भारत ने सीटीबीटी पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया? - bhaarat ne seeteebeetee par hastaakshar kyon nahin kiya?

नई दिल्ली
कुछ ही साल पहले की बात है जब 2018 में नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने अमेरिका को चैलेंज देते हुए कहा था कि उनका हाथ हमेशा न्यूक्लियर बटन पर रहता है। इसके जवाब में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी पलटवार करते हुए कहा था उनका न्यूक्लियर बटन भी काम करता है और कहीं अधिक पावरफुल है। इन दो देशों के बीच तनातनी को देख ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि कहीं यह लड़ाई बड़ा रूप न अख्तियार कर ले। तीन साल बाद एक बार फिर न्यूक्लियर पावर को लेकर कई तरह की आशंका जताई जा रही है। इन सबके बीच यूएन चीफ की ओर सीटीबीटी यानी कॉम्प्रिहेंसिव टेस्‍ट बैन ट्रीटी (व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि) पर हस्ताक्षर करने की बात कही जाती है।

चीन की ओर से आई परेशान करने वाली खबर
पिछले कुछ समय से भारत और चीन के बीच रिश्ते ठीक नहीं है और सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। इन सबके बीच पिछले दिनों खबर आई कि चीन की ओर से वहां के यूमेन शहर के पास सैकड़ों मिसाइल रखने के ठिकाने बनाए जा रहे हैं। इन ठिकानों का इस्तेमाल तरल ईंधन वाली मिसाइलों को रखने के लिए किया जाना है। पिछले कुछ समय से तनातनी का जो माहौल है उसमें यह खबर परेशान करने वाली है।

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वहीं दूसरी ओर इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि क्या होगा यदि तालिबान जैसे संगठन के पास परमाणु हथियारों की पहुंच हो गई। तालिबान जिस पर पाकिस्तान मेहरबान है और ऐसा कहा जा रहा है कि वो परमाणु हथियारों तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश जरूर करेगा। वहीं पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी की एक रिपोर्ट में कहा गया कि नॉर्थ कोरिया की ओर से एक बार फिर परमाणु गतिविधियां शुरू की जा चुकी हैं।

परमाणु हथियारों पर संयुक्त राष्ट्र की अपील, भारत का जवाब
कई देशों के बीच टकराव और नए खतरों के बीच हाल ही में संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि परमाणु हथियारों को जड़ से खत्म करने और शांति के नए दौर में दाखिल होने के सही वक्त है। परमाणु हथियारों से संपन्न देशों से गुटेरेश ने सीटीबीटी पर हस्ताक्षर करने का आह्वान किया।

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वहीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने सोमवार कहा कि भारत परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया को लेकर प्रतिबद्ध है। साथ ही श्रृंगला ने यूएन में बताया कि आखिर भारत व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि सीटीबीटी में शामिल क्यों नहीं हुआ। उन्होंने परमाणु हथियारों पर बैन लगाने के लिए तैयार की गई व्यापक परमाणु परीक्षण संधि पर भारत का पक्ष रखा। श्रृंगला ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष सत्र में कहा कि परमाणु हथियारों को खत्म किया जाना जरूरी है।

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विदेश सचिव ने कहा कि भारत ने व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि सीटीबीटी के तहत प्रतिबंध लगाने वाले प्रस्ताव पर वार्ता में हिस्सा लिया था। श्रृंगला ने कहा कि भारत इस संधि का हिस्सा नहीं बन सकता क्योंकि यह संधि भारत की ओर से उठाए गए मूल चिंताओं को दूर नहीं करती।

क्या है सीटीबीटी और भारत ने क्यों नहीं किया इस पर हस्ताक्षर
20 जून, 1996 को भारत ने जिनेवा सम्मेलन में सीटीबीटी पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था। सीटीबीटी यानी कॉम्प्रिहेंसिव टेस्‍ट बैन ट्रीटी (व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि)। दुनिया भर के देशों के बीच एक ऐसा समझौता, जिसके जरिए विभिन्‍न राष्‍ट्रों को परमाणु परीक्षण करने से रोका जा सके। व्‍यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि पर भारत ने अभी तक हस्‍ताक्षर नहीं किया है। भारत, पाकिस्तान समेत कई देशों ने अब तक इस पर हस्ताक्षर नहीं किया है। सीटीबीटी क्या है इसको समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना होगा।

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अमेरिका ने 1954 में 15 मेगाटन के हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया। इसका नतीजा इतना घातक था कि इस विस्‍फोट से निकले रेडियोऐक्टिव पदार्थों ने यहां के लोगों को बुरा हाल कर दिया। उस वक्‍त भारत के तत्‍कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भारतीय संसद में अमेरिका के इस परीक्षण की कड़ी निंदा की। उन्‍होंने कहा कि इस प्रकार के परमाणु परीक्षणों पर तब तक रोक लगा देनी चाहिए, जब तक संयुक्‍त राष्‍ट्र में इस मुद्दे पर कोई संधि नहीं पेश की जाती।

उसके बाद 1963 में पार्शियल न्‍यूक्लियर टेस्‍ट बैन ट्रीटी पेश (पीटीबीटी) पेश की गई। मगर आशा के अनुरूप परिणाम नहीं आने पर भारत ने 1968 में नॉन प्रॉलिफरेशन ट्रीटी का बहिष्‍कार कर दिया। भारत का यह मानना है कि इस संधि के बिंदु परमाणु संपन्‍नता को लेकर देशों के बीच भेदभाव करने वाले हैं। यही वजह है कि भारत ने अभी तक सीटीबीटी पर हस्‍ताक्षर नहीं किया है।

सीटीबीटी का पूरा नाम क्या है?

CTBT की फुल फॉर्म है - Comprehensive Test Ban Treaty ( कांप्रेहेन्सिव टेस्ट बैन ट्रीटी ) जिसे हिंदी में व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि कहा जाता है। यह एक बहुपक्षीय समझौता है जो किसी के भी द्वारा किसी भी जगह (पृथ्वी की सतह पर, वायुमंडल में, पानी के नीचे और भूमिगत) पर परमाणु परीक्षण (विस्फोट) करने पर रोक लगाता है।

कितने देश सीटीबीटी पर हस्ताक्षर कर चुके हैं?

यह संधि 24 सितंबर 1996 को अस्तित्व में आयी। उस समय इस पर ७१ देशों ने हस्ताक्षर किया था। अब तक इस पर १७८ देशों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। भारत और पाकिस्तान ने सीटीबीटी पर अब तक हस्ताक्षर नहीं किया है।

भारत ने CTBT पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किए?

भारत का यह मानना है कि इस संधि के बिंदु परमाणु संपन्‍नता को लेकर देशों के बीच भेदभाव करने वाले हैं। यही वजह है कि भारत ने अभी तक सीटीबीटी पर हस्‍ताक्षर नहीं किया है।

भारत ने NPT पर हस्ताक्षर कब किए?

परमाणु अप्रसार संधि (अंग्रेज़ी:नॉन प्रॉलिफरेशन ट्रीटी) को एनपीटी के नाम से जाना जाता है। इसका उद्देश्य विश्व भर में परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के साथ-साथ परमाणु परीक्षण पर अंकुश लगाना है। १ जुलाई १९६८ से इस समझौते पर हस्ताक्षर होना शुरू हुआ।