विषयसूची बाल साहित्य का क्या अर्थ है?इसे सुनेंरोकेंबाल साहित्य के अन्तर्गत वह समस्त साहित्य आता है जिसे बच्चों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर लिखा गया हो। बाल साहित्य में रोचक कहानियाँ एवं कविताएँ प्रमुख हैं। हिन्दी में बाल साहित्य का एक बङा स्रोत पंचतंत्र की कथाएँ हैं। बाल गीत कविताओं में महाराणा प्रताप का घोड़ा, झाँसी की रानी बच्चों को प्रेरित करतीं आईं हैं। बाल साहित्य की क्या विशेषताएं?इसे सुनेंरोकेंबाल साहित्य ही वह सहायक सामग्री है जिसकी सहायता से बच्चे की मौखिक भाषा-शैली संवर सकती है। बच्चों में संवाद अदायगी का विस्तार हो सकता है। प्रश्न करने और खुद उत्तर देने की क्षमता विकसित की जा सकती है। बाल साहित्य के माध्यम से बच्चे कल्पना लोक में जाते हैं। बाल साहित्य की प्रमुख विद्या कौन कौन सी है? इसे सुनेंरोकेंइस साहित्य में सभी विद्याएँ- कविता, कहानी, नाटक, लेख, जीवनी, संस्मरण, पहेली चुटकुले आदि सम्मिलित है। अतः जिस किसी विद्या में बाल साहित्य की सर्जना की जाय उसमें बच्चों की भावनाओं रुचियों कल्पनाशीलता आदि को दृष्टिगत रखना होता है। भाषा विकास में बाल साहित्य की क्या भूमिका है?इसे सुनेंरोकेंबाल साहित्य ही है जो पाठ्य पुस्तकों से इतर बच्चों को खेल-खेल में बहुत सारी अवधारणाओं के प्रति समझ बढ़ाने में सहायक होता है। बाल साहित्य ही वह सहायक सामग्री है जिसकी सहायता से बच्चे की मौखिक भाषा-शैली संवर सकती है। बच्चों में संवाद अदायगी का विस्तार हो सकता है। भाषा शिक्षण में साहित्य की क्या भूमिका है?इसे सुनेंरोकेंयही भाषा की बड़ी भूमिकाएँ समझी भी जाती हैं। साहित्य में भाषा अकसर अपनी इन सब भूमिकाओं के साथ सामने आती है। यानी पढ़ना सिखाने में साहित्य की बेहद उपयोगी भूमिका हो सकती है। यह महत्वपूर्ण है कि एक कहानी जो बच्चों को सुनाई जा रही है उसमें बच्चों को तर्क करने, कल्पना करने, किसी चीज़ से जुड़ने के कितने अवसर मिल रहे हैं। साहित्य को पढ़ना विद्यार्थियों के लिए क्यों आवश्यक है? इसे सुनेंरोकेंइसमें वास्तविक जीवन की स्थितियों पर विचारकरके अन्य लोगों की भावनाओं के प्रति समझ विकसित की जाती है। इससे निर्णय लेने का कौशल विकसित होता है। यह छात्र-छात्राओं को सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल करती है और सभी छात्र-छात्राओं को योगदान करने का अवसर मिलता है। यह विचारों के उच्चतर स्तर को प्रोत्साहित करती है। विषयसूची
संकलित बाल साहित्य क्या है?इसे सुनेंरोकेंबाल साहित्य के अन्तर्गत वह शिक्षाप्रद साहित्य आता है जिसका लेखन बच्चों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर किया गया हो। बाल साहित्य में रोचक शिक्षाप्रद बाल-कहानियाँ, बाल गीत व कविताएँ प्रमुख हैं। पंचतंत्र की कथाएँ बाल साहित्य का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। संदर्भ पुस्तक क्या है शिक्षक और अन्य के लिए यह महत्वपूर्ण क्यों है?इसे सुनेंरोकेंइन पाठ्यपुस्तकों से छात्र भाषा के उपयोग और शब्दावली की दृष्टि से कई बातें सीख सकते हैं, और वे आपकी शिक्षण प्रक्रिया के लिए एक बड़े संसाधन बन सकते हैं। रेडियो, अखबार या टेलिविजन के संसाधन ऐसे विषय प्रदान करते हैं जो उस समय प्रासंगिक होते है। और छात्रों के लिए दिलचस्प हो सकते हैं। प्राथमिक स्तर पर बच्चों के लिए बाल साहित्य के चयन का मुख्य आधार क्या होना चाहिए? संसाधन 3: कक्षा के लिए बाल साहित्य का चयन
