अगर आप भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं तो यह आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि हिंदी विषय में अच्छा स्कोर किया जा सकता है, तो इसी को ध्यान में रखते हुए हमने हिंदी के प्रमुख कवियों के उपनाम की एक सूची आप सभी के लिए उपलब्ध कराई है । आशा है कि यह आपके लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगी। Show
प्रमुख हिंदी कवियों के उपनाम (Hindi kaviyon ke upnaam)मूल नामउपनाम\ लोकप्रिय नाम\छद्र्म नामजयशंकर प्रसादआधुनिक कविता के सुमेरु\ झारखंडी \कलाधरमैथिलीशरण गुप्तप्रथम राष्ट्रकविबालमुकुंद गुप्तशिव शंभूसुमित्रानंदन पंतप्रकृति का सुकुमार कवि\ सुधाकर प्रिय\ नंदन जी\ नयन\ लक्ष्मण\ मुकुल\ एक निहत्था\ गुसाई दत्ता\ नंदिनी\ साईंदाjaishankar prasad ka jeevan parichay । जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय
. यहां पर दी गई घंटी के निशान को दबाएं और सब्सक्राइब करें ताकि हर पोस्ट की नोटिफिकेशन आपको मिले माता की मृत्यु के दो वर्ष बाद अनुज भी चल बसे। सत्रह वर्ष की अवस्था में उत्तरदायित्व का भार आ गया। स्वयं विवाह करना पड़ा। तीन विवाह किए। साहित्य साधना रात्रि में होती थी। जयशंकर प्रसाद की कविता का आरंभ ब्रजभाषा से हुआ। जयशंकर प्रसाद जी ने तीन विवाह किए थे। प्रथम पत्नी का क्षय रोग से तथा द्वितीय का प्रसूति के समय देहावसान हो गया था। तीसरी पत्नी से इन्हें रत्न शंकर नामक पुत्रा की प्राप्ति हुई। जीवन के अन्तिम दिनों में जयशंकर प्रसाद जी उदर रोग से ग्रस्त हो गए थे तथा इसी रोग ने कार्तिक शुक्ला देवोत्थान एकादशी, विक्रम संवत् 1994 को इस बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति का देहावसान हो गया।
जयशंकर प्रसाद का व्यक्तित्वजयशंकर प्रसाद का व्यक्तित्व बड़ा ही आकर्षक था। वे मंझोले कद के थे। उनका वर्ण और गौर और मुख गोल था। उनकी हँसी बड़ी स्वाभाविक और मधुर थी। जवानी में वे ढाका की मलमल का कुरता और बढ़िया धाते ी पहनते थे। परन्तु बाद में खद्दर का उपयोग करने लगे थे। श्री रामनाथ ‘सुमन’ प्रसाद जी के निकट सम्पर्क में रहे। उन्होंने ‘प्रसाद’ जी के व्यक्तित्व के सम्बंध में लिखा है- ‘‘व्यक्ति की दृष्टि से जयशंकर प्रसाद एक उच्चकोटि के महापुरुष थे। वे कवि होने के कारण उदार व्यापारी होने के कारण व्यवहारशील, पुराण शास्त्र, संस्कृत.काव्य आदि के विशेष अध्ययन के कारण प्राचीनता की ओर झुके हुए, भारतीय आचारों एवं भारतीय सभ्यता के प्रति ममता रखने वाले तथा एक सीमा तक पाश्चात्य सभ्यता के गुणों के प्रशसंक थे।
उनकी दिनचर्या में अध्ययन और साहित्य.साधना का प्रथम और प्रमुख स्थान प्राप्त था। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर साहित्य सर्जन में लीन हो जाना उनका अभ्यास ही हो गया था। जब अध्ययन और साहित्य सृजन हो जाता था, तब वे बेनिया बाग में टहलने के लिए निकल पड़ते थे। वहाँ भी साहित्यिक मित्रों के साथ वार्तालाप किया करते थे। जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएंजयशंकर प्रसाद की महत्वपूर्ण रचनाएं, जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं, जयशंकर प्रसाद की कृतियां हैं 1. काव्य -जयशंकर प्रसाद जी काव्य और कविता-संग्रह हैं:-
