कितने तीर्थंकर के चिन्ह अजीब है? - kitane teerthankar ke chinh ajeeb hai?

।। चैबीस तीर्थंकर एवं विद्यमान बीस तीर्थंकर ।। प्रश्न 1 - तीर्थंकर किसे कहते हैं? उत्तर - जो धर्म रूपी तीर्थं के कर्ता हैं धर्म रूपी तीर्थ का प्रर्वतन करते हैं वे तीर्थंकर कहलाते हैं। प्रश्न 2 - क्या तीर्थंकर धर्म के संस्थापक होते हैं? उत्तर - कोई भी तीर्थंकर धर्म के संस्थापक नहीं होते हैं अपितु उपदेशक होते हैं। प्रश्न 3 - तीर्थंकर कैसे बनते हैं? उत्तर - केवली एवं श्रुत केवली के पादमूल में मनुष्य सोलह कारण भावनाओं का चिंतवन करके तीर्थंकर प्रकृति का बंध कर लेते हैं वह कर्म उदय में आ जाने से तीर्थंकर बन जाते हैं। प्रश्न 4 - भावना किसे कहते हैं? उत्तर - बार-बार एक प्रकार का चिंतन करने को भावना कहते हैं। प्रश्न 5 - दर्शन विश्ुाद्धि भावना की क्या विशेषता है? उत्तर - उपरोक्त सोलह भावनाओं में दर्शन विशुद्धि भावना का होना अत्यंत आवश्यक है उसके साथ एक, दो या कितनी ही भावना हों या सभी हों तो तीर्थंकर प्रकृति का बंध हो सकता है। यदि दर्शन विशुद्धि भावना नहीं है तो तीर्थंकर प्रकृति का बंध नहीं होगा। प्रश्न 6 - दर्शन विशुद्धि भावना किसे कहते हैं? उत्तर - पच्चीस मल दोषों से रहित विशुद्ध सम्यग्दर्शन का पालन करना दर्शन विशुद्धि भावना है। प्रश्न 7 - विनयसम्पन्नता किसे कहते हैं? उत्तर - देवशास्त्र गुरू रत्नत्रय तथा इनके धारण करने वालों का आगम के अनुसार विनय करना। प्रश्न 8 - शीलव्रतों में अनतिचार भावना क्या है? उत्तर - व्रतों एवं शीलों में अतिचार नहीं लगाना। प्रश्न 9 - अभीक्षण ज्ञानोपयोग भावना क्या है? उत्तर - सदा ज्ञान के अभ्यास में लगे रहना अभीक्षण ज्ञानोपयोग भावना है। jain temple144 प्रश्न 10 - संवेगभावना क्या है? उत्तर - पापों तथा पाप के फल से डरना तथा धर्म एवं धर्म के फल में अनुराग होना संवेग है। प्रश्न 11 - शक्ति, तप भावना को बताइये। उत्तर - अपनी शक्ति के अनुसार शक्ति को न छिपा कर तप करना। प्रश्न 12 - शक्ति त्याग भावना को बताइये। उत्तर - अपनी शक्ति के अनुसार त्याग करना आहार दान आदि देना। प्रश्न 13 - साधु समाधि भावना क्या होती है? उत्तर - साधुओं का उपसर्ग आदि दूर करना या समाधि सहित मरण करना साधु समाधि भावना है। प्रश्न 14 - वैयावृत्यकरण भावना क्या है? उत्तर - वृती त्यागी आदि की सेवा वैयावृत्ति करना। प्रश्न 15 - अर्हंत भक्ति भावना क्या है? उत्तर - अर्हंत भगवान की भक्ति करना अर्हंत भक्ति है। प्रश्न 16 - आचार्य भक्ति किसे कहते हैं? उत्तर - आचार्य की भक्ति करना आचार्य भक्ति है। प्रश्न 17 - बहुश्रुत भक्ति किसे कहते हैं? उत्तर - उपाध्याय परमेष्ठी की भक्ति करने को बहुश्रुत भक्ति कहते हैं। प्रश्न 18 - प्रवचन भक्ति किसे कहते हैं? उत्तर - जिनवाणी की भक्ति करना प्रवचन भक्ति है। प्रश्न 19 - आवश्यकापरिहाणि भावना क्या है? उत्तर - छः आवश्यक क्रियाओं को सावधानी से पालना आवश्यकापरिहाणि है। प्रश्न 20 - मार्ग प्रभावना किसे कहते हैं? उत्तर - जैन धर्म के प्रभाव को लोक में प्रसारित करना। प्रश्न 21 - प्रवचन वत्सलत्व भावना क्या है? उत्तर - साधर्मीजनों में आगाध प्रेम करना। प्रश्न 22 - तीर्थंकर कितने प्रकार के होते हैं? उत्तर - तीर्थंकरों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है- 1 भरत ऐरावत क्षेत्र में होने वाले तीर्थंकर, 2 विदेह क्षेत्र में होने वाले तीर्थंकर। प्रश्न 23 - भरत ऐरावत में होने वाले तथा विदेह क्षेत्रों में होने वाले तीर्थंकरों में क्या अंतर है? उत्तर - निम्न अंतर है- अ भरत ऐरावत क्षेत्र में होने वाले तीर्थंकरों के पूरे पांच कल्याणक होते हैं। विदेह क्षेत्र में होने वाले तीर्थंकरों के पांच, तीन और दो कल्याणक होते हैं। ब विदेह क्षेत्र में चतुर्थकाल विद्यमान रहने से यहां तीर्थंकरों का अभाव नहीं होता है। भरत, ऐरावत क्षेत्र में कर्मकाल में ही तीर्थंकर होते हैं। प्रश्न 24 - भगवान तीर्थंकर की माता सोलह स्वप्न क्यों देखती हैं? उत्तर - भगवान पूर्व भव में सोलह कारण भावनाओं को भा कर चिंतवन कर, तीर्थंकर प्रकृति का बंध करते हैं। प्रश्न 25 - सोलह स्वप्नों के नाम बताइये। उत्तर - 1 ऐरावत हाथी, 2 श्वेत उत्तम बैल, 3 सिंह, 4 माला युगल, 5 लक्ष्मी, 6 चन्द्रमा, 7 सूर्य, 8 कलश युगल 9 मीन युगल, 10 सरोवर, 11 समुद्र 12 सिंहासन 13 देवों का विमान, 14 नागेन्द्र 15 रत्न राशि एवं 16 धूम रहित अग्नि। प्रश्न 26 - तीर्थंकर की माता सोलह स्वप्न कब देखती है? उत्तर - पिछली रात्रि के पिछले पहर में, जब तीर्थंकर माता के गर्भ में आते हैं तब। प्रश्न 27 - स्वनों के फलों के उत्तर कौन देता है? उत्तर - स्वप्नों के फलों के उत्तर भगवान के पिता देते हैं। प्रश्न 28 - भगवान के गर्भ में आने के पूर्व में क्या होता है? उत्तर - छः महीने पहले माता के आंगन में प्रतिदिन साड़े बारह करोड़ रत्नों की वर्षा होती है। प्रश्न 29 - पहले स्वप्न में माता ने ऐरावत हाथी देखा राजा ने उसके क्या फल बताया। उत्तर - हे देवी! आपको उत्तम पुत्र की प्राप्ति होगी। प्रश्न 30 - दूसरे स्वप्न में उत्तम श्वेत बैल देखने का क्या फल है? उत्तर - आपका पुत्र संसार में सबसे बड़ा होगा महान होगा। jain temple145 प्रश्न 31 - तीसरे स्वप्न में सिंह देखने का क्या फल है? उत्तर - अपका पुत्र अनंत बल से युक्त होगा। प्रश्न 32 - चैथे स्वप्न में माला युगल देखने का क्या फल है? उत्तर - आपका पुत्र समीचीन धर्म का उपदेशक होगा। प्रश्न 33 - पांचवे स्वप्न में लक्ष्मी देखने का क्या फल है? उत्तर - आपके पुत्र का जन्म के समय मेरू पर्वत पर द्रेवों के द्वारा श्रीर समुद्र के जल से 1008 कलशों से अभिषेक होगा। प्रश्न 34 - छठे स्वप्न में चन्द्रमा देखने का राजा ने क्या फल बताया? उत्तर - हे देवी! चन्द्रमा देखने से आपका पुत्र समस्त जगत को आनन्द देने वाला होगा। प्रश्न 35 - सातवें स्वप्न में सूर्य देखने का क्या फल बताया। उत्तर - आपका पुत्र दैदीप्यमान प्रभा का धारक होगा। प्रश्न 36 - आठवें स्वप्न में कलश युगल देखने का क्या फल है? उत्तर - आपका पुत्र अनेक निधियों का स्वामी होगा। प्रश्न 37 - नौ वां स्वप्न मीन युगल देखने से क्या फल हैं? उत्तर - मीन युगल से आपका पुत्र परम सुखी होगा। प्रश्न 38 - दशवां स्वप्न, सरोवर देखने का राजा ने क्या फल बताया? उत्तर - सरोवर देखने से आपके पुत्र के शरीर में 1008 लक्षण, व्यंजन शोभित होंगे। प्रश्न 39 - ग्यारहवां स्वप्न समुद्र देखने का क्या फल है? उत्तर - समुद्र देखने से वह पुत्र केवलज्ञान रूपी जलधि से युक्त होगा। प्रश्न 40 - रानी के बारहवें स्वप्न में सिंहासन देखने का क्या फल है? उत्तर - सिंहासन देखने से आपका पुत्र जगत गुरू एवं विपुल साम्राज्य का नायक होगा। प्रश्न 41 - रानी के तेरहवें स्वप्न देवों का विमान देखने का क्या फल है? उत्तर - देवों का विमान देखने से वह स्वर्ग से अवतीर्ण होगा। jain temple146 प्रश्न 42 - रानी के चैदहवें स्वप्न नागेन्द्र भवन देखने का क्या फल है? उत्तर - नागेन्द्र भवन देखने से आपका पुत्र जन्म से ही मतिश्रुत अवधिज्ञान का धारी होगा। प्रश्न 43 - पन्द्रहवें स्वप्न रत्न राशि देखने का क्या फल है? उत्तर - आपका पुत्र गुणों की खान होगा। प्रश्न 44 - भगवान की माता के सोलहवें स्वप्न धूम रहित अग्नि देखने का क्या फल है? उत्तर - आपका पुत्र मोक्ष को प्राप्त करने वाला होगा। प्रश्न 45 - माता की सेवा करने वाली 6 देवियां कौन-कौन सी हैं? उत्तर - श्री ह्मी धृति, कीर्ति, बुद्धि लक्ष्मी ये 6 देवियां भगवान के गर्भ जन्म कल्याणक में माता की सेवा करती हैं। प्रश्न 46 - ये देवीयां कहा रहती हैं? उत्तर - ये देवियां ढाई द्वीप में मेरू के उत्तर दक्षिण में स्थित पूर्व से पश्चिम तक फैले हुए षट् कुलाचालों, हिमवान, महा हिमवान, निषध, नील रूकमी और शिखरी पर्वतों पर प्रत्येक के मध्य में स्थित, सरोवरों पद्य महापद्म तिंगिच्छ केसरी महापुंडरीक पुंडरीक सरोवरों पर बने कमलों पर निवास करती हैं। प्रश्न 47 - भगवान की माता की सेवा करने वाली दिक् कन्यायें कितनी हैं? उत्तर - भगवान की माता की सेवा करने वाली दिक् कन्यायें चवालिस हैं। प्रश्न 48 - ये दिक्कन्यायें कहां रहती है? उत्तर - ये दिक्कन्यायें तेरहवें रूचकवर द्वीप में एवं दक्षिण पश्चिम एवं उत्तर दिशाओं में बने हुए चवालिस कूटों पर रहती हैं। प्रश्न 49 - रूचक गिरि पर्वत पर बने हुए पूर्व दिशा के आठ कुटों पर कौन-कौन सी दिक्कन्यायें रहती हैं। उत्तर - इन कूटों पर रहने वाली दिक्कन्याओं के नाम हैं- 1 विजया, 2 विजयंता , 3 जयंता , 4 अपराजिता , 5 नंदा , 6 नंदवती, 7 नंदोत्तरा एवं 8 नंदीषेणा। प्रश्न 50 - ये दिक् कन्यायें जन्म कल्याण में क्या कार्य करती हैं? उत्तर - ये दिक् कन्यायें जिन जन्म कल्याणक में झारी को धारण करती हैं। प्रश्न 51 - रूचकवर पर्वत पर दक्षिण के आठ कूटों पर रहने वाली दिक् कनयाओं के नाम बताइये। उत्तर - इन कूटों पर रहने वाली दिक् कन्याओं के नाम इस प्रकार हैं- 1 इच्छा देवी , 2 समाहारादेवी , 3 