भाषा का कौन सा रूप स्थाई रूप होता है? - bhaasha ka kaun sa roop sthaee roop hota hai?

इस लेख में हम भाषा लिपि और व्याकरण के बारे में विस्तारपूर्वक जानेंगे। भाषा किसे कहते हैं? भाषा के कितने भेद हैं? भाषा और बोली में क्या अंतर है? लिपि क्या होती है? व्याकरण क्या होता है? भाषा और व्याकरण का क्या सम्बन्ध है? व्याकरण के कितने अंग हैं?

 

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  • भाषा
  • भाषा की परिभाषा
  • भाषा के भेद
  • भाषा और बोली
  • लिपि
  • व्याकरण
  • व्याकरण और भाषा का संबंध
  • व्याकरण के अंग
  • Important Questions of भाषा लिपि और व्याकरण

 

 
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इन सभी प्रश्नों को हम इस लेख में विस्तारपूर्वक जानेंगे। इन प्रश्नों के द्वारा हम आपकी भाषा, लिपि और व्याकरण से सम्बंधित सभी समस्याओं का समाधान करने की पूर्ण कोशिश करेंगे।

 

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भाषा – Language (Hindi Grammar)

मनुष्य एक समाज में रहने वाला प्राणी है। वह अपने विचारों, भावनाओं को बोलकर ही व्यक्त करता है। भाषा को ध्वनि संकेतों की व्यवस्था माना जाता है। यह मनुष्य के मुंह से निकली हुई अभिव्यक्ति होती है। इसे विचारों के आदान प्रदान का एक आसान साधन माना जाता हैं। इसके शब्द प्राय: रूढ़ होते हैं।

संस्कृत भाषा को हिंदी भाषा की जननी माना जाता है। हमें पता है कि भाषा का लिखित आज भी संस्कृत में पाया जा सकता है। लेकिन मौखिक रूप मुख से घिस-घिसकर अपना स्वरूप खो चुके हैं, आज हम उन्हें तद्भव शब्दों के रूप में जानते हैं। हिंदी भाषा को अपने अस्तित्व में आने के लिए बहुत समय लग गया है। पहले संस्कृत से पालि, पालि से प्राकृत, प्राकृत से अपभ्रंश, तब अपभ्रंश से हिंदी भाषा का विकास हुआ है।
 
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भाषा की परिभाषा – Definition of Language

भाषा शब्द को संस्कृत की ‘भाष‘ धातु से लिया गया है, जिसका अर्थ है- ‘बोलना’। हमारे भावों और विचारों की अभिव्यक्ति के लिए रूढ़ अर्थों में जो ध्वनि संकेतों की व्यवस्था प्रयोग में लायी जाती है, उसे भाषा कहते हैं।

दूसरे शब्दों में – भाषा वह साधन है, जिसके माध्यम से हम सोचते हैं तथा अपने विचारों को व्यक्त करते हैं।

साधारण शब्दों में – जब हम अपने विचारों को लिखकर या बोलकर प्रकट करते हैं और दूसरों के विचारों को सुनकर या पढकर ग्रहण करते हैं, उसे भाषा कहते हैं।

मनुष्य कभी शब्दों, कभी सिर हिलाने या संकेत द्वारा भी अपने विचारों को अभिव्यक्त करता है। किन्तु भाषा केवल उसी को कहा जाता है, जो बोली जाती हो या सुनी जाती हो। यहाँ पर भी बोलने का अभिप्राय गूँगे मनुष्यों या पशु-पक्षियों की बोली से नहीं बल्कि बोल सकने वाले मनुष्यों के अर्थ में लिया जाता है।
 
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भाषा का कौन सा रूप स्थाई रूप होता है? - bhaasha ka kaun sa roop sthaee roop hota hai?
भाषा का कौन सा रूप स्थाई रूप होता है? - bhaasha ka kaun sa roop sthaee roop hota hai?

