बालक श्रीकृष्ण कैसे लोग के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए? - baalak shreekrshn kaise log ke kaaran doodh peene ke lie taiyaar hue?

1 Crore+ students have signed up on EduRev. Have you?

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: कृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने को तैयार हुए थे?
उत्तर:
माता यशोदा कृष्ण से बार-बार कहती थीं कि दूध पीने से तुम्हारी चोटी बलराम की चोटी से लम्बी और मोटी हो जाएगी। इस लोभ के कारण वह दूध पीने के लिए तैयार हो गये थे।

प्रश्न 2: मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा क्यों देते हैं?
उत्तर: 
मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा देते थे। कृष्ण छोटे थे और मक्खन चुराने के चक्कर में और जल्दबाजी में तथा साथियों को मक्खन देने के चक्कर में मक्खन फैल जाता होगा।

प्रश्न 3: कृष्ण किस समय गोपी के घर गए? उन्हें ये ही समय क्यों उपयुक्त लगा?
उत्तर:
श्रीकृष्ण दोपहर के समय गोपी के घर गए क्योंकि उस समय सुनसान रहता है इसलिए उन्हें ये समय माखन चोरी के लिए उपयुक्त लगता था।

प्रश्न 4: गोपी किसके पास क्या शिकायत लेकर आई?
उत्तर: गोपी यशोदा के पास कृष्ण की शिकायत लेकर आई थी क्योंकि कृष्ण ने उसके घर चोरी से माखन खा लिया था। यह उनका प्रतिदिन का नियम था।

प्रश्न 5: गोपी द्वारा ‘यह ढोटा कौनैं ढँग लायौ’ कहने में कौन-सा भाव मुखरित हुआ है?
उत्तर: 
गोपी द्वारा ‘यह ढोटा कौनैं ढँग लायौं’ कहने के पीछे उपालंभ का भाव मुखरित हुआ है। वह कहती है तूने इसे क्या सिखाया-पढ़ाया है जो यह मना करने पर भी अपनी चोरी की आदत से बाज नहीं आता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: चोटी न बढ़ने पर बालक कृष्ण माता यशोदा से क्या शिकायत करते हैं?
उत्तर:
बालक माता यशोदा से शिकायत करते हैं कि माँ तू तो कहा करती थी कि मेरी चोटी बलराम भैया की तरह लम्बी और मोटी हो जाएगी तथा बार-बार नहलाते, धोते, कंघी करते, गूँथते हुए नागिन के समान जमीन पर लोटने लगेगी।

प्रश्न 2: गोपी द्वारा माता यशोदा से कृष्ण की, की गई शिकायत को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: 
बालक कृष्ण की शरारतें तथा नित्य प्रति माखन चुराने की आदत से तंग होकर गोपी यशोदा के पास शिकायत करने आती है कि कृष्ण दोपहर के समय सुनसान में घर आते हैं। दरवाजा खोलकर दही-माखन खाते हैं तथा साथियों को भी खिलाते हैं। वे ऊखल पर चढ़कर छींके पर रखा गोरस उतार लेते हैं। वे जी भर खाते हैं और जो अच्छा नहीं लगता उसे जमीन पर बिखरा देते हैं।

प्रश्न 3: गोपी यशोदा पर क्या आरोप लगाती है?
उत्तर:
गोपी यशोदा पर आरोप लगाती है कि तुमने अपने पुत्र को क्या सिखाया है। इसे मना क्यों नहीं करती हो। लगता है कि तुमने ही अनोखा पुत्र पैदा किया है।

प्रश्न 4: सूरदास की भाषा शैली लिखिए।
उत्तर:
कवि सूरदास ने अपनी रचनाओं में ब्रज भाषा का प्रयोग किया है। सूरदास के पदों में ब्रजभाषा का माधुर्य एवं सौन्दर्य मिलता है। सूरदास ने राधा-कृष्ण के मिलन के माध्यम से संयोग शृंगार  का अनुपम तथा हृदयस्पर्शी चित्र खींचा है।

प्रश्न 5: बालक कृष्ण को किस बात पर आश्चर्य हो रहा है?
उत्तर: बालक कृष्ण को अपनी चोटी पर आश्चर्य हो रहा है कि अनेक बार दूध पीने पर भी यह छोटी क्यों है। यह बड़ी क्यों नहीं हो रही है? बालों को कंघी करते हुए और गूंथते हुए जमीन तक क्यों नहीं जा रही?

