गुटनिरपेक्ष आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था? - gutanirapeksh aandolan ka mukhy uddeshy kya tha?

गुट-निरपेक्ष आन्दोलन

गुटनिरपेक्ष आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था? - gutanirapeksh aandolan ka mukhy uddeshy kya tha?
समन्वयक ब्यूरो न्यू यॉर्क, संयुक्त राज्य
सदस्यता 120(2019) सदस्य 17 (ऑब्ज़र्वर्स)
नेता
 -  महासचिव हुस्ने मुबारक
स्थापना1 सितम्बर 1961
जालस्थल
csstc.org

गुट निरपेक्ष आंदोलन (NAM) राष्ट्रों की एक अन्तरराष्ट्रीय संस्था है, जिहोंने निश्चय किया है, कि विश्व के वे किसी भी पावर ब्लॉक के संग या विरोध में नहीं रहेंगे। यह आन्दोलन भारत के प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू, मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति गमाल अब्दुल नासिर व युगोस्लाविया के राष्ट्रपति टीटो, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति डाॅ सुक्रणों एवं घाना - क्वामें एन्क्रूमा का आरभ्भ किया हुआ है। इसकी स्थापना अप्रैल,1961में हुई थी। और 2012 तक इसमें 120 सदस्य हो चुके थे। SARHETA GHOSNA-1979 के अनुसार इस संगठन का उद्देश्य गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों की राष्ट्रीय स्वतन्त्रता, सार्वभौमिकता, क्षेत्रीय एकता एवं सुरक्षा को उनके साम्राज्यवाद, औपनिवेशिकवाद, जातिवाद, रंगभेद एवं विदेशी आक्रमण, सैन्य अधिकरण, हस्तक्षेप आदि मामलों के विरुद्ध उनके युद्ध के दौरान सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही किसी पावर ब्लॉक के पक्ष या विरोध में ना होकर निष्पक्ष रहना है।[1] ये संगठन संयुक्त राष्ट्र के कुल सदस्यों की संख्या का लगभग 2/3 एवं विश्व की कुल जनसंख्या के 55% भाग का प्रतिनिधित्व करता है। खासकर इसमें तृतीय विश्व यानि विकासशील देश सदस्य हैं।[2]

गुटनिरपेक्ष आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था? - gutanirapeksh aandolan ka mukhy uddeshy kya tha?

गुट-निरपेक्ष आंदोलन 2009 के सदस्य राष्ट्र। हल्के नीले में ऑब्ज़ार्वर राष्ट्र हैं

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • शीतयुद्ध
  • द्वितीय विश्वयुद्ध

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Fidel Castro speech to the UN in his position as chairman of the nonaligned countries movement 12 अक्टूबर 1979 Archived 2011-06-11 at the Wayback Machine; Pakistan & Non-Aligned Movement Archived 2006-10-02 at the Wayback Machine, Board of Investment - Government of Pakistan, 2003
  2. Grant, Cedric. "Equity in Third World Relations: a third world perspective." International Affairs 71, 3 (1995), 567-587.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • भारत की गैर संरेखण नीति या गुट निरपेक्षता नीति
  • आधिकारिक जालस्थल: १४वां सम्मेलन — १४वां गुट-निरपेक्ष सम्मेलन, हवाना, ११-१६ सितंबर, २००६ (स्पेनिश)
  • गुट-निरपेक्ष आंदोलन — स्रोत स्थल
  • गुट-निरपेक्ष अध्ययन अंतर्राष्ट्रीय संस्थान — गुट-निरपेक्ष आंदोलन हेतु थिंक टैंक
  • संयुक्त राष्ट्र महासचिव का गुट-निरपेक्ष आंदोलन को संदेश, २८ सितंबर, २००७
  • गुट-निरपेक्ष आंदोलन का सम्मेलन, सं.रा. के ५८वें जनरल असेंबली २६ नवंबर, २००३

