घाट की सीढ़ियों में बैठे किसकी आंखों में अजीब सी नामी थी? - ghaat kee seedhiyon mein baithe kisakee aankhon mein ajeeb see naamee thee?

यदि इस वीडियो के साथ कोई समस्या है तो
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें

इस शहर में वसंत
अचानक आता है
और जब आता है तो मैंने देखा है
लहरतारा या मडुवाडीह की तरफ़ से
उठता है धूल का एक बवंडर
और इस महान पुराने शहर की जीभ
किरकिराने लगती है

जो है वह सुगबुगाता है
जो नहीं है वह फेंकने लगता है पचखियाँ
आदमी दशाश्‍वमेध पर जाता है
और पाता है घाट का आखिरी पत्‍थर
कुछ और मुलायम हो गया है
सीढि़यों पर बैठे बंदरों की आँखों में
एक अजीब सी नमी है
और एक अजीब सी चमक से भर उठा है
भिखारियों के कटरों का निचाट खालीपन

तुमने कभी देखा है
खाली कटोरों में वसंत का उतरना!
यह शहर इसी तरह खुलता है
इसी तरह भरता
और खाली होता है यह शहर
इसी तरह रोज़ रोज़ एक अनंत शव
ले जाते हैं कंधे
अँधेरी गली से
चमकती हुई गंगा की तरफ़

इस शहर में धूल
धीरे-धीरे उड़ती है
धीरे-धीरे चलते हैं लोग
धीरे-धीरे बजते हैं घनटे
शाम धीरे-धीरे होती है

यह धीरे-धीरे होना
धीरे-धीरे होने की सामूहिक लय
दृढ़ता से बाँधे है समूचे शहर को
इस तरह कि कुछ भी गिरता नहीं है
कि हिलता नहीं है कुछ भी
कि जो चीज़ जहाँ थी
वहीं पर रखी है
कि गंगा वहीं है
कि वहीं पर बँधी है नाँव
कि वहीं पर रखी है तुलसीदास की खड़ाऊँ
सैकड़ों बरस से

कभी सई-साँझ
बिना किसी सूचना के
घुस जाओ इस शहर में
कभी आरती के आलोक में
इसे अचानक देखो
अद्भुत है इसकी बनावट
यह आधा जल में है
आधा मंत्र में
आधा फूल में है

आधा शव में
आधा नींद में है
आधा शंख में
अगर ध्‍यान से देखो
तो यह आधा है
और आधा नहीं भी है

जो है वह खड़ा है
बिना किसी स्‍थंभ के
जो नहीं है उसे थामें है
राख और रोशनी के ऊँचे ऊँचे स्‍थंभ
आग के स्‍थंभ
और पानी के स्‍थंभ
धुऍं के
खुशबू के
आदमी के उठे हुए हाथों के स्‍थंभ

किसी अलक्षित सूर्य को
देता हुआ अर्घ्‍य
शताब्दियों से इसी तरह
गंगा के जल में
अपनी एक टाँग पर खड़ा है यह शहर
अपनी दूसरी टाँग से
बिलकुल बेखबर!

घाट की सीढ़ियों में बैठे किसकी आंखों में अजीब सी नामी थी? - ghaat kee seedhiyon mein baithe kisakee aankhon mein ajeeb see naamee thee?

Learn with Criss Cross Classes


बनारस

In this post we have given the detailed notes of class 12 Hindi chapter 4th Banaras. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams

इस पोस्ट में क्लास 12 के हिंदी के पाठ 4 बनारस के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।

Board CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Hindi (अंतरा)
Chapter no. Chapter 4
Chapter Name बनारस
Category Class 12 Hindi Notes
Medium Hindi
Class 12 Hindi Chapter 4 बनारस

केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय

  • जनम
    • 1934 को उत्तर प्रदेश के चकिया गाँव में
  • शिक्षा
    • B.A बनारस के उदय प्रताप कॉलेज से की
    • M.A काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से की
  • उपाधि
    • PHD आधुनिक हिंदी कविता में बिम्ब विधान का विकास
  • रचनाएँ
    • काव्य संग्रह
      • अभी बिलकुल अभी,
      • यहाँ से देखो
      • अकाल में सारस, जमीन पक रही है

बनारस

कवि: – केदारनाथ सिंह

 

पाठ का परिचय

  • इस कविता में बनारस की सांस्कृतिक विशेषताओं का वर्णन किया गया है
  • गंगा, गंगा के घाट, मंदिरो और भिखारियों का भी इस कविता में वर्णन किया गया है

इस शहर में बसंत

अचानक आता है

और जब आता हे तो मैंने देखा हे

लहरतारा या मडुवाडीह की तरफ़ से

उठता है धूल का एक बवंडर!