सुप्रकीर्णादेवी , 4 यशोधरा देवी , 5 लक्ष्मी देवी , 6 शेषवती देवी, चित्रगुप्ता देवी एवं 8 वसुंधरा देवी। प्रश्न 52 - जिन जन्म कल्याणक में ये देवियां क्या करती हैं? उत्तर - ये अष्ट दिक् कन्यायें जिन जन्म कल्याण्क में दर्पण को धारण करती हैं। प्रश्न 53 - रूचकवर पर्वत के पश्चिम आठों कूटों की दिक्कन्याओं के नाम बताइये। उत्तर - 1- इलादेवी , 2- सुरादेवी , 3- पृथ्वीदेवी , 4- पद्मादेवी , 5- इकनावासादेवी , 6- नवमीदेवी , 7- सीतादेवी एवं 8- भद्रादेवी। प्रश्न 54 - उपरोक्त देवियां जिन जन्म कल्याणक में क्या कार्य करती हैं? उत्तर - ये उपरोक्त देवियां जिन माता के ऊपर छत्र लगाती हैं। प्रश्न 55 - रूचकवर पर्वत के ऊपर उत्तर के आठों कूटों पर रहने वाली दिक्कन्याओं के नाम बताइये। उत्तर - 1 अलंभूषा देवी , 2 मिश्रिकेशि , 3 पुंडरीकणी देवी , 4 वारूणी देवी , 5 आशा देवी , 6 सत्या देवी , 7 श्री देवी , 8 अतिरूपणि देवी। jain temple147 प्रश्न 56 - ये देवियां जिन जन्म कल्याणक में क्या कार्य करती हैं? उत्तर - ये दिक् कन्यायें जिन माता के ऊपर चंवर ढुराने का कार्य करती हैं? प्रश्न 57 - रूचकवर पर्वत के चार महाकूटों की दिक्कन्याओं के नाम बताइये। उत्तर - 1 सौदामिनी देवी , 2 कनका देवी , 3 शतपदा देवी , 4 कनक सुचित्रा। प्रश्न 58 - ये चारों दिक्देवियां जिन जन्म कल्याणक में क्या काम करती हैं? उत्तर - ये देवियां जिन जन्म कल्याणक में दश दिशाओं को निर्मल करती हैं। प्रश्न 59 - रूचकगिरि के चार अभ्यंतर कूटों पर कौन-सी देवियां रहती हैं? उत्तर - रूचकगिरि के चारों कूटों पर 1 रूचिका , 2 रूचक कीति , 3 रूचककांता , 4 रूचकप्रभा नाम की देवियां रहती हैं। प्रश्न 60 - ये देवियां जिन कल्याण में कौन-सा कार्य करती हैं? उत्तर - ये देवियां भगवान के जन्म कल्याणक में भक्तिपूर्वक जात कर्म करती हैं। प्रश्न 61 - कल्याणक किसे कहते हैं? उत्तर - भगवान के जिन उत्सवों को देवगण मनाते हैं उन्हें कल्याणक कहते हैं। प्रश्न 62 - कल्याणक कितने होते हैं? उत्तर - कल्याणक पांच होते हैं प्रश्न 63 - पांच कल्याणकों के नाम बताइये। उत्तर - 1 गर्भ कल्याणक , 2 जन्म कल्याणक , 3 तप कल्याणक , 4 केवलज्ञान कल्याणक एवं , 5 मोक्ष कल्याणक। प्रश्न 64 - दीक्षा कल्याणक का दूसरा नाम क्या है? उत्तर - दीक्षा कल्याणक को तप कल्याणक तथा निःक्रमण कल्याणक भी कहते हैं। प्रश्न 65 - मोक्ष कल्याणक का दूसरा नाम क्या है? उत्तर - मोक्ष कल्याणक का दूसरा नमा निर्वाण कल्याणक है। प्रश्न 66 - जन्म से ही भगवान कितने ज्ञान के धारक होते हैं? उत्तर - जन्म से ही भगवान मति, श्रुत, अवधि तीन ज्ञान के धारक होते हैं। प्रश्न 67 - भगवान का गर्भ कल्याणक कैसे मनाया जाता है? उत्तर - तीर्थंकर प्रकृति का बंध करने वाला जीव जब माता के गर्भ में आता है तब छः महीने पहले से इन्द्र की आज्ञा से कुबरे नगरी को सजाते हैं तथा प्रतिदिन माता के आंगन में रत्नों की वर्षा करते हैं। भगवान की माता पिछली रात्रि में 16 स्वप्न देखती हैं अपने पति से स्वप्नों के फल का उत्तर सुनकर रोमांचित हो जाती हैं। भगवान को गर्भ में आया जानकर, श्री आदि देवियां तथा चवालिस दिक्कन्यायें भगवान की माता की सेवा करती हैं मनोरंजन करती है माता से गूढ़ प्रश्न पूछती हैं तथा गर्भ में भगवान के प्रभाव से उन प्रश्नों का उत्तर माता देती हैं। प्रश्न 68 - जन्म कल्याणक कैसे मनाया जाता है? उत्तर - भगवान के जन्म के समय चतुर्निकय के देवों के यहां बिना बजाये घंटे, घडि़याल, शंख आदि बजने लगते हैं, उनके मुकुट अपने आप झुक जाते हैं। इन्द्रासन कम्पायमान होता है, कल्पवृक्षों से पुष्पों की वर्षा होने लगती हैं। अवधि ज्ञान से जन्म को जानकर, सौधर्म इन्द्र सपरिवार असंख्यातों देव-देवियों सहित ऐरावत हाथी पर चढ़कर नगर की तीन प्रदक्षिणा देते हैं। शची प्रसूति ग्रह से भगवान को लाकर इन्द्र को देती है। माता के पास मायामयी बालक को छोड़ देती है। इन्द्र भगवान को लेकर मेरू पर्वत की पांडुक शिला पर विराजमान करते हैं। वहां पर इन्द्र सभी परिवार सहित 1008 कलशों से भगवान का क्षीर समुद्र के जल से अभिषेक करते हैं। प्रश्न 69 - क्षीर समुद्र कौन-सा समुद्र हैं? उत्तर - क्षीर समुद्र लवण समुद्र से पांचवां समुद्र हैं। प्रश्न 70 - भगवान के न्हवन का कलश कितना बड़ा होता है? उत्तर - भगवान के न्हवन का कलश आठ योजन गहरा चार योजन चैड़ा एवं एक योजन विस्तृत मुख वाला होता है। प्रश्न 71 - ऐरावत हाथी कैसा होता है? उत्तर - आभियोग जाति के देव विक्रिया से ऐरावत हाथी का रूप बनाते हैं। ऐरावत हाथी का रूप एक लाख योजन विस्तरित हो जाता है इसके दिव्य मालाओं से युक्त बत्तीस मुख होते हैं एक-एक मुख में रत्नों से निर्मित 4-4 दांत होते हैं एक-एक दांत पर एक-एक सरोवर एवं सरोवर में कमल बना होता है। एक-एक कमल खंड में 32 महापद्म होते हैं जो एक-एक योजन के होते हैं इन एक-एक महाकमलों पर एक-एक नाट्यशाला होती हैं एक-एन नाट्यशाला में 32-32 अप्सराये नृत्य करती हैं। प्रश्न 72 - कौन सा देव ऐरावत हाथी बनता हैं? उत्तर - इन्द्र की आज्ञा से आभियोग जाति का बालक नाम का देव विक्रिया से ऐरावत हाथी बनता है। प्रश्न 73 - पांडुक शिला कहां पर हैं? उत्तर - प्रत्ये कमेरू के पांडुक वन की विदिशाओं में अर्धचंद्राकार शिलायें हैं उन्हें सामान्य से पांडुक शिला कहते हैं वैसे उनके अलग-अलग नाम हैं। ये ऐशानदिशा के क्रम से 1 - पांडुकशिला, 2 - पांडुकम्बला, 3 - रक्तशिला और, 4 - रक्तकम्बला प्रश्न 74 - पांडुकशिला का कितना विस्तार है? उत्तर - वह पवित्र पांडुकशिला सौ योजन लम्बी, पचास योजन चैड़ी एवं आठ योजन ऊंची है। प्रश्न 75 - तीर्थंकरों के अभिषेक का क्रम बताइये कौन-कौन से तीर्थंकर का अभिषेक कहां-कहां होता है? उत्तर - पाण्डुकशिला पर भरत क्षेत्र में जन्म लेने वाले तीर्थंकरों का, पाण्डुकम्बला शिला पर पश्चिम विदेह के तीर्थंकरों का एवं रक्त कम्बला शिला पर पूर्व विदेह क्षेत्र के तीर्थंकरों का अभिषेक होता है। प्रश्न 76 - पाण्डुकादि शिलायें कितनी होती हैं? उत्तर - पाण्डुकादि शिलायें बीस होती हैं। एक मेरू पर चार होती हैं। प्रश्न 77 - क्या सभी मनुष्यों के कल्याणक होते हैं? उत्तर - सभी मनुष्यों के कल्याणक नहीं होते हैं। जिन जीवों ने तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया है वे ही उदय आने पर तीर्थंकर होते हैं। प्रश्न 78 - क्या सभी तीर्थंकरों के पंचकल्याणक होते हैं? उत्तर - सभी तीर्थंकरों के पंचकल्याणक नहीं होते हैं दो तीन भी होते हैं। प्रश्न 79 - पांच कल्याणक कौन-कौन से तीर्थंकरों के होते हैं? उत्तर - पांच भरत एवं पांच ऐरावत दश क्षेत्रों में जन्म लेने वाले तीर्थंकरों के पांच कल्याणक होते हैं। प्रश्न 80 - दो तीन चार कल्याणक कौन-से तीर्थंकरों के होते हैं? उत्तर - एक सौ साठ विदेह क्षेत्रों में जन्म लेने वाले तीर्थंकरों के दो, तीन, चार एव पांच कल्याणक भी होते हैं। प्रश्न 81 - विदेह क्षेत्र के तीर्थंकरों से तीन कल्याणक कैसे होते हैं? उत्तर - विदेह क्षेत्र में सदा चतुर्थकाल प्रवर्तमान रहता है केवली श्रुत केवली के पाद मूल में जो मनुष्य सोलह कारण भावनाओं का चिंतवन करते हैं, उसी भव में तीर्थंकर प्रकृति का उदय आ जानेपर उनका, गर्भ एवं जन्म कल्याणक नहीं होता शेष दीक्षा, ज्ञान एवं निर्वाण कल्याणक होते हैं। प्रश्न 82 - विदेह क्षेत्र के तीर्थंकरों के दो कल्याणक कैसे होते हैं? उत्तर - जब विदेह क्षेत्र में कोई मुनिराज सोलह कारण भावनाओं का चिंतवन करते हैं, उसी भव में उदय आ जाने से उनका गर्भ, जन्म, दीक्षा कल्याणक नहीं मनाया जा सकता है। उनके ज्ञान व मोक्ष कल्याणक मनाये जाते हैं। प्रश्न 83 - दीक्षा कल्याणक कैसे मनाया जाता है। उत्तर - जब भगवान को किसी निमित्त से वैराग्य होता है तब लौकान्तिक देव आकर भगवान की वैराग्य भावना तथा भगवान की स्तुति करते हैं देवों द्वारा लाई हुई पालकी में बैठकर वन में पहुंचते हैं। रत्नशिला पर पूर्व या उत्तर मुख से बैठकर ऊँ नमः सिद्धेभ्यः मंत्र का उच्चारण कर पंचमुष्ठी केश लौंच करते हैं तथा नग्न दिगम्बर दीक्षा लेकर ध्यान में लीन हो जाते हैं। उसी समय उन्हें मनः पर्यय चैथा ज्ञान प्रकट हो जाता है। इन्द्र उनके केशों को रत्नपिटारे में रखकर क्षीर समुद्र में क्षेपण करते हैं। भगवान जन्म से मति श्रुत अवधि तीन ज्ञान के धारक होते हैं। प्रश्न 84 - क्षीर समुद्र का जल कैसा होता है? उत्तर - क्षीर समुद्र का जल जीव रहित दूध के समान सफेद धवल होता है। इसीलिए इसे क्षीर समुद्र कहते हैं। प्रश्न 85 - केवलज्ञान कल्याणक कैसे मनाया जाता है? उत्तर - जब भगवान, शुक्ल ध्यान के द्वारा धातिया कर्मों का नाश कर देते हैं तो लोकालोक को प्रकाशित करने वाला उन्हें केवलज्ञान प्रकट होता है। भगवान बीस हजार हाथ ऊपर जाकर, कुबेर द्वारा अर्धनिमिष मात्र में बनाये गये समवस्रण के मध्य गंधकुटी के कमलासन के ऊपर अधर विराजमान हो जाते हैं। समवसरण में सात भूमियों के बाद आठवीं श्री मंडप नाम की सभा भूमि में बारह सभायें लगती हैं। भगवान