अपूर्व अनुभव पाठ में बच्चे पेड़ को क्या मानते थे? - apoorv anubhav paath mein bachche ped ko kya maanate the?

द्विशाखा शब्द द्वि और शाखा के योग से बना है। द्वि का अर्थ है-दो और शाखा का अर्थ है- डाल। द्विशाखा पेड़ के तने का वह भाग है जहाँ से दो मोटी-मोटी डालियाँ एक साथ निकलती हैं। द्वि की भाँति आप त्रि से बननेवाला शब्द त्रिकोण जानते होंगे। त्रि का अर्थ है तीन। इस प्रकार, चार, पाँच, छह, सात, आठ, नौ और दस संख्यावाची संस्कृत शब्द उपयोग में अकसर आते हैं। इन संख्यावाची शब्दों की जानकारी प्राप्त कीजिए और देखिए कि क्या इन शब्दों की ध्वनियाँ अंग्रेज़ी संख्या के नामों से कुछ-कुछ मिलती-जुलती हैं, जैसे – हिंदी-आठ, संस्कृत-अष्ट, अंग्रेज़ी-एट।

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 अपूर्व अनुभव Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 अपूर्व अनुभव

HBSE 7th Class Hindi अपूर्व अनुभव Textbook Questions and Answers

पाठ से

Class 7 Hindi Chapter 10 Apoorv Anubhav HBSE प्रश्न 1.
यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास क्यों किया ? लिखिए।
उत्तर :
यासुकी-चान पोलियोग्रस्त था अतः स्वयं पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था। वह तोत्तो-चान की मदद से ही पेड़ पर चढ़ सका। इसके लिए तोत्ता-चान को भारी परिश्रम करना पड़ा।

पहले तो वह चौकीदार की झोपड़ी से एक सीढ़ी लाई। उसे पेड़ के सहारे लगा दिया। पर यासुकी-चान के हाथ-पैर इतने कमजोर थे कि वह पहली सीढ़ी पर भी नहीं चढ़ पाया। फिर तोत्तो-चान चौकीदार की झोपड़ी से एक तिपाई-सीढ़ी खींचकर लाई। बहुत प्रयास के बाद वह ऊपर तो पहुँच गया। फिर तोतो-चान ने उसकी पोलियोग्रस्त उँगलियों में अपनी उँगलियाँ फंसाकर ऊपर खींचा। इस प्रकार यासुकी-चान पेड़ की द्विशाखा तक पहुँचने में सफल हो सका।

अपूर्व अनुभव पाठ में बच्चे पेड़ को क्या मानते थे? - apoorv anubhav paath mein bachche ped ko kya maanate the?

अपूर्व अनुभव पाठ के शब्दार्थ HBSE 7th Class प्रश्न 2.
दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अगल थे। दोनों में क्या अंतर रहे ? लिखिए।
उत्तर :
पेड़ से बच्चों का नाता गहरा था। वे एक-एक पेड़ को अपनी निजी संपत्ति मानते थे। वे उन पर चढ़ते थे और आनंदित होते थे। बाग के पेड़ों पर वे खूब मजा लेते थे। बाग में उनकी गतिविधियों को देखकर यासुकी-चान को अपनी अपंगता पर हताशा होती होगी। उसके मन में उदासी छा जाती होगी। वह अपनी विवशता पर दुःखी होता होगा।

अपूर्व अनुभव के प्रश्न उत्तर Class 7 HBSE प्रश्न 3.
पाठ में खोजकर देखिए-कब सुरज का ताप यासुकी-चान और तोत्तो-चान पर पड़ रहा था, वे दोनों पसीने से तरबतर हो रहे थे और कब बादल का एक टुकड़ा उन्हें छाया देकर कड़कती धूप से बचाने लगा था। आपके अनुसार इस प्रकार परिस्थिति के बदलने का कारण क्या हो सकता है?
उत्तर :
जब यासुकी-चान और तोत्तो-चान एक सीढ़ी के द्वारा पेड़ की द्विशाखा तक जा पहुँचे तब उन पर सूरज का ताप पर पड़ रहा था। उन्हें काफी पसीना आ रहा था। वे दोनों पसीने से तरबतर हो रहे थे। जब तोत्तो-चान अपनी पूरी ताकत से यासुकी-चान को खींच रही थी तभी बादल का एक बड़ा टुकड़ा बीच-बीच में छाया कर उन्हें कड़कती धूप से बचाने लगा।
यह मौसम का बदलाव था।