और इस महान पुराने शहर की जीभ

किरकिराने लगती हे

  • कवि कहते हैं कि जब बनारस शहर में वसंत आती है तब लहरतारा और मडुवाडीह शहर से एक धूल का बवंडर उठता है जिसकी वजह से चारों और धूल उड़ने लगती है और इस प्राचीन शहर की सुंदरता और निखर जाती है 

जो है वह सुगबुगाता है

जो नहीं है वह फेंकने लगता है पचखियाँ

आदमी दशाश्वमेध पर जाता है

और पाता है घाट का आखिरी पत्थर

कुछ और मुलायम हो गया हे

  • वसंत के आने से पेड़ों पर नए पत्ते आ जाते हैं और पेड़ों पर कोयल गीत गाने लगती है, बसंत के आने पर दशाश्वमेध घाट पर और भी ज्यादा चहल-पहल हो जाती हैं
  • कवि कहते हैं कि घाट का आखरी पत्थर भी मुलायम हो जाता है इसका मतलब यह है कि कठोर हृदय वाला मनुष्य भी यहां पर रहकर कोमल हृदय का हो जाता है

सीढ़ियों पर बैठे बंदरों की आँखों में

एक अजीब सी नमी है

और एक अजीब सी चमक से भर उठा है

भिखारियों के कटोरों का निचाट खालीपन

तुमने कभी देखा हे

खाली कटोरों में बसंत का उतरना!

यह शहर इसी तरह खुलता है

इसी तरह भरता

और खाली होता है यह शहर

  • सीढ़ियों पर बैठे बंदरों को किसी भी प्रकार का डर नहीं है इस बात से यह ज्ञात होता है कि वहां के लोगों में ना केवल मनुष्य के लिए बल्कि जानवरों के लिए भी प्यार है
  • उनका कहना है कि वसंत के आते ही भिखारियों के कटोरे भी भर जाते हैं लोग बनारस आते हैं और उनके कटोरो में सिक्के डालते हैं

इसी तरह रोज़-रोज़ एक अनंत शव

ले जाते हैं कंधे

अँधेरी गली से

चमकती हुई गंगा की तरफ़

  • लोगों का मानना है कि अगर बनारस शहर की गंगा नदी में मनुष्यों की अस्थियों को बहाया जाता है तो उन सभी मनुष्य को मोक्ष प्राप्त हो जाती है इसलिए अनेकों लोग इस शहर में अनेकों शवों को गंगा नदी में बहाते हैं ताकि उनको मोक्ष प्राप्त हो सके

इस शहर में धूल

धीरे-धीरे उड़ती हे

धीरे-धीरे चलते हैं लोग

धीरे-धीरे बजते हैं घंटे

शाम धीरे-धीरे होती हे

  • बनारस एक प्राचीन अर्थात शांत शहर है जहां हर काम शांति पूर्वक किया जाता है ना की भागदौड़ के साथ
  • बनारस में रहने वाले निवासियों का व्यक्तित्व शांत और स्वभाव पुराने विचारों वाला है

यह धीरे-धीरे होना

धीरे-धीरे होने की सामूहिक लय

दृढ़ता से बाँधे है समूचे शहर को

इस तरह कि कुछ भी गिरता नहीं -हे

कि हिलता नहीं है कुछ भी

कि जो चीज़ जहाँ थी

वहीं पर रखी है

कि गंगा वहीं हे

कि वहीं पर बँधी हैं-नाव

कि वहीं पर रखी है तुलसीदास की खड़ाऊँ

सैकड़ों बरस॑ से

  • धीरे-धीरे कार्य करने की विधि के कारण उन्होंने सभी को एकता के सूत्र में बांध रखा है
  • घाट पर बनी नाव हो या फिर तुलसीदास की पादुकाएं हो वह सैकड़ों वर्षो से गंगा के समान वही की वही है
  • इन सब बातों के माध्यम से कवि यह बताना चाहता है कि यहां की परंपरा सैकड़ों वर्षो से वैसी ही है जैसी वह पहले थी कितनी भी आधुनिक चीजें बनारस में आई हो पर बनारस ने अपनी परंपराओं को छोड़ा नहीं

