घर में पूजा कैसे की जाती है? - ghar mein pooja kaise kee jaatee hai?

घर के मंदिर में ज्यादा बड़ी मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि यदि हम मंदिर में शिवलिंग रखना चाहते हैं तो शिवलिंग हमारे अंगूठे के आकार से बड़ा नहीं होना चाहिए। शिवलिंग बहुत संवेदनशील होता है और इसी वजह से घर के मंदिर में छोटा सा शिवलिंग रखना शुभ होता है। अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी छोटे आकार की ही रखनी चाहिए। अधिक बड़ी मूर्तियां बड़े मंदिरों के लिए श्रेष्ठ रहती हैं, लेकिन घर के छोटे मंदिर के लिए छोटे-छोटे आकार की प्रतिमाएं श्रेष्ठ मानी गई हैं।

पूजा करते समय किस दिशा की ओर होना चाहिए अपना मुंह :

घर में पूजा करने वाले व्यक्ति का मुंह पश्चिम दिशा की ओर होगा तो बहुत शुभ रहता है। इसके लिए पूजा स्थल का द्वार पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। यदि यह संभव ना हो तो पूजा करते समय व्यक्ति का मुंह पूर्व दिशा में होगा तब भी श्रेष्ठ फल प्राप्त होते हैं।

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मंदिर तक पहुंचनी चाहिए सूर्य की रोशनी और ताजी हवा :

घर में मंदिर ऐसे स्थान पर बनाया जाना चाहिए, जहां दिनभर में कभी भी कुछ देर के लिए सूर्य की रोशनी अवश्य पहुंचती हो। जिन घरों में सूर्य की रोशनी और ताजी हवा आती रहती है, उन घरों के कई दोष स्वत: ही शांत हो जाते हैं। सूर्य की रोशनी से वातावरण की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मक ऊर्जा में बढ़ोतरी होती है।


पूजन के बाद पूरे घर में कुछ देर बजाएं घंटी :

यदि घर में मंदिर है तो हर रोज सुबह और शाम पूजन अवश्य करना चाहिए। पूजन के समय घंटी अवश्य बजाएं, साथ ही एक बार पूरे घर में घूमकर भी घंटी बजानी चाहिए। ऐसा करने पर घंटी की आवाज से नकारात्मकता नष्ट होती है और सकारात्मकता बढ़ती है।

पूजन सामग्री से जुड़ी खास बातें :

पूजा में बासी फूल, पत्ते अर्पित नहीं करना चाहिए। स्वच्छ और ताजे जल का ही उपयोग करें। इस संबंध में यह बात ध्यान रखने योग्य है कि तुलसी के पत्ते और गंगाजल कभी बासी नहीं माने जाते हैं, अत: इनका उपयोग कभी भी किया जा सकता है। शेष सामग्री ताजी ही उपयोग करनी चाहिए। यदि कोई फूल सूंघा हुआ है या खराब है तो वह भगवान को अर्पित न करें।

घर में पूजा कैसे की जाती है? - ghar mein pooja kaise kee jaatee hai?

पूजन कक्ष में नहीं ले जाना चाहिए ये चीजें :

घर में जिस स्थान पर मंदिर है, वहां चमड़े से बनी चीजें, जूते-चप्पल नहीं ले जाना चाहिए। मंदिर में मृतकों और पूर्वजों के चित्र भी नहीं लगाना चाहिए। पूर्वजों के चित्र लगाने के लिए दक्षिण दिशा क्षेत्र रहती है। घर में दक्षिण दिशा की दीवार पर मृतकों के चित्र लगाए जा सकते हैं, लेकिन मंदिर में नहीं रखना चाहिए।

पूजन कक्ष के आसपास शौचालय नहीं होना चाहिए :

घर के मंदिर के आसपास शौचालय होना भी अशुभ रहता है। अत: ऐसे स्थान पर पूजन कक्ष बनाएं, जहां आसपास शौचालय न हो। यदि किसी छोटे कमरे में पूजा स्थल बनाया गया है तो वहां कुछ स्थान खुला होना चाहिए, जहां आसानी से बैठा जा सके।

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रोज रात को मंदिर पर ढंकें पर्दा :

रोज रात को सोने से पहले मंदिर को पर्दे से ढंक देना चाहिए। जिस प्रकार हम सोते समय किसी प्रकार का व्यवधान पसंद नहीं करते हैं, ठीक उसी भाव से मंदिर पर भी पर्दा ढंक देना चाहिए। जिससे भगवान के विश्राम में बाधा उत्पन्न ना हो।

Daily Worship Method: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ (Puja Path) का विशेष महत्व है. कुछ लोग नियमित रूप से भगवान की पूजा (Worship of God) करते हैं. शास्त्रों में पूजा के लिए खास नियम (Puja Ke Niyam) बताए गए हैं. कहा जाता है कि विधिवत पूजा करने से उसका फल भी मिलता है. पूजा के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है. इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि पूजा के लिए उचित आसन, भोग इत्यादि का खास ख्याल रखना चाहिए. आइए जानते हैं कि रोज की पूजा में किन बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है.

पूजा के लिए आसन

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शास्त्रों में हर भगवान की पूजा के लिए अलग-अलग आसन के बारे में बताया गया है. पूजा आरंभ करने से पहले सर्वप्रथम यह ध्यान रखा जाता है कि आसन किस चीज का है और उसका रंग कैसा है. दरअसल अलग-अलग आसन का अलग-अलग महत्व होता है. आमतौर पर पूजा में कंबल या ऊन से बने आसन का इस्तेमाल किया जाता है. मां दुर्गा, मां लक्ष्मी और हनुमानजी की पूजा के लिए लाल रंग के आसन का इस्तेमाल किया जाता है. वैसे मंत्र की सिद्धि के लिए कुश का आसन सबसे अच्छा माना गया है. 

पूजा के दौरान किस ओर रखें मुंह


पूजा के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले दीपक का स्थान बार-बार बदला नहीं जाता है. तिल के तेल का दीपक बाईं ओर रखा जाता है और घी का दीपक दाईं ओर. साथ ही अन्य पूजन सामग्री को बाईं ओर रखा जाता है. पूजा के दौरान जिनते लोग बैठे हों, उनका मुंह भगवान की ओर होना चाहिए. इसके अलावा पूजा के दौरान दीपक से दीपक नहीं जलाया जाता है.  

भगवान को क्या चढ़ाएं

शास्त्रीय मान्यताओं के मुताबिक भगवान गणेश को तुलसी और दूर्वा चढ़ाया जाता है. भगवान शिव को बेलपत्र, अक्षत, आक के फूल, धतूरे आदि चढ़ाए जाते हैं. सूर्य देव को कनेर का फूल अर्पित किया जाता है. मां दुर्गा को लाल फूल और भगवान विष्णु को तुलसी चढ़ाई जाती है. वहीं भगवान विष्णु को अक्षत और सूर्य देव को बेलपत्र नहीं चढ़ाए जाते हैं. वहीं पूजा के दौरान कुछ लोग देवी-देवताओं को लगाए गए तिलक-चंदन को खुद के माथे पर लगा लेते हैं. शास्त्रों में इसे सही नहीं माना गया है. इसलिए पूजा के दौरान भगवान को लगाए चंदन को खुद के मस्तक पर नहीं लगाना चाहिए. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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घर में रोज का पूजा कैसे करना चाहिए?

ईश्वर की दैनिक पूजा हमेशा स्नान-ध्यान के बाद पवित्र एवं प्रसन्न मन से करना चाहिए..
हमेशा हमें शुद्ध एवं पवित्र भूमि पर आसन बिछाकर ईश्वर की साधना करनी चाहिए. ... .
ईश्वर की दैनिक पूजा को हमेशा एक निश्चित समय और एक निश्चित स्थान पर करना चाहिए..
अपने आराध्य की पूजा हमेशा पूर्व, उत्तर या ईशान कोण की ओर मुख करके करनी चाहिए..

पूजा शुरू करने से पहले क्या करना चाहिए?

इसीलिए प्रतिदिन की पूजा में भी पहले संकल्प लेना चाहिए, फिर पूजन करना चाहिए। संकल्प लेने का अर्थ यह है कि इष्टदेव और स्वयं को साक्षी मानकर संकल्प लिया जाता है कि हम यह पूजन कर्म विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए कर रहे हैं और इस पूजन को पूर्ण अवश्य करेंगे। इस पूजा को अधूरा नहीं छोड़ेंगे। इस बात का संकल्प लिया जाता है।

पूजा की शुरुआत कैसे करें?

कैसे करें पूजा : नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद अपने ईष्ट देव या जिसका भी पूजन कर रहे हैं उन देव या भगवान की मूर्ति या चि‍त्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें। 3. पूजन में देवताओं के सामने धूप, दीप अवश्य जलाना चाहिए।

पूजा करने का सही तरीका क्या है?

पूजा करते समय हमेशा ध्यान रखें कि आपका पूर्व की तरफ मुख करके बैठे हों और अपने लेफ्ट साइड ही घंटा, घूप और राइड साइड शंख, जलपात्र और पूजन सामग्री रखें। इस तरह पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि जो व्यक्ति पूजा कर रहा हो, उसके माथे पर तिलक होना चाहिए।