2. नाटक -जयशंकर प्रसाद के नाटक हैं-
3. उपन्यास -जयशंकर प्रसाद जी के उपन्यास -
5. निबन्ध और आलोचना -जयशंकर प्रसाद ने यद्यपि किसी विशाल आलोचनात्मक granth की रचना नहीं की, तथापि उनके आलोचनात्मक निबन्ध ही उनकी गवेषणात्मक, प्रज्ञा, विश्लेषण, मनीषा और विचाराभिव्यक्ति के परिवाचक हैं। काव्य कला तथा अन्य निबन्ध में इनके आलोचनात्मक निबन्ध संग्रहीत हैं।
जयशंकर प्रसाद जी की रचनाओं के उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि उन्होंने तत्कालीन युग में प्रचलित गद्य एवं पद्य साहित्य की समस्त विद्याओं में लिखा तथा साहित्य के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जयशंकर प्रसाद की साहित्यिक विशेषताएं‘प्रेम पथिक’ की रचना पहले ब्रजभाषा में की गई थी बाद में उसे खड़ी बोली में रूपांतरित कर दिया गया। ‘झरना’ के पूर्व की सभी रचनाएं द्विवेदी युग में लिखी गई थीं। जयशंकर प्रसाद की आरंभिक शैली संस्कृत गर्भित है। ‘झरना’ में कवि ने आंतरिक कल्पना द्वारा सूक्ष्म भावनाओं को व्यक्त किया है। बाह्य सौंदर्य का चित्रण करते समय भी उन्होंने सूक्ष्म और मानसिक पक्ष को व्यक्त करने की ओर ध्यान दिया है। ‘आंसू’ का आरंभ कवि की विरह-वेदना से हुआ है। अंत में ‘आंसू’ को विश्व-कल्याण की भावना से संबंधित कर दिया है। अंत तक आते-आते कवि अपने व्यक्तिगत जीवन की निराशा और विषाद से ऊपर उठकर अपनी पीड़ा को करुणा का रूप देकर विश्व प्रेम में बदल देता है। ‘लहर’ गीत कला का सुंदर उदाहरण है। कल्पना की मनोरमता, भावुकता तथा भाषा शैली की प्रौढ़ता सर्वत्र दृष्टिगोचर होती है। ‘कामायनी’ अंतिम कृति है। इसके द्वारा मानव सभ्यता दिखलाई गई है। संक्षिप्त कथानक में मानव जीवन के अनेक पक्षों को समन्वित करके मानव जीवन हेतु व्यापक आदर्श व्यवस्था का प्रयत्न किया है। पात्रों के चरित्रांकन में मनुष्य की अनुभूतियों, कामनाओं और आकांक्षाओं की अनेक रूपता वर्णित है। यह कामायनी की चेतना का मनोवैज्ञानिक पक्ष है। मनु श्रद्धा, इड़ा एवं मानव के द्वारा मानव मात्रा के मनोजगत के विविध पक्षों का चित्राण चिंता, आशा, वासना, ईर्ष्या, संघर्ष एवं आनंद आदि सर्गों में किया गया है। जयशंकर प्रसाद का मूल नाम क्या था?
जयशंकर प्रसाद की सर्वश्रेष्ठ रचना कौन सी है?जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी 1889 को हुआ था। जयशंकर प्रसाद की सर्वश्रेष्ठ रचना कौन सी है? जयशंकर प्रसाद की सर्वश्रेष्ठ रचना कामायनी है।
जयशंकर प्रसाद की रचना कितनी है?काव्य:- चित्राधार, कानन-कुसुम, करूणालय, महाराणा का महत्व, प्रेम-पथिक, झरना आँसू, लहर, कामायनी और प्रसाद-संगीत। नाटक:- प्रायश्चित्त, सज्जन, कल्याणी-परिणय, अजात-शत्रु, विशाख, जनमेजय का नागयज्ञ, कामना, स्कन्दगुप्त, एक-घूँट, ध्रुवस्वामिनी।
जयशंकर प्रसाद के श्रेष्ठ भ्राता का क्या नाम था?पिता की मृत्यु के दो-तीन वर्षों के भीतर ही प्रसाद की माता का भी देहान्त हो गया और सबसे दुर्भाग्य का दिन तब आया, जब उनके ज्येष्ठ भ्राता शम्भूरतन चल बसे.
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