का एक मुख होते हुए भी चारों दिशाओं में मुख दिखते हैं, देव, देवियां, मनुष्य तिर्यंच वहां भगवान का उपदेश सुनते हैं। यद्यपि भगवान का उपदेश अर्धमगधीभाषा में होता है फिर भी सभी को अपनी अपनी भाषा में समझ में आ जाता है। प्रश्न 86 - भगवान की वाणी किस प्रकार खिरती है? उत्तर - भगवान की वाणी ऊँकार रूप में मेघगर्जन के समान खिरती है। प्रश्न 87 - प्रमुख श्रोता कौन होते हैं? उत्तर - प्रमुख चक्रवर्ती या सम्राट, भगवान के प्रमुख श्रोता होते हैं। प्रश्न 88 - भगवान की वाणी किसके बिना नहीं खिर सकती हैं? उत्तर - भगवान की वाणी गणधर के बिना नहीं खिर सकती है। प्रश्न 89 - प्रत्येक तीर्थंकर के कितने गणधर होते हैं? उत्तर - प्रत्येक तीर्थंकर के अनेक गणधर होते हैं। प्रश्न 90 - सबसे बड़े समवसरण का विस्तार कितना होता है? उत्तर - सबसे बड़े समवसरण का विस्तार 12 योजन होता है। प्रश्न 91 - सबसे छोटे समवसरण का विस्तार कितना होता है? उत्तर - सबसे छोटा समवसरण 1 योजन का होता है। प्रश्न 92 - समवसरण किसे कहते हैं? उत्तर - तीर्थंकर की धर्मसभा के स्थान को समवसरण कहते हैं। समवसरण का शाब्दिक भाव है, जो स्थान संसार के समस्त जीवों को शरण देने में समर्थ है वह समवसरण कहलाता है। प्रश्न 93 - समवसरण में स्थित भगवान का दर्शन कौन करते हैं? उत्तर - समवसरण में स्थित भगवान का दर्शन केवल सम्यग्दृष्टि जीव ही करते हैं। मिथ्यादृष्टियों की भावना ही नहीं होती है। कुछ मिथ्यादृष्टि जीव मानस्तम्भ तक पहुंचकर सम्यग्दृष्टि बन जाते हैं। प्रश्न 94 - समवसरण में कितनी सीडि़यां होती हैं? उत्तर - समवसरण में बीस हजार सीडि़यां होती हैं। प्रश्न 95 - मसवसरण की प्रत्येक सीड़ी की ऊंचाई कितनी होती है? उत्तर - समवसरण की प्रत्येक सीड़ी की ऊंचाई 1 हाथ होती है। प्रश्न 96 - समवसरण में कौन-सी गति के जीव जाकर धर्मामृत का पान करते हैं? उत्तर - नारकियों को छोड़कर शेष मनुष्य तिर्यंच, देव सभी भगवान की दिव्य ध्वनि का पान करते हैं। प्रश्न 97 - कितनी इन्द्रियों के धारक जीव समवसरण में भगवान की दिव्य ध्वनि सुनते हैं। उत्तर - केवल संज्ञी पंचेन्द्रिय जीव। प्रश्न 98 - समवसरण की आठ भूमियों के नाम क्रम से बताइये। उत्तर - 1- चैत्य प्रासाद भूमि, 2- खाातिक भूमि, 3- लता भूमि, 4- उपवन भूमि, 5- ध्वज भूमि, 6- कल्पवृक्ष भूमि, 7- भवन भूमि एवं, 8- श्री मंडप भूमि। प्रश्न 99 - चैत्यप्रसाद भूमि कैसी है? उत्तर - चैत्य प्रासाद भूमि में एक-एक जिनमन्दिर के अंतराल के पांच देव प्रासाद रहते हैं ये तीर्थंकरों से 12 गुने ऊंचे होते हैं। चारों दिशाओं में एक-एक मानस्तम्भ एक-एक बाबड़ी होती है। इसमें पृथक-पृथक गलियों में दो-दो नाट्यशालायें होती हैं। प्रत्येक नाट्यशाला में 32-32 रंगभूमियां होती हैं। प्रत्येक रंग भूमि में 32-32 देवियां। नृत्य करती हुईं तीर्थंकरों का गुणगान करती हैं। प्रत्येक नाट्यशाला में दो-दो धूप घट रहते हैं। jain temple148 प्रश्न 100 - खातिका भूमि कैसी होती हैं? उत्तर - ये खातिका भूमि एक प्रकार की खाई होती है जो अपने तीर्थंकर की ऊंचाई के चतुर्थ भाग होती हैं। प्रश्न 101 - तीसरी लता भूमि कैसी होती है? उत्तर - ये एक प्रकार का लता वन है इसमें लताएं रहती हैं। प्रश्न 102 - चैथी उपवन भूमि की रचना किस प्रकार की है? उत्तर - चैथी उपवन भूमि में पूर्वदिदिशा के क्रम से, अशोक, सप्तच्छद चंपक एवं आम्रवन हैं। इनके बीचों-बीचों एक-एक चैत्य वृक्ष जिसके मूलभाग में चारों दिशाओं में जिन प्रतिमायें विराजमान हैं। इस उपवन भूमि की बाबडि़यों में लोग अपने सात भव देख लेते हैं। इस वन भूमि की गलियों के दोनों पाश्र्व भागों में दो-दो नाट्यशालयें हैं इस वन भूमि को घेरे हुए वेदी पर यक्षेन्द्र देव पहरा देते हैं। प्रश्न 103 - समवसरण की पांचवी भूमि की रचना बताइये। उत्तर - पांचवतीं भूमि में, सिंह, गज, वृषभ, गरूड़, मयूर, चन्द्र, सूर्य, हंस, कमल और चक्र दशचिन्हों से युक्त प्रत्येक चिन्ह की प्रत्येक दिशा में 108-108 ध्वजायें होती है इनमें भी प्रत्येक ध्वजा की 108-108 परिवार ध्वजायें रहती हैं इसको घेरकर चांदी के परकोटे पर द्वार रक्षक देव भवनवासी देव हैं। प्रश्न 104 - समवसरण की छठी भूमि की रचना किस प्रकार की है? उत्तर - समवसरण की छठी भूमि का नाम कल्पवृक्ष भूमि है इसमें 10 प्रकार के कल्पवृक्ष रहते हैं। ये सब नाम के अनुसार ही फल-वस्तुएं प्रदान करते हैं। इस भूमि में पूर्वादि दिशा के क्रम से नमेरू मंदार, संतानक तथा पारिजात ये चार सिद्धार्थ वृक्ष होते हैं इनमें चारो तरफ चार सिद्ध प्रतिमायें विराजमान रहती हैं। प्रश्न 105 - दश प्रकर के कल्पवृक्ष कौन-कौन से हैं? उत्तर - दश प्रकार के कल्पवृक्षों के नाम इस प्रकार हैं- 1- पानांग, 2- तूर्यांग, 3- भूषणांग, 4- वस्त्रांग, 5- भोजनांग, 6- आलयांग, 7- दीपांग , 8- भाजनांग , 9- मालांग एव, 10 तेजांग प्रश्न 106 - पानांग जाति के कल्पवृक्ष क्या फल प्रदान करते हैं? उत्तर - पानांग जाति के कल्पवृक्ष मधुर सुस्वाद छहों रसों युक्त पुष्टि कारक बत्तीस प्रकार के पेय पदार्थों को प्रदान करते हैं। प्रश्न 107 - तूर्यांग जाति के कल्पवृक्ष क्या फल प्रदान करते हैं? उत्तर - तूर्यांग जाति के कल्पवृक्ष उत्तरम बाजा, पट्, पहट, मृदंग आदि वादि यंत्रों को प्रदान करते हैं। प्रश्न 108 - भूषणांग जाति के कल्पवृक्षाों का कार्य बताइये। उत्तर - भूषणांग जाति के कल्पवृक्ष- कंकण, कटि सूत्र हार, माला मुद्रिका आदि भूषणों को प्रदान करते हैं। प्रश्न 109 - वस्त्रांग जाति के कल्पवृक्ष जीवों को क्या प्रदान करते हैं? उत्तर - वस्त्रांग जाति के कल्पवृक्ष, चीनपट्टु, क्षौमादि वस्त्रों को प्रदान करते हैं। प्रश्न 110 - भोजनांग जाति के कल्पवृक्षों का कार्य बताइये। उत्तर - भोजनांग जाति के कल्पवृक्ष सोलह प्रकार के आहार, सोलह प्रकार के व्यंजन, चैदह प्रकार की दालें, एक सौ साठ प्रकार के खाद्य पदार्थ, 363 प्रकार के स्वाद्य पदार्थ, एवं त्रेषठ प्रकार के रसों को देते हैं। प्रश्न 111 - आलयांग जाति के कल्पवृक्ष कार्य करते हैं? उत्तर - आलयांग कल्पवृक्ष, स्वास्तिक नंद्यावर्त आदि सोलह प्रकार के दिव्य भवनों को प्रदान करते हैं। प्रश्न 112 - दीपांग जाति के कल्पवृक्षों का कार्य बताइये। उत्तर - दीपांग जाति के कल्पवृक्ष शाखा, प्रवाल, फल, फूल और अंकुर आदि के द्वारा जलते हुए दीपकों के समान प्रकाश को प्रदान करते हैं। प्रश्न 113 - भाजनांग जाति के कल्पवृक्षों का कार्य बताइये। उत्तर - भाजनांग जाति के कल्पवृक्ष स्वर्ण आदि से निर्मित झारी कलश, गागर, चामर, और आसनादि देते हैं। प्रश्न 114 - मालांग कल्पवृक्ष क्या प्रदान करते हैं? उत्तर - मालांग जाति के कल्पवृक्ष, बेले, तरू, गुच्छ और लताओं से उत्पन्न हुए सोलह हजार रूप पुष्पों की मालाओं को प्रदान करते हैं। प्रश्न 115 - तेजांग जाति के कल्पवृक्षों का कार्य बताइये। उत्तर - ज्योतिरंग (तेजरांग) जाति के कल्पवृक्ष मध्य दिन के करोड़ों सूर्यों की किरणों के समान होते हुए सूर्य चन्द्र की रोशनी को फीका करते हैं। प्रश्न 116 - समवसरण की सातवीं भूमि की रचना कैसी हैं? उत्तर - सावतीं भूमि का नाम भवन भूमि हैं। यहां बने हुए भवनों में जिन प्रतिमायें विराजमान हैं तथा जिनाभिषेक होता रहता है। देव देवियां नृत्य संगीत से भक्ति करते रहते है। इसके दोनों पाश्र्वभागों की प्रत्येक गली के मध्य में नौ-नौ स्तूप हैं। जिनमें अर्हंत तथा सिद्धों की प्रतिमायें विराजमान हैं। इसके आगे स्फटिक कोट है जिसके द्वारों के रक्षक देव कल्पवासी देव हैं। प्रश्न 117 - आठवीं भूमि का नाम तथा रचना बताइये। उत्तर - आठवीं भूमि का नाम श्री मंडप भूमि है। इसके बीच-बीच में सोलह स्फटिक मणी की दीवालें हैं चार-चार गलियों के बाद दीवालों के मध्य में तीन कोठे अपने तीर्थंकर की ऊंचाई के बारह गुने ऊंचे बने हुए हैं। इन्हीं कोठों में बारह सभायें लगती हैं। भव्य जीव यहां भगवान का उपदेश ग्रहण करते हैं। jain temple149 प्रश्न 118 - समवसरण में कितनी सभायें होती हैं? उत्तर - समवसरण मंे बारह सभायें होती हैं। प्रश्न 119 - भगवान की पहली सभा में कौन जीव रहते हैं? उत्तर - भगवान की पहली सभा पूर्व दिशा में रहती है। इसमें सर्व प्रथम गणधर और मुनिगण रहते हैं। प्रश्न 120 - भगवान की दूसरी सभा में कौन-से जीव रहते हैं? उत्तर - भगवान की दूसरी सभा आग्नेय दिशा में होती है। यहां दूसरे कोठे में कल्पवासी देवियां भगवान का उपदेश ग्रहण करती हैं। प्रश्न 121 - तीसरा कोठा में कौन-से जीव रहते हैं? उत्तर - तीसरा कोठ दक्षिण में होता है तथा इसमें आर्यिकायें एवं श्राविकायें होती हैं। प्रश्न 122 - समोशरण के चैथे कौन से जीव धर्म श्रवण करते हैं। उत्तर - भगवान के समवसरण के चैथे कोठे में ज्योतिषी चन्द्र सूर्य आदि की देवियां धर्म श्रवण करती हैं। प्रश्न 123 - समवसरण के पांचवें कोठे में कौन-से जीव रहते हैं? उत्तर - पांचवे कोठे में व्यंतर देवों की देवियां रहती हैं। प्रश्न 124 - समवसरण के छठे कोठे में क्या हैं? उत्तर - समवसरण के छठे कोठे में भवनवासी