गुटनिरपेक्ष आंदोलन: वर्तमान प्रासंगिकता

  • 14 Oct 2020
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये

गुटनिरपेक्ष आंदोलन, बांडुंग सम्मेलन

मेन्स के लिये

गुटनिरपेक्ष आंदोलन की स्थापना, उद्देश्य तथा वर्तमान प्रासंगिकता और भारत के दृष्टिकोण से गुटनिरपेक्ष आंदोलन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non Aligned Movement-NAM) की मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत ने अपने संबोधन में कहा कि गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) में वैश्विक सहयोग की मांग करने वाले मौजूदा समय के प्रासंगिक मुद्दों को संबोधित करने की क्षमता है।

प्रमुख बिंदु

  • कोरोना वायरस महामारी ने ‘हमारी परस्परता एवं एक-दूसरे पर निर्भरता’ को और अधिक स्पष्ट किया है। हालाँकि महामारी मौजूदा समय की एकमात्र चुनौती नहीं है और संपूर्ण विश्व आतंकवाद तथा फेक न्यूज़ जैसी गंभीर समस्याओं का भी सामना कर रहा है।
  • इसके अलावा भारत ने जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा और विकास से संबंधित मुद्दों का भी उल्लेख किया। 

गुटनिरपेक्ष आंदोलन- पृष्ठभूमि

  • द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद शीत युद्ध का दौर शुरू हुआ, जिसमें संपूर्ण विश्व वैचारिक आधार पर मुख्यतः दो गुटों में विभाजित हो गया। 
    • इस वैचारिक युद्ध के एक छोर पर साम्यवादी सोवियत संघ तो दूसरे छोर पर पूंजीवादी अमेरिका जैसी महाशक्तियाँ मौजूद थीं। 
  • असल में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) की स्थापना औपनिवेशिक व्यवस्था के पतन के दौरान हुई थी। यह वह दौर था जब नए-नए देश औपनिवेशिक गुलामी से आज़ाद हो रहे थे और वैश्विक पटल पर एक नई पहचान प्राप्त करने में लगे थे, भारत भी इन्हीं देशों में से एक था।
  • उपनिवेशवाद से स्वतंत्र हुए इन देशों ने स्वयं को दोनों गुटों- सोवियत संघ और अमेरिका से दूर रखा और एक ऐसे संगठन के रूप में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) की स्थापना की जो स्वतंत्र और तटस्थ रहने की मांग कर रहा था।
  • हालाँकि वर्ष 1955 से पूर्व भी स्वतंत्रता और तटस्थता की मांग की जा रही थी, किंतु अधिकांश इतिहासकार मानते हैं कि गुटनिरपेक्षता की ओर पहला अहम कदम बांडुंग सम्मेलन (वर्ष 1955) के माध्यम से उठाया गया, जिसमें भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, अब्दुल नासिर, सुकर्णो और मार्शल टीटो जैसे नेताओं ने हिस्सा लिया था। इस सम्मेलन में विश्व शांति और सहयोग संवर्द्धन संबंधी घोषणा पत्र जारी किया गया था।
  • बांडुंग सम्मेलन के छह वर्ष बाद सितंबर 1961 में यूगोस्लाविया के बेलग्रेड में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) का पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया और इसमें कुल 25 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
  • वर्तमान में गुटनिरपेक्ष आंदोलन संयुक्त राष्ट्र के बाद विश्व का सबसे बड़ा राजनीतिक समन्वय और परामर्श का मंच है। इस समूह में वर्ष 2018 तक कुल 120 विकासशील देश शामिल थे। इसके अतिरिक्त इस समूह में 17 देशों और 10 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है।
  • गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) ने सदैव एक स्वतंत्र राजनीतिक पथ बनाने का प्रयास किया है, ताकि सदस्य राष्ट्र को दो महाशक्तियों के वैचारिक युद्ध के बीच फँसने से बचाया जा सके।
  • वर्तमान में यह संगठन एक नवीन अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था बनाने का प्रयास कर रहा है।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था? - gutanirapeksh aandolan ka mukhy uddeshy kya tha?