अपूर्व अनुभव का सारांश HBSE 7th Class प्रश्न 4.
“यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह ……..” अंतिम मौका था।” इस अधूरे वाक्य को पूरा कीजिए और लेखिका ने ऐसा क्यों लिखा होगा?
उत्तर :
लेखिका ने ऐसा इसलिए लिखा होगा क्योंकि यासुकी-चान के लिए स्वयं अपने बूते पर चढ़ना लगभग असंभव था। उसे हर बार तोत्तो-चान जैसा सहयोगी मिल पाना कठिन था। एक बार पेड़ पर चड़ने पर ही उसे घोर परिश्रम करना पड़ा था।

अपूर्व अनुभव पाठ में बच्चे पेड़ को क्या मानते थे? - apoorv anubhav paath mein bachche ped ko kya maanate the?

पाठ से आगे

Apoorv Anubhav Question Answer Class 7 HBSE प्रश्न 1.
तोत्तो-चान ने अपनी योजना को बड़ों से इसलिए छिपा लिया कि उसमें जोखिम था, यासुकी-चान के गिर जाने की संभावना थी। फिर भी उसके मन में यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की दृढ़ इच्छा थी। ऐसी दृढ़ इच्छाएँ बुद्धि और कठोर परिश्रम से अवश्य पूरी हो जाती हैं। आप किस तरह की सफलता के लिए तीव्र इच्छा और बुद्धि का उपयोग कर कठोर परिश्रम करना चाहते हैं ?
उत्तर :
हम जोखिम भरा काम करना पसंद करेंगे क्योंकि कुछ पाने के लिए जोखिम तो उठाना ही पड़ता है।

Class 7 Hindi Chapter 10 Apoorv Anubhav Question Answer  प्रश्न 2.
हम अकसर बहादुरी के बड़े-बड़े कारनामों के बारे में सुनते रहते हैं, लेकिन ‘अपूर्व अनुभव’, कहानी एक मामूली बहादुरी और जोखिम की आर हमारा ध्यान खींचती है। यदि आपको अपने आसपास के संसार में कोई रोमांचकारी अनुभव प्राप्त करना हो तो कैसे प्राप्त करेंगे?
उत्तर :
एक बार की बात है कि हम एक नदी के किनारे पिकनिक पर गए हुए थे तभी एक लड़का पानी में उतर गया। पानी की लहर उसे बहाकर दूर तक ले गई। वह चिल्लाने लगा-बचाओ-बचाओ। मैंने उसकी आवाज सुन ली। मैं दौडकर उस तक गया। मैं तैरना जानता था। अत: कपड़े उतारकर नदी के पानी में कूद गया। मैंने उस तक पहुँचकर उसका हाथ पकड़ लिया और अपनी ओर खींचने लगा। यद्यपि मैं भी घबरा रहा था, पर उसे किनारे तक खींच लाया। उसके पेट में पानी भर गया था अत: उसे जमीन पर लिटाकर कमर पर दबाव डाला। इससे उसके मुंह के रास्ते पेट का पानी निकल गया। थोड़ी देर में वह ठीक हो गया।
तब तक अध्यापक एवं अन्य साथी आ गए थे। सभी ने मेरी प्रशंसा की। मुझे अपने साहस पर हैरानी हो रही थी।

HBSE 7th Class Hindi अपूर्व अनुभव Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

अपूर्व अनुभव पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 1.
तोत्तो-चान ने किसको क्या निमत्रंण दिया?
उत्तर :
तोते-चान ने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ने का निमंत्रण दिया।

अपूर्व अनुभव प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 2.
बच्चे किसे अपनी निजी सम्पत्ति मानते थे?
उत्तर :
बच्चे अपने-अपने पेड़ को अपनी निजी सम्पत्ति मानते थे।

अपूर्व अनुभव के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 3.
यासुकी-चान किस रोग से ग्रस्त था?
उत्तर :
यासुकी-चान पोलियो रोग से ग्रस्त था।

पाठ 10 अपूर्व अनुभव HBSE 7th Class प्रश्न 4.
तोत्तो-चान को यासुकी-चान कहाँ मिला?
उत्तर :
उसे यासुकी-चान मैदान में क्यारियों के पास मिला।

Apurv Anubhav Class 7 HBSE प्रश्न 5.
तोत्तो-चान यासुकी-चान को कहाँ ले गई?
उत्तर :
तोत्तो-चान यासुकी-चान को अपने पेड़ की ओर ले गई।

अपूर्व अनुभव पाठ में बच्चे पेड़ को क्या मानते थे? - apoorv anubhav paath mein bachche ped ko kya maanate the?

