गोपी द्वारा श्री कृष्ण का रूप धारण करने पर वह कौन सी चीज नहीं करना चाहती है *? - gopee dvaara shree krshn ka roop dhaaran karane par vah kaun see cheej nahin karana chaahatee hai *?

The National Council of Educational Research and Training (NCERT) is an autonomous body of the Indian government that formulates the curricula for schools in India that are governed by the Central Board of Secondary Education (CBSE) and certain state boards. Therefore, students who will be taking the Class 10 tests administered by various boards should consult this NCERT Syllabus in order to prepare for those examinations, which in turn will assist those students get a passing score.

When working through the exercises in the NCERT textbook, if you run into any type of difficulty or uncertainty, you may use the swc NCERT Solutions for class 9 as a point of reference. While you are reading the theory form textbook, it is imperative that you always have notes prepared. You should make an effort to understand things from the very beginning so that you may create a solid foundation in the topic. Use the NCERT as your parent book to ensure that you have a strong foundation. After you have finished reading the theoretical section of the textbook, you should go to additional reference books.

NCERT Solutions for Class-9 Hindi (Kshitij) CHAPTER 11–RASKHAN – Exercises

1. ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है ?

उत्तर:- कवि को ब्रजभूमि से गहरा प्रेम है। वह इस जन्म में ही नहीं, अगले जन्म में भी ब्रजभूमि का वासी बने रहना चाहता है। ईश्वर अगले जन्म में उसे ग्वाला बनाएँ, गाय बनाएँ, पक्षी बनाएँ या पत्थर बनाएँ-वह हर हाल में ब्रजभूमि में रहना चाहता है। वह ब्रजभूमि के वन, बाग, सरोवर और करील-कुंजों पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने को भी तैयार है।

2. कवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे क्या कारण हैं?

उत्तर:- कवि कृष्ण से जुडी हर वस्तु से अपार प्रेम करता है। जिस वन बाग, और तालाब में कृष्ण ने अपनी नाना प्रकार की क्रीड़ाएँ की है उन्हें कवि निरंतर निहारना चाहते हैं क्योंकि इससे उन्हें सुख की दिव्य अनुभूति होती है।

3. एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ न्योछावर करने को क्यों तैयार है?

उत्तर:- कवि के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण हैं-कृष्ण। इसलिए कृष्ण की एक-एक चीज़ उसके लिए महत्त्वपूर्ण है। यही कारण है कि वह कृष्ण की लाठी और कंबल के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार है।

4. सखी ने गोपी से कृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह किया था ? अपने शब्दों में वर्णन कीजिये।

उत्तर:- सखी गोपी से कृष्ण का मोहक रूप धारण करने का आग्रह करती है। सखी गोपी से वही सब कुछ धारण करने के लिए कहती है जो कृष्ण धारण करते हैं, सखी ने गोपी से आग्रह किया था कि वह कृष्ण के समान सिर पर मोरपंखों का मुकुट धारण करें। गले में गुंजों की माला पहने। तन पर पीले वस्त्र पहने। हाथों में लाठी थामे वन में गायों को चराने जाए।

5. आपके विचार से कवि पशु, पक्षी, पहाड़ के रूप में भी कृष्ण का सान्निध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है ?

उत्तर:- मेरे विचार से कृष्ण का सान्निध्य प्राप्त करने के लिए कवि को पशु, पक्षी तथा पहाड़ बनने में भी कोई संकोच नहीं है। क्योंकि यदि इनमें से वे कुछ भी बनते हैं तो उन्हें हर एक रूप में कृष्ण का सानिध्य ही प्राप्त होगा। रूप चाहे कोई भी धारण करें पर कृष्ण के समीप रहने का उनका प्रयोजन अवश्य सिद्ध हो जाएगा।

6. चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आप को क्यों विवश पाती हैं ?

उत्तर:- चौथे सवैये के अनुसार कृष्ण का रूप अत्यंत मोहक है तथा उनकी मुरली की धुन बड़ी मादक है। इन दोनों से बचना गोपियों के लिए अत्यंत कठिन है। गोपियाँ कृष्ण की सुन्दरता तथा तान पर आसक्त हैं इसलिए वे कृष्ण के समक्ष विवश हो जाती हैं।

7.भाव स्पष्ट कीजिए –
(क) कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।
(ख) माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।

उत्तर:- (क)उपरोक्त पंक्तियों का भाव यह है कि कवि ब्रज के काँटेदार झाड़ियों व् कुंजों पर करोडों महलों के सुखों को भी न्योछावर करने के लिए तैयार हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि जो आत्मिक सुख ब्रज की प्राकृतिक छटा में है, वैसा सुख संसार की किसी भी सांसारिक वस्तु में नहीं है।
(ख) उपर्युक्त पंक्तियों का भाव यह है कि कृष्ण की मुस्कान इतनी मोहक है कि गोपी से वह झेली नहीं जाती है अर्थात् कृष्ण की मुस्कान पर गोपी इस तरह मोहित हो जाती है कि लोक लाज का भी भय उनके मन में नहीं रहता और गोपी कृष्ण की तरफ़ खीची चली जाती है।

8. ‘कालिंदी कूल कदम्ब की डारन’ में कौन-सा अलंकार है?

