“चन्द्रगुप्त नाटक में एक ओर तो राजनैतिक चालें और चाणक्य का सूत्र-संचालन है और दूसरी ओर इनका इन सब से विरक्त ब्राम्हण व्यक्तित्व है।इससे उस पात्र में अंतर्द्वंद्व तो आ ही गया है,शील वैचित्र्य भी आ गया है।प्रथम अंक – पहला दृश्यसंसार भर की नीति और शिक्षा का अर्थ मैंने यही समझा है कि आत्मसम्मान के लिए मर मिटना ही दिव्य जीवन है- चन्द्रगुप्त का कथन Show प्रायः मनुष्य,दूसरों को अपने मार्ग पर चलाने के लिए रुक जाता है,और अपना चलना बंद कर देता है – अलका का कथन जीवन-काल में भिन्न-भिन्न मार्गों की परीक्षा करते हुए जो ठहरता हुआ चलता है,वह दूसरों को लाभ पहुँचाता है।यह क्श्त्दायक तो है; परंतु निष्फल नहीं-सिंहरण का कथन द्वितीय दृश्य-
तीसरा दृश्य –
चतुर्थ दृश्य –
पंचम दृश्य –
षष्टम दृश्य –
सप्तम दृश्य –
अष्टम दृश्य –
नवम दृश्य –
दशम दृश्य-
एकादशम दृश्य-
द्वितीय अंक-(प्रथम दृश्य)अरुण यह मधुमय देश हमारा।
द्वितीय दृश्य-
तृतीय दृश्य-
चतुर्थ दृश्य-
पंचम दृश्य-
सप्तम दृश्य- बिखरी किरन अलक व्याकुल हो विरस वदन पर चिंता लेख,
तृतीय अंक-
तृतीय दृश्य-
पंचम दृश्य
षष्टम दृश्य-
सप्तम दृश्य-
अष्टम दृश्य-
चतुर्थ अंक-(प्रथम दृश्य)
द्वितीय दृश्य
चतुर्थ दृश्य-
चंद्रगुप्त नाटक के पात्र कौन कौन से हैं?इसलिए इस नाटक का नायक नाटककार ने चंद्रगुप्त को ही माना है और नाटक का नाम भी 'चंद्रगुप्त' ही रखा है। इसके अतिरिक्त मगध सम्राट नंद, मालवगण सिंहरण, राजकुमार आम्भीक, पर्वतेश्वर, अलक्षेद्र, राक्षस, मालविका, कार्नेलिया, अलका, सुवासिनी आदि चरित्र महत्वपूर्ण व्यक्तित्व है।
सिंहरण किस रचना का पात्र है इसके रचनाकार कौन हैं ?`?मुलाकात आज्ञा जयशंकर प्रसाद विरचित 'चंद्रगुप्त नाटक में सिंहरण का चरित्र काफी महत्त्वपूर्ण है। भी सिंहरण अपनी युद्ध-कुशलता से करता है।
चंद्रगुप्त नाटक के लेखक का नाम क्या है?सन्दर्भ एवं प्रसंग : प्रस्तुत अंश सुप्रसिद्ध नाटककार जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित नाटक 'चन्द्रगुप्त' के द्वितीय अंक के प्रथम दृश्य से लिया गया है।
चंद्रगुप्त नाटक में विष्णुगुप्त किसका नाम है?चाणक्य (अनुमानतः 376 ई॰पु॰ - 283 ई॰पु॰) चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे कौटिल्य या विष्णुगुप्त नाम से भी विख्यात हैं।
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