मौखिक लेन देन की स्थापना में पुस्तकें क्यों मदद करती हैं? इसे सुनेंरोकेंवह यह कि इंसान की प्रकृति हमेशा कुछ नया जानने व करने की होती है और पुस्तकें इसका एक जरिया बन सकती हैं, दूसरा पढ़ने से ही पढ़ना आता है और पढ़ने की आदत बनाने के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि बहुत सी पुस्तकें पढ़ने व उन पर बातचीत के मौके उपलब्ध हो। बाल साहित्य का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है?इसे सुनेंरोकेंयही कारण है कि बाल साहित्य से बच्चे में सकारात्मक ऊर्जा आती है और देश-समाज के लिए कुछ करने का भाव पैदा होता है. इस अर्थ में अच्छा बाल साहित्य बच्चे की संवेदना का विस्तार करता है, उसे अधिक समझदार और जिम्मेदार बनाता है और उसमें सकारात्मक संवाद की क्षमता विकसित करता है. बाल साहित्य की क्या विशेषताएं?इसे सुनेंरोकेंबाल साहित्य ही वह सहायक सामग्री है जिसकी सहायता से बच्चे की मौखिक भाषा-शैली संवर सकती है। बच्चों में संवाद अदायगी का विस्तार हो सकता है। प्रश्न करने और खुद उत्तर देने की क्षमता विकसित की जा सकती है। बाल साहित्य के माध्यम से बच्चे कल्पना लोक में जाते हैं। संदर्भ पुस्तक का क्या महत्व है? इसे सुनेंरोकेंयह पाठकों को उनकी आवश्यकताओं से संबंधित सूचना के स्रोतों का पता लगाने में मदद करता है। संदर्भ सेवा पाठकों का कीमती समय भी बचाती है। यह पुस्तकालयों के संसाधनों और सेवाओं के उपयोग को बढ़ाने में भी योगदान देता है। यह पुस्तकालय के संसाधनों और सेवाओं के उपयोग को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। सन्दर्भ ग्रन्थ से आप क्या समझते हैं? इसे सुनेंरोकेंपुं० [सं०] ऐसा ग्रंथ जिसमें जानकारी या विमर्श के लिए कुछ विशिष्ट प्रसंगों की बातें देखी जाती हों। विशेष—ऐसा ग्रंथ आद्योपान्त पढ़ा नहीं जाता बल्कि किसी जिज्ञासा की पूर्ति या संदेह के निवारण के उद्देश्य से देखा जाता है। जैसे—कोश, विश्वकोश, साहित्य कोश आदि संदर्भ के ग्रंथ हैं। साक्षर वातावरण बनाने के विभिन्न तरीके क्या हैं?इसे सुनेंरोकेंउदाहरण के लिए, विज्ञान में, जिन पाठों में छात्र योजना बनाते, अनुमान लगाते, पर्यवेक्षण करते, रिकॉर्ड करते, वर्णित करते, व्याख्या व सारांश बनाते हैं, वह न सिर्फ़ उनकी विषय की समझ को बढ़ाएगा, बल्कि उनकी भाषा व साक्षरता को भी बढ़ाएगा। विद्यालय के सभी विषय भाषा व साक्षरता के विकास के ऐसे अवसर प्रदान करते हैं। समीक्षा क्या है समीक्षा का प्रयोग करते समय शिक्षक को किन तथ्यों को ध्यान में रखना चाहिए?इसे सुनेंरोकेंकिसी पस्तक की समीक्षा करते समय समीक्षक तथ्यों की गहरी छानबीन करता है। आलोचना में खोजबीन का यह दायरा और भी व्यापक हो जाता है। वस्तुतः समीक्षा और आलोचना एक दूसरे से जुड़े अवश्य हैं, पर एक नहीं है। समीक्षा आलोचना का एक अंग है, पर उसका अपना अस्तित्व है, उसकी एक अलग पहचान है। इसे सुनेंरोकेंबाल साहित्य के अन्तर्गत वह शिक्षाप्रद साहित्य आता है जिसका लेखन बच्चों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर किया गया हो। बाल साहित्य में रोचक शिक्षाप्रद बाल-कहानियाँ, बाल गीत व कविताएँ प्रमुख हैं। हिन्दी साहित्य में बाल साहित्य की परम्परा बहुत समृद्ध है। पंचतंत्र की कथाएँ बाल साहित्य का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। बालकों को साहित्य पढ़ना क्यों आवश्यक है? इसे सुनेंरोकेंभारत में मौखिक और लिखित साहित्य की एक समृद्ध विरासत है। बाल कहानियों और कविताओं के अच्छे ज्ञान के साथ, आप विद्यार्थियों को इस विरासत का महत्व जानने व उसका आनन्द लेने के लिए तथा हमारे देश की भाषाओं, इतिहास और संस्कृतियों के प्रति अपनेपन का भाव साझा करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। पाठ्य पुस्तक से आप क्या समझते हैं? इसे सुनेंरोकेंपाठ्यपुस्तक textbook का अर्थ हैं – पाठ्य+पुस्तक अर्थात पाठ से संबंधित जो पुस्तकें होती हैं उन्हें पाठ्यपुस्तक कहते हैं। यह अध्यापक का मार्गदर्शन करने का कार्य करती है और इसके द्वारा छात्रों में स्वाध्याय प्रणाली का विकास होता हैं। पाठ्यपुस्तक द्वारा किसी क्षेत्र विशेष की गतिविधियों को एकजुट कर पाना संभव हो पाता हैं। संदर्भ पुस्तकों का अध्ययन क्यों आवश्यक है संदर्भ पुस्तकों से नोट्स तैयार करने से पहले क्या प्रक्रियाएं हैं?इसे सुनेंरोकेंउत्तर : उत्तर- संदर्भ पुस्तकों से टीप तैयार करना महत्त्वपूर्ण कार्य है। यहाँ यह समझ लेना आवश्यक है कि टीप तैयार करने का अर्थ पुस्तकों से यथावत् नकल करना नहीं है। नकल करना यांत्रिक कार्य जैसा है जिसमें बुद्धि का उपयोग दस प्रतिशत भी नहीं होता। यहाँ टीम का अर्थ नोट्स तेयार करना है। सन्दर्भ ग्रन्थ से आप क्या समझते हो?बाल साहित्य की प्रमुख विद्या कौन कौन सी है? इसे सुनेंरोकेंइस साहित्य में सभी विद्याएँ- कविता, कहानी, नाटक, लेख, जीवनी, संस्मरण, पहेली चुटकुले आदि सम्मिलित है। अतः जिस किसी विद्या में बाल साहित्य की सर्जना की जाय उसमें बच्चों की भावनाओं रुचियों कल्पनाशीलता आदि को दृष्टिगत रखना होता है। बाल साहित्य के जनक कौन माने जाते हैं? इसे सुनेंरोकेंश्री जयप्रकाश भारती को हिन्दी में बालसाहित्य का युग प्रवर्तक माना जाता है। साहित्य को पढ़ना विद्यार्थियों के लिए क्यों आवश्यक है?इसे सुनेंरोकेंइसमें वास्तविक जीवन की स्थितियों पर विचारकरके अन्य लोगों की भावनाओं के प्रति समझ विकसित की जाती है। इससे निर्णय लेने का कौशल विकसित होता है। यह छात्र-छात्राओं को सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल करती है और सभी छात्र-छात्राओं को योगदान करने का अवसर मिलता है। यह विचारों के उच्चतर स्तर को प्रोत्साहित करती है। साहित्य पढ़ना क्यों जरूरी है?