देवों की देवियां धर्म श्रवण करती हैं? प्रश्न 125 - समवसरण के सातवें कोठे में कौन-से जीव बैठते हैं? उत्तर - समवसरण के सातवें कोठे में भवनवसी देव बैठते हैं। प्रश्न 126 - समवसरण के आठवे कोठे में कौन-से जीव है। उत्तर - समवसरा के आठवे कोठे में व्यंतरवासी देव रहते हैं। प्रश्न 127 - समवसरण का नौवां कोठा कौन-से जीवों से भरा रहता है? उत्तर - नौवों कोठे में ज्योतिषी देव रहते हैं। jain temple150 प्रश्न 128 - समवसरण के दसवें कोठे में क्या है? उत्तर - दशवें कोठे में कल्पवासी देव हैं। प्रश्न 129 - समवसरण के ग्यारहवें कोठे में क्या है? उत्तर - समवसरण के ग्यारहवें कोठे में चक्रवर्ती एवं मनुष्य होते हैं। प्रश्न 130 - समवसरण के बारहवें कोठे की स्थिति बताइये। उत्तर - समवसरण के बारहवें कोठे में संज्ञी पंचेन्दी्रय तिर्यंच जीव-हाथी, सिंह, व्याघ्र, हिरन आदि पशुगण बैठते हैं। प्रश्न 131 - बारह सभाओं से आगे क्या होता है? उत्तर - बारह सभाओं के अभ्यंतर निर्मल स्टफटिक की वेदी है इसके आगे पहली कटनी वैडूर्यमणी की है उस पर चढ़ने के लिए चार गली बारह कोठों के स्थान पर सोलह-सोलह सीडि़यां हैं इसके चारों दिशाओं में यक्षेन्द्र अपने मस्तक पर धर्मचक्र धारण किये हुए खड़े रहते हैं। प्रश्न 132 - समवसरण में दूसरी कटनी पर क्या है? उत्तर - दूसरी स्वर्ण कटनी पर सिंह, बैल, कमल, चक्र, माला, गरूड़, वस्त्र और हाथी इन आठ चिन्हों से युक्त ध्वजायें तथा धूपघट नव निधियां पूजन द्रव्य और मंगल द्रव्य रखे हुए हैं। प्रश्न 133 - तीसरी कटनी पर क्या है? उत्तर - तीसरी कटनी सूर्य मंडल के समान गोल हैं। इसी तीसरी कटनी पर गंध कुटी शोभायमान रहती है। प्रश्न 134 - गंध कुटि का किंचित वर्णन कीजिए। उत्तर - जिसमें जिनेन्द्र देव विराजमान रहते हैं। उसे गंध कुटी कहते हैं वह गंधकुटी, चंवर, छत्र, वंदनमाला, किंकणी मोतियों के हार दीपक धूपघट आदि से सजी रहती है। इस गध कुटी के मध्य सिंहासन पर एक लाल वर्ण का सहस्त्र दल कमल रहता है जिस पर भगवान चार अंगुल अधर विराजमान रहते हैं। प्रश्न 135 - भगवान के मोक्ष कल्याणक में क्या होता है? उत्तर - जब भगवान का आयु कर्म पूरा होने को होता है तो समवसरण विघटित हो जाता है। ध्यान में लीन भगवान अपने शेष चार अघतिया कर्मों का भी नाश कर देते हैं। वे एक समय में अथवा पंच लब्धछर समय मात्र में वे परमात्मा लोक के अग्रभाग पर अनंतानंत काल सदा के लिए सिद्ध शिला पर विराजमान हो जाते हैं। उस समय चारों प्रकार के देव बड़ी भक्ति से उनके शरीर का अग्नि संस्कार करते हैं। अग्निकुमार के इन्द्र देव अपने मुकुट के अग्रभाग से अग्नि प्रज्ज्वलित करते हैं सभी देव भस्म को ललाट में लगा कर अपना जन्म धन्य करते हैं। प्रश्न 136 - अग्नि कुमार के इन्दों के कितने भेद हैं? उत्तर - अग्नि कुमार के इन्द्र तीन प्रकार के हैं- गाह्र्यपत्य, आह्वानीय एवं दक्षिणाग्नेन्द्र। प्रश्न 137 - उपरोक्त तीनों इन्दों का क्या कार्य है? उत्तर - तीर्थंकर के शरीर का संस्कार गाह्र्यपत्य इन्द्र करते हैं, गणधर देव के शरीर का संस्कार आह्वानीय इन्द्र तथा केवली के शरीर का संस्कार दक्षिणाग्नेन्द्र करते हैं। प्रश्न 138 - तीर्थंकर गणधर तथा केवलियों के लिए किस - किस प्रकार के कुंडो की रचना होती है। उत्तर - तीर्थंकरों के लिए चैकोर कुंड, गणधरों के लिए त्रिकोण कुंड तथा केवलियों के लिए गोल कुंड की रचना होती है। प्रश्न 139 - क्या सभी मोक्ष जाने वाले जीवों के कल्याणक होते हैं? उत्तर - नहीं! जिन जीवों ने तीर्थंकर प्रकृति का आश्रव, बंधकिया है केवल उन्हीं जीवों के तीर्थंकर प्रकृति उदय में आ जाने से, कल्याणक देव मानते हैं। प्रश्न 140 - तीर्थंकर की प्रतिमाओं के चिन्हों का पता किस प्रकार चलता है? उत्तर - भगवान के न्हवन के समय, इन्द्र भगवान के दांये पैर के अंगूठे को देखते हैं जो चिन्ह होता है उसी चिन्ह से उनकी प्रतिमा की पहचान होती है। jain temple151 प्रश्न 141 - तीर्थंकरों के शरीर पर कितने चिन्ह होते हैं? उत्तर - तीर्थंकरों के शरीर पर 1008 चिन्ह होते हैं। प्रश्न 142 - इन्द्र कितने नामों से भगवान की स्तुति करते हैं? उत्तर - 1008 नामों से इन्द्र भगवान की स्तुति करते हैं? प्रश्न 143 - तीर्थंकरों के जन्म एवं मोक्ष के बारे में आगम का क्या नियम है? उत्तर - आगम के नियम के अनुसार सभी तीर्थंकर अयोध्या में ही जन्म लेते हैं तथा सम्मेद शिखर से मोक्ष जाते हैं। इसीलिए अयोध्या एवं सम्मेदशिखर शाश्वत तीर्थ माने जाते हैं। प्रश्न 144 - उपरोक्त नियम में परिवर्तन क्यों हुआ? उत्तर - हुंडवसर्पिणी काल के दोष से इस नियम में परिवर्तन हुआ इस बार न तो चैबींस तीर्थंकरों ने अयोध्या में जन्म लिया और न ही सम्मेद शिखर से मोक्ष गये। प्रश्न 145 - अयोध्या में जन्म लेने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - 1- श्री आदिनाथ जी 2- श्री अजितनाथ जी 3- श्री अभिनन्दननाथ जी 4- श्री सुमतिनाथ जी 5- श्री अनंतनाथ जी प्रश्न 146 - सम्मेद शिखर से कितने तीर्थंकर मोक्ष गये? उत्तर - बीस तीर्थंकरों ने सम्मेद शिखर से मोक्ष प्राप्त किया। प्रश्न 147 - कौन-से तीर्थंकरों ने सम्मेद शिखर से मोक्ष प्राप्त नहीं किया? उत्तर - 1 श्री आदिनाथजी 2 श्री वासुपूज्यजी 3 श्री नेमनाथजी 4 श्री महावीर भगवान इन चार तीर्थंकरों ने सम्मेद शिखर से मोख प्राप्त नहीं किया। प्रश्न 148 - अयोध्या एवं सम्मेद शिखर को छोड़कर सर्वाधिक कल्याणकों वाला तीर्थंक्षेत्र कौन-से हैं? उत्तर - वह क्षेत्र हस्तिनापुर है। कुल 12 कल्याणक हुए हैं। प्रश्न 149 - यहां 12 कल्याणक किस प्रकार हुए हैं? उत्तर - श्री शांतिनाथ, कुंथुनाथ एवं अरहनाथ इन तीर्थंकरों के गर्भ, जन्म, तप, केवलज्ञान ऐसे 4-4 कल्याणक हुए है। प्रश्न 150 - श्री शांतिनाथ कुंथुनाथ अरहनाथ इन तीर्थंकरों की विशेषता बतलाइये। उत्तर - तीनों तीर्थंकर, चक्रवर्ती, तीर्थंकर एवं कामदेव इन तीन-तीन पदो ंके धारक थे ये क्रमशः 16वे, 17वें एवं 18वें तीर्थंकर थे। प्रश्न 151 - श्री शांति, कुंथु, अरहनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक कहां हुआ था? उत्तर - इनका मोक्ष कल्याणक श्री सम्मेद शिखर में हुआ था प्रश्न 152 - दो नामों से कौन-से तीर्थंकरों को जाना जाता है। उत्तर - ऐसे नोवें तीर्थंकर श्री पुष्पदंतजी हैं जिनका दूसरा नाम श्री सुविधनाथ जी भी है। प्रश्न 153 - ऐसे कौन से तीर्थंकर हैं, जिनके पांचों कल्याण एक ही स्थान पर हुए हैं और कहां? उत्तर - ऐसे बारहवें तीर्थंकर श्री वासुपूज्य जी हैं इनके पांचों कल्याणक चम्पापुर जी में हुए हैं। प्रश्न 154 - बालब्रह्मचारी तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - 1 - श्री वासुपूज्य जी , 2- श्री मल्लिनाथ जी , 3 - श्री नेमीनाथ जी , 4 - श्री पाश्र्वनाथ जी , 5 - श्री महावीर स्वामी। ये पांच बालब्रह्मचारी तीर्थंकर हुए हैं। प्रश्न 155 - चैबीस तीर्थंकरों के लिए कौन-से बीजाक्षर का प्रयोग किया गया है? उत्तर - चैबीस तीर्थंकरों के लिए ह्मीं बीजाक्षर का प्रयोग किा गया है। प्रश्न 156 - ह्मीं बीजाक्षर कितने वर्ण का माना गया है। उत्तर - ह्मीं बीजाक्षर में पांच वर्ण होते हैं, सफेद, नीला, लाल, हरित श्याम एवं सोने समान तपाया हुआ लालवर्ण। jain temple152 प्रश्न 157 - चैबीस तीर्थंकरों के कितने वर्ण हैं। उत्तर - चैबीस तीर्थंकर भी उपरोक्त पंच वर्णीय हुए हैंै। प्रश्न 158 - श्वेत वर्ण वाले कौन-से तीर्थंकर हैं? उत्तर - श्वेत वर्ण वाले दो तीर्थंकर हैं- चन्द्रप्रभु एवं पुष्पदंत जी। प्रश्न 159 - श्री चंदाप्रभु पुष्पदंत जी ह्मीं में कहां स्थित है? उत्तर - श्री चंदा प्रभु पुष्पदंत जी ह्मीं बीजाक्षर में श्वेत चन्द्रकार स्थान पर स्थित हैं। प्रश्न 160 - लाल वर्ण के कौन से तीर्थंकर हैं? उत्तर - श्री वासुपूज्य एवं पद्मप्रभु लाल वर्ण के तीर्थंकर हैं। प्रश्न 161 - उपरोक्त तीर्थंकर ह्मीं बीजाक्षर में कहां विराजमान हैं? उत्तर - श्री वासुपूज्य एवं पद्मप्रभु भगवान ह्मीं बीजाक्षर में ह्मीं मस्तक जोकि लाल वर्ण है उस स्थान पर विराजमान हैं। प्रश्न 162 - नील वर्ण वाले तीर्थंकरों के नाम बताओ। उत्तर - नेमनाथ जी एवं श्री मुनिसुव्रत जी नील वर्ण के तीर्थंकर हैं। प्रश्न 163 - नील वर्ण वाले तीर्थंकर ह्मीं बीजाक्षर में कहां पर विराजमान हैं? उत्तर - नील वर्ण वाले तीर्थंकर ह्मीं बीजाक्षर के नीले बिन्दु में शोभायमान हैं। प्रश्न 164 - हरित श्यामवर्ण वाले तीर्थंकर कौन-कौन से हैं? उत्तर - हरित श्यामवर्ण वाले दो तीर्थंकरा श्री सुपाश्र्वनाथ जी एवं श्री पाश्र्वनाथ जी हैं। प्रश्न 165 - उपरोक्त दोनों तीर्थंकर ह्मीं में कहां विराजमान हैं? उत्तर - उपरोक्त दोनों तीर्थंकर ह्मीं के हरित श्याम ईकारी में विराजमान हैं। jain temple153 प्रश्न 166 - पंचवर्णीय ह्मी में पंचवर्णीय चैबीस तीर्थंकर विराजमान हैं। ऐसा वर्णन कहां मिलता हैं? उत्तर - ये वर्णन श्री ऋषिमण्डल स्तोत्र तथा में आता है। प्रश्न 167 - शेष तीर्थंकर ह्मीं में कहां विराजमान हैं? उत्तर - शेष सोलह तीर्थंकर ह्मीं