 

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भाषा के भेद

1. लिखित भाषा –
जब हम दूर बैठे किसी व्यक्ति से अपनी बातें लिखकर व्यक्त करते हैं, तो उसे लिखित भाषा कहते हैं। यह भाषा का स्थायी रूप होता है। ये लिपि पर आधारित होती हैं। इससे अपने अस्तित्व को सुरक्षित रखा जा सकता है।
दूसरे शब्दों में – जब व्यक्ति किसी दूर बैठे व्यक्ति को पत्र द्वारा अथवा पुस्तकों एवं पत्र-पत्रिकाओं में लेख द्वारा अपने विचार प्रकट करता है, तब उसे भाषा का लिखित रूप कहते हैं।
जैसे – ग्रन्थ, पुस्तकें, अख़बार, पत्र-पत्रिकाएँ आदि।

 

2. मौखिक भाषा –
जब हम अपने विचारों को बोलकर या सुनकर व्यक्त करते हैं, तो उसे मौखिक भाषा कहते हैं। मौखिक भाषा में मनुष्य अपने विचारों एवं मनोभावों को बोल कर प्रकट करते हैं। मौखिक भाषा का प्रयोग तभी होता है, जब श्रोता सामने हो।
दूसरे शब्दों में – आमने-सामने बैठे व्यक्ति परस्पर बातचीत करते हैं अथवा कोई व्यक्ति भाषण, आदि द्वारा अपने विचार प्रकट करता है तो उसे भाषा का मौखिक रूप कहते हैं।

जैसे – नाटक, फिल्म, समाचार सुनना, संवाद, भाषण आदि।

 

भाषा के कुछ अन्य भेद भी होते हैं-
1. मातृभाषा
2. राजभाषा
3. राष्ट्रभाषा
4. मानक भाषा

 

1. मातृभाषा –
जिस भाषा को बालक बचपन में अपनी माँ से सीखता है, उसे मातृभाषा कहते हैं।

2. राजभाषा –
जब किसी देश में सरकारी काम में भाषा का प्रयोग होता है, उसे राजभाषा कहते हैं। अंग्रेजी हमारी सह-राजभाषा है।

3. राष्ट्रभाषा –
भारत में अनेक भाषाएँ बोली, पढ़ी, लिखी, सुनी जाती हैं। सब प्रदेशों की अपनी अलग भाषा है। भारतीय संविधान ने 22 भाषाओँ को स्वीकार किया है – संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, असमिया, पंजाबी, नेपाली, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, गुजराती, बांग्ला, उड़िया, कश्मीरी, कोंकणी, मणिपुर, मराठी, मलयालम, मैथिलि, डोंगरी, बोडो, संथाली और सिंधी आदि। इन सभी भाषाओँ का प्रयोग अपने-अपने क्षेत्र में ही किया जाता है, पर हिंदी को पुरे भारत में बोला जाता है, इसलिए इसे राष्ट्रभाषा कहते हैं।

4. मानक भाषा –
मानक हिंदी, हिंदी भाषा का ही मानक रूप होता है। इसे शिक्षा, कार्यालयीन कामों में प्रयोग किया जाता है। हम जानते हैं की भाषा का क्षेत्र काल और पात्र की दृष्टि से व्यापक होता है। सभी भाषाओँ के विविध रूप को मानक कहते हैं।
 
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Definition, Examples and Differences

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भाषा और बोली

सीमित क्षेत्रों में बोली जाने वाली भाषा के रूप को बोली कहा जाता है अर्थात स्थानीय व्यवहार में अल्पविकसित रूप में प्रयुक्त होने वाली भाषा बोली कहलाती है। बोली का कोई लिखित रूप नहीं होता।
छोटे भू-भाग में बोली जाने वाली भाषा को बोली कहते हैं। बोली को भाषा का प्रारंभिक रूप माना जाता है, बोली भाषा का स्थानीय रूप होती है। हम जानते हैं कि हर दस किलोमीटर के बाद बोली बदल जाती है। भाषा व्याकरणिक नियमों से बंधी होती है, लेकिन बोली स्वतंत्र होती है।