प्रश्न 6: कृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने को तैयार हुए थे? उन्हें क्या पसंद था?
उत्तर:
कृष्ण अपने सिर की चोटी लंबी एवं मोटी होने के लोभ में दूध पीने को तैयार हुए थे। उन्हें दूध पीना पसंद नहीं था। उन्हें तो माखन-रोटी खाना पसंद था लेकिन बलराम की तरह चोटी करने के लालच में माता यशोदा के कहने पर वे दूध पीने को तैयार हुए थे।

प्रश्न 7: कृष्ण किस समय गोपी के घर गए? उन्हें यह समय ही क्यों उपयुक्त लगा होगा?
उत्तर:
कृष्ण दोपहर के समय गोपी के घर गए। दोपहर का समय ऐसा होता है कि काम करने के बाद लोग विश्राम कर रहे होते हैं या सो जाते हैं। ऐसे में चारों ओर सुनसान होता है। यह समय उन्हें माखन की चोरी के लिए उपयुक्त लगता था। इस समय माखन चुराते हुए उन्हें कोई देख भी नहीं सकता था।

मूल्यपरक प्रश्न
प्रश्न 1: बालपन की शरारतें मनभावन होती हैं, ‘सूरदास के पद’ के आधार पर इस कथन को स्पष्ट करें।
उत्तर:
बालपन भोला और भावुक होता है। यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें कोई भी अपने दिमाग की नहीं, मन की और दिल की बात को अधिक महत्व देता है। श्री कृष्ण भी बचपन में ऐसे ही थे। वे अपने भोलेपन से कोई भी शरारत करते और फिर माँ यशोदा से वार्तालाप करते तो मां यशोदा को अत्यंत आनंददायक लगता। वे अपने बालपन में माखन चुराने जाते थे जबकि उनके घर में माखन की कोई कमी नहीं थी। लेकिन उनका यही नटखटपन माता यशोदा को, गोपियों को सबको बहुत भाता था। कभी उनकी चोटी न बढ़ने की शिकायत होती तो कभी बलदाऊ द्वारा तंग करने की। इन बालसुलभ चंचलता और शरारतों को देखकर ही यह कथन कहा जा सकता है कि बालपन की शरारतें मनभावन होती हैं। सूरदास जी ने बड़े ही अद्भुत तरीके से इनको उकेरा है।

The document Important Questions: सूरदास के पद Notes | Study Hindi Class 8 - Class 8 is a part of the Class 8 Course Hindi Class 8.

All you need of Class 8 at this link: Class 8

NCERT Solutions For Class 8 Hindi Chapter 15 – सूरदास के पद

NCERT Solutions For Class 8 Hindi Vasant Chapter 15 सूरदास के पद – आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 8th हिंदी अध्याय 15 (सूरदास के पद) के लिए समाधान दिया गया है. इस NCERT Solutions For Class 8 Hindi Chapter 15 Surdas ke Pad की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. अगर आप इस समाधान को PDF फाइल के रूप में डाउनलोड करना चाहते हैं तो नीचे आपको इसका डाउनलोड लिंक भी दिया गया है.

Class 8
Subject Hindi
Book वसंत
Chapter Number 15
Chapter Name सूरदास के पद

अभ्यास के प्रश्न पदों से

प्रश्न 1. बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए?

उत्तर- बालक श्रीकृष्ण अपनी चोटी को बलराम की चोटी के समान लंबी करने के लालच में आकर दूध पीने के लिए तैयार होते हैं। माता यशोदा श्रीकृष्ण को यही समझाती है कि दूध पीने से ही तेरी चोटी भी बलराम की चोटी की भाँति लंबी और सुंदर हो जाएगी। यह धोने, कंघी करने और गूंथने पर नागिन-सी चमकदार लगेगी। इसी लोभ के कारण वे दूध पीने के लिए तैयार हो जाते हैं।

प्रश्न 2. श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या-क्या सोच रहे थे? ।

उत्तर- बालक श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में सोच रहे थे कि दूध पीने पर उसकी चोटी भी बलराम की चोटी की भाँति लंबी और मोटी हो जाएगी। यह नागिन के समान काली और चमकदार हो जाएगी। यह लहराती हुई और भी सुंदर दिखाई देगी।

प्रश्न 3. दूध की तुलना में श्रीकृष्ण कौन-से खाद्य पदार्थ को अधिक पसंद करते हैं?