के ह्नकार में विराजनाम हैं? प्रश्न 168 - ये सोलह शेष तीर्थंकर किस वर्ण वाले हैं। उत्तर - ये शेष सोलह तीर्थंकर तपाये हुए स्वर्ण के समान आभा वाले हैं। प्रश्न 169 - उपरोक्त सोलह तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - 1- श्री आदिनाथ जी , 2- श्री अजितनाथ जी , 3 - श्री सम्भवनाथजी , 4- श्री अभिनंदननाथ जी , 5- श्री समुतिलनाथ जी , 6 - श्री शतलनाथजी , 7- श्रे श्रेयांसनाथ जी , 8- श्री विमलनाथ जी , 9 - श्री अनंतनाथ जी , 10- श्री धर्मनाथ जी , 11- श्री शांतिनाथ जी , 12- श्री कुंथुनाथजी , 13- श्री अरहनाथ जी , 14- श्री मल्लिनाथ जी , 15- श्री नमिनाथ जी , 16- श्री महावीर स्वामी। प्रसिद्ध पंच वर्णीय चैबीसी तीर्थ क्षेत्र चंदेरी में विराजमान है, वैसे श्री शांतिवीर नगर महावीरजी, नसियां जी भिण्ड (म0 प्र0) में, सम्मेदशिखर जी में विराजमान हैं। प्रश्न 170 - वर्तमान काल के पच्चीसवें तीर्थंकर का नाम बताइये। उत्तर - भरत ऐरावत क्षेत्रों में कर्मकाल में केवल चैबीस ही तीर्थंकर होते हैं। न तेइस न पच्चीस। प्रश्न 171 - तीर्थंकर के शरीर की सर्वाधिक ऊंचाई कितनी होती है? वर्तमान में किसकी है? उत्तर - तीर्थंकरों के शरीर की सबसे अधिक ऊंचाई पांच सौ धनुष (2000) होती है, जो श्री आदिनाथ की थी। प्रश्न 172 - तीर्थंकरों के शरीर की ऊंचाई सबसे कम कितनी होती है? उत्तर - तीर्थंकरों के शरीर की ऊंचाई सबसे कम सात हाथ होती है। प्रश्न 173 - सबसे कम ऊंचाई वाले तीर्थंकरा का नाम बताइये। उत्तर - भगवान महावीर स्वामी। प्रश्न 174 - बाहुबली को भगवान क्यों कहते हैं? जबकि वे तीर्थंकर नहीं थे? उत्तर - भगवान बनने के लिए तीर्थंकर बनना आवश्यक नहीं हैं, मोक्षगामी प्रत्येक भव्य आत्म जीव भगवान हैं। प्रश्न 175 - जब भगवान बाहुबली तीर्थंकर नहीं थे तो उनकी प्रतिमा की पूजा क्यों की जाती है? उत्तर - पंचपरमेष्ठी तीनों लोकों में पूज्य कहे गये हैं इसीलिए पंच परमेष्ठियों की प्रतिमायें अनादिकाल से पूजनीय, वंदनीय हैं। भगवान बाहुबली की गणना अरिहंत, सिद्ध की जाती है; अतः उनकी प्रतिमा भी पूज्य है। इसी प्रकार सभी मोक्षगामी जीवों की प्रतिमओं को समझना चाहिए। जैसे -राम, हनुमान आदि। प्रश्न 176 - भगवान आदिनाथ तथा महावीर भगवान का पूर्व सम्बंध बताइये। उत्तर - भगवान आदिनाथ पूर्व भव में भगवान महावीर के बाबा थे? प्रश्न 177 - भगवान महावीर का भरत चक्रवर्ती का पूर्व सम्बंध बताइये। उत्तर - पूर्व भव में भरत चक्रवर्ती भगवान महावीर के पिता थे। प्रश्न 178 - भगवान बाहुबली एवं भगवान महावीर की पूर्व पर्याय का सम्बंध बताइये। उत्तर - भगवान बाहुबली पूर्व भव में भगवान महावीर के चाचा थे। प्रश्न 179 - हमारेदेश्ज्ञ का नाम भारत कैसे पड़ा? उत्तर - भगवान आदिनाथ के प्रथम पुत्र चक्रवर्ती भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा। प्रश्न 180 - इस कर्म युग में सर्वप्रथम मोक्ष जाने वाले कौन-से महापुरूष थे? उत्तर - भगवान आदिनाथ के पुत्र अनंतवीर्य। प्रश्न 181 - कितने तीर्थंकरों का जन्म उत्तर भारत में हुआ है? उत्तर - सभी तीर्थंकरों का। प्रश्न 182 - तीर्थंकर कौन से वर्ण वाले होते हैं? उत्तर - सभी तीर्थंकर क्षत्रीय वर्ण वाले होते हैं। प्रश्न 183 - कौन से तीर्थंकर के पांचों कल्याणक एक ही स्थान पर हुए और कहां? उत्तर - चम्पापुर में श्री वासुपूज्य भगवान के। प्रश्न 184 - कौन-से ऐसे तीर्थंकर हैं जिनकी प्रतिमा के चिन्ह मंगलकारी जाने जाते हैं। उत्तर - (1) श्री आदिनाथ भगवान का बैल, (2) श्री अजितनाथ भगवान का हाथी, (7) श्री सुपाश्र्वनाथ का स्वास्तिक, (10) श्री शीतलनाथ का कल्पवृक्ष (17) श्री अरहनाथ की मछली, (19) श्री मल्लिनाथ का कलश, इन तीर्थंकरों के चिन्ह लोक में मंगलकारी जाने जाते हैं। प्रश्न 185 - इस कर्मयुग के अंत में मोक्ष जाने वाले महापुरूष का नाम बताइये। उत्तर - श्री जम्बूस्वामी मथुरा से। प्रश्न 186 - श्री जम्बूस्वामी के बारे में प्रचलित लोकोक्ति क्या है? उत्तर - जम्बूस्वामी मोक्ष गये ताला दे चाबी ले गये। प्रश्न 187 - कौन से तीर्थंकरों के चिन्ह पालतु पशु जीव हैं? उत्तर - (1) श्री आदिनाथ भगवान का बैल, (2) श्री अजितनाथ भगवान का हाथी, (3) श्री सम्भव नाथ जी का घोड़ा, (12) श्री वासूपूज्य जी का भैंसा, (24) श्री कुंथुनाथ जी का बकरा। प्रश्न 188 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिनकी प्रतिमा के चिन्ह पशु हैं। उत्तर - (1) श्री आदिनाथ भगवान का बैल, (2) श्री अजितनाथ भगवान का हाथी, (3) श्री सम्भव नाथ जी का घोड़ा, (4) श्री अभिनन्दन जी का बंदर, (9) श्री पुष्पदंत जी का मगर (11) श्री श्रेयासंसानाथ जी का गैंडा (12) श्री वासुपूज्य जी का भैंसा (13) श्री विमलनाथ जी का सूकर (14) श्री अनंतनाथ जी का सेही (16) श्री शांतिनाथ जी का हिरण (17) श्री कुंथुनाथ जी का बकरा (18) श्री अरहनाथ जी का मछली (20) श्री मुनिसुव्रतनाथ जी का कछुआ (23) श्री पाश्र्वनाथ जी का सर्प एवं (24) श्री महावीर स्वामी का सिंह। प्रश्न 189 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिनकी प्रतिमा के चिन्ह बोझा ढोने वाले पशु हैं? उत्तर - (1) श्री आदिनाथजी का बैल (2) श्री अजितनाथजी का हाथी (3) श्री सम्भवनाथ जी का घोडा एव (12) श्री वासुपूज्य जी का भैंसा। प्रश्न 190 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिनकी प्रतिमा के चिन्ह जल में रहने वाले जीव हैं? उत्तर - (6) श्री पद्मप्रभु का लाल कमल (9) श्री पुष्पदंत जी का सागर (19) श्री अरहनाथजी की मछली (20) श्री मुनिसुव्रत जी का कुछआ (21) श्री नमिनाथजी का नीलकमल। प्रश्न 191 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिनकी प्रतिमा के चिन्ह निर्जीव वस्तुएं हों? उत्तर - (7) श्री सुपाश्र्वनाथ जी का स्वास्तिक (15) श्री धर्मनाथजी का वज्रदंड (16) श्री मल्लिनाथजी का कलश। प्रश्न 192 - उन तीर्थंकर का नाम बताइये जिनकी प्रतिमा का चिन्ह पक्षी है? उत्तर - (5) श्री मुमतिनाथ जी का चकवा। प्रश्न 193 - उन तीर्थंकर का नाम बताइये जिनकी प्रतिमा का चिन्ह ऐसा जीव है जिसके शरीर पर कांटे होते हैं? उत्तर - (14) श्री अनंतनाथ जी की सेही। प्रश्न 194 - ऐसे तीर्थंकर का नाम बताइये जिनकी प्रतिमा का चिन्ह ऐसा जीव है जिसका ऊपर भाग पत्थर के समान कठोर होता है? उत्तर - (20) श्री मुनि सुव्रतनाथ जी का कछुआ। प्रश्न 195 - ऐसे तीर्थकर का नाम बताइये जिनकी प्रतिमा का चिन्ह रेंगने वाला जीव है? उत्तर - (23) श्री पाश्र्वनाथ जी का सर्प प्रश्न 196 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिनकी प्रतिमा के चिन्ह एक इन्द्रीय जीव हो? उत्तर - (6) श्री पद्मप्रभुजी का लाल कमल (10) श्री शीतलनाथ जी का कल्पवृक्ष (21) नमिनाथजी का नीलकमल। प्रश्न 197 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिनकी प्रतिमा के चिन्ह दो इन्द्रीय जीव हों? उत्तर - (22) श्री नेमिनाथजी का शंख। प्रश्न 198 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिनकी प्रतिमा के चिन्ह पंचेन्द्रिय जीव हों? उत्तर - (1) श्री आदिनाथजी का बैल (2) श्री अजितनाथ जी का हाथी (3) श्री सम्भवनाथजी का घोड़ा (4) श्री अभिनंदनजी का बंदर (5) श्री सुमतिनाथ जी का चकवा (9) पुष्पदंत जी का मगर (11) श्रेयांसनाथजी का गैंडा (12) वासुपूज्य जी का भैंसा (13) श्री विमलनाथजी का सूकर (14) श्री अनंतनाथ जी का सेही (16) श्री शांतिनाथजी का हिरण (17) श्री कुंथुनाथजी का बकरा (18) श्री अरहनाथजी का मछली (20) श्री मुनिसुव्रतनाथ का कछुआ (23) श्री पाश्र्वनाथ जी का सर्प एवं (24) श्री महावीरस्वामी का सिंह। प्रश्न 199 - ऐसे तीर्थंकरों के नाम बताइये जिनके पिता बनारस के राजा थे? उत्तर - सातवें श्री सुपाश्र्वनाथ एवं तेइसवें श्री पाश्र्वनाथ जी। प्रश्न 200 - कौन-से तीर्थंकर का समवसरण सबसे बड़ा था और कितना? उत्तर - श्री आदिनाथ जी का समवसरण 12 योजन (96) विस्तृत था। प्रश्न 201 - कौन से तीर्थंकर का समवसरण सबसे छोटा था और कितना? उत्तर - 24वें श्री महावीर स्वामी का समवसरण 1 योजन अर्थात 4 कोश का था। प्रश्न 202 - तीर्थंकरों के लिए वस्त्रादि एवं भोजन की व्यवस्था कहां से होती हैं? उत्तर - तीर्थंकरों के भोजन एवं वस्त्रादि की व्यवस्था स्वर्ग से होती है। प्रश्न 203 - क्या तीर्थकर अपनी माता का दूध पीते हैं? उत्तर - तीर्थंकर अपनी माता का दूध नहीं पीते हैं। प्रश्न 204 - क्या तीर्थंकर अपने माता-पिता को नमस्कार करते हैं? उत्तर - तीर्थंकर अपने माता-पिता केा भी नमस्कार नहीं करते हैं। प्रश्न 205 - श्री सुपाश्र्वनाथ एवं पाश्र्वनाथ जी में किन-किन बातों में समानता पायी जाती है? उत्तर - निम्न बातों में समानता पायी जाती है- 1 - दोनों तीर्थंकरों का गर्भ - जन्म कल्याणक बनारस में हुआ था। 2 - दोनों तीर्थंकरों का हरित श्याम वर्ण था। 3 - दोनों तीर्थंकरों की प्रतिमाओं पर सर्प का फण पाया जाता है। 4 - दोनों तीर्थंकरों का गर्भ, जन्म, तप एवं केवलज्ञान कल्याणक विशाखा नक्षत्र में हुआ था। 