इसे सुनेंरोकेंसाहित्य के जरिये हम उस ज्ञान को समेट सकते हैं जो किताबों में बंद हो जाता है। उनका अध्ययन करके हम उसे पुनः पल्ल्वित कर सकते हैं। साहित्य जीवन की नींव है। यह हर तरह के क्षेत्र से जुड़े हुए ज्ञान को एक जगह पर शब्दों में समेट देता है और ये शब्द हमेशा – हमेशा के लिए साहित्य के रूप में जीवित रहते हैं। पाठ्य पुस्तक से आप क्या समझते हैं इसके प्रकारों का वर्णन करें? इसे सुनेंरोकेंपाठ्य-पुस्तक का अर्थ (Meaning of Text-Book) किसी विषय के ज्ञान को जब एक स्थान पर पुस्तक के रूप में संगठित ढंग से प्रस्तुत किया जाता है तो उसे पाठ्य-पुस्तक की संज्ञा प्रदान की जाती है। पाठ्य-पुस्तक के अर्थ को सुस्पष्ट करने के लिए कुछ प्रमुख विद्वानों के कथनों को प्रस्तुत करना यहाँ पर समीचीन प्रतीत हो रहा है। पाठ्य पुस्तक कितने प्रकार के होते हैं? पाठ्य पुस्तकों के प्रकार (pathya pustak ke prakar)
साहित्य का सीमित अर्थ क्या है?इसे सुनेंरोकें- 1. सहित या साथ होने की अवस्था 2. शब्द और अर्थ की सहितता; सार्थक शब्द 3. सभी भाषाओं में गद्य एवं पद्य की वे समस्त पुस्तकें जिनमें नैतिक सत्य और मानवभाव बुद्धिमत्ता तथा व्यापकता से प्रकट किए गए हों; वाङ्मय 4. इसे सुनेंरोकेंअच्छे बालसाहित्य का अध्ययन बच्चों को साहित्य से संवाद करने के अवसर प्रदान करता है और पढ़ी जा रही कहानी, कविता आदि पर अपनी राय बनाने के अवसर देता है। इससे बच्चों के भाषिक और संज्ञानात्मक कौशल का विकास होता है, साथ ही बालसाहित्य बच्चों की भावनात्मक बुद्धिमत्ता के विकास के भी अवसर प्रदान करता है। बाल साहित्य का क्या महत्व है लिखिए?इसे सुनेंरोकेंबाल साहित्य ही है जो पाठ्य पुस्तकों से इतर बच्चों को खेल-खेल में बहुत सारी अवधारणाओं के प्रति समझ बढ़ाने में सहायक होता है। बाल साहित्य ही वह सहायक सामग्री है जिसकी सहायता से बच्चे की मौखिक भाषा-शैली संवर सकती है। बच्चों में संवाद अदायगी का विस्तार हो सकता है। बाल साहित्य क्या समझते हैं?बाल साहित्य के अन्तर्गत वह समस्त साहित्य आता है जिसे बच्चों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर लिखा गया हो। बाल साहित्य में रोचक कहानियाँ एवं कविताएँ प्रमुख हैं। हिन्दी में बाल साहित्य का एक बङा स्रोत पंचतंत्र की कथाएँ हैं। बाल गीत कविताओं में महाराणा प्रताप का घोड़ा, झाँसी की रानी बच्चों को प्रेरित करतीं आईं हैं।
बाल साहित्य से आप क्या समझते हैं इसके महत्व को बताएं?बाल साहित्य ही वह सहायक सामग्री है जिसकी सहायता से बच्चे की मौखिक भाषा-शैली संवर सकती है। बच्चों में संवाद अदायगी का विस्तार हो सकता है। प्रश्न करने और खुद उत्तर देने की क्षमता विकसित की जा सकती है। बाल साहित्य के माध्यम से बच्चे कल्पना लोक में जाते हैं।
बाल साहित्य कितने प्रकार के होते हैं?बाल साहित्य । हिंदी का बाल साहित्य लोरी, पालना गीतों, प्रभाती, दोहा, गजल, पहेली, कविता, कहानी, उपन्यास, संस्मरण, जीवनी, नाटक आदि अनेक रूपों और विधाओं से संपन्न है।
बाल साहित्य का जनक कौन है?श्री जयप्रकाश भारती को हिन्दी में बालसाहित्य का युग प्रवर्तक माना जाता है।
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