कार्यालयीन पत्रों से आप क्या समझते हैं? - kaaryaalayeen patron se aap kya samajhate hain?

कार्यालयी पत्र

Qwerty Library

कार्यालयीन पत्रों से आप क्या समझते हैं? - kaaryaalayeen patron se aap kya samajhate hain?



TopicQuizzes

    पत्र के माध्यम से व्यक्ति दूर रहते हुए भी अपने विचारों की अभिव्यक्ति कर लेता है। कई बार जो बात फोन पर या प्रत्यक्ष रूप से नहीं कही जा सकती है उसे हम पत्र द्वारा सहज रूप से अभिव्यक्त कर देते हैं।

  1. व्यक्तिगत पत्र
  2. व्यावसायिक व कार्यालयी पत्र/ प्रारूप


व्यक्तिगत पत्र

    व्यक्तिगत पत्र हैसियत से एक व्यक्ति द्वारा अपने परिचितों को लिखे जाते हैं। व्यक्ति इन पत्रों के माध्यम से अपनी व्यक्तिगत संवेदनाओं व भावनाओं को व्यक्त करता है। ये किसी भी दैनन्दिनी कार्य, शुभ अवसर, शोक सूचना, बधाई, निमंत्रण पत्र आदि किसी भी रूप में हो सकते हैं।


प्रशासनिक व व्यावसायिक अथवा कार्यालयी पत्र:

    ये वे पत्र होते हैं जो कार्यालय या व्यवसाय के कुशल कार्य संचालन हेतु लिखे जाते हैं। ये पत्र कार्यालय में सामान्यतः एक उच्चाधिकारी द्वारा अपने अधीनस्थों को अथवा अधीनस्थों द्वारा उच्चाधिकारी को लिखे जाते हैं। ये सामान्य पत्र कार्यालय आदेश, निविदा सूचनाएँ, अर्द्धसरकारी पत्र, स्मरण पत्र, अधिसूचना, परिपत्र, प्रेस विज्ञप्ति आदि के रूप में हो सकते हैं। कार्यालयी पत्रों का संचालन चूँकि कार्यालय पत्रावली द्वारा होता है। अतः इन पत्रों में पत्र क्रमांक का उल्लेख किया जाना आवश्यक होता है। सामान्यतः ‘पत्र क्रमांक’ का उल्लेख पत्र में सबसे ऊपर किया जाता है।


कार्यालय एवं व्यावसायिक पत्रों के मुख्य तत्त्व:

  • शीर्ष - कार्यालय एवं व्यावसायिक पत्रों में सर्वप्रथम भेजने वाले कार्यालय का पूरा पता लिखा जाता है।
  • दिनांक - पत्र के दायीं ओर पत्र लिखने का दिनांक निम्न प्रकार से लिखा जाना चाहिए - 1 मार्च 2020
  • प्रेषिति का नाम व पता - जिस व्यक्ति को पत्र लिखा जा रहा है उसका नाम, पदनाम व पूरा पता बायीं ओर लिखा जाता है।
  • विषय एवं संदर्भ - जिस बारे में पत्र लिखा जा रहा है, वह विषय तथा अगर उस संबंध में पूर्व में कोई पत्र व्यवहार हुआ है तो उसका उल्लेख ‘संदर्भ’ के अंतर्गत किया जाता है। यह पत्र के मध्य में प्रेषिति के नाम व पते के नीचे लिखा जाना चाहिए। संदर्भ के द्वारा पत्र को पूर्ण परिप्रेक्ष्य में समझा व पढ़ा जा सकता है तथा उसे सही पत्रावली पर नत्थी कर आगे प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • संबोधन - पत्र के बायीं ओर संदर्भ के नीचे प्रेषिति को आदरसूचक शब्दों में संबोधित करते हुए लिखा जाता है जैसे - मान्यवर, महोदय, प्रिय महोदय, माननीय, प्रिय श्री आदि।
  • पत्र का कलेवर अथवा मध्य भाग - यह पत्र का मुख्य भाग होता है, जिसके माध्यम से प्रेषक अपनी वांछित बात प्रेषिति को कहना चाहता है। पत्र के इस भाग को संक्षिप्त, बिंदुवार, स्पष्ट व प्रसंगानुकूल प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
  • संलग्नक - कई बार पत्र के साथ कुछ अन्य पेपर आदि संलग्न करने आवश्यक होते हैं जिन्हें ‘संलग्नक’ कहा जाता है। जितने संलग्न पत्र के साथ संलग्न किये जा रहे हैं उनकी सूची पत्र की मुख्य प्रति बायीं ओर पत्र के कलेवर के बाद लिखी जानी चाहिए।
  • अंत - पत्र के अंत में शिष्टाचार सूचक शब्दों जैसे - सादर, धन्यवाद, शुभकामनाओं सहित आदि शब्द अंकित किये जाते हैं।
  • हस्ताक्षर - पत्र लेखक द्वारा अंत में हस्ताक्षर (नाम सहित) किये जाते हैं व हस्ताक्षर से पूर्व शिष्टतासूचक शब्द जैसे - भवदीय, आपका विश्वासपात्र, भवनिष्ठ आदि शब्द लिखे जाते हैं।
  • प्रतिलिपि - कई बार पत्र की प्रति अन्य व्यक्तियों को भी भेजी जाती है। अतः पत्र के नीचे की तरफ ‘प्रतिलिपि सूचनार्थ व आवश्यक कार्यवाही’ हेतु लिखकर प्रेषिति का नाम व पता एक ही पंक्ति में लिखा जाना चाहिए। प्रतिलिपि एक अथवा अधिक व्यक्तियों को भेजी जा सकती है। प्रतिलिपि में नामों का क्रम पदों की वरिष्ष्ठता के क्रम में होगा।
  • पुनः हस्ताक्षर - प्रतिलिपि के विवरण के बाद नीचे दाहिनी ओर पत्र प्रेषक द्वारा पुनः हस्ताक्षर किये जाते हैं।


Office Order

कार्यालय आदेश

    यह कार्यालय के उच्चाधिकारी द्वारा अपने अधीनस्थों को दिया गया आदेश होता है। यह अन्य पुरुष शैली में लिखा जाता है। इसके द्वारा सामान्यतः किसी मंत्रालय, विभाग एवं कार्यालय के कर्मचारियों को उनकी नियुक्ति, स्थानांतरण, पदोन्नति, अवकाश स्वीकृति-अस्वीकृति आदि के विषय में आंतरिक्त प्रशासन संबंधी आदेश प्रसारित किए जाते है। इसमें प्रेषित अधिकारी के कार्यालय का नाम एवं पता सबसे ऊपर तथा उसके नीचे क्रमांक व दिनांक लिखा जाता है। विषयवस्तु मध्य में ली जाती है तथा नीचे दायीं ओर आदेश देने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर (पदनाम सहित) किए जाते है। इसमें कोई संबोधन व विषयवस्तु व प्रसंग या संदर्भ नहीं होता है तथा इसकी भाषा आदेशात्मक होती है।


Circular

परिपत्र

    जिस पत्र के माध्यम से कोई एक ही सूचना या निर्देश एक साथ ही अनेक मंत्रालयों, कार्यालयों, विभागों अधिकारियों व कर्मचारियों तक भेजी जाती है तो उस पत्र को परिपत्र कहते हैं। परिपत्र में सबसे ऊपर प्रेषक कार्यालय का नाम पता व उसके नीचे परिपत्र संख्या व दिनांक लिखी जाती है। इसमें संबोधन व बायीं ओर प्रेषिती का नाम नहीं लिखा जाता है। इसमें अन्य पुरुष शैली का ही प्रयोग किया जाता है। पत्र के अन्त में भवदीय आदि शब्दों का प्रयोग भी नहीं किया जाता है। अंत में बायीं ओर उन सभी के पदनाम व पते लिखे जाते हैं जिन्हें परिपत्र भेजा जा रहा है।


Semi-official letter

अर्द्धशासकीय पत्र:

    ये पत्र अनौपचारिक होते हैं। सामान्यतः ये पत्र किसी अधिकारी का व्यक्तिगत रूप से किसी खास विषय की ओर ध्यान दिलाने अथवा किसी विलंबित कार्य को शीघ्र करवाने की आवश्यकता होने पर व्यक्तिगत रूप से लिखा जाता है। अर्द्धशासकीय पत्र पाने वाला व्यक्ति उस विषय में व्यक्तिगत रूचि लेकर कार्य सम्पन्न करवाता है। ये पत्र सामान्यतः अपने समकक्ष अथवा अधीनस्थ को ही लिखे जाते हैं। 

