जल संभर प्रबंधन से क्या आशय है? - jal sambhar prabandhan se kya aashay hai?

जल प्रबंधन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंजल प्रबंधन का अर्थ? जल प्रबंधन का आशय जल संसाधनों के इष्टतम प्रयोग से है और जल की लगातार बढ़ती मांग के कारण देशभर में जल के उचित प्रबंधन की आवश्यकता कई वर्षों से महसूस की जा रही है। जल प्रबंधन के तहत पानी से संबंधित जोखिमों जैसे- बाढ़, सूखा और संदूषण आदि के प्रबंधन को भी शामिल किया जाता है।

जल संरक्षण एवं प्रबंधन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंजल-भारण (वाटरशेड) प्रबंधन के उद्देश्य वाटरशेड प्रबंधन द्वारा प्राकृतिक संसाधनों जैसे भूमि, जल और कृषि-संपदा का संरक्षण और विकास किया जा सकता है। 2. वाटरशेड प्रबंधन द्वारा भूमि पर बहने वाले वर्षाजल को रोकने की क्षमता बढ़ाई जा सकती है। वाटरशेड प्रबंधन द्वारा वर्षाजल का संचयन करके जल पुनर्भरण का कार्य किया जा सकता है।

इसे सुनेंरोकेंजल प्रबंधन से तात्पर्य है कि जल संसाधनों के इष्टतम प्रयोग से हैं और जल की लगातार बढ़ती मांग के कारण देश भर में जल के उचित प्रबंधन आवश्यकता कई वर्षों से महसूस की जा रही है। जल प्रबंधन के तहत पानी से संबंधित खतरे जैसे सूखा बाढ़ एवं संदुषण आदि के प्रबंधक को भी शामिल किया गया है।

जल संग्रहण प्रबंधन क्या है?

इसे सुनेंरोकें1. जल संभर प्रबंधन में मिट्टी एवं जल संरक्षण पर जोर दिया जाता है जिससे कि जैव मात्रा उत्पादन में वृद्धि हो सके। 2. भूमि एवं जल के प्राथमिक स्रोतों का विकास, द्वितीयक संसाधन पौधों एवं जंतुओं का उत्पादन इस प्रकार करना जिससे पारिस्थितिक अंसतुलन पैदा न हो।

निम्नलिखित में से कौन सा अलवणीय जल का स्त्रोत है?

इसे सुनेंरोकेंयह आश्चर्य की बात ही है कि पृथ्वी पर अलवण जल का एकमात्र स्रोत महासागरों का खारा पानी ही है। लगभग 85 % वर्षा का जल सीधे समुद्रों में गिरता है एवं कभी भी पृथ्वी तक नहीं पहुँचता है। कुल वैश्विक अवक्षेपण के बचे हुए छोटे अंश में से, जो धरती पर गिरता है, झीलों, कुओं एवं नदियों में भरता है एवं नदियों को बहने देता है।

जल के संग्रहण का मुख्य उद्देश्य क्या है?

इसे सुनेंरोकेंवर्षा जल संरक्षण का मुख्य उद्देश्य घरों के छत पर जल संचय कर भू-जल को रिचार्ज करना है ताकि जमीन का जलस्तर बरकरार रह सके तथा पेयजल की समस्या उत्पन्न न हो ।

जल संरक्षण एवं प्रबंधन की आवश्यकता क्यों है?

इसे सुनेंरोकेंजल संरक्षण का अर्थ पानी बर्बादी तथा प्रदूषण को रोकने से है। जल संरक्षण एक अनिवार्य आवश्यकता है क्योंकि वर्षाजल हर समय उपलब्ध नहीं रहता अतः पानी की कमी को पूरा करने के लिये पानी का संरक्षण आवश्यक है। एक अनुमान के अनुसार विश्व में 350 मिलियन क्यूबिक मील पानी है। इसमें से 97 प्रतिशत भाग समुद्र से घिरा हुआ है।

जल संभर प्रबंधन से क्या आशय है? - jal sambhar prabandhan se kya aashay hai?

जलसंभर का उदहारण - लाल रंग की लकीर जलविभाजक क्षेत्र को दर्शा रही है

जलसंभर या द्रोणी उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं जहाँ वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी नदियों, नहरों और नालों से बह कर एक ही स्थान पर एकत्रित हो जाता है।[1] उस स्थान से या तो एक ही बड़ी नदी में पानी जलसंभर क्षेत्र से निकास कर के आगे बह जाता है, या फिर किसी सरोवर, सागर, महासागर या दलदली इलाक़े में जा के मिल जाता है। इस सन्दर्भ में कभी-कभी जलविभाजक शब्द का भी प्रयोग होता है क्योंकि भिन्न-भिन्न जलसंभर किसी भी विस्तृत क्षेत्र को अलग-अलग जल मंडलों में विभाजित करते हैं।[2] जलसंभर खुले या बंद हो सकते हैं। बंद जलसंभारों में पानी किसी सरोवर या सूखे सरोवर में जा कर रुक जाता है। जो बंद जलसंभर शुष्क स्थानों पर होते हैं उनमें अक्सर जल आ कर गर्मी से भाप बनकर हवा में वाष्पित (इवैपोरेट) हो जाता है या उसे धरती सोख लेती है। पड़ौसी जलसंभर अक्सर पहाड़ों, पर्वतों या धरती की भिन्न ढलानों के कारण एक-दुसरे से विभाजित होते हैं। भौगोलिक दृष्टि से जलसंभर एक कीप (यानि फनल) का काम करते हैं क्योंकि वे एक विस्तृत क्षेत्र के पानी को इक्कठा कर के एक ही नदी, जलाशय, दलदल या धरती के भीतर पानी सोखने वाले स्थान पर ले जाते हैं।

