यदि इस वीडियो के साथ कोई समस्या है तो Show इस शहर में वसंत जो है वह सुगबुगाता है तुमने कभी देखा है इस शहर में
धूल यह धीरे-धीरे होना कभी सई-साँझ आधा शव में जो है वह खड़ा है किसी अलक्षित सूर्य को Learn with Criss Cross Classes बनारसIn this post we have given the detailed notes of class 12 Hindi chapter 4th Banaras. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams इस पोस्ट में क्लास 12 के हिंदी के पाठ 4 बनारस के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।
केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय
बनारसकवि: – केदारनाथ सिंह पाठ का परिचय
इस शहर में बसंत अचानक आता है और जब आता हे तो मैंने देखा हे लहरतारा या मडुवाडीह की तरफ़ से उठता है धूल का एक बवंडर! और इस महान पुराने शहर की जीभ किरकिराने लगती हे
जो है वह सुगबुगाता है जो नहीं है वह फेंकने लगता है पचखियाँ आदमी दशाश्वमेध पर जाता है और पाता है घाट का आखिरी पत्थर कुछ और मुलायम हो गया हे
सीढ़ियों पर बैठे बंदरों की आँखों में एक अजीब सी नमी है और एक अजीब सी चमक से भर उठा है भिखारियों के कटोरों का निचाट खालीपन तुमने कभी देखा हे खाली कटोरों में बसंत का उतरना! यह शहर इसी तरह खुलता है इसी तरह भरता और खाली होता है यह शहर
इसी तरह रोज़-रोज़ एक अनंत शव ले जाते हैं कंधे अँधेरी गली से चमकती हुई गंगा की तरफ़
इस शहर में धूल धीरे-धीरे उड़ती हे धीरे-धीरे चलते हैं लोग धीरे-धीरे बजते हैं घंटे शाम धीरे-धीरे होती हे
यह धीरे-धीरे होना धीरे-धीरे होने की सामूहिक लय दृढ़ता से बाँधे है समूचे शहर को इस तरह कि कुछ भी गिरता नहीं -हे कि हिलता नहीं है कुछ भी कि जो चीज़ जहाँ थी वहीं पर रखी है कि गंगा वहीं हे कि वहीं पर बँधी हैं-नाव कि वहीं पर रखी है तुलसीदास की खड़ाऊँ सैकड़ों बरस॑ से
कभी सई-साँझ बिना किसी सूचना के घुस जाओ इस शहर में कभी आरती के आलोक में इसे अचानक देखो अद्भुत है इसकी बनावट यह आधा जल में हे आधा मंत्र में आधा फूल में है आधा शव में आधा नींद में है आधा शंख में अगर ध्यान से देखो तो यह आधा है और आधा नहीं है
जो है वह – खड़ा है बिना किसी स्तंभ-के जो नहीं है उसे थामे है राख और रोशनी के ऊँचे-ऊँचे स्तंभ आग के स्तंभ और पानी के स्तंभ धुएँ के खुशबू के आदमी के उठे हुए हाथों के स्तंभ
किसी अलक्षित सूर्य को देता हुआ अर्घ्य शताब्दियों से इसी तरह गंगा के जल में अपनी एक टाँग पर खड़ा है यह शहर अपनी दूसरी टाँग से बिलकुल बेखबर!
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Learn with Criss Cross Classes घाट की सीढ़ियों पर बैठे किसकी आंखों में अजीब सी नमी थी?जो नहीं है वह फेंकने लगता है पचखियाँ आदमी दशाश्वमेध पर जाता है और पाता है घाट का आखिरी पत्थर कुछ और मुलायम हो गया है सीढ़ियों पर बैठे बंदरों की आँखों में एक अजीब सी नमी है । 8.
बनारस कविता के रचयिता कौन है?बनारस / केदारनाथ सिंह - कविता कोश
कवि ने बनारस कविता में किसकी विशेषता का वर्णन किया है?Answer: कवि के अनुसार बनारस शहर में धूल धीरे-धीरे उड़ती है, यहाँ लोग धीरे-धीरे चलते हैं, धीरे-धीरे ही यहाँ मंदिरों में घंटे बजते हैं तथा शाम भी यहाँ धीरे-धीरे होती है। कवि के अनुसार यहाँ सभी कार्य धीरे-धीरे होना इस शहर की विशेषता है।
केदारनाथ सिंह की कविता में निम्न में से किसका चित्रण मिलता है?केदारनाथ सिंह की कविताओं में प्रकृति के सबसे निर्मल बिंब मिलते हैं. नदी, नालों, खुले जुते पड़े हुए खेतों, पुरवा और पछुवा, चिड़िया, घास और फुनगी से वे कभी दूर नहीं जा पाए.
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