    अर्द्धशासकीय पत्र में प्रेषक कार्यालय का नाम व पता दायीं ओर सबसे ऊपर लिखा जाता है तथा उसके नीचे पत्र क्रमांक व दिनांक लिखी जाती है। उसके बाद संबोधन जैसे प्रिय श्री/ आदरणीय श्री आदि लेखक अपने हाथ से लिखता है। इन्हें टाइप नहीं किया जाता है। उसके बाद मध्य में पत्र की ‘विषय वस्तु’ लिखी जाती है। अंत में विषय वस्तु के बाद समापन वाक्य जैसे सादर/सप्रेम/शुभकामनाओं सहित भी पत्र लेखक अपने हाथ से लिखता है। फिर दायीं ओर नीचे पत्र लेखक अपने हस्ताक्षर करता है। प्रेषक का पद-नाम व पता नहीं लिखा जाता है। भवदीय की जगह उसका सद्भावी, शुभेच्छु, भवनिष्ठ आदि लिखे जाते हैं। बायीं ओर प्रेषिति का नाम हाथ प्रेषक द्वारा हाथ से लिखा जाता है। उसके बाद सम्मानसूचक शब्द स्वयं पत्र लेखक द्वारा स्वयं हाथ से लिखे जाते हैं।

    अर्द्धशासकीय पत्र सीधे संबंधित अधिकारी को ही दिये जाते है। अन्य डाक सामग्री की तरह कार्यालय में ही खोलकर अधिकारी के सामने प्रस्तुत नहीं किए जाते है।


Notification

अधिसूचना

    सरकार के राजपत्र (गजट) में प्रकाशित होने वाली सूचना को अधिसूचना कहा जाता है। सरकार की ओर से अधिसूचना जनसाधारण, सरकारी कार्यालयों, संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों की जानकारी के लिए जारी की जाती है। अधिसूचना में यह बताना नितान्त आवश्यक है कि उसे गजट के किस भाग में प्रकाशित किया गया है। इसमें भाग के साथ अनुभाग का भी उल्लेख किया जाना आवश्यक है। अधिसूचना में कोई संबोधन नहीं होता तथा यह अन्य पुरुष शैली में लिखी जाती है। इसमें अंत में भवदीय, आपका आदि शब्दों का प्रयोग भी नहीं होता है 


Reminder

अनुस्मारक या स्मरण पत्र

    किसी पूर्व में भेजे गए पत्र का उत्तर प्राप्त नहीं होने पर उस पत्र की याद दिलाते हुए किसी कार्य को करवाने के लिए पुनः लिखते हुए जो पत्र भेजा जाता है उसे अनुस्मारक या स्मरण पत्र कहते हैं। इस पत्र को स्थिति के अनुसार नम्र या थोड़ी कड़ी भाषा में लिखा जा सकता है। इसमें पहले भेजे गए पत्रों की संख्या का उल्लेख किया जाना चाहिए।


Memorandum

ज्ञापन

    कार्यालय ज्ञापन का प्रयोग विभिन्न मंत्रालयों के मध्य सूचनाओं के आदान-प्रदान करने हेतु किया जाता है जबकि ज्ञापन का प्रयोग किसी एक मंत्रालय अथवा विभाग के अंदर ही होता है। कार्यालय ज्ञापन अन्य पुरुष शैली में लिखा जता है। इसमें कोई संबोधन नहीं होता है और न ही अंत में भवदीय या आपका आदि ही लिखा जाता है।


Press Release

प्रेस विज्ञप्ति

    महत्त्वपूर्ण सरकारी आदेश, प्रस्ताव अथवा निर्णय के व्यापक सार्वजनिक प्रचार के लिए समाचार पत्रों में प्रकाशनार्थ भेजी जाने वाली विज्ञप्ति को प्रेस विज्ञप्ति या प्रेस नोट कहा जाता है। इसमें सबसे ऊपर यह भी लिखा रहता है कि इसे किस तिथि तक प्रकाशित किया जाना है। समय से पूर्व इसका प्रकाशन नहीं किया जा सकता। इसमें संबोधन नहीं होता है। विज्ञप्ति की सीधे समाचार-पत्र कार्यालयों में न भेजकर सूचना अधिकारी के पास भेजा जाता है। 


