- Introductionपिरैमिड आरेख
- सन्दर्भ
- बाहरी कड़ियाँ
पिरैमिड आरेख
एक प्रमुख एकविम आरेख है। / From Wikipedia, the free encyclopedia
पिरैमिड आरेख अथवा जनसंख्या पिरैमिड एक प्रमुख एकविम आरेख है जिसमें विभिन्न आयु वर्ग की जनसंख्या का एक त्रिकोणात्मक प्रदर्शन किया जाता है। इसका प्रतिपादन डब्ल्यू एम थामसन तथा आर्थर लेविस ने किया था। इस पिरैमिड में सबसे नीचे आधार पर निम्नतम आयु वर्ग की जनसंख्या (पुरुष एवं महिला) को प्रदर्शित करते हैं, जो सबसे बड़ी संख्या होती है, तथा क्रमशः घटते हुए आयु वर्ग पर चलते हैं। उच्चतम आयु वर्ग की जनसंख्या जो आकार में सबसे कम होगी, सबसे ऊपर प्रदर्शित होती है। इस प्रकार बड़े आधार से क्रमशः ऊपर घटते आकार पर चलते हैं और इस प्रकार बनी आकृति पिरैमिड की तरह होगी। यही जनसंख्या पिरैमिड कहलाता है। इसके दोनों किनारे क्रमशः शीर्ष बिंदुओं की ओर झुके रहते हैं जो प्रत्येक अगली आयु वर्ग में होने वाली मृत्यु के कारण कमी प्रदर्शित करते हैं।[1]
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इस लेख में हमलोग आयु-लिंग पिरामिड के विषय में जानने का प्रयास करेंगे। इसकी रचना कैसे किया जाता है ? इसको अध्ययन करने का क्या उद्देश्य होता है ? इसे कितने भागो में विभाजित किया जाता है ? इत्यादि।
Table of Contents
- आयु-लिंग पिरामिड किसे कहते है ?
- इसकी रचना कैसे किया जाता है ?
- आयु-लिंग पिरामिड निर्माण के उद्देश्य
- जनसंख्या पिरामिड के प्रकार
- 1. विस्तारित होती जनसंख्या
- 2. स्थिर जनसंख्या
- 3. ह्रासमान जनसंख्या
- भारत के आयु-लिंग पिरामिड
आयु-लिंग पिरामिड किसे कहते है ?
आयु-लिंग पिरामिडस्रोत :- //population.un.org/wpp/जनसंख्या संघटन/आयु-लिंग पिरामिड
यह एक प्रकार का रेखा चित्र है, जिसमे किसी क्षेत्र की जनसंख्या को विभिन्न आयु वर्गो के पुरुष और स्त्रियों की संख्या को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। इसकी रचना बहु दण्ड आरेख के माध्यम से किया जाता है। आयु-लिंग पिरामिड को जनसंख्या पिरामिड भी कहते है। इसका उपयोग आयु-लिंग संरचना को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। इसका प्रतिपादन डब्ल्यू एम थामसन तथा आर्थर लेविस ने किया था।
इस रेखाचित्र कि आकृति मिस्र के पिरामिड जैसी लगती है। इसी कारण से इसे आयु-लिंग पिरामिड या जनसंख्या पिरामिड कहा जाता है। पिरामिड के भांति ही आधार की ओर अधिक चौड़ी तथा शीर्ष की ओर संकीर्ण, हलांकि सभी आयु-लिंग पिरामिड की आकृति एक जैसी नहीं होती है फिर भी अधिकांश की आकृति पिरामिड से मिलती-जुलती है।
जनसंख्या भूगोल के अंतर्गत जनसंख्या संघटन के विषय विन्दु आयु-लिंग संरचना को सुंदर ढंग से व्यक्त करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। भूगोल के साथ-साथ अर्थशास्त्र में भी इस रेखा चित्र का उपयोग किया जाता है।
इसकी रचना कैसे किया जाता है ?
इस रेखाचित्र की रचना करने के लिए सर्वप्रथम एक क्षैतिज रेखा खींची जाती है जिसे एक्स (X) अक्ष कहा जाता है। इसे दो बराबर भागो में विभाजित किया जाता है। और समान्यतः दाई ओर स्त्रियों की संख्या और बाईं ओर पुरुषो की संख्या को प्रतिशत या संख्या के रूप अंकित किया जाता है।
एक्स (X) अक्ष के बाईं ओर इसके ऊपर एक ऊर्ध्वाधर लम्ब रेखा खींची जाती है। जिसे वाई (Y) अक्ष कहा जाता है। इस वाई (Y) अक्ष में समान उचाई (दुरी) पर विभिन्न आयु वर्गो को दर्शाया जाता है। जैसे 0 से 5, 6 से 10,11 से 15 इत्यादि।
इस (Y) अक्ष को (X) अक्ष के बीचो-बीच दो समांतर लम्ब रेखायें खींच कर उनके बीच में आयु वर्गों को समान उचाई पर दिखाया जाता है।
इसके पश्चात प्रत्येक आयु वर्ग में पुरुषो और स्त्रियों की संख्या या प्रतिशत के बराबर (X) अक्ष के क्षैतिज दण्ड का निर्माण किया जाता है। जिस प्रकार दीवार के निर्माण में ईंट के ऊपर ईंट बिछाया जाता है। उसी प्रकार कम आयु वर्ग के ऊपर अधिक आयु वर्ग के (X) अक्ष के ऊपर बाई ओर पुरुष तथा दाई ओर स्त्री की संख्या या प्रतिशत के अनुरूप क्षैतिज दण्ड का निर्माण किया जाता है।
आयु-लिंग पिरामिड निर्माण के उद्देश्य
जनसंख्या पिरामिड की आकृति किसी क्षेत्र की जनसंख्या की विशेषताओं को समझाने में काफी सहायक होती है।
यह हमे जन्मदर एवं मृत्युदर के साथ-साथ जीवन प्रत्याशा के बारे में जानकारी देती है।
जनसंख्या पिरामिड से हमे आसानी से पता चल जाता है की किसी क्षेत्र में कितने कार्यशील जनसंख्या है और कितने निर्भर जनसंख्या, निर्भर जनसंख्या में बाल आश्रित (15 वर्ष से कम आयु वर्ग) और वृद्ध आश्रित (60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग वाले लोग)
आयु-लिंग पिरामिड से हमे किसी देश के विषय में भी आसानी से जाना जा सकता है की वह देश विकसित देश है, विकासशील है, या कम विकसित।
इसका उपयोग किसी विशेष आयुवर्ग की जनसंख्या का वर्तमान स्थिति एवं पुर्वनुमान भी लगाया जा सकता है।
इससे किसी क्षेत्र के लिंगानुपात एवं विशेष आयुवर्ग के लिंगानुपात आसानी से ज्ञात किया जा सकता है।
जनसंख्या पिरामिड के प्रकार
किसी क्षेत्र कि जनसंख्या में होने वाले वृद्धि के अनुसार आयु-लिंग पिरामिड को तीन भागो में विभाजित किया जाता है।