उद्देश्य

  • शीत युद्ध की राजनीति का त्याग करना और स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का अनुसरण करना।
  • सैन्य गठबंधनों से पर्याप्त दूरी बनाए रखना।
  • साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद का विरोध करना।
  • रंगभेद की नीति के विरुद्ध संघर्ष की शुरुआत करना और मानवाधिकारों की रक्षा के लिये यथासंभव प्रयास करना।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन और भारत

  • भारत गुटनिरपेक्ष आंदोलन का संस्थापक और इसके सबसे महत्त्वपूर्ण सदस्यों में से है तथा 1970 के दशक तक भारत ने इस आंदोलन की बैठकों में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया, किंतु 1970 के दशक के बाद गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत की स्थिति बदलने लगी और सोवियत संघ की ओर भारत का झुकाव बढ़ने लगा, जिससे गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के उद्देश्यों को लेकर छोटे देशों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। 
    • अंततः इससे गुटनिरपेक्ष आंदोलन की स्थिति कमज़ोर हुई और अधिकांश छोटे देश या तो अमेरिका की ओर या फिर सोवियत संघ की ओर अग्रसर होने लगे।
  • वर्ष 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद वैश्विक स्तर पर अमेरिका का वर्चस्व कायम हो गया, यह वह समय था जब भारत ने अर्थव्यवस्था में बड़े आर्थिक सुधार किये। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत कि आर्थिक नीति अमेरिका की ओर झुकने लगी, जिससे इस आंदोलन को लेकर भारत की गंभीरता पर एक बार पुनः प्रश्न उठने लगे। 
  • गुटनिरपेक्ष आंदोलन को लेकर भारत की गंभीरता एक बार फिर संदेह के दायरे में आई जब वर्ष 2016 और वर्ष 2019 में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री ने हिस्सा नहीं लिया, यह पहली बार हुआ था जब भारत का कोई प्रधानमंत्री गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के शिखर सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहा था। 
  • गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के प्रति भारत के झुकाव में कमी का कारण:
    • संकट के दौर में इस आंदोलन के सदस्य देश भारत को अपना समर्थन देने में विफल रहे हैं। उदाहरण के लिये वर्ष 1962 के युद्ध के दौरान घाना और इंडोनेशिया जैसे देशों ने चीन समर्थक नीति का अनुसरण किया था। वहीं 1965 और 1971 के युद्ध के दौरान इंडोनेशिया और मिस्र ने भारत विरोधी नीति अपनाते हुए पाकिस्तान का समर्थन किया था।
    • गुटनिरपेक्ष आंदोलन में आम सहमति का अभाव दिख रहा है और इसमें शामिल अधिकांश देश आपस में ही गुटबंदी कर रहे हैं।
    • अब भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न देश है, वहीं गुटनिरपेक्ष आंदोलन के प्राथमिक उद्देश्यों में परमाणु निरस्त्रीकरण की नीति भी शामिल है।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन की प्रासंगिकता

गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) का उदय मुख्यत: उपनिवेशवाद और शीत युद्ध की पृष्ठभूमि में हुआ था, किंतु अब दोनों ही समाप्त हो चुके हैं, जिसके कारण लोग मानते हैं कि गुटनिरपेक्ष आंदोलन की प्रासंगिकता भी समाप्त हो गई है, हालाँकि अधिकांश जानकार मानते हैं कि गुटनिरपेक्ष आंदोलन आज भी अपने सिद्धांतों के कारण उतना ही प्रासंगिक है, जितना शीत युद्ध के दौर में था।

