार, आधुनिकीकरण, पुनर्वास के लिए पुनर्वित्त (अर्थात एसएसआई को उनके उधार के बदले वित्तीय संस्थानों को वित्त) प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया।
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