Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 11 रेशों से वस्त्र तक Text Book Questions and Answers, Notes. Show
Bihar Board Class 7 Science रेशों से वस्त्र तक Text Book Questions and Answersअभ्यास सही उत्तर पर (✓) का निशान लगाइये – प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न
4. प्रश्न 5. गर्मी के दिनों में वातावरण का ताप शरीर के ताप से अधिक होता है। हमारे शरीर में वातावरण के ताप पहुँचने पर हमें अधिक गर्म लगती है। हम चाहते हैं कि हल्के और सूती कपड़े पहनें ताकि आराम मालूम हो । प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. Bihar Board Class 7 Science रेशों से वस्त्र तक Notesजाड़े के दिनों में ऊनी कपड़ों की आवश्यकता होती है। ये ऊन हमें भेड़, पहाड़ी बकरी, ऊँट, लामा, याक एवं एल्पेका के बालों से प्राप्त होता है। ऊन एवं रेशम जांतव रेशे हैं। जांतव रेशा प्रदान करने वाले जन्तु के शरीर से बालों को काटकर, धुलाई, सफाई और छंटाई की जाती है और फिर उसे सुखाने के बाद रंगाई की जाती है और फिर सुलझाया जाता है और तब ऊन प्राप्त किये जाते हैं। हाथों या मशीन द्वारा प्राप्त ऊनों की बुनाई कर कपड़े तैयार किये जाते हैं। ऊनी कपड़े ऊष्मारोधी की तरह कार्य करते हैं, ऊनी कपड़े पहनने – पर हम गर्मी महसूस करते हैं। रेशम के कपड़े मुलायम, हल्के और आरामदायक होते हैं। रेशम के कीट रेशम के रेशों को बनाते हैं जिसके कारण रेशम के रेशे भी जातंव रेशे कह जाते हैं। रेशम प्राप्त करने के लिए रेशम के कीटों को पालना रेशम कीट पालन या सेरीकल्चर कहलाता है। रेशम कीट के जीवन की चार अवस्थाएँ होती हैं। मादा रेशम कीट अंडे देती है जिनसे लार्वा निकलता है। लार्वा शहतूत की पत्ती को खाते रहते हैं और बड़े हो जाते हैं। लार्वा एक पदार्थ स्रावित करता है जो कठोर होकर रेशा बन जाता है। लार्वा इन रेशों से स्वयं को पूरी तरह से ढंक लेता है और अंदर ही परिवर्तित होते रहता है। इसी आवरण को कोकून कहते हैं। कीट का अब विकास कोकून के भीतर होता है। जब पूर्ण विकसित होता है तो कोकून तोड़कर कीट बाहर आता है। मादा एक बार में सैकड़ों अंडे देती है। इन अंडे को सावधानी के साथ पाला जाता है और विकसित किया जाता है। कई तरह के रेशम कीट होते हैं, कोकूनों को धूप या भाप में सुखाया जाता है जिससे रेशे अलग होते हैं और धागे बनाये जाते हैं और फिर बुनकरों द्वारा रेशमी वस्त्रों की बुनाई की जाती है। रेशम वस्त्र ताना-बाना बुनावट होती है। ऊनी वस्त्र पंदे की बुनावट होती है। जाड़े के दिनों में ऊनी कपड़ा क्यों पहना जाता है?सर्दी का मौसम आते ही हम गर्म या ऊनी कपड़े पहनना शुरू कर देते हैं। इसका वैज्ञानिक कारण है कि ऊन ऊष्मा की कुचालक (Heat conductor) है तथा इसके रेशों के बीच बहुत सारी हवा बंद हो जाती है। हवा ऊन से भी अधिक ऊष्मा की कुचालक है। इसलिए हमारे शरीर से पैदा होने वाली ऊष्मा अधिक मात्रा में बाहर नहीं निकल पाती है।
जाड़े के दिनों में उन्हीं वस्तुओं का उपयोग क्यों किया जाता है?Solution : जाड़े के दिनों में ऊनी कपड़ों, कंबलों तथा रजाइयों का व्यवहार इसलिए किया जाता है कि ये वस्तुएँ ऊष्मा की कुचालक हैं, अतः ये हमारे शरीर की ऊष्मा को बाहर जाने से रोकती हैं। इसके अतिरिक्त इन वस्त्रों में अनेक बारीक छेद रहते हैं जिनमें हवा भरी रहती है।
सर्दी के मौसम में कौन से कपड़े पहनते हैं?इसलिए सबसे अंदरुनी परत कॉटन कपड़े की पहनें और उसके ऊपर से वूलेन कपडें पहनें जिससे ठंडी हवा शरीर तक न आ सके । यह ठंड से बचने का सबसे असरदार तरीका है। 5- सर्दियों में फुल साइज़ वाले ऊनी मोज़े पहनना बहुत ही फायदेमंद होता है। इससे आपके पैर को बिल्कुल भी ठंड नहीं लगती है और आप आसानी से घर के काम भी कर लेते हैं।
हम कपड़े क्यों पहनते हैं उत्तर कक्षा 1?Solution : गर्मी-सर्दी से बचने के लिए व शरीर की सुंदरता बढ़ाने के लिए।
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