Tender Notice

निविदा सूचना

निविदा सार्वजनिक सेवा के लिए सामान की खरीद के लिए आमंत्रित की जाती है।


निविदा की सामान्य शर्तेः

  1. प्रत्येक निविदा के साथ ......... के पक्ष में देय निर्धारित धरोहर राशि का रेखांकित डिमाण्ड ड्राफ्ट संलग्न होना अनिवार्य है। इसके अभाव में निविदा मान्य नहीं होगी।
  2. सशर्त निविदाओं पर कोई विचार नहीं किया जायेगा।
  3. निविदाताओं को निविदा के साथ आयकर अधिकारी का आयकर शोधन प्रमाणपत्र संलग्न करना होगा अन्यथा निविदा मान्य नहीं होगी।
  4. अस्वीकृत निविदाओं की धरोहर राशि निविदा खोलने की तिथि से एक माह के अंदर लौटा दी जायेगी।
  5. सामान की आपूर्ति आदेश की तिथि से 15 दिन के अन्दर करनी होगी अन्यथा धरोहर राशि जब्त कर निविदा निरस्त कर दी जायेगी।
  6. किसी भी निविदा को बिना कारण बताये आंशिक या पूर्ण रूप से अस्वीकृत/निरस्त करने का पूर्ण अधिकार अधोहस्ताक्षरकर्ता को होगा।




Other Hindi Topics

  1. हिन्दी वर्णमाला
  2. हिन्दी शब्दावली
  3. संज्ञा
  4. सर्वनाम
  5. विशेषण
  6. क्रिया
  7. काल
  8. अव्यय
  9. वाक्य रचना
  10. उपसर्ग
  11. प्रत्यय
  12. संधि
  13. समास
  14. अलंकार
  15. विलोम शब्द
  16. पर्यायवाची शब्द
  17. एकार्थक शब्द
  18. लोकोक्तियाँ एवं मुहावरे
  19. कार्यालयी पत्र

hindigrammar

  • Twitter
  • Telegram
  • Pinterest
  • Linkedin
  • Tumblr
  • Line
  • Email
  • Copy link

कार्यालयीन पत्र से आप क्या समझते है?

कार्यालयीन पत्राचार एक प्रकार से औपचारिक पत्राचार है, जिसका प्रयोग मंत्रालयों, विभागों/ कार्यालयों में सरकारी निर्णयों की सूचना देने अथवा प्राप्त करने हेतु किया जाता है ।

कार्यालयीन पत्र किसे कहते हैं उसके कौन कौन से अंग होते हैं?

सवाल: कार्यालयीन पत्र किसे कहते हैं? जवाब: कार्यालयीन पत्र उन पत्रों की श्रेणी में आता है जो की सरल और सपष्ट के साथ, कार्यालय के लिए और कार्यालयों द्वारा भेजे जाते है ऐसे पत्रों को कार्यालयीन पत्र कहते हैं। अक्सर इसका उपयोग सरकार में बैठे बाशिंदे एक दूसरे के साथ करते है।

कार्यालयीन पत्रों की विशेषता क्या है?

कार्यालयी पत्र में ध्यान देने योग्य बातें सबसे ऊपर दायीं ओर कार्यालय, विभाग, संस्थान या मंत्रालय का नाम मुद्रित या टंकित होना चाहिए। पता और पिनकोड भी यहीं लिखना होता है। उसके नीचे दिनाँक, कभी-कभी दिनाँक ऊपर न देकर पत्र के अन्त में बायी ओर लिखा जाता है। प्रेषक का नाम पद और पता लिखते हैं।

कार्यालयी लेखन क्या है अच्छे कार्यालयी पत्रों की क्या विशेषता होनी चाहिए?

एक अच्छे कार्यालयी पत्र में संक्षिप्तता होनी चाहिये ताकि अनावश्यक बातों से बचा जा सके। पत्र की भाषा सरल, सभ्य और औपचारिक होनी चाहिए। कार्यालय भाषा में जिन शब्दों का उपयोग होता है, उन्ही शब्दों का उपयोग किया जाना चाहिएपत्र में तारतम्यता होनी चाहिए और मूल विषय से नही भटका जाना चाहिये।