जब कोई भाषा बहुत बड़े भाग में बोली जाती है, तो वह क्षेत्र में बंट जाता है और ‘बोली’ बोली जाने लगती है। कोई भी बोली हो वो विकसित होकर भाषा का रूप ही लेती है। हिंदी को भी एक समय में बोली माना जाता था। क्योकि इसका विकास खड़ी बोली से हुआ था।
बोली को लिख नहीं सकते इसलिए इसका साहित्य मौखिक होता है, लेकिन भाषा को लिखा जा सकता है इसलिए इसका साहित्य लिखित होता है। जब कोई बोली विकसित होती है तो वह साहित्य की भाषा का रूप ले लेती है।

अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग बोलियाँ बोली जाती हैं –

जैसे – पूर्वी उत्तर प्रदेश की बोली अवधी है, बिहार की भोजपुरी और मैथिलि, हरियाणा में हरियाणवी और बांगड़ू, राजस्थान में राजस्थानी, मारवाड़ी और गुजरात में गुजराती बोली बोली जाती है।

 
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लिपि

किसी भाषा को लिखने के लिए जिन चिन्हों की जरूरत होती है, उन चिन्हों को लिपि कहते है। लिपि भाषा का लिखित रूप होता है। इसके माध्यम से मौखिक रूप की ध्वनियों को लिखकर प्रकट किया जाता है। सारी भाषाओँ के लिखने की लिपि अलग होती है।

भाषा

लिपि

हिंदी, संस्कृत, मराठी

देवनागरी

पंजाबी

गुरुमुखी

उर्दू, फ़ारसी

फ़ारसी

अरबी

अरबी

बंगला

बंगला

रूसी

रूसी

अंग्रेज़ी, जर्मन, फ्रेंच, स्पेनिश

रोमन

 

हिंदी व संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी है।

देवनागरी लिपि की विशेषताएं –
1. इसे दाएं से बाएं लिखा जाता है।
2. हर वर्ण का आकार समान होता है।
3. ये उच्चारण के अनुरूप लिखी जाती हैं।
 
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व्याकरण – Hindi Grammar

मनुष्य मौखिक एवं लिखित भाषा में अपने विचार प्रकट कर सकता है और करता रहा है किन्तु इससे भाषा का कोई निश्चित एवं शुद्ध स्वरूप स्थिर नहीं हो सकता। भाषा के शुद्ध और स्थायी रूप को निश्चित करने के लिए नियमबद्ध योजना की आवश्यकता होती है और उस नियमबद्ध योजना को हम व्याकरण कहते हैं।

साधारण शब्दों में – व्याकरण वह शास्त्र है, जिससे भाषा को शुद्ध लिखने, बोलने और पढने का ज्ञान सीखा जाता है। शुद्ध लिखने के लिए व्याकरण को जानने की बहुत जरूरत होती है। व्याकरण से भाषा को बोलना और लिखना आसान होता है। व्याकरण से हमें भाषा की शुद्धता का ज्ञान होता है। भाषा को प्रयोग करने के लिए हमें भाषा के नियमों को जानने की जरूरत है। इन्ही नियमों की जानकारी हमें व्याकरण से मिलती है।
 
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व्याकरण और भाषा का संबंध

कोई भी व्यक्ति व्याकरण को जाने बिना भाषा के शुद्ध रूप को नहीं सीख सकता है। इसी वजह से भाषा और व्याकरण का बहुत गहरा संबंध है। व्याकरण, भाषा को उच्चारण, प्रयोग, अर्थों के प्रयोग के रूप को निश्चित करता है।
 
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व्याकरण के अंग

1. वर्ण विचार
2. शब्द विचार
3. पद विचार
4. वाक्य विचार

 

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1. वर्ण विचार –
इस विचार में वर्णों के उच्चारण, रूप, आकार, भेद, वर्णों को मिलाने की विधि, लिखने की विधि बताई जाती है।

2. शब्द विचार –
इस विचार में शब्दों के भेद, व्युत्पत्ति, रचना, रूप, प्रयोगों, उत्पत्ति आदि का अध्ययन करवाया जाता है।

3. पद विचार –
इस विचार में पद का तथा पद के भेदों का वर्णन किया जाता है।

4. वाक्य विचार –
इस विचार में वाक्यों की रचना, उनके भेद, वाक्य बनाने, वाक्यों को अलग करने, विराम चिन्हों, पद परिचय, वाक्य निर्माण, गठन, प्रयोग, उनके प्रकार आदि का अध्ययन करवाया जाता है।
 
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Important Questions of भाषा लिपि और व्याकरण

 

प्रश्न 1 – भाषा किसे कहते हैं ?