5 - दोनों तीर्थंकरों ने पूर्वाण्ह काल में दीक्षा ली थी। 6 - दोनों तीर्थंकरों को मोक्ष सप्तमी तिथि को हुआ था। 7 - दोनों तीर्थंकरों को मोक्ष सम्मेदशिखर से हुआ था। jain temple154 प्रश्न 206 - मिथला नगरी में जन्म लेने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - 19 वें श्री मल्लिनाथ जी एवं 21 वें नमिनाथ जी। प्रश्न 207 - इक्ष्वाकुवंश में जन्म लेने वाले कितने तीर्थंकर थे? उत्तर - सत्रह तीर्थंकर। प्रश्न 208 - इक्ष्वाकु वंश में जन्म लेने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये? उत्तर - (1) श्री आदिनाथ जी से लेकर अनंतनाथजी, शांतिनाथजी, श्री मल्लिनाथ जी, श्री नमिनाथ जी। प्रश्न 209 - कुरूवंश में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने जन्म लिया है? उत्तर - 25वें श्री धर्मनाथजी, 17वें श्री कुंथुनाथजी, 18 वें श्री अरहनाथ जी इन तीन तीर्थंकरों ने कुरू वंश में जन्म लिया है। प्रश्न 210 - यादव वंश में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने जन्म लिया है? उत्तर - 20 वें मुनिसुव्रतनाथ जी एवं 22वे श्री नेमिनाथजी। प्रश्न 211 - उग्र वंश में कौन से तीर्थंकर ने जन्म लिया था? उत्तर - 23वें श्री पाश्र्वनाथ जी ने। प्रश्न 212 - श्री महावीर भगवान ने कौन से वंश में जन्म लिया था? उत्तर - नाथ वंश में। प्रश्न 213 - चैबीसों तीर्थंकरों के कुल कितने गणधर थे? उत्तर - चैबीस तीर्थंकरों के कुल चैदह सौ उनसठ गणधर थे। प्रश्न 214 - गणधर किसे कहते हैं? उत्तर - जो मुनि, भगवान की बारह सभाओं रूपी इन बारह गणों के स्वामी माने जाते हैं वे गणनायक, गणधर, गणपति, विनायक आदि नामों से जाने जाते हैं उन्हें गणधर कहते हैं। प्रश्न 215 - बारह गण कौन-कौन से हैं? उत्तर - भगवान के समवसरा में जो बारह सभायें बारह कोठे होते हैं उन्हें ही बारह गण कहते हैं। प्रश्न 216 - अशोक वृक्ष किसे कहते हैं? उत्तर - तीर्थंकर को जिस वृक्ष के नीचे केवलज्ञान होता है उसे अशोक नाम से जाना जाता है? प्रश्न 217 - अशोक नाम की सार्थकता बताइये। उत्तर - समस्त प्राणियों का शोक हरने से इस वृक्ष का अशोक नाम सार्थक है। jain temple155 प्रश्न 218 - शाल वृक्ष के नीचे कौन-कौन से तीर्थंकरों को केवलज्ञान हुआ है? उत्तर - श्री मुमतिनाथ जी व श्री पद्मप्रभु जी। प्रश्न 219 - पीपल वृक्ष के नीचे कौन-से भगवान को केवलज्ञान हुआ था? उत्तर - श्री अनंतनाथ जी को। प्रश्न 220 - आम्रवृक्ष के नीचे कौन-से तीर्थंकर को केवलज्ञान हुआ था? उत्तर - श्री अरहनाथजी को। प्रश्न 221 - तीर्थंकरों के सबसे अधिक कल्याणक कौन-से महीने में आते हैं और कितने? उत्तर - चैत्र के महीने में सत्रह कल्याणक। प्रश्न 222 - तीर्थंकर के सबसे कम कल्याणक कौन-से महीने में आते और कितने? उत्तर - आश्विन के महीने में केवल तीन कल्याणक। प्रश्न 223 - श्री सुमतिनाथ भगवान के कौन-से तीन कल्याणक एक ही तिथि को हुए हैं? उत्तर - चैत्र शुक्ला ग्यारस को जन्म ज्ञान व मोक्ष कल्याणक। प्रश्न 224 - कौन से तीर्थंकरों के तीन कल्याणक एक ही तिथि को हुए हैं? उत्तर - (1) श्री कुंथुनाथजी के जन्म, तप एवं मोक्ष कल्याणक वैशाख शुक्ला प्रतिपदा को हुए हैं। (2) श्री शांतिनाथ जी का जन्म तप एवं मोक्ष कल्याणक ज्येष्ठ चैदस को हुए हैं। (3) श्री सुमतिनाथ जी के जन्म, ज्ञान और मोक्ष कल्याणक चैत्र शुक्ला एकादशी को हुए हैं। प्रश्न 225 - ऐसे तीर्थंकरों के नाम व तिथि बताइये जिनके जन्म व तप कल्याणक एक ही तिथि को हुए हों? jain temple156 उत्तर - नाम तिथि (1) श्री आदिनाथ जी - चैत्र कृष्णा 9 (2) श्री अनंतनाथ जी - ज्येष्ठ कृष्णा 12 (3) श्री सुपाश्र्वनाथ जी - ज्येष्ठ शुक्ला 12 (4) श्री नमिनाथ जी - आषाढ कृष्णा 10 (5) श्री नेमिनाथ जी - श्रावण शुक्ला 6 (6) श्री पद्प्रभु जी - ज्येष्ठ कृष्णा 12 (7) श्री पुष्पदंत जी - मंगसिर शुक्ला 1 (8) श्री मल्लिनाथ जी - मंगसिर शुक्ला 11 (9) श्री चंदा प्रभु जी - पौष कृष्णा 11 (10) श्री पाश्र्वनाथ जी - पौष कृष्ण 11 (11) श्री शीतलनाथ जी - माघ कृष्णा 12 (12) श्री धर्मनाथ जी - माघ शुक्ला 13 (13) श्री श्रेयांसनाथ जी - फाल्गुन कृष्णा 11 (14) श्री वासुपूज्य जी - फाल्गुन कृष्णा 14 प्रश्न 226 - उन तीर्थंकर का नाम बताइये जिनके ज्ञान और मोक्ष कल्याणक एक ही तिथि को हुए हैं। उत्तर - श्री अनंत नाथ जी - चैत्र कृष्णा 30 प्रश्न 227 - उन तीर्थंकर का नाम बताइये जिनका गर्भ व मोक्ष कल्याणक एक ही तिथि को हुआ हो? उत्तर - श्री अभिनंदननाथ जी - बैशाख शुक्ला 6 प्रश्न 228 - वे कौन सी तिथियां हैं जिसमें दो तीर्थंकरों के चार कल्याणक हुए हों? उत्तर - पौष शुक्ला 11 वे चन्द्रप्रभु एवं पाश्र्वनाथ जी के जनम व तप कल्याणक हुए हैं। प्रश्न 229 - वे कौन सी तिथियां हैं जिनमें दो तीर्थंकरों के तीन कल्याणक हुए हैं? उत्तर - 1 - चैत्र कृष्णा 30 श्री अनंतनाथजी के ज्ञान व मोक्ष तथा अरहनाथ भगवान को मोक्ष हुआ था। 2 - मगसिर कृष्णा 1 मल्लिनाथ जी के जन्म व तप तथा नमिनाथ जी को केवलज्ञान हुआ था। 3 - फाल्गुन कृष्णा 1 श्री आदिनाथ जी को केवलज्ञान तथा श्रेयांसनाथ जी का जन्म व तपक ल्याणक हुआ था। प्रश्न 230 - चैबीस तीर्थंकरों के नाम व चिन्हों को बतलाने वाली पद्य बताइये। उत्तर - पद्य निम्न प्रकार है- वृषभ चिन्ह आदीश का हाथी अजित जिनेश। घोड़ा सम्भवनाथ का बन्दर अभिनदेश।।1।। चकतवा सुमति जिनेश का कमल पद्म का जान। स्वास्तिक चिन्ह सुपाश्र्व का चन्द्र चन्द्रप्रभुमान।।2।। पुष्पदंत का मगर है, शीतल कल्पवृक्षांक। गौंड जिन श्रेयांश का वासुपुज्य भैसांक।।3।। शूकरा विमल जिनेश का सेही अनंत जिनेश। धर्मनाथ का बज्र है, हिरन शांति देवेश।।4।ं। बकरा कुन्थु जिनेश का अरहनाथ की मच्छ। मलल्लिनाथ का कलश है, मुनिसुव्रत का कच्छ।।5।। नीलकमल नमिनाथ का, शंख नेमि का मान। पाश्र्वनाथ का सर्प है, सिंह वीर का मान।।6।। प्रश्न 231 - श्री ऋषभदेव की पुत्री ब्राह्मी सुन्दरी ने आर्यिका दीक्षा क्यों ली थी? उत्तर - अगले भव में स्त्री पर्याय को समाप्त करने हेतु तथा परम्परा से मोक्ष प्राप्त करने की इच्छा से तीव्र वैराग्य भाव धारण कर उन कन्याओं ने आर्यिका दीक्षा ग्रहण की थी। प्रश्न 232 - भगवान ऋषभदेव को प्रथम आहार कितने दिन के उपवास के बाद प्राप्त हुआ था? उत्तर - एक वर्ष 39 दिनों के उपवास के पश्चात्। प्रश्न 233 - महावीर स्वामी ने कितने वर्ष की आयु में दीक्षा ली थी? उत्तर - 30 वर्ष की आयु में। प्रश्न 234 - भगवान महावीर को केवलज्ञान होने के बाद उनकी दिव्यध्वनि कितने दिनों बाद खिरी थी? उत्तर - 66 दिन बाद श्रावण्या बदी एकम को उनकी दिव्यध्वनि खिरी थी। प्रश्न 235 - चैबीस तीर्थंकरों की निर्वाणभूमि के क्या नाम हैं? उत्तर - कैलाशपर्वत, चंपापुरी, पावापुरी, गिरनार और सम्मेद शिखर पर्वत से निर्वाण प्राप्त किया है। प्रश्न 236 - वह तिथि बताइये जिनमें विभिन्न तीर्थंकरों के दो कल्याणक हुए हैं। उत्तर - फाल्गुन कृष्णा 7 को श्री सुपाश्र्वनाथ तथा चन्दाप्रभु भगवान को केवलज्ञान हुआ था। प्रश्न 237 - कौन से तीर्थंकर ने पूर्व भव में कौवे के मांस का त्याग किया था? उत्तर - भगवान श्री महावीर स्वामी के जीव ने। प्रश्न 238 - कौन से तीर्थंकर का भाई कमठ था? उत्तर - भगवान श्री पाश्र्वनाथ का भाई कमठ था। प्रश्न 239 - कौन से तीर्थकर शाकाहार धर्म के प्रवर्तक थे? उत्तर - श्री आदिनाथ जी। प्रश्न 240 - कौन से तीर्थंकर ने जैन धर्म चलाया था? उत्तर - जैन धर्म अनादिनिधन है किसी तीर्थंकर ने नही चलाया। तीर्थंकर धर्म का उपदेश देते हैं। प्रश्न 241 - कौन से तीर्थंकर को बंधे हुए पशुओं को देखकर वैराग्य हुआ था ? उत्तर - भगवान श्री नेमिनाथ को। प्रश्न 242 - कौन से तीर्थंकर को क्षमा में अग्रणीय माना जाता है? उत्तर - भगवान पाश्र्वनाथ को। प्रश्न 243 - कौन से तीर्थंकरों को उल्कापात देखकर वैराग्य हुआ था? उत्तर - चार तीर्थंकरों को- 1 - श्री अजितनाथ जी 2 - श्री पुष्पदंत जी 3 - श्री अनंतनाथ जी 4 - श्री धर्मनाथ जी। प्रश्न 244 - कौन से तीर्थंकरों को जाति स्मरण से वैराग्य हुआ था? उत्तर - नौ तीर्थंकरों को जाति स्मरण से वैराग्य हुआ था- (1) श्री सुमतिनाथ जी , (2) श्री पद्मप्रभु जी , (3) श्री वासुपूज्य जी , (4) श्री शांतिनाथ जी , (5) श्री कुंथुनाथ जी , (6) श्री मुनि सुव्रतनाथजी , (7) श्री नेमिनाथ जी , (8) श्री पाश्र्वनाथ जी , (9) श्री महावीर स्वामी। प्रश्न 245 - अनित्यादि भावनाओं के चिंतवन से कौन से तीर्थंकरों को वैराग्य हुआ था? उत्तर - दो तीर्थंकरों को- (1) श्री चन्द्रप्रभु जी एवं , (2) श्री मल्लिकानाथ जी। प्रश्न 246 - मेघों का नाश देखने से कौन-से तीर्थंकरों को वैराग्य हुआ था? उत्तर - तीन तीर्थंकरों को- (1) श्री सम्भवनाथ जी , (2) श्री विमलनाथ जी , (3) श्री अरहनाथ जी। प्रश्न 247 - बसंत लक्ष्मी का नाश देखकर वैराग्य प्राप्त करने वाले तीर्थंकर कौन-कौन से हैं? उत्तर - दो तीर्थंकर- (1) श्री सुपाश्र्वनाथ जी , (2) श्री श्रेयांस नाथ जी। प्रश्न 248 - गंधर्वनगर का नाश देखकर कौन-से तीर्थंकर को वैराग्य