कभी सई-साँझ

बिना किसी सूचना के

घुस जाओ इस शहर में

कभी आरती के आलोक में 

इसे अचानक देखो

अद्भुत है इसकी बनावट

यह आधा जल में हे

आधा मंत्र में

आधा फूल में है

आधा शव में

आधा नींद में है

आधा शंख में

अगर ध्यान से देखो

तो यह आधा है

और आधा नहीं है

  • इन पंक्तियों के माध्यम से कवि बनारस की शाम की सुंदरता का वर्णन करता है
  • वह कहते हैं अगर ध्यान से शाम के समय बनारस शहर को देखा जाए तो घाटों और मंदिरों पर आरतियां होती हैं जिसके कारण वह चारों तरफ प्रकाश में फैलाती है
  • जादू, मंत्र और फूल भगवान की आरती करते हुए श्रद्धा से गंगा नदी में डूबे हुए लगते हैं 

जो है वह – खड़ा है

बिना किसी स्तंभ-के

जो नहीं है उसे थामे है

राख और रोशनी के ऊँचे-ऊँचे स्तंभ

आग के स्तंभ

और पानी के स्तंभ

धुएँ के

खुशबू के

आदमी के उठे हुए हाथों के स्तंभ

  • इन पंक्ति में केदारनाथ ने बनारस के विश्वास और आस्था का वर्णन किया है
  • बनारस शहर बिना किसी खंभे के सहारे से सदियों से खड़ा है
    • आग के स्तंभ: – यज्ञ पूजा
    • पानी के स्तंभ: – गंगा
    • खुशबू के स्तंभ: – अगरबत्ती
    • दोहे के स्तंभ: – आरती
    • मनुष्य के उठे हाथों के स्तंभ: – भक्त
  • इन स्तंभों के कारण बनारस शहर सदियों से टिका हुआ है

किसी अलक्षित सूर्य को

देता हुआ अर्घ्य

शताब्दियों से इसी तरह

गंगा के जल में

अपनी एक टाँग पर खड़ा है यह शहर

अपनी दूसरी टाँग से

बिलकुल बेखबर!

  • बनारस के लोग सैकड़ों सालों से धर्म और कर्म कर रहे हैं 
  • बनारस के निवासियों को आधुनिक जीवन से कोई मोह नहीं है ना ही कोई बैर है

We hope that class 12 Hindi Chapter 4 बनारस (Banaras) notes in Hindi helped you. If you have any query about class 12 Hindi Chapter 4 बनारस (Banaras) notes in Hindi or about any other notes of class 12 History in Hindi, so you can comment below. We will reach you as soon as possible…

 

  • Class 12th
    • Class 12 All Video Courses
    • Class 12 All Important Notes 
    • Class 12 All Important Questions
    • Class 12 All Important Quizzes
    • Class 12 All Important Objective Questions
    • Class 12 All Sample Papers
    • Class 12 All Last Year Questions Papers
    • Class 12 All PDF E-books
  • Class 11th
    • Class 11 All Video Courses
    • Class 11 All Important Notes 
    • Class 11 All Important Questions
    • Class 11 All Important Quizzes
    • Class 11 All Important Objective Questions
    • Class 11 All Sample Papers
    • Class 11 All Last Year Questions Papers
    • Class 11 All PDF E-books
  • Class 10th
    • Class 10 All Video Courses
    • Class 10 All Important Notes 
    • Class 10 All Important Questions
    • Class 10 All Important Quizzes
    • Class 10 All Important Objective Questions
    • Class 10 All Sample Papers
    • Class 10 All Last Year Questions Papers
    • Class 10 All PDF E-books


Learn with Criss Cross Classes

घाट की सीढ़ियों पर बैठे किसकी आंखों में अजीब सी नमी थी?

जो नहीं है वह फेंकने लगता है पचखियाँ आदमी दशाश्वमेध पर जाता है और पाता है घाट का आखिरी पत्थर कुछ और मुलायम हो गया है सीढ़ियों पर बैठे बंदरों की आँखों में एक अजीब सी नमी है । 8.

बनारस कविता के रचयिता कौन है?

बनारस / केदारनाथ सिंह - कविता कोश

कवि ने बनारस कविता में किसकी विशेषता का वर्णन किया है?

Answer: कवि के अनुसार बनारस शहर में धूल धीरे-धीरे उड़ती है, यहाँ लोग धीरे-धीरे चलते हैं, धीरे-धीरे ही यहाँ मंदिरों में घंटे बजते हैं तथा शाम भी यहाँ धीरे-धीरे होती है। कवि के अनुसार यहाँ सभी कार्य धीरे-धीरे होना इस शहर की विशेषता है।

केदारनाथ सिंह की कविता में निम्न में से किसका चित्रण मिलता है?

केदारनाथ सिंह की कविताओं में प्रकृति के सबसे निर्मल बिंब मिलते हैं. नदी, नालों, खुले जुते पड़े हुए खेतों, पुरवा और पछुवा, चिड़िया, घास और फुनगी से वे कभी दूर नहीं जा पाए.