अन्य भाषाओं में[संपादित करें]

अंग्रेज़ी में "जलसंभर" को "वॉटरशॅड" (watershed) या "कैचमेंट" (catchment), "जलविभाजक" को "ड्रेनेज डिवाइड" (drainage divide) और "द्रोणी" को "बेसिन" (basin) कहा जाता है।

जलाविभाजकों की श्रेणियां[संपादित करें]

जलविभाजक तीन मुख्य प्रकार के होते हैं -

  • महाद्वीपीय विभाजक - इस विभाजन में किसी महाद्वीप के एक जलसंभर का जल एक ओर के महासागर की तरफ़ बहता है और उसके पड़ौसी जलसंभर का जल दूसरी ओर के महासागर की तरफ़ बहता है। मिसाल के लिए अफ़्रीका के महाद्वीप पर नील नदी के जलसंभर का पानी उत्तर की ओर बहकर भूमध्य सागर में विलय हो जाता है लेकिन उसके पड़ौसी कांगो नदी के जलसंभर का पानी पश्चिम की ओर बहकर अन्ध महासागर में विलय हो जाता है।
  • बृहद् विभाजक - यह वो बड़े विभाजक हैं जिनमें जल दो भिन्न और एक-दुसरे से कभी न मिलने वाली नदियों में अलग-अलग तो बहता हैं, लेकिन दोनों नदियाँ अंत में जाकर एक ही सागर या महासागर में विलय हो जाती हैं। चीन की ह्वांगहो और यांग्त्सीक्यांग नदियों के जलविभाजक इसका उदहारण हैं - दोनों नदिया अलग-अलग बहतीं हैं लेकिन अंत में जाकर दोनों प्रशांत महासागर में ही मिल जाती हैं।
  • लघु विभाजक - यह वो छोटे पैमाने के विभाजक होते हैं जिनमें जल अलग-अलग नदियों में एकत्रित तो होता है लेकिन वे नदियाँ स्वयं ही आगे चलकर मिल जाती हैं। इसकी मिसाल गंगा और यमुना के जलविभाजक हैं।

विश्व के महत्वपूर्ण जलसंभर[संपादित करें]

पृथ्वी के इस नक्शे में विश्व के बड़े जलसंभर क्षेत्र दिखाए गएँ हैं। भिन्न महासागरों और सागरों में ख़ाली होने वाले जलसंभर भिन्न रंगों में दर्शाए गएँ हैं। स्लेटी रंग का प्रयोग बंद जलसंभरों के लिए हुआ है जो किसी सागर या महासागर में पानी नहीं बहाते।

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इन्हें भी देखिये[संपादित करें]

  • नदी
  • बंद जलसंभर

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Hydrologic Unit Geography". Virginia Department of Conservation & Recreation. मूल से 10 नवंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 नवम्बर 2010.
  2. "drainage basin". www.uwsp.edu. मूल से 21 मार्च 2004 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-02-21.

जल संभर प्रबंधन से आप क्या समझते है?

इनमें से कुछ गैर सरकारी संगठनों द्वारा भी चलाए जा रहे हैं। 'हरियाली' केंद्र सरकार द्वारा प्रवर्तित जल-संभर विकास परियोजना है जिसका उद्देश्य ग्रामीण जनसंख्या को पीने हेतु, सिंचाई, मत्स्य पालन और वन रोपण के लिए जल संरक्षण के योग्य बनाना है। यह परियोजना लोगों के सहयोग से ग्राम पंचायतों द्वारा निष्पादित की जा रही है।

जल संभर का मतलब क्या होता है?

जल संभरण (Watershed) भूमि का वह क्षेत्र होता है जिसका समस्त अपवाहित जल एक ही बिंदु से होकर गुजरता है। इस क्षेत्र में गिरने वाला जल एक नदी या उसकी कई सहायक नदियों के माध्यम से एकत्रित होकर एक ही स्थान से होकर प्रवाहित होता है।

जलसंभर का मुख्य उद्देश्य क्या है?

इसका प्रमुख उद्देश्य भूमि एवं जल के प्राथ िक स्रोतों का विकास, द्वितीय संसाधन पौधों एवं जंतुओं का उत्पादन इस प्रकार करना जिससे पारिस्थितिक असंतुलन पैदा न हो।

जल प्रबंधन से क्या लाभ है?

जल-भारण (वाटरशेड) प्रबंधन के उद्देश्य.
वाटरशेड प्रबंधन द्वारा प्राकृतिक संसाधनों जैसे भूमि, जल और कृषि-संपदा का संरक्षण और विकास किया जा सकता है।.
वाटरशेड प्रबंधन द्वारा भूमि पर बहने वाले वर्षाजल को रोकने की क्षमता बढ़ाई जा सकती है। ... .
वाटरशेड प्रबंधन द्वारा वर्षाजल का संचयन करके जल पुनर्भरण का कार्य किया जा सकता है।.