हुआ था? उत्तर - श्री अभिनंदननाथ जी को। प्रश्न 249 - कौन से तीर्थंकर की दिव्य ध्वनि 66 दिन बाद खिरी? उत्तर - भगवान महावीर की। प्रश्न 250 - मानस्तम्भ को देखकर किसका मान गलित हुआ था? उत्तर - भगवान महावीर स्वमी के समवसरण को देखकर इन्द्रभूति गौतम का मान गलित हुआ था। प्रश्न 251 - सभी धर्मों के आराध्य तीर्थंकर कौन-से हैं और कैसे? उत्तर - भगवान श्री आदिनाथ जी इस्लाम धर्म में आदम बाबा, वैदिक धर्म में अष्टम अवतार तथा जैन धर्म में प्रथम अवतार माने हैं। jain temple158 प्रश्न 252 - सबसे अधिक तप कौन-से तीर्थंकर ने किया था कितना? उत्तर - भगवान श्री आदिनाथ ने एक हजार वर्ष तक। प्रश्न 253 - सबसे कम तप कौन-से तीर्थंकर ने किया और कितना? उत्तर - भगवान श्री मल्लिनाथ जी ने केवल 6 दिन तक। प्रश्न 254 - भगवान बाहुबली ने कितना तप किया? उत्तर - 1 वर्ष तक। प्रश्न 255 - भरत चक्रवर्ती ने कितना तप किया? उत्तर - अन्तमुहूर्त तक। प्रश्न 256 - भगवान पाश्र्वनाथ के केवलज्ञान क्षेत्र को अहिक्षत्र क्यों कहते हैं? उत्तर - क्योंकि धरणेन्द्र पद्मावती ने कमठ उपर्सग निवारण करने के लिए अहि अर्थात नाग का छत्र भगवान के ऊपर लगाया था इसीलिए इस स्थान को अहिछत्र कहते हैं। प्रश्न 257 - कौन-कौन से तीर्थंकर ने रोहणी नक्षत्र में गर्भ धारण किया? उत्तर - श्री आदिनाथ जी, अजितनाथ जी दो तीर्थंकरों ने। प्रश्न 258 - श्रवण नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने गर्भ धारण किया? उत्तर - श्री श्रेयांसनाथ जी, श्री मुनिसुव्रतनाथ जी इन दो तीर्थंकरों ने। प्रश्न 259 - रेवती नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने गर्भधारण किया? उत्तर - तीन तीर्थंकरों ने, श्री अनंतनाथ जी, श्री धर्मनाथ जी, श्री अरहनाथ जी। प्रश्न 260 - अश्वनी नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने गर्भ धारण किया? उत्तर - श्री मल्लिनाथजी, श्री नमिनाथजी इन दो तीर्थंकरों ने। प्रश्न 261 - विशाखानक्ष में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने गर्भ धारण किया? उत्तर - श्री सुपाश्र्वनाथजी, श्री पाश्र्वनाथ जी इन दो तीर्थंकरों ने। प्रश्न 262 - उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने गर्भ धारण किया? उत्तर - नेमिनाथ जी, श्री महावीर स्वामी जी इन दो तीर्थंकरों ने। प्रश्न 263 - कौन से तीर्थंकर सर्वार्थ सिद्धि से गर्भ में आये? उत्तर - श्री आदिनाथजी, श्री धर्मनाथजी, श्री शांतिनाथजी, श्री कुंथुनाथजी। प्रश्न 264 - विजय नाम के पहले अनुत्तर विमान से कौन-कौन से तीर्थंकरा गर्भ में आये। उत्तर - श्री अजितनाथ जी, श्री अभिनंदननाथजी। प्रश्न 265 - पुष्पोत्तर विमान से कौन-कौन से तीर्थंकर गर्भ में आये? उत्तर - श्री श्रेयांसनाथजी, श्री अनंतनाथजी। प्रश्न 266 - चैथे अपराजित अनुत्तर विमान से कौन-कौन से तीर्थंकर गर्भ में आये? उत्तर - श्री अरहनाथजी, श्री मल्लिनाथजी, श्री नमिनाथजी, श्रीनेमिनाथ ये चार तीर्थंकर। प्रश्न 267 - रोहिणी नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों का जन्म हुआ? उत्तर - (1) श्री अजितनाथ जी , (2) श्री अरहनाथ जी। प्रश्न 268 - चित्रा नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों का जन्म हुआ? उत्तर - (1) श्री पद्मप्रभुजी , (2) श्री नेमिनाथजी। jain temple159 प्रश्न 269 - विशाखा नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों का जन्म हुआ? उत्तर - (1) श्री सुपाश्र्वनाथ जी , (2) श्री वासुपूज्य जी , (3) श्री पाश्र्वनाथजी, इन तीन तीर्थंकरों का। प्रश्न 270 - श्रवण नक्षत्र में कौन से तीर्थंकरों ने जन्म लिया? उत्तर - (1) श्री श्रेयांस नाथजी , (2) श्री मुनिसुव्रतनाथजी। प्रश्न 271 - कितने तीर्थंकरों ने इक्ष्वांकु वंश में जन्म धारण किया? उत्तर - सोलह तीर्थंकरों ने। प्रश्न 272 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिन्होंने इक्ष्वाकु वंश में जन्म धारण किया? उत्तर - पहले श्री आदिनाथ जी से लेकर चैदहवें अनंतनाथ जी तक 14 तीर्थंकरा, (14) श्री मल्लिनाथजी , (16) नमिनाथ जी। प्रश्न 273 - कुरू वंश में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने जन्म लिया? उत्तर - (1) श्री धर्मनाथ जी , (2) श्री कुंथुनाथजी , (3) श्री अरहनाथजी ने। प्रश्न 274 - यादव वंश में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने जन्म लिया? उत्तर - श्री मुनिसुव्रतनाथजी, श्री नेमनाथजी ने। प्रश्न 275 - चित्रा नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ग्रहण की? उत्तर - छठवें पद्मप्रभु जी, बाइसवें श्री नेमिनाथ जी ने। प्रश्न 276 - विशाखा नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - सातवें श्री सुपाश्र्वनाथजी, बारहवें श्री विमलनाथ जी, तेइसवें श्री पाश्र्वनाथ जी ने। प्रश्न 277 - अनुराधा नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - आठवें श्री चन्दा प्रभु जी, नौवें पुष्पदंत जी ने। प्रश्न 278 - श्रवण नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - ग्यारहवें श्री श्रेयांसनाथजी, बीसवें श्री मुनिसुव्रतनाथजी ने। jain temple160 प्रश्न 279 - रेवती नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - चैदहवें श्री अनंतनाथजी, अठारहवें श्री अरहनाथ जी ने। प्रश्न 280 - अश्वनी नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - उन्नीसवें श्री मल्लिकानाथ जी, इक्कीसवें श्री नमिनाथ जी ने। प्रश्न 281 - सहेतुक वन में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - दूसरे श्री अजितनाथ जी, तीसरे श्री अभिनंदन नाथ जी, पांचवें श्री सुमतिनाथजी, सातवें श्री सुपाश्र्वनाथजी, दसवें श्री शीतलनाथ जी, तेरहवें श्री विमलनाथ जी, चैदहवें श्री अनंतनाथ जी, सत्रहवें श्री कुंथुनाथ जी, अठारहवें श्री अरहनाथ जी ने। प्रश्न 282 - मनोहर वन में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - छटवें श्री पद्मप्रभु जी, ग्यारहवें श्री शीतलनाथ जी, बाहरवें श्री वासुपूज्य जी ने। प्रश्न 283 - शाल वन में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - पन्द्रहवें श्री धर्मनाथ जी, उन्नीसवें श्री मल्लिनाथ जी ने। प्रश्न 284 - कितने तीर्थंकरों को जाति स्मरण से वैराग्य हुआ था? उत्तर - दस तीर्थंकरों को। प्रश्न 285 - उन तीर्थकरों के नाम बताओ जिन्हें जाति-स्मरण से वैराग्य हुआ था? jain temple161 उत्तर - 1 - पांचवें श्री सुमतिनाथजी 2 - छठवें श्री पद्मप्रीाु जी 3 - बारहवें श्री वासुपूज्य जी 4 - सोलहवें श्री शांतिनाथ जी 5 - स्वत्रहवें श्री कुंथुनाथ जी 6 - बीसवें श्री मुनिसुव्रत जी 7 - इक्कीसवें श्री नमिनाथ जी 8 - बाइसवें श्री नेमनाथ जी 9 - तेइसवें श्री पाश्र्वनाथ जी 10 - चैबीसवें श्री वर्द्धमान जी। प्रश्न 286 - उन तीर्थंकारों के नाम बताइये जिन्हें बसंत वन लक्ष्मी के नाश से वैराग्य हुआ था? उत्तर - सातवें श्री सुपाश्र्वनाथ जी, ग्यारहवें श्री श्रेयांसनाथजी ने। प्रश्न 287 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिन्हें अधुवादि भावना से वैराग्य हुआ था? उत्तर - (1) आठवें श्री चंदा प्रभू जी , (2) उन्नीसवें श्री मल्लिनाथ जी। प्रश्न 288 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिन्हें बिजली गिरने (उल्कापात) से वैराग्य हुआ था? उत्तर - (1) नौवें श्री पुष्पदंत जी , (2) चैदहवें श्री अनंतनाथ जी (3) पन्द्रहवें श्री धर्मनाथ जी। प्रश्न 289 - मेघनाश से कौन-कौन से तीर्थंकरों को वैराग्य हुआ था? उत्तर - 1 - तीसरे श्री सम्भवनाथ जी 2 - तेरहवें श्री विमलनाथ जी 3 - अठारहवें श्री अरहनाथ जी को। प्रश्न 290 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिन्होंने अपराह्न काल में दीक्षा धारण की? उत्तर - (1) प्रथम श्री आदिनाथ जी , (2) दूसरे श्री अजितनाथ जी , (3) तीसरे श्री सम्भवनाथ जी , (4) छठे श्री पद्मप्रभु जी , (5) आठवें श्री चंदा प्रभू जी , (6) नोवें श्रीपुष्पदंत जी , (7) दसवें श्री शीतलनाथ जी , (8) बारहवें श्री वासुपूज्य जी , (9) तेरहवे श्री विमलनाथ जी , (10) चैदहवें श्री अनंतनाथ जी , (11) पन्द्रहवें श्री धर्मनाथ जी , (12) सोलहवें श्री शांतिनाथ जी , (13) सत्रहवें श्री कुंथुनाथ जी , (14) अठारहवें श्री अरहनाथ जी , (15) बीसवें श्री मुनिसुव्रत जी , (16) इक्कीसवें श्री नमिनाथ जी , (17) बाइसवें श्री नेमिनाथ जी , (18) चैबीसवें श्री महावीर स्वामी जी। , प्रश्न 291 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिन्होंने पूर्वाह्न काल में दीक्षा ली? उत्तर - (1) चैथे श्री अभिनंदननाथ जी , (2) पांचवें श्री सुमतिनाथजी , (3) सातवें श्री सुपाश्र्वनाथ जी , (4) ग्यारहवें श्री श्रेयांसनाथ जी , (5) श्री उन्नीसवें श्री मल्लिनाथ जी , (6) तेइसवें श्री पाश्र्वनाथ जी। प्रश्न 292 - कौन से तीर्थंकर ने अकेले दीक्षा ली। उत्तर - श्री महावीर स्वामी ने। प्रश्न 293 - चार हजार राजाओं के साथ कौन-से तीर्थंकर ने दीक्षा ली? उत्तर - भगवान श्री