इंसान का खून उसके शरीर के बारे में बहुत सी चीजें बताता है. न्यूट्रिशनल साइकाइट्रिस्ट डॉ. शेल्डन जैबलो कहते हैं कि A, B, AB और 0 ब्लड ग्रुप की रक्त कोशिकाओं के सरफेस से कुछ खास एंटीबॉडीज जुड़ी होती हैं. A और B की रक्त कोशिकाओं के सरफेस पर अलग-अलग तरह की एंटीबॉडीज होती हैं, जबकि AB ब्लड ग्रुप में दोनों तरह की एंटीबॉडीज पाई जाती हैं. O ब्लड ग्रुप के सरफेस पर कोई एंटीबॉडी नहीं होती है. Show एक्सपर्ट के मुताबिक, एंटीबॉडी खून और कोशिकाओं की सतह पर एक ऐसा चिपचिपा पदार्थ होता है जो बाहर से आए वायरस, बैक्टीरिया और पैरासाइट्स से शरीर का बचाव करता है. जेनिटिसिस्ट एंड लीड प्रोडक्ट डेवलपमेंट साइंटिस्ट जैम लिम कहते हैं, 'नॉन O ब्लड ग्रुप यानी A, B और AB ब्लड ग्रुप में दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है. इसके पीछे का वास्तविक कारण पता नहीं है, लेकिन कुछ लोग ब्लड क्लॉटिंग या थ्रोम्बॉसिस को इसकी वजह मानते हैं.' डॉ. जैबलो का कहना है कि A, B या AB की लाल रक्त कोशिकाएं और जिन वाहिकाओं से ये बहती हैं, उनके चिपचिपी होने के कारण इनमें ब्लड फ्लो आसान नहीं हो पाता है. शोधकर्ता कहते हैं कि AB ब्लड ग्रुप वाले लोगों में कार्डियोवसक्यूलर डिसीज (हृदय संबंधी बीमारियां) का खतरा ज्यादा होता है. A और B ब्लड ग्रुप में इसके मुकाबले कम एंटीबॉडीज होती हैं. एक स्टडी बताती है कि A और B ब्लड ग्रुप वालों की नसों में ब्लड क्लॉट की संभावना 51 प्रतिशत होती है. जबकि उनके फेफड़ों में ब्लड क्लॉट की संभावना 47 प्रतिशत रहती है. मेमोरियल केयर में कार्डियोलॉजिस्ट होआंग पी गुयेन कहते हैं कि टाइप A ब्लड ग्रुप में हार्ट डिसीज का खतरा 6 प्रतिशत, टाइप B में 15 प्रतिशत और AB में सबसे ज्यादा 23 प्रतिशत होता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि नॉन टाइप O ब्लड ग्रुप और दिल की बीमारियों के ज्यादा जोखिम के बीच संबंध के कई साक्ष्य मौजूद हैं. खून में वॉन विलेब्रांड फैक्टर लेवल, कॉलेस्ट्रोल लेवल और ज्यादा ब्लड क्लॉट की संभावना इसे दर्शाती है. O ब्लड ग्रुप वाले लोगों में वॉन विलेब्रांड फैक्टर का स्तर थोड़ा कम होता है. हालांकि डॉ. जैबलो ये भी कहते हैं कि खून को गाढ़ा करने वाले कोई भी कारण जैसे- डिहाइड्रेशन, दवाएं या ऑटो इम्यून इलनेस भी दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ा सकते हैं. इसलिए ब्लड टाइप केवल मोटापा, जेनेटिक्स, डाइट, विटामिन की कमी या एक्सरसाइज की तरह ही कार्डियोवस्क्यूलर डिसीज को बढ़ावा देने का एक कारक है. आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है। खबरों को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें।खबर में दी गई जानकारी और सूचना से आप संतुष्ट हैं? खबर की भाषा और शीर्षक से आप संतुष्ट हैं? खबर के प्रस्तुतिकरण से आप संतुष्ट हैं? खबर में और अधिक सुधार की आवश्यकता है? जमशेदपुर : विश्व रक्तदाता दिवस के मौके पर आपको एक ऐसे ब्लड ग्रुप के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी कीमत नहीं लगाई जा सकती है। जी हां, इस ब्लड ग्रुप का नाम गोल्डन ब्लड ग्रुप है, जो हीरा से भी ज्यादा महंगा है। जिसे शायद ही खरीदा जा सकता है। दरअसल, अभी तक आपने ए, बी, एबी पॉजिटिव, ओ, एबी निगेटिव....