उत्तर- दूध की तुलना में श्रीकृष्ण मक्खन-रोटी को खाना अधिक पसंद करते हैं। माता यशोदा उसे दूध पीने के लिए बार-बार कहती है किंतु श्रीकृष्ण का मन तो मक्खन में ही बसा हुआ है। उसे तो मक्खन ही अच्छा लगता है भले ही उसे इसके लिए चोरी ही क्यों न करनी पड़े।

प्रश्न 4. “ते ही पूत अनोखौ जायौ” पंक्ति में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं?

उत्तर- इन शब्दों के द्वारा ग्वालन ने माता यशोदा पर करारा व्यंग्य किया है कि उन्होंने कोई अनोखा पुत्र नहीं जन्मा है। वह भी दूसरे बालकों के समान हैं, फिर भी उसका बेटा लोगों के घरों में मक्खन चोरी करता फिरता है। वह कहती है कि तुम अपने बेटे को समझाकर क्यों नहीं रखती। तुम्हारा बेटा कोई अनोखा बालक नहीं है। वह भी दूसरे बच्चों के समान है। तुम इस पर अधिक घमंड न करो।

प्रश्न 5. मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा क्यों देते हैं?

उत्तर- मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा देते हैं। इसका कोई विशेष कारण नहीं है। वास्तविकता यह है कि मक्खन का बर्तन ऊपर छींके में रखा हुआ था। बालक कृष्ण के हाथ छोटे थे। छींके तक पहुँचना कठिन ‘ था। इसलिए किसी प्रकार जुगाड़ लगाकर छींके से बर्तन को उतारते समय व मक्खन निकालते समय थोड़ा-सा मक्खन अनजाने में नीचे बिखर गया था।

प्रश्न 6. दोनों पदों में से आपको कौन-सा पद अधिक अच्छा लगा और क्यों?

उत्तर- दोनों पदों में से हमें पहला पद अधिक अच्छा लगा क्योंकि इस पद में बाल मनोविज्ञान और माता यशोदा का वात्सल्य भाव एक साथ चित्रित हुआ है। बालकों का रूठना व माता से शिकायत करना स्वाभाविक है तथा माता द्वारा किसी-न-किसी लालच द्वारा बच्चों को समझाया जाना भी स्वाभाविक है। इसीलिए हमें प्रथम पद अधिक अच्छा लगा है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. दूसरे पद को पढ़कर बताइए कि आपके अनुसार उस समय श्रीकृष्ण की उम्र क्या रही होगी?

उत्तर- दूसरे पद में बताया गया है कि बालक श्रीकृष्ण दूसरों के घरों में घुसकर छींके पर रखे हुए मक्खन के बर्तनों को उतारकर मक्खन खाते थे और अपने मित्रों को भी खिलाते थे। वे कुछ मक्खन नीचे भी गिरा देते थे। ओखल पर चढ़कर छींके से मक्खन निकालकर खाना और अपने मित्रों को भी खिलाना आदि से अनुमान लगाया जा सकता है कि उस समय श्रीकृष्ण की आयु सात-आठ वर्ष की रही होगी।

प्रश्न 2. ऐसा हुआ हो कभी कि माँ के मना करने पर भी घर में उपलब्ध किसी स्वादिष्ट वस्तु को आपने चुपके-चुपके थोड़ा-बहुत खा लिया हो और चोरी पकड़े जाने पर कोई बहाना भी बनाया हो। अपनी आपबीती की तुलना श्रीकृष्ण की बाल लीला से कीजिए।

उत्तर- पकड़े जाने पर सर्वप्रथम यही कहेंगे कि यह चोरी हमने नहीं की, मैं तो जरा-सा चख कर देख रहा था कि कहीं यह खराब तो नहीं हो गया। यह कहते हुए घर से भागने का प्रयास करेंगे ताकि और डाँट न पड़े। श्रीकृष्ण भी चोरी करके भाग ही जाते होंगे। रंगे हाथों एक-आध बार ही पकड़े गए होंगे। पकड़े जाने पर कोई-न-कोई बहाना बनाकर बच जाते होंगे।

प्रश्न 3. किसी ऐसी घटना के विषय में लिखिए जब किसी ने आपकी शिकायत की हो और फिर आपके किसी अभिभावक (माता-पिता, बड़ा भाई-बहन इत्यादि) ने आपसे उत्तर माँगा हो।