उत्तर:- ‘कालिंदी कूल कदम्ब की डारन’ में ‘क’ वर्ण की आवृत्ति होने के कारण अनुप्रास अलंकार है।

9. काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिये –
या मुरली मुरलीधर की अधरन धरी अधरा न धरौंगी।

उत्तर:- भाव सौंदर्य – गोपी अपनी सखी के कहने पर कृष्ण के समान वस्त्राभूषण तो धारण कर लेगीं परन्तु कृष्ण की मुरली को अधरों पर नहीं रखेगीं। उसके अनुसार उसे यह मुरली सौत की तरह प्रतीत होती है अत:वह सौत रूपी मुरली को अपने होठों से नहीं लगाना चाहती है।
शिल्प सौंदर्य – काव्य में ब्रज भाषा तथा सवैया का सुन्दर प्रयोग हुआ है। ‘ल’ और ‘म’ वर्ण की आवृत्ति होने के कारण यहाँ पर अनुप्रास अलंकार है।

• रचना और अभिव्यक्ति
10. प्रस्तुत सवैयों में जिस प्रकार ब्रजभूमि के प्रति प्रेम अभिव्यक्त हुआ है, उसी तरह आप अपनी मातृभूमि के प्रति अपने मनोभावों को अभिव्यक्त कीजिए।

उत्तर:- मुझे अपनी मातृभूमि से प्यार है। हम इसकी धूल में खेलकर, इसका अन्न जल पीकर बड़े हुए हैं अत:हमारा भी फ़र्ज बनता है कि हम अपनी मातृभूमि का कर्ज अदा करें। इसलिए जब भी मौका मिलेगा तब – तब मैं अपनी मातृभूमि के लिए अपना त्याग देने के लिए तैयार रहूँगा। मैं ऐसा कोई कार्य नहीं करूँगा जिससे मेरी मातृभूमि का सिर नीचा हो। जहाँ तक संभव होगा मैं अपनी मातृभूमि के उत्थान के लिए प्रयास करूँगा।

लघुउत्तरीय प्रश्न
1.रसखान अगले जन्म में मनुष्य बनकर कहाँ जन्म लेना चाहते थे और क्यों ?

उत्तर:- रसखान अगले जन्म में मनुष्य बनकर ब्रज क्षेत्र के गोकुल गाँव में जन्म लेना चाहते थे क्योंकि ब्रज उनके आराध्य श्रीकृष्ण की लीला भूमि रही है। ब्रज क्षेत्र में जन्म लेकर वह श्रीकृष्ण से जुड़ाव की अनुभूति करता है।

2.रसखान ने ऐसा क्यों कहा है, ‘जो पसु हौं तो कहा बस मेरो’?

उत्तर:- ‘जौ पसु हाँ तो कहा बस मेरो’ कवि रसखान ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि पशु की अपनी इच्छा नहीं चलती है। कोई भी उसके गले में रस्सी डालकर कहीं भी ले जा सकता है। उसकी इच्छा-अनिच्छा का कोई महत्व नहीं रहती है।

3.कवि किस गिरि का पत्थर बनना चाहते हैं और क्यों?

उत्तर:- कवि गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनना चाहता हैं क्योंकि इंद्र के प्रकोप और क्रोध से ब्रजवासियों को मचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को छाते की तरह उठाकरे श्रीकृष्ण ने उनकी रक्षा की थी। गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनकर कवि श्रीकृष्ण से जुड़ाव महसूस करता है।

4.‘कालिंदी कुल कदंब की डारन’ का भाव स्पष्ट करते हुए बताइए कि कवि ने इसका उल्लेख किस संदर्भ में किया

उत्तर:- ‘कालिंदी कूल कदंब की डारन’ का भाव है-यमुना नदी के किनारे स्थित कदंब की डालों पर बसेरा बनाना। कवि ने। इसका उल्लेख अगले जन्म में पक्षी बनकर श्रीकृष्ण से जुड़ी वस्तुओं का सान्निध्य पाने के संदर्भ में किया है।

5.गोपी किस तरह के वस्त्र धारण करना चाहती है और क्यों?

उत्तर:- गोपियाँ पीले रंग के वैसे ही वस्त्र पहनना चाहती है जैसा श्रीकृष्ण पहना करते थे क्योंकि वह श्रीकृष्ण के रूप सौंदर्य पर मोहित है और वैसा ही रूप बनाना चाहती है।

6.श्रीकृष्ण की मुसकान का गोपियों पर क्या असर होता है?

उत्तर:- श्रीकृष्ण की मुसकान अत्यंत आकर्षक एवं मादक है। गोपियाँ इस मुसकान को देखकर अपनी सुध-बुध खो बैठती हैं। उनका खुद अपने तन-मन पर नियंत्रण नहीं रह जाता है। वे विवश होकर स्वयं को नहीं सँभाल पाती हैं।

7.गोपियाँ ब्रज के लोगों से क्या कहना चाहती हैं और क्यों ?

उत्तर:- गोपियाँ ब्रज के लोगों से यह कहना चाहती हैं कि कृष्ण के प्रभाव से बचने के लिए कानों में अँगुली रख लेंगी तथा उनके गोधन को नहीं सुनेंगी पर श्रीकृष्ण की मुसकान देखकर वह स्वयं को नहीं सँभाल पाएंगी और तन-मन पर वश नहीं रहेगा।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1.श्रीकृष्ण और उनसे जुड़ी वस्तुओं का सान्निध्य पाने के लिए कवि क्या-क्या त्यागने को तैयार है?

उत्तर:- रसखान श्रीकृष्ण के प्रति अगाध आस्था और लगाव रखते हैं। वे अपने आराध्य से जुड़ी हर वस्तु से प्रेम करते हैं। इन वस्तुओं को पाने के लिए वे अपना सर्वस्व त्यागने को तैयार हैं। वे लकुटी और कंबल के बदले तीनों लोकों का राज्य, उनकी गाएँ चराने के बदले आठों सिधियाँ और नवों निधियों का सुख छोड़ने को तैयार हैं। श्रीकृष्ण जिन करील के कुंजों की छाया में मुरली बजाते हुए विश्राम किया करते थे उन कुंजों की छाया पाने के लिए कवि सोने के सैकड़ों महलों का सुख छोड़ने को तैयार है।

2.‘ब्रज के बन-बाग, तड़ाग निहारौं’ का अशय स्पष्ट करते हुए बताइए कि कवि ने ऐसा क्यों कहा है?

उत्तर:- ब्रजे के बन-बाग और तड़ाग देखने का आशय है-ब्रजभूमि पर स्थित उन बन-बाग और तालाबों को निहारते रहना जहाँ श्रीकृष्ण गाएँ चराया करते थे और विश्राम किया करते थे। कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि कवि रसखान श्रीकृष्ण का अनन्य भक्त है। वह श्रीकृष्ण से ही नहीं वरन उनसे जुड़ी हर वस्तु से अत्यधिक लगाव रखता है। इन वस्तुओं को पाने के लिए वह अपना हर सुख त्यागने को तैयार है। यह श्रीकृष्ण के प्रति कवि की भक्ति भावना की पराकाष्ठा है।

3.‘या मुरली मुरलीधर की अधरा न धरी अधरा न धरौंगी’ का भाव स्पष्ट करते हुए बताइए कि गोपी ने ऐसा क्यों कहा होगा?

उत्तर:- भाव यह है कि गोपी श्रीकृष्ण का रूप बनाने के लिए उनकी हर वस्तु धारण करने को तैयार है पर उनकी मुरली नहीं, क्योंकि गोपी मुरली से ईर्ष्या भाव रखती है। इसी मुरली ने गोपियों को कृष्ण से दूर कर रखा है। कृष्ण के होठों से लगकर मुरली गोपियों की व्यथा बढ़ाती है।

Conclusions for NCERT Solutions for Class-9 Hindi (Kshitij) CHAPTER 11–RASKHAN

SWC academic staff has developed NCERT answers for this chapter of the ninth grade Hindi curriculum. We have solutions prepared for all the ncert questions of this chapter. The answers, broken down into steps, to all of the questions included in the NCERT textbook’s chapter are provided here. Read this chapter on theory. Be certain that you have read the theory section of this chapter of the NCERT textbook.

गोपियां कृष्ण की कौन सी चीज धारण नहीं करना चाहती थी?

Answer: गोपियाँ उद्धव को भाग्यवान कहते हुए व्यंग्य कसती है कि श्री कृष्ण के सानिध्य में रहते हुए भी वे श्री कृष्ण के प्रेम से सर्वथा मुक्त रहे। वे कैसे श्री कृष्ण के स्नेह व प्रेम के बंधन में अभी तक नहीं बंधे?, श्री कृष्ण के प्रति कैसे उनके हृदय में अनुराग उत्पन्न नहीं हुआ?

गोपी कृष्ण का रूप तो धारण करेगी परंतु वह क्या करने को तैयार नहीं है?

राधा कृष्ण दिव्य प्रेम | Radha Krishna Divya Prem | Movie | Tilak.

गोपियां श्रीकृष्ण को कहाँ मुरली नहीं बजाने देना चाहती है?

Answer: गोपियाँ राधा के प्रति ईर्ष्या भाव रखती थीं, कृष्ण की पत्नियों के प्रति ईर्ष्या भाव रखती थीं तथा कुब्जा के प्रति भी ईर्ष्या भाव रखती थीं।

गोपियां कृष्ण जैसा वेश धारण करने के लिए सब कुछ करने को तैयार हैं बस एक काम नहीं क्या?

या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को तजि डारौं । आठहुँ सिद्धि नवौ निधि के सुख नंद की गाइ चराइ बिसारौं || रसखान कबौं इन आँखिन सौं, ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौँ । कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं ।