Gujarat Board GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 4 एक प्रश्न : चार उत्तर Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf. GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 4 एक प्रश्न : चार उत्तरGSEB Class 10 Hindi Solutions एक प्रश्न : चार उत्तर Textbook Questions and Answers स्वाध्याय 1. निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए ! प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. 2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. 4. निम्नलिखित प्रश्नों के सविस्तार उत्तर लिखिए : प्रश्न 1. अपने मालिक की शुभकामना की प्रतिज्ञा करते हैं। पर नौकरी मिलते ही वे अपनी जीविका को ही खराब समझने लगते हैं। वे अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर काम खराब करने के लिए षड्यंत्र रचने लगते हैं और मालिक को हैरान कर डालते हैं। अन्य देशों में लोग साधारण शब्दों में नौकरी के लिए दरखास्त देते हैं और जब स्थान मिल जाता है, तो वे बड़ी निष्ठा और लगन से काम करते हैं। हमें इस बात पर ध्यान देना जरूरी है। प्रश्न 2. गृहस्थ को यह विश्वास नहीं होता कि धोबी और दरजी वादे पर कपड़े दे जाएंगे और धोबी और दरजी को यह विश्वास नहीं होता कि उन्हें समय पर दाम मिल जाएंगे। रेलगाड़ी से यात्रा करनेवाले को विश्वास नहीं होता कि पहले से बैठे यात्री उसे स्थान देंगे और पहले से बैठे यात्रियों को यह विश्वास नहीं होता कि आनेवाला यात्री आने पर व्यर्थ का शोर नहीं मचाएगा। पैदल चलनेवाले को यह विश्वास नहीं होता कि आगे चलनेवाला व्यक्ति अपना छाता इस तरह खोलेगा कि छाते की नोक से उसकी आँख न फूट जाएगी। आगे चलनेवाले व्यक्ति को यह विश्वास नहीं होता कि पीछेवाला व्यक्ति उसे धक्का नहीं देगा। किसी को किसी पर यह विश्वास नहीं कि केले, नारंगी का छिलका या सुई, पिन आदि इस तरह वह न छोड़ेगा, जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचे। यहां के लोग अपनी तात्कालिक सुविधा देखते हैं। दूसरों के प्रति वे अपने कर्तव्यों का अनुभव नहीं करते। प्रश्न 3. हमारे देश में अनेक गुणी नवयुवक हैं। वे इन नवयुवकों को अपनी योग्यता दिखाने का मौका नहीं देते। वे अपने गुण दूसरों को नहीं सिखाते और मरने के बाद उनका गुण व्यर्थ हो जाता है। यहाँ अंत तक पिता पुत्र को घर का काम नहीं बतलाता। इसके कारण अनेक कुटुंब नष्ट हो गए। देश में भी यही हालत है- बड़ा छोटों को काम नहीं सिखाता। इसका परिणाम यह हुआ है कि लोगों की प्रतिभा धरी की धरी रह जाती है और उसका उपयोग नहीं हो पाता। इस प्रकार अनेक आविष्कार, औषधियाँ और वैज्ञानिक लुप्त हो जाते हैं। प्रश्न 4. इसके अलावा नागरिकों में उदारता का गुण होना भी आवश्यक है। उनमें नवयुवकों को आगे बढ़ाने की उदारता होनी चाहिए। वे लोगों की काम सीखने में मदद करें। लोग ऐसे हों, जो अपने गुण, अपनी कला लोगों को देने में संकोच न करें। देश को ऐसे ही कर्मठ और उदार नागरिकों की आवश्यकता है। Hindi Digest Std 10 GSEB एक प्रश्न : चार उत्तर Important Questions and Answers निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए: प्रश्न 1. सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. व्याकरण निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित संधि को जोड़िए: प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित संधि को छोड़िए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञा लिखिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित शब्दों की कर्तृवाचक संज्ञा लिखिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित शब्दों की विशेषण संज्ञा लिखिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित समास को पहचानिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
एक प्रश्न : चार उत्तर Summary in Hindiविषय-प्रवेश : लेखक को यह प्रश्न अकसर कचोटता रहता है कि देश में कई विशेष पुरुषों के होने और बड़े-बड़े आंदोलन होने के बावजूद हमारा देश उन्नति क्यों नहीं कर रहा है। अवसर आने पर वे यह प्रश्न अपने उन विदेशी मित्रों से भी पूछने से नहीं झिझकते, जिने यहाँ रहते हुए देश के बारे में अच्छी जानकारी होती है। प्रस्तुत पाठ में यह सवाल उन्होंने अपने चार विदेशी मित्रों से पूछे हैं। चारों महानुभावों ने इस प्रश्न का उत्तर अपने-अपने ढंग से दिया है। इसका निष्कर्ष यह है कि देश तभी उन्नति कर सकता है जब सभी लोग पूरी ईमानदारी, लगन और निष्ठापूर्वक अपने काम करें। पाठ का सार : लेखक का खब्त : लेखक देश की दशा को लेकर चिंतित हैं। उन्हें इस बात की चिता है कि देश में कई विशेष पुरुष हैं और यहाँ कई बड़े-बड़े आंदोलन भी हुए हैं, फिर भी हमारा देश उन्नति क्यों नहीं कर रहा है? यह प्रश्न उन्हें परेशान करता रहता है। यही प्रश्न वे अपने उन विदेशी मित्रों से भी सुअवसर मिलने पर पूछ बैठते हैं, जो यहाँ लंबे अरसे से रह रहे हैं और काफी अनुभवी हैं। अपने विदेशी मित्रों से यह पूछना उनका खत बन गया है। लेखक के पहले मित्र का मत : लेखक ने पहली बार अपने जिस विदेशी मित्र से यह सवाल पूछा, वे एक वृद्ध ईसाई पादरी थे। वे यहाँ लंबे अरसे से देश के दरिद्र लोगों की सामाजिक सेवा करते आ रहे थे। उन्होंने लेखक के प्रश्न के जवाब में कहा कि यहां के लोगों को अपने काम का गर्व नहीं है, इसलिए देश की उन्नति नहीं हो रही है। उनके अनुसार यहाँ के लोगों की कथनी और करनी में बहुत अंतर है। वे उदाहरण के रूप में नौकरियों के लिए आवेदनपत्र करने और नौकरी मिलने पर गुट बनाकर मालिक के साथ दुर्व्यवहार करने की बात बताते हैं। वे कहते हैं कि यहाँ के लोग आवेदनपत्र में अपनी निष्ठा और मालिक की शुभकामना की प्रतिज्ञा करते हैं, पर नौकरी मिलते ही मालिक के खिलाफ षड़यंत्र रचने लगते हैं। अन्य देशों में लोग इस प्रकार का व्यवहार नहीं करते। वे साधारण शब्दों में प्रार्थनापत्र लिखते हैं और स्थान मिलने पर जान लड़ाकर काम करते हैं। लेखक की सहमति : लेखक अपने पादरी मित्र की बात से सहमत हैं कि हमें अपने काम का गर्व नहीं है। वे कहते हैं कि हमारे देश की परंपरा में अपने काम का गर्व करने का आदेश है, पर हम उसे भूल गए हैं। इसका कारण है हमारी लंबी दासता। काम का गर्व करने की परंपरा पर ही आधारित है हमारे यहाँ का जातिभेद। आज भी लोग विशेष तिथियों पर अपने औजारों और बहियों की पूजा करते हैं। पर आज हम ‘स्वधर्म निधन श्रेयः’ (अपना कर्तव्य करते हुए मर जाना श्रेयस्कर है) का आदेश भूल गए हैं। दूसरे मित्र का जवाब : लेखक ने अपने प्रश्न का जवाब जिन दूसरे विदेशी सज्जन से जानना चाहा, वे आई, सी. एस. (आई. ए. एस.) के सदस्य एक वृद्ध सरकारी कर्मचारी थे। उन्हें 30 वर्ष से अधिक यहाँ रहने का अनुभव है। उन्होंने लेखक के प्रश्न के जवाब में कहा कि देश के उन्नति न करने का कारण यहाँ के लोगों का अपनी जिम्मेदारी न समझना है। अर्थात उठाए गए काम को पूरा करने का गुण हम भूल गए हैं। किसी को किसी पर विश्वास नहीं : पूर्व सरकारी कर्मचारी के अनुसार अपनी जिम्मेदारी न. समझने के कारण लोगों में अविश्वास की भावना घर कर गई है। किसी को यह विश्वास नहीं रह गया है कि उसका काम समय पर होगा अथवा काम करने पर उसे समय पर मेहनताना मिल पाएगा। किसी को किसी के व्यवहार के बारे में विश्वास नहीं है। हर व्यक्ति अपनी सुविधा देखता है। दूसरों के कष्ट की किसी को परवाह नहीं है। यह सब अपनी जिम्मेदारी न समझने का परिणाम है। तीसरे व्यक्ति का जवाब : लेखक जिस तीसरे व्यक्ति से अपना प्रश्न पूछते है सात-आठ साल से भारतीय बनकर श्रद्धापूर्वक देश की सेवा कर रही महिला थी। उनके अनुसार देश के उन्नति न करने का कारण यहाँ के लोगों का आलसी होना है। कहने का अर्थ यह कि यहाँ के लोगों ने श्रम का महत्त्व नहीं पहचाना। यहाँ के लोग मेहनत करने में विश्वास नहीं रखते। इसलिए यहाँ के लोग किसी क्षेत्र में सफल नहीं होते। चौथे व्यक्ति का मत : लेखक के प्रश्न का जवाब देनेवाला यह व्यक्ति एक विश्व प्रसिद्ध वृद्ध महिला थीं, जिन्होंने अपने 40 वर्ष विभिन्न सेवाओं में यहाँ खपायें थे। उनके अनुसार देश की उन्नति न होने का कारण यहाँ के लोगों में उदारता न होना है। लोगों में उदारता की भावना न होने के कारण लोग खुद ही आगे रहना चाहते हैं, दूसरों को आगे नहीं बढ़ने देते। इसलिए अनेक योग्य वैज्ञानिक आविष्कार एवं अनेक औषधियाँ लुप्त हो गई। अनेक गुणी लोगों ने अपने गुणों से दूसरों को परिचित नहीं कराया और अपने गुण अपने साथ लेकर स्वर्ग सिधार गए। कहने का अर्थ यह कि गुणी व्यक्ति नवयुवकों को अपनी योग्यता दिखाने का अवसर नहीं देते। लेखक का स्पष्टीकरण : लेखक अपने इन चारों विदेशी मित्रों के जवाब को स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि हम ठीक समय से उपयुक्त काम न उठाकर अपने काम में गर्व नहीं करते। उस काम को करने में दूसरों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का अनुभव नहीं करते। हम अपने काम को भलीभांति समझकर उसमें तल्लीन होकर परिश्रम के साथ उसे खुद नहीं करते। हम अपने गुण उदारता के साथ दूसरों को नहीं सिखाते। इसलिए हम स्वयं अपनी बर्बादी कर रहे हैं। लेखक इस बात को और सरल ढंग से बताते हुए कहते हैं कि हम नागरिक कर्तव्यों और अधिकारों को भूल गए हैं। हम बड़े-से-बड़े नेता के कहे अनुसार नहीं चलते। उनके आदेशों के अनुसार अपने जीवन का संगठन नहीं करते। यही कारण है कि हम वहीं के वहीं हैं। हमारा देश उन्नति नहीं कर रहा है। |