विशिष्ट शिक्षा की प्रमुख समस्याएं क्या है? - vishisht shiksha kee pramukh samasyaen kya hai?

विशिष्ट शिक्षा की प्रमुख समस्याएँ क्या है ? समस्याओं को दूर करने के उपाय लिखिए।

उत्तर – विशिष्ट शिक्षा की प्रमुख समस्याएँ – इसके उत्तर के 11) का उत्तर देखें ।

लिए लघूत्तरात्मक प्रश्न संख्या (विशिष्ट शिक्षा की समस्याओं को दूर करने हेतु उपाय – विशिष्ट शिक्षा की समस्याओं को दूर करने के निम्नलिखित उपाय है—

(1) विशेष परिश्रमी अध्यापकों, समाज सेवियों, विशेषज्ञों द्वारा शिक्षण एवं निर्देशन (Teaching and Guidance by Special Rotary Teachers, Social Workers and Specialists) – विशिष्ट शिक्षा की समस्याओं के उचित समाधान हेतु विशेष परिश्रमी अध्यापकों, समाज-सेवियों, विशेषज्ञों द्वारा शिक्षण एवं निर्देशन प्रदान किया जाता है। विशिष्ट बालकों को औपचारिक शिक्षा प्रदान करने हेतु इन्हें सामान्य कक्षाओं में रखकर ही विशिष्ट शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए।

विशिष्ट शिक्षा की व्यवस्था में विशिष्ट बालक को शिक्षित करने का उत्तरदायित्व अध्यापक का होता है। शिक्षक को इन समस्त कार्यों को करने हेतु इन विशेषज्ञों की सहायता व निर्देशन की आवश्यकता होती है। उन विद्यालयों में जिनमें विशिष्ट बालकों की संख्या कम होती है वहाँ यह व्यवस्था अधिक उपयोगी होती है। विशेष प्रकार की विशेषताएँ जैसे-तोतले या किसी विषय विशेष में कमजोर बालक समय-समय पर प्राप्त विशेष शिक्षकों की सहायता से उसमें सुधार कर सकते हैं। इस प्रकार विशिष्ट बालकों में चक्षुहीन या मन्द बुद्धि बालक इस भिन्न शिक्षा व्यवस्था द्वारा लाभान्वित हो सकता है।

(2) विशेष विद्यालय (Soecial School)– विशिष्ट बालकों की शिक्षा के लिए विशेष विद्यालय का चलन पूर्व से ही प्रचलित है। ये विशिष्ट विद्यालय सभी सुविधाओं से युक्त होने चाहिए। इन विद्यालयों में प्राय: विशिष्ट बालकों जैसे— गूंगे-बहरे, नेत्रहीन, बाल अपराधी, कुसमायोजित आदि की शिक्षा का प्रबन्ध किया जाता है। विशिष्ट शिक्षा प्रदान करने हेतु इनमें विशेष प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक एवं प्रशिक्षक नियुक्त किए जाते हैं। इनमें इन बालकों की शिक्षा के साथ उन्हें उनकी विशेष योग्यतानुसार व्यवसाय में भी प्रशिक्षित किया जा सकता है। अतः इन विद्यालयों की स्थापना द्वारा विशिष्ट शिक्षा को विशिष्ट बालकों के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है।

(3) विशिष्ट कक्ष योजना (Special Room Plan) — प्रायः अत्यधिक विशिष्ट बालकों वाले विद्यालय में समस्त छात्रों को एक साथ शिक्षा प्रदान करना असम्भव होता है। इन विद्यालयों में विशिष्ट शिक्षा हेतु अलग से विशिष्ट कक्ष की योजना करना आवश्यक होता है। इन विशिष्ट कक्षों में शिक्षण हेतु प्रशिक्षित अध्यापकों, निर्देशकों एवं विषय विशेषज्ञों के माध्यम से शिक्षण व निर्देशन प्रदान किया जाता है । यद्यपि कुछ विद्वान मनोवैज्ञानिक कारणों से इस शिक्षा योजना का विरोध करते हैं परन्तु एक सशक्त विधा होने के कारण इसे प्राथमिक व माध्यमिक स्तर पर लागू किया जा सकता है।

(4) अतिरिक्त कक्ष की व्यवस्था (Arrangement of Extra Room) — विशिष्ट बालकों की विशिष्टता के क्षेत्र स्तर के अनुरूप वर्गीकृत करके सामान्य विद्यालय में ही उनके लिए अतिरिक्त कक्षाओं की योजनाएँ बनाई जा सकती हैं जिसमें विशिष्ट बालक अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षण, प्रशिक्षण प्राप्त करके अपनी शंकाओं एवं समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। इस प्रकार इन बालकों का शिक्षण सामान्य कक्षाओं में ही होता है तथा विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्ति विशिष्ट कक्षाओं में हो जाती है। विशिष्ट बालकों को इस प्रकार की योजना भावात्मकता एवं सामंजस्य प्रदान करती है।

(5) आवासीय विद्यालय (Residential School)—आवासीय विद्यालय प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध है। इसमें प्राय: बालक विद्यालय में ही रहकर शिक्षा ग्रहण करता है। विशिष्ट बालकों में अत्यधिक विकलांग तथा प्रतिभाशाली बालकों को विशेष रूप से इन विद्यालयों में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इसमें प्राय: शिक्षक कक्षा के अतिरिक्त भी बालकों को विभिन्न शिक्षण क्रियाओं का अभ्यास कराता है। छात्रों को सहायक सामग्री के प्रयोग, समय का सदुपयोग करने तथा आदर्श अनुशासन का अनुसरण करना सिखाया जाता है ।

विशिष्ट बालकों से आप क्या समझते हैं विशिष्ट बालकों की समस्याओं की विवेचना कीजिए?

विशिष्ट बालक कौन होते है : एक विशिष्ट बालक वह है जो शारीरिक, बौद्धिक, संवेगात्मक एवं सामाजिक रूप, सामान्य बुद्धि एवं विकास की दृष्टि से इतने अष्टिाक विचलित होते है कि नियमित कक्षा- कार्यक्रमो से लाभान्वित नही हो सकते है तथा जिसे विद्यालय में विशेष देखरेख की आवश्यकता होती है।

विशिष्ट बालकों की शिक्षा के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

विशिष्ट बालकों के लिए पूर्व पृथक्कीकरण शिक्षा व्यवस्था के लिए प्रमुख उपाय है

विशिष्ट आवश्यकता वाले बालकों की शिक्षा के उद्देश्य कौन कौन से हैं?

विशेष आवश्यकता वाले छात्रों की पहचान सामान्य रूप से कार्य करने के लिए छः क्षेत्र निर्णायक हैं। ये हैं - दृष्टि, श्रवण शक्ति, गतिशीलता, सम्प्रेषण, सामाजिक-भावनात्मक सम्बन्ध, बुद्धिमत्ता। इसके अतिरिक्त आर्थिक रूप से सुविधावंचित बच्चे भी विशेष हैं क्योंकि गरीबी के कारण वे जीवन के कई अनुभवों से वंचित रह जाते हैं

विशिष्ट शिक्षण विधि क्या है?

जिस ढंग से शिक्षक शिक्षार्थी को ज्ञान प्रदान करता है उसे शिक्षण विधि (teaching method) कहते हैं। 'शिक्षण विधि' पद का प्रयोग बड़े व्यापक अर्थ में होता है। एक ओर तो इसके अंतर्गत अनेक प्रणालियाँ एवं योजनाएँ सम्मिलित की जाती हैं, दूसरी ओर शिक्षण की बहुत सी प्रक्रियाएँ भी सम्मिलित कर ली जाती हैं।