उत्तर : भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर, सुनकर, लिखकर व पढ़कर अपने मन के भावों या विचारों का आदान – प्रदान करता है।

 

प्रश्न 2 – भाषा के कितने प्रकार हैं? विस्तार पूर्वक लिखिए।

उत्तर : हम भाषा का प्रयोग दो प्रकार से करते हैं –

1 – मौखिक भाषा 

2 – लिखित भाषा

मौखिक भाषा : जब दो या दो से अधिक व्यक्ति अपने मन के भावों या विचारों को बोलकर एक दूसरे के सामने प्रकट करते हैं, तो वह भाषा का मौखिक रूप कहलाता है।

जैसे : अध्यापिका बोल कर बच्चों को पढ़ा रही हैं। 

लिखित भाषा : जब व्यक्ति अपने मन के भावों या विचारों को दूसरे के सामने लिखकर व्यक्त करता है, तो वह भाषा का लिखित रूप कहलाता है।

जैसे : श्याम विदेश में रहने के कारण अपने पिता को पत्र लिखकर अपनी बात बताता है।

 

प्रश्न 3 – लिपि किसी कहते हैं ? 

उत्तर : किसी भी भाषा के लिखने की विधि को लिपि कहा जाता है। प्रत्येक भाषा के लिपि – चिह्न अलग – अलग होते हैं तथा उन्हें अलग – अलग नामों से जाना जाता है।

जैसे : हिंदी व संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी है।

 

प्रश्न 4 – बोली किसे कहा जाता है ?

उत्तर : किसी क्षेत्र विशेष या सीमित क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा के रूप को बोली कहा जाता है। बोली का कोई लिखित रूप नहीं होता।

 

प्रश्न 5 – व्याकरण किसे कहते हैं ?

उत्तर : भाषा को शुद्ध रूप में लिखना, पढ़ना और बोलना सिखाने वाला शास्त्र व्याकरण कहलाता है। व्याकरण द्वारा भाषा के शुद्ध रूप का ज्ञान होता है। इसमें भाषा के सम्बन्ध में नियम होते हैं। इन नियमों के ज्ञान से ही व्यक्ति भाषा को सही रूप में बोलना, पढ़ना और लिखना जान सकता है।

भाषा का स्थायी रूप कौन सा है?

लिखित भाषा की विशेषता | Likhit Bhasha ki Visheshta यह भाषा का स्थायी रूप है। लिखित भाषा के रूप में हम अपने भावों और विचारों को अनंत काल के लिए सुरक्षित रख सकते हैं। यह भाषा अपेक्षा नहीं करता कि वक्ता और श्रोता आमने-सामने हों अर्थात वक्ता और श्रोता मिली दूर रहकर भी लिखित भाषा का प्रयोग कर सकते है।

भाषा के कौन सा रूप होता है?

भाषा के तीन रूप होते हैं- मौखिक भाषा, लिखित भाषा, सांकेतिक भाषा

भाषा को स्थाई रूप देने में कौन सक्षम है?

लिपि अर्थात लेखन-व्यवस्था के द्वारा भाषा को एक स्थायी रूप देना संभव हो सका। लिखित रूप में भाषा देशकाल की सीमा से पार जाकर स्थायी बन जाती है। अतः लिपि द्वारा मानव अपने अनुभवों, कल्पनाओं, और विचारों को मूर्त और स्थायी रूप देने में सक्षम हो पाया है।

भाषा का कौन सा रूप स्थाई रूप होता है 1 Point मौखिक रूप सांकेतिक रूप अन्य रूप लिखित रूप?

भाषा का लिखित रूप स्थाई रूप होता है, जिसमें व्याकरण आदि की संरचना होती है, जो कि अपरिवर्तनशील है।