भारत में औपनिवेशिक शासन की आर्थिक नीतियों का केंद्र बिंदु क्या था उन नीतियों के क्या प्रभाव हुए अथवा? - bhaarat mein aupaniveshik shaasan kee aarthik neetiyon ka kendr bindu kya tha un neetiyon ke kya prabhaav hue athava?

भारत में औपनिवेशिक शासन की आर्थिक नीतियों का केंद्र बिंदु क्या था? उन नीतियों के क्या प्रभाव हुए?

औपनिवेशिक शासकों द्वारा रची गई आर्थिक नीतियों का ध्येय भारत का आर्थिक विकास नहीं था अपितु अपने मूल देश के आर्थिक हितों का संरक्षण और संवर्धन ही था। इन नीतियों ने भारत की अर्थव्यवस्था के स्वरूप के मूलरूप को बदल डाला।

  1. एक तो वे भारत को इंग्लैंड में विकसित हो रहे आधुनिक उद्योगों के लिए कच्चे माल का निर्यातक बनाना चाहते थे।
  2. वे उन उद्योगों के उत्पादन के लिए भारत को एक विशाल बाजार भी बनाना चाहते थे। इसके परिणामस्वरूप भारत एक खस्ताहालत अर्थव्यवस्था बनकर रह गया। एम. मुखर्जी के अनुसार, “1857-1956 के बीच प्रतिव्यक्ति आय की वार्षिक वृद्धि दर 0.5% प्रति वर्ष जितनी कम थी।” अतः अंग्रेजी शासन के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था एक खस्ताहालत अर्थव्यवस्थी रही। अंग्रेज़ी शासन समाप्त होने पर वे भारत को एक खोखली और स्थिर अर्थव्यवस्था के रूप में छोड़कर गए।
  1. निरक्षरता, जन्म दर तथा मृत्यु दर बहुत अधिक था। कुल जनसंख्या का केवल 17% हिस्सा ही साक्षर था। इसी तरह जन्म दर तथा मृत्यु दर क्रमशः 45.2 प्रति हज़ार (1931-41 के दौरान) तथा 40 प्रति हज़ार (1911-21 के दौरान) थी।
  2. देश संयंत्र और आर्थिक विकास के लिए आवश्यक मशीनरी के लिए लगभग पूरी तरह से अन्य देशों पर निर्भर था। वर्तमान जीवन और गतिविधि को बनाए रखने के लिए कई आवश्यक वस्तुओं क़ा आयात करना पड़ता था।
  3. आज़ादी के समय भारत एक कृषि प्रधान देश था। कार्यरत जनसंख्या का 70-75% हिस्सा कृषि में संलग्न था परंतु फिर भी देश खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर नहीं था।
  4. आधारिक संरचना बहुत हद तक अविकसित थी।

Concept: औपनिवेशिक शासन के अंतर्गत निम्न-स्तरीय आर्थिक विकास

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भारत में औपनिवेशिक शासन की आर्थिक नीतियों का केंद्र बिंदु क्या था और नीतियों के क्या प्रभाव है?

औपनिवेशिक शासकों द्वारा रची गई आर्थिक नीतियों का ध्येय भारत का आर्थिक विकास नहीं था अपितु अपने मूल देश के आर्थिक हितों का संरक्षण और संवर्धन ही था। इन नीतियों ने भारत की अर्थव्यवस्था के स्वरूप के मूलरूप को बदल डाला। एक तो वे भारत को इंग्लैंड में विकसित हो रहे आधुनिक उद्योगों के लिए कच्चे माल का निर्यातक बनाना चाहते थे।

भारत में औपनिवेशिक शासन की आर्थिक नीति का केंद्र बिंदु क्या था?

औपनिवेशिक शासन का मुख्य उद्देश्य इंग्लैंड में तेज़ी से विकसित हो रहे औद्योगिक आधार के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को केवल एक कच्चा माल प्रदायक तक ही सीमित रखना था

भारत में औपनिवेशिक नीति का क्या प्रभाव पड़ा?

अंग्रेजों द्वारा उद्योग लगाने के कम में आधारभूत संरचना का विकास किया गया, जिसका लाभ भारत को भी मिला। सीमित मात्रा में लोगों को रोजगार मिला लेकिन मजदूरों को शोषण का शिकार होना पड़ाऔपनिवेशिक अर्थव्यवस्था के परिणाम स्वरूप सबसे बड़ा लाभ भारत में राष्ट्रवाद का उदय के रूप में मिला।

औपनिवेशिक शासन का भारतीय सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?

उपनिवेशवाद के प्रभाव के कारण भारत ने आधुनिक विचारों को जाना । यह एक विरोधाभासी स्थिति भी थी। इस दौर में भारत ने पाश्चात्य उदारवाद एवं स्वतंत्रता को आधुनिकता के रूप में जाना वहीं दूसरी ओर इन पश्चिमी विचारों के विपरीत भारत में ब्रितानी उपनिवेशवादी शासन के अंतर्गत स्वतंत्रता एवं उदारता का अभाव था ।