आदिनाथ ने। प्रश्न 294 - एक हजार राजाओं के साथ कितने तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - उन्नीसवें तीर्थंकरों ने। प्रश्न 295 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिन्होंने एक हजारा राजाओं के साथ दीक्षा ली? उत्तर - श्री अजितनाथ से श्रेयांसनाथ तक, श्री विमलनाथ से अरहनाथ तक, श्री मुनिसुव्रतनाथ से नेमिनाथ तक सभी तीर्थंकरों ने। प्रश्न 296 - तीन सौ राजाओं के साथ कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - (1) उन्नीसवें श्री मल्लिनाथ जी (2) तेइसवें श्री पाश्र्वनाथ जी। प्रश्न 297 - सबसे अधिक तपस्या कौन से तीर्थंकर ने की? उत्तर - श्री आदिनाथ जी ने एक हजार वर्ष तक। jain temple162 प्रश्न 298 - सबसे कम तपस्या कौन-से तीर्थंकर ने की। उत्तर - श्री मल्लिनाथ जी ने छः दिन तक। प्रश्न 299 - तीन वर्ष तक तपस्या करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री शीतलनाथ जी, श्री विमलनाथ जी। प्रश्न 300 - सोलह वर्ष तक तप करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री शांतिनाथ जी, श्री कुंथुनाथ जी, श्री अरहनाथ जी। प्रश्न 301 - बारह वर्ष तक तपकरने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री अजितनाथ जी, श्री महावीर स्वामी। प्रश्न 302 - एक दीक्षोपवास कौन-से तीर्थंकर ने किया था? उत्तर - भगवान श्री वासुपूज्य ने। प्रश्न 303 - तीन दीक्षोपवास करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री सम्भवनाथ जी, श्री अभिनंदननाथ जी, श्री सुमतिनाथ जी, श्री चंदाप्रभू जी, श्री शीतलनाथ जी, श्री विमलनाथ जी, श्री शांतिनाथ जी, श्री मुनिसुव्रतनाथ जी। प्रश्न 304 - तीन भक्त करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री पद्मप्रभु जी, श्री सुपाश्र्वनाथ जी, श्री पुष्पदंत जी, श्री श्रेयांसनाथ जी, श्री अनंतनाथ जी, श्री धर्मनाथ जी, श्री कुंथुनाथ जी, श्री अरहनाथ जी, श्री नमिनाथ जी, श्री नेमिनाथ जी, श्री महावीर स्वामी जी। प्रश्न 305 - षष्ठोपवास करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री आदिनाथ जी। प्रश्न 306 - षष्ठ भक्त करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री अरहनाथ जी, श्री पाश्र्वनाथ जी। प्रश्न 307 - अष्टम भक्त करने वाले तीर्थंकर का नाम बताइये। उत्तर - श्री अजितनाथ जी। प्रश्न 308 - कौन-कौन से तीर्थंकरों को पूर्वाह्न काल में केवलज्ञान हुआ? उत्तर - श्री आदिनाथ जी, श्री मुनिसुव्रतनाथ जी, श्री नेमिनाथ जी, श्री पाश्र्वनाथ जी, श्री वर्धमान जी। प्रश्न 309 - अपराह्न काल में केवलज्ञान प्राप्त करने वाले कौन-से तीर्थंकर थे? उत्तर - श्री अजितनाथ से मल्लिनाथ तक 18 तीर्थंकर तथा श्री नमिनाथ जी ऐसे उन्नीस तीर्थंकरों को उपराह्न काल में केवलज्ञान की प्राप्ति हुई। प्रश्न 310 - सहेतुकवन में केवलज्ञान प्राप्त करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री अजितनाथ जी, श्री सम्भवनाथ जी, श्री सुमतिनाथ जी, श्री सुपाश्र्वनाथ जी, श्री शीतलनाथ जी, श्री विमलनाथ जी, श्री अनंतनाथ जी, श्री धर्मनाथ जी, श्री कुंथुनाथ जी, श्री अरहनाथ जी, इन दश तीर्थंकरों को सहेतुक वन में केवलज्ञान हुआ था। प्रश्न 311 - मनोहर वन में केवल ज्ञान प्राप्त करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री पद्मप्रभु जी, श्री श्रेयांसनाथ जी, श्री वासुपूज्य जी, श्री मल्लिनाथ जी। प्रश्न 312 - उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में केवलज्ञान प्राप्त करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री आदिनाथ जी, श्री विमलनाथ जी। प्रश्न 313 - चित्रानक्षत्र में कौन-से तीर्थंकर को केवलज्ञान हुआ था? उत्तर - श्री पद्मप्रभु जी, श्री नेमिनाथ जी। प्रश्न 314 - विशाखा नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों को केवलज्ञान हुआ था? उत्तर - श्री सुपाश्र्वनाथ जी, श्री वासुपूज्य जी, श्री पाश्र्वनाथ जी। प्रश्न 315 - श्रवण नक्षत्र में केवलज्ञान प्राप्त करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। jain temple164 उत्तर - श्री श्रेयांसनाथ जी, श्री मुनिसुव्रतनाथ जी। प्रश्न 316 - रेवती नक्षत्र में कौन से तीर्थंकरों को केवलज्ञान हुआ था? उत्तर - श्री अनंतनाथ जी तथा श्री अरहनाथ जी को। प्रश्न 317 - अश्वनी नक्षत्र में केवलज्ञान प्राप्त करने वाले कौन से तीर्थंकर थे? उत्तर - श्री मल्लिनाथ जी, एवं श्री नमिनाथ जी। प्रश्न 318 - शाल वृक्ष के नीचे कौन-से तीर्थंकर को केवलज्ञान हुआ था? उत्तर - श्री सम्भव नाथ जी एवं श्री महावीर भगवान को। प्रश्न 319 - प्रियंगु वृक्ष के नीचे कौन-से तीर्थंकर को केवलज्ञान हुआ था? उत्तर - श्री सुमतिनाथ जी एवं श्री पद्मप्रभु जी को। प्रश्न 320 - अशोक वृक्ष के नीचे कौन से तीर्थंकर ने केवलज्ञान प्राप्त किया? उत्तर - श्री मल्लिनाथ जी ने। प्रश्न 321 - पूर्वाह्न काल में कितने तीर्थंकरों ने मोक्ष प्राप्त किया था? उत्तर - आठ तीर्थंकरों ने। प्रश्न 322 - पूर्वाह्न काल में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने मोक्ष प्राप्त किया? उत्तर - (1) श्री आदिनाथ जी , (2) श्री अजितनाथ जी , (3) श्री अभिनंदननाथ जी , (4) श्री सुमतिनाथ जी , (5) सुपाश्र्वनाथ जी , (6) श्री चंदाप्रभु जी , (7) श्री शीतलनाथ जी , (8) श्री श्रेयांसनाथ जी ने। प्रश्न 323 - अपराह्न काल में कितने तीर्थंकर मोक्ष गये? उत्तर - चार तीर्थंकर। प्रश्न 324 - उपराह्न काल में मोक्ष प्राप्त करने वाले कौन-कौन से तीर्थंकर थे? उत्तर - श्री सम्भवनाथ जी, श्री पद्मप्रभु जी, श्री पुष्पदंत जी, श्री वासुपूज्य जी। प्रश्न 325 - प्रदोष काल में कितने तीर्थंकर मोक्ष गये? उत्तर - आठ तीर्थंकर। प्रश्न 326 - प्रदोषकाल में मोक्ष जाने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - (1) श्री विमलनाथ जी , (2) श्री अनंतनाथ जी , (3) श्री शांतिनाथ जी , (4) श्री कुंथुनाथ जी , (5) श्री मल्लिनाथ जी , (6) श्री मुनिसुव्रतनाथ जी , (7) श्री नेमनाथ जी , (6) श्रीपाश्र्वनाथ जी। प्रश्न 327 - प्रत्यूष अर्थात् ऊषाकाल में कितने तीर्थंकर मोक्ष गये? उत्तर - चार तीर्थंकर। प्रश्न 328 - चारों तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - 1. श्री धर्मनाथ जी , 2. श्री अरहनाथ जी , 3. श्री नमिनाथ जी , 4. श्री वीर जी। प्रश्न 329 - भरणीनक्षत्र में मोक्षगामी तीर्थंकरों के नाम बताइये? उत्तर - श्री अजितनाथ, श्री शांतिनाथ जी, श्री मल्लिनाथ जी। प्रश्न 330 - ज्येष्ठा नक्षत्र में मोक्षगामी तीर्थंकरों के नाम बताओ। उत्तर - (1) श्री सम्भवनाथ जी , (2) श्री चंदाप्रभु जी। प्रश्न 331 - चित्रा नक्षत्र में मोक्ष प्राप्त करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताओ। उत्तर - श्री पद्मप्रभु जी एवं श्री नेमिनाथ जी। प्रश्न 332 - अश्वनी नक्षत्र में मोक्ष जाने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री वासुपूज्य जी, श्री नमिनाथ जी। प्रश्न 333 - पुष्य नक्षत्र में मोक्ष जाने वाले तीर्थंकरों के नाम क्या हैं? उत्तर - श्री धर्मनाथ जी। प्रश्न 334 - कितने तीर्थंकरों एक हजार मुनियों के साथ मोक्ष गये? उत्तर - बारह तीर्थंकर प्रश्न 335 - कौन-कौन से तीर्थंकर एक हजार मुनियों के साथ मोक्ष गये? उत्तर - श्री अजितनाथ जी से सुमतिनाथ जी तक सभी। चंदाप्रभु जी से लेकर श्रेयांसनाथ तक सभी, श्री कुंथुनाथ जी, श्री अरहनाथ जी, श्री मुनिसुव्रतजी, श्री नमिनाथ जी। प्रश्न 336 - पांच सौ मुनियों के साथ मोक्ष जाने वाले कौन-से तीर्थंकर थे? उत्तर - श्री सुपाश्र्वनाथ जी, श्री मल्लिकानाथ जी। प्रश्न 337 - कौन से तीर्थंकर अकेले मोक्ष गये? उत्तर - श्री महावीर स्वामी। प्रश्न 338 - एक महीने पहले भोग निवृत्ति कौन से तीर्थंकरों की हुई? उत्तर - श्री अजितनाथ से लेकर पाश्र्वनाथ तक सभी की। प्रश्न 339 - चैदह दिन पूर्व भोग निवृत्ति कौन-से तीर्थंकर की हुई थी? उत्तर - श्री आदिनाथ जी की। प्रश्न 340 - दो दिन पूर्व भोगवृत्ति वाले तीर्थंकर कौन थे? उत्तर - श्री महावीर भगवान।

कितने तीर्थंकर के चिन्ह केंद्रीय हैं?

शेष 16 तीर्थंकरों के चिह्न पञ्चेन्द्रिय हैं। 21.

कितने तीर्थंकर के एक से अधिक नाम है?

22 तीर्थंकरों का जन्म इक्ष्वाकु वंश में, हुआ।

कौन से तीर्थंकर के चिन्ह में कांटे होते हैं?

उत्तर - (5) श्री मुमतिनाथ जी का चकवा। प्रश्न 193 - उन तीर्थंकर का नाम बताइये जिनकी प्रतिमा का चिन्ह ऐसा जीव है जिसके शरीर पर कांटे होते हैं? उत्तर - (14) श्री अनंतनाथ जी की सेही।

कौन से तीर्थंकर ने सबसे कम समय में केवल ज्ञान प्रकट किया?

तीस वर्ष की आयु में महावीर ने संसार से विरक्त होकर राज वैभव त्याग दिया और संन्यास धारण कर आत्मकल्याण के पथ पर निकल गये। 12 वर्षो की कठिन तपस्या के बाद उन्हें केवलज्ञान प्राप्त हुआ जिसके पश्चात् उन्होंने समवशरण में ज्ञान प्रसारित किया। 72 वर्ष की आयु में उन्हें पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई।