बच्चों को घुटी कब पिलाना चाहिए? - bachchon ko ghutee kab pilaana chaahie?

शिशु को जन्‍म घुट्टी देने के लिए डॉक्‍टर मना करते हैं। हालांकि, बड़े-बूढ़े इसे देने की सलाह देते हैं ऐसे में पैरेंट्स इस उलझन में रहते हैं कि वो अपने बच्‍चे को जन्‍म घुट्टी दें या नहीं। तो चलिए जानते हैं कि नवजात शिशु को जन्‍म घुट्टी दे सकते हैं या नहीं।

​जन्‍म घुट्टी में क्‍या होता है

बच्चों को घुटी कब पिलाना चाहिए? - bachchon ko ghutee kab pilaana chaahie?

शिशु को दी जाने वाली जन्‍म घुट्टी में अश्‍वगंधा, अतिविष, मुरुडशेंग, बाल हिरडा, जायफल, हल्‍दी की जड़, सौंठ, खारीक, बादाम, जेष्‍ठमध, डिकेमाली, वेखंड और काकड शिंगी से घुट्टी बनाई जाती है।

​जन्म घुट्टी से क्या होता है

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जन्‍म घुट्टी को बाल घुट्टी भी कहते हैं और ये एक पारंपरिक भारतीय आयुर्वेदिक काढ़ा है जिसे मां के दूध या पानी में दवा मिलाकर तैयार किया जाता है। जन्‍म घुट्टी में जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया जाता है जिनमें औषधीय गुण पाए जाते हैं। कुछ पैरेंट्सबच्‍चे के जन्‍म के पहले दिन से ही घुट्टी पिलाना शुरू कर देते हैं।

माना जाता है कि इससे इम्‍यूनिटी बढ़ती है और दांत आने, दस्‍त, कब्‍ज और कोलिक पेन जैसी समस्‍याओं से राहत मिलती है।

​जन्म घुट्टी रेसिपी

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सभी जड़ी-बूटियों को साफ पानी से अच्‍छी तरह से धो लें। 20 से 30 मिली ब्रेस्‍ट मिल्‍क लें। आप चाहें तो फॉर्मूला मिल्‍क भी ले सकती हैं।

स्‍लेट पर एक बूंद दूध डालें और फिर एक-एक करके सभी जड़ी बूटियों को इस पर दो से तीन बार घिसें।

एक जड़ी बूटी को घिसने के बाद उसके पेस्‍ट को उंगली से उठाकर चम्‍मच में लें। जब सारी जड़ी बूटियों को घिस लें तो उस पेस्‍ट को ब्रेस्‍ट मिल्‍क या पानी में मिलाकर शिशु को दें।

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​जन्म घुट्टी कब पिलाना चाहिए

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अगर आपके बच्‍चे में कोलिक के संकेत दिख रहे हैं और वो लगातार रोता रहता है तो उसे चुप करवाने के लिए घुट्टी पिला सकते हैं।

दांत आने पर मसूड़ों में सूजन और दर्द या वैक्‍सीन लगने पर दर्द को कम करने के लिए भी जन्‍म घुट्टी दे सकते हैं। इसके अलावा जन्‍म घुट्टी पेट फूलने और पाचन में सुधार करने में भी मदद करती है।

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​क्‍या है डब्‍ल्‍यूएचओ की राय

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विश्व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) की मानें तो नवजात शिशु को छह महीने का होने तक मां के दूध या फॉर्मूला मिल्‍क के अलावा और कुछ नहीं देना चाहिए। डॉक्‍टर भी नवजात शिशु को घुट्टी पिलाने से मना करते हैं। बाजार में मिलने वाली घुट्टी में भी प्रिजर्वेटिव्‍स होते हैं जो कि शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।

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​क्‍या करें

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इस आयुर्वेदिक औषधि को लेकर विज्ञान और आयुर्वेद के बीच एकमत नहीं है। फिलहाल विज्ञान की मानें तो एक साल से कम उम्र के बच्‍चे को कच्‍चा शहद नहीं देना चाहिए। इसकी वजह से शिशु में बोटुलिस्‍म हो सकता है जो कि एक घातक लेकिन दुर्लभ बीमारी है। यह बीमारी एक साल से कम उम्र के बच्‍चों को शहद के कारण होती है।

बेहतर होगा कि आप किसी भी प्राचीन नुस्‍खे का प्रयोग छह महीने या एक साल से कम उम्र के बच्‍चे पर न करें और जन्‍म घुट्टी देने से पहले भी डॉक्‍टर से परामर्श कर लें।

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छोटे बच्‍चें को गैस, कब्‍ज और अपच की परेशानी बहुत होती है। इतने छोटे बच्‍चों को दवा तो नहीं दी जा सकती इसलिए इनके लिए असरकारी घरेलू नुस्‍खे ही ढूंढे जाते हैं।
आज हम आपको घर पर बच्‍चों के लिए जन्‍म घुट्टी बनाने के तरीके के बारे में बता रहे हैं। इस नुस्‍खे से बच्‍चों को आसानी से कब्‍ज, गैस और पेट की अन्‍य समस्‍याओं एवं सर्दी-जुकाम से बचाता है।

​जन्‍म घुट्टी के लिए क्‍या चाहिए

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बच्‍चों या शिशु के लिए जन्‍म घुट्टी बनाने के लिए आपको चाहिए दो से तीन जायफल, आधा भिगोना कच्‍चा दूध, गुनगुना पानी।

​कैसे बनाएं जन्‍म घुट्टी

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आप घर पर ही अपने बच्‍चे के लिए जन्‍म घुट्टी बना सकती हैं। इसे बनाने का तरीका है :

  • सबसे पहले गैस पर एक मध्‍यम आकार का भिगोना रखें।
  • अब इसमें इतना दूध डालें कि भिगोना आधा भर जाए।
  • फिर कच्‍चे दूध में जायफल डालें।
  • आपको जायफल के साथ ही दूध को उबालना है।

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​जन्‍म घुट्टी बनाने का तरीका

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जन्‍म घुट्टी बनाने के आगे के स्‍टेप्‍स हैं :

  • दूध उबलने के बाद इसे ठंडा होने दें।
  • ठंडा होने पर इस दूध की दही जमा दें।
  • जब दही जम जाए तो उसमें से जायफल निकाल लें।
  • जायफल को घिसें और घिसते समय एक या दो बूंद गुनगुना पानी उसमें डालें।
  • अब घिसे हुए पदार्थ को बच्‍चे को चटाएं।

​जन्‍म घुट्टी के फायदे

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जायफल बच्‍चों में कब्‍ज और गैस की समस्‍या को दूर कर सकती है। इसके साथ ही यह बच्‍चों को सर्दी, जुकाम, कब्‍ज, दस्‍त और बुखार से भी बचाती है। ऊपर जो तरीका बताया गया है कि उसे शिशु को दिन में एक या दो बार ही देना है, वो भी बहुत कम मात्रा में।

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​शिशु के लिए जायफल के फायदे

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शिशु के पेट के लिए जायफल बहुत फायदेमंद होती है। यह बच्‍चों को गैस और पेट दर्द से दूर रखती है। माना जाता है कि जायफल की खुशबू से बच्‍चों को अच्‍छी नींद आने में मदद मिलती है। दूध में जायफल मिलाकर देने से बच्‍चा शांत रहता है।

जायफल शरीर को गर्म रखता है इसलिए इस मसाले की मदद से सर्दियों में बच्‍चे में सर्दी और जुकाम को ठीक किया जा सकता है। जायफल बच्‍चों में सर्दी-जुकाम का सबसे असरदार नुस्‍खा है।

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​जायफल के लाभ

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शिशु का पाचन तंत्र बहुत कमजोर होता है इसलिए उन्‍हें आसानी से अपच हो जाती है। ठोस आहार शुरू करने पर बच्‍चे का पाचन तंत्र ठीक तरह से उसे पचा नहीं पाता है और फिर पेट दर्द, गैस और दस्‍त हो जाती है।

दस्‍त होने पर भी बच्‍चे को जायफल दी जा सकती है।

​शिशु को कितनी मात्रा में दें जायफल

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शिशु को कोई भी चीज खिलाने में बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है। 6 महीने के होने तक आप शिशु को जायफल या अन्‍य कोई भी चीज खाने को नहीं दे सकते हैं।

आप गर्मी के मौसम में बच्‍चे को एक बार 0.5 मिग्रा जायफल और सर्दी में 0.5 मिग्रा जायफल दिन में दो बार दे सकते हैं।

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बच्चे के लिए घुट्टी कब शुरू करें?

विश्व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) की मानें तो नवजात शिशु को छह महीने का होने तक मां के दूध या फॉर्मूला मिल्‍क के अलावा और कुछ नहीं देना चाहिए। डॉक्‍टर भी नवजात शिशु को घुट्टी पिलाने से मना करते हैं। बाजार में मिलने वाली घुट्टी में भी प्रिजर्वेटिव्‍स होते हैं जो कि शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।

बच्चे को जन्म घुट्टी कैसे पिलाते हैं?

​जन्‍म घुट्टी बनाने का तरीका.
दूध उबलने के बाद इसे ठंडा होने दें।.
ठंडा होने पर इस दूध की दही जमा दें।.
जब दही जम जाए तो उसमें से जायफल निकाल लें।.
जायफल को घिसें और घिसते समय एक या दो बूंद गुनगुना पानी उसमें डालें।.
अब घिसे हुए पदार्थ को बच्‍चे को चटाएं।.

जन्म घुट्टी के क्या फायदे हैं?

Dabur Janma Ghunti बिना डॉक्टर के पर्चे द्वारा मिलने वाली आयुर्वेदिक दवा है, जो मुख्यतः बच्चों में कब्ज के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा Dabur Janma Ghunti का उपयोग कुछ दूसरी समस्याओं के लिए भी किया जा सकता है।

कितने महीने के बच्चे को पानी पिलाना चाहिए?

छह महीने के बच्‍चे को ठोस आहार देना शुरू किया जाता है। पानी पिलाना शुरू करने के लिए यह समय सही होता है।