अपूर्व अनुभव HBSE 7th Class प्रश्न 6.
यासुकी-चान बिना सहारे के सीढ़ी पर क्यों नहीं चढ़ पाया?
उत्तर :
यासुको-चान के हाथ-पैर बहुत कमजोर थे।

अपूर्व अनुभव शब्दार्थ HBSE 7th Class प्रश्न 7.
तोत्तो-चान को चौकीदार के घर से क्या मिल गया?
उत्तर :
उसे वहाँ से एक तिपाई सीढ़ी मिल गई।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

अपूर्व अनुभव पाठ का सारांश HBSE 7th Class प्रश्न 1.
तोत्तो-चान कौन थी? उसकी हार्दिक इच्छा क्या थी?
उत्तर :
तोत्तो-चान एक जापानी लड़की थी। उसकी यह हार्दिक इच्छा थी कि उसका अपंग साथी यासुकी-चान उसके पेड़ पर आकर उसकी चीजों एवं दुनिया को देखे।

प्रश्न 2.
तोत्तो-चान के चरित्र की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
तोत्तो-चान एक सहृदय बालिका है। उसके मन में अपने साथी के लिए असीम प्यार एवं सम्मान की भावना है। वह उसे भी वह खुशी देना चाहती हैं जो दूसरे बालकों को मिलती है। तोत्तो-चान परोपकारी है। वह दूसरों का भला करती है। तोत्तो-चान परिश्रमी है। वह परिश्रमपूर्वक सीढ़ी तथा तिपाई झोंपड़ी से खींचकर ले आती है।

प्रश्न 3.
यासुकी-चान किसी पेड़ को अपना क्यों नहीं कह पाता?
उत्तर :
यासुकी-चान पोलियोग्रस्त है। उसके हाथ-पैर काम नहीं करते। अत: वह किसी भी पेड़ पर चढ़ नहीं पाता। यही कारण है कि वह किसी पेड़ को अपना नहीं कह पाता। कोई पेड़ उसकी निजी संपत्ति नहीं बन सकता।

अपूर्व अनुभव पाठ में बच्चे पेड़ को क्या मानते थे? - apoorv anubhav paath mein bachche ped ko kya maanate the?

अपूर्व अनुभव गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. बच्चे अपने ……………………….. जरूर डाँटते।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. बच्चे अपने पेड़ को क्या मानते थे ?
2. किसी दूसरे के पेड़ पर चढ़ने से पूर्व क्या करना पड़ता था?
3. कोन, किस कारण पंड़ पर नहीं चढ़ पाता था ?
4. किसने, किसको, कहाँ आमंत्रित किया था?
उत्तर :
1. बच्चे अपने-अपने पेड़ को अपनी निजी संपत्ति मानते थे।
2 किसी दूसरे के पेड़ पर चढ़ने से पूर्व उस पेड़ के स्वामी से शिष्टतापूर्वक पूछना पड़ता था-“माफ कीजिए, क्या मैं अंदर आ जाऊँ ?”
3. यासुकी-चान किसी पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था क्योंकि उसको पोलियो था। वह किसी पेड़ को अपनी संपत्ति भी नहीं मानता था।
4. तोत्तो-चान ने यासुकी चान को अपने पेड़ पर आमंत्रित किया था।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. बच्चे किसे अपनी सम्पत्ति मानते थे?
(क) स्वयं को
(ख) अपने पेड़ को
(ग) अपनी जगह को
(घ) किसी को नहीं
उत्तर :
(ख) अपने पेड़ को

2. थासुकी-चान को क्या रोग था?
(क) पोलियो
(ख) अंधापन
(ग) बहरापन
(घ) हकलापन
उत्तर :

3. यासुकी-चान को किसके लिए आमंत्रित किया गया था?
(क) खाना खाने के लिए
(ख) पेड़