  • विश्व शांति: गुटनिरपेक्ष आंदोलन ने विश्व शांति को संरक्षित करने के प्रयासों में सक्रिय भूमिका निभाई है। गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के सदस्य देश आज भी शांतिपूर्ण और समृद्ध दुनिया स्थापित करने के अपने लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे हैं और भारत भी इनमें से एक है। 
  • क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता: गुटनिरपेक्ष आंदोलन क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सिद्धांत का समर्थन करता है और इसके सदस्य देशों द्वारा प्रत्येक राष्ट्र की स्वतंत्रता के संरक्षण के विचार को बार-बार दोहराया जाता है, जो कि इसकी मौजूदा प्रासंगिकता को स्पष्ट करता है।
  • न्यायसंगत विश्व व्यवस्था: गुटनिरपेक्ष आंदोलन एक न्यायसंगत विश्व व्यवस्था को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। यह अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में विद्यमान राजनीतिक और वैचारिक मतभेदों के बीच एक सेतु का काम कर सकता है।
  • विकासशील देशों के लिये एक मंच: यदि विकासशील देशों के बीच किसी विशिष्ट मुद्दे को लेकर मतभेद पैदा होता है तो गुटनिरपेक्ष आंदोलन उस मतभेद को हल करने हेतु एक महत्त्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य कर सकता है।
  • गुटनिरपेक्ष आंदोलन में कुल 120 विकासशील देश शामिल हैं और इनमें से लगभग सभी देश संयुक्त राष्ट्र (UN) के सदस्य हैं। गुटनिरपेक्ष आंदोलन संयुक्त राष्ट्र के दो-तिहाई सदस्यों का प्रतिनिधित्त्व करता है।

आगे की राह 

  • एक विचार के रूप में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) कभी भी अप्रासंगिक नहीं हो सकता है, इसका कारण यह है कि सैद्धांतिक तौर पर यह आंदोलन आज भी अपने सदस्य देशों को उनकी विदेश नीति निर्धारित करने का आधार प्रदान करता है।
  • गुटनिरपेक्ष आंदोलन को इसकी स्थापना के समय की भांँति वर्तमान में भी अपने उद्देश्यों में एकरूपता लानी होगी, इसके अतिरिक्त सदस्य देशों को क्षेत्रीय गुटबंदी की राजनीति पर रोक लगाने का प्रयास करना होगा।
  • गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) का आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और व्यापार संरक्षणवाद जैसे महत्त्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों को उठाने के लिये एक मंच के रूप में प्रयोग किया जाना चाहिये। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

गुटनिरपेक्ष आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या है?

गुटनिरपेक्ष आंदोलन के उद्देश्य वैश्विक स्तर पर सैन्य संघर्षों को हतोत्साहित करना तथा इससे दूरी भी बनाये रखना। रंगभेद की नीति का विरोध करना। गौरतलब है कि उस समय दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में रंगभेद की नीति काफी तीव्र थी। वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों के संरक्षण पर बल देना।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत कब हुई इसके प्रमुख उद्देश्य क्या थे?

यह आन्दोलन भारत के प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू, मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति गमाल अब्दुल नासिर व युगोस्लाविया के राष्ट्रपति टीटो, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति डाॅ सुक्रणों एवं घाना - क्वामें एन्क्रूमा का आरभ्भ किया हुआ है। इसकी स्थापना अप्रैल,1961में हुई थी। और 2012 तक इसमें 120 सदस्य हो चुके थे

गुटनिरपेक्ष आंदोलन का क्या अर्थ है?

गुटनिरपेक्षता का सरल अर्थ है कि विभिन्न शक्ति गुटों से तटस्थ या दूर रहते हुए अपनी स्वतन्त्र निर्णय नीति और राष्ट्रीय हित के अनुसार सही या न्याय का साथ देना। आंख बंद करके गुटों से अलग रहना गुटनिरपेक्षता नहीं हो सकती। गुटनिरपेक्षता का अर्थ है - सही और गलत में अन्तर करके सदा सही नीति का समर्थन करना।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन का मुख्य विचार क्या था?

गुटनिरपेक्ष आंदोलन का मुख्य उद्देश्य शीत युद्ध के दौरान नवीन स्वतंत्र देशों के हितों की रक्षा करना था। इसलिये सोवियत संघ के विघटन के बाद इसकी प्रासंगिकता पर प्रश्नचिन्ह लगने लगा और देशों का इस समूह के प्रति आकर्षण कम होने लगा।