उत्तर- पिछले वर्ष ग्रीष्मावकाश में मैं अपने चाचा के घर कुरुक्षेत्र गया था। वहाँ एक बहुत बड़ा तालाब है। उसके चारों ओर घाट बने हुए हैं। मैं हर रोज़ तालाब पर घूमने चाचा के बड़े बेटे के साथ जाता था किंतु एक दिन उस चचेरे भाई को किसी काम से बाहर जाना पड़ा। उस दिन मैं अकेला तालाब पर घूमने गया। वहाँ दूसरे बच्चों को तालाब में नहाते देख मुझसे रहा नहीं गया
और मैं तालाब में खूब नहाया। चाचा जी के एक पड़ोसी ने मुझे वहाँ नहाते देख लिया और मेरी शिकायत कर दी। जब मैं घर पहुंचा तो चाचा-चाची ने मुझसे तो कुछ नहीं कहा किंतु घर फोन करके पिता जी को बता दिया। पिता जी ने मुझे फोन पर ही खूब डाँटा और मुझे चाचा-चाची से माफी माँगनी पड़ी।

भाषा की बात

प्रश्न 1. श्रीकृष्ण गोपियों का माखन चुरा-चुराकर खाते थे इसलिए उन्हें माखन चुरानेवाला भी कहा गया है। इसके लिए एक शब्द दीजिए।

उत्तर- माखनचोर।

प्रश्न 2. श्रीकृष्ण के लिए पाँच पर्यायवाची शब्द लिखिए।

उत्तर- गिरिधर, गोपाल, नंदलाल, गोवर्धनधारी, कन्हैया, श्याम, कान्ह, मुरलीधर, माधव, मनोहर, यशोदापुत्र, पीतांबर, गोपीनाथ, यदुनंदन।

प्रश्न 3. कुछ शब्द परस्पर मिलते-जुलते अर्थवाले होते हैं, उन्हें पर्यायवाची कहते हैं। और कुछ विपरीत अर्थवाले भी। समानार्थी शब्द पर्यायवाची कहे जाते हैं और विपरीतार्थक शब्द विलोम, जैसे –

पर्यायवाची चंद्रमा-शशि, इंदु, राका मधुकर-भ्रमर, भौंरा, मधुप सूर्य-रवि, भानु, दिनकर
विपरीतार्थक दिन-रात
श्वेत-श्याम
शीत-उष्ण

पाठों से दोनों प्रकार के शब्दों को खोजकर लिखिए।

उत्तर-

पर्यायवाची शब्द बेनी – चोटी
मैया – जननी, माँ, माता
दूध – दुग्ध, पय, गोरस
काढ़त – गुहत
बलराम – दाऊ, हलधर
ढोटा – सुत, पुत्र, बेटा
विपरीतार्थक शब्द लम्बी – छोटी
स्याम – श्वेत
संग्रह – विग्रह
विज्ञ – अज्ञ
रात – दिन
प्रकट – ओझल

बालक श्री कृष्ण दूध पीने के लिए क्यों तैयार हुए?

बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए? उत्तर- बालक श्रीकृष्ण अपनी चोटी को बढ़ाने के लालच में दूध पीने को तैयार हुए थे। माता यशोदा बालक श्रीकृष्ण से यही कहती थीं कि जितना अधिक तुम दूध पियोगे उतनी ही तुम्हारी चोटी लंबी होगी। यह बाँधते और निकालते समय अत्यंत घनी लगेगी।

बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए अथवा बाज़ के लिए लहरों ने गीत क्यों गया था?

उत्तर:- माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को बताया की दूध पीने से उनकी चोटी बलराम भैया की तरह हो जाएगी। श्रीकृष्ण अपनी चोटी बलराम जी की चोटी की तरह मोटी और बड़ी करना चाहते थे इस लोभ के कारण वे दूध पीने के लिए तैयार हुए

बालक कृष्ण बार बार दूध पीने की अपेक्षा क्या खाना पसंद करते थे?

मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा देते थे क्योंकि मक्खन ऊँच टंगे छींकों की हांडियों में पड़ा होता था और श्रीकृष्ण छोटे बालक थे। छोटे-छोटे हाथों से जब ऊपर चढ़कर छींके से मक्खन चुराते व साथियों को खिलाते तो जल्दी-जल्दी में थोड़ा-बहुत बिखर जाता था।

बालक कृष्ण क्या नहीं पीना चाहते हैं?

क्योंकि यहाँ श्रीकृष्ण अपने बालपन के कारण माता से अनुनय-विनय करते हैं कि तुम्हारे कहने पर मैंने दूध पिया पर फिर भी मेरी चोटी नहीं बढ़ रही। उनकी माता से उनकी नाराज़गी व्यक्त करना, दूध न पीने का हट करना, दाउ (बलराम) भैया की तरह चोटी पाने का हट करना हृदय को बड़ा ही आनन्द देता है।