सहित अन्य ब्लड ग्रुप का नाम सुना होगा, जो अधिकांश लोगों को जरूरत पड़ती है लेकिन, कुछ ऐसे भी ब्लड ग्रुप होते हैं, जो काफी दुर्लभ होते हैं। इसमें एक बांबे ब्लड ग्रुप भी होता है, जो काफी दुर्लभ माना जाता है। पूरे झारखंड में सिर्फ जमशेदपुर में ही आठ बांबे ब्लड ग्रुप के लोग हैं, जिनकी मांग देशभर से होती है। इन राज्य के लिए अनमोल है। देश के कई राज्यों से इनकी मांग होती है। ये डोनर यूपी, मध्यप्रदेश, बंगाल, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों में जाकर खून देने का काम करते हैं। कोल्हान विश्वविद्यालय के 60 शिक्षक बनेंगे प्रोफेसर, कर्मचारियों के मासिक वेतन में होगी पांच हजार की बढ़ोत्तरी यह भी पढ़ेंगोल्डन ब्लड ग्रुप का असल नाम RH Null है गोल्डन ब्लड ग्रुप के पूरे दुनिया में सिर्फ 43 लोग ही है। ऐसे में यह कितना दुर्लभ है, इसका अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं। ये ग्रुप वाले ब्राजील, कोलंबिया, जापान, आयरलैंड और अमरीका के रहने वाले हैं। दरअसल, गोल्डन ब्लड ग्रुप का नाम आरएच नल है लेकिन शोध कर रहे वैज्ञानिकों ने इसका नाम बदलकर गोल्डन ब्लड ग्रुप रख दिया। कारण कि यह बहुत ही रेयर है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें एंटीजन नहीं पाया जाता है। यह खून किसी भी ब्लड ग्रुप वाले को चढ़ाया जाए तो शरीर इसे स्वीकार कर लेगा। जबकि सामान्य ब्लड ग्रुप में ऐसा नहीं होता है। अगर किसी को ब्लड चढ़ाना होता है तो उसे सेम ग्रुप का ब्लड चाहिए। तभी शरीर को स्वीकार कर पाता है। Jharkhand Crime: टोंटो गोइलकेरा सीमा क्षेत्र में नक्सली-सुरक्षा बलों में मुठभेड़, 2 कोबरा बटालियन के जवान घायल यह भी पढ़ेंगोल्डन ब्लड ग्रुप वाले को एनीमिया का अधिक खतरा यूएस रेयर डिसीज इंफॉर्मेशन सेंटर के अनुसार, गोल्डन ब्लड ग्रुप वाले को एनीमिया का खतरा अधिक होता है। ऐसे में इन्हें अपने सेहत पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। चिकित्सक उन्हें खान-पान पर विशेष जोर देने को कहते हैं। खासकर आयरन वाली चीजें ज्यादा खाने को कहते हैं। एनीमिया एक खून की बीमारी ही है। शरीर में खून की कमी होने की वजह से एनीमिया की बीमारी होती है। सबसे बढ़िया ब्लड ग्रुप कौन होता है?कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में ब्लड ग्रुप को लेकर एक रिसर्च किया गया था, जिसमें पाया गया कि सभी ब्लड ग्रुप में 'B पाजिटिव ब्लड ग्रुप वाले लोगों का दिमाग सबसे ज्यादा तेज होता है. इस रिसर्च में बताया गया कि बी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप के लोगों की सोचने-समझने की शक्ति अन्य लोगों के मुकाबले अच्छी होती है.
सबसे खराब ब्लड ग्रुप कौन सा है?जिनका ब्लड ग्रुप आरएच नल होता है, वे दुनिया के सबसे अधिक दुर्लभ रक्त समूह वाले होते हैं. इसे गोल्डन ब्लड ग्रुप कहते हैं. इसमें लाल रक्त कोशिकाओं पर Rh एंटीजन नहीं होते हैं. ऐसा कहा जाता है कि दुनिया भर में 50 से भी कम लोगों का यह ब्लड ग्रुप है.
सबसे महंगा ब्लड ग्रुप कौन सा है?जवाब: गोल्डन ब्लड को Rhnull इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये खून उसी शख्स के शरीर में पाया जाता है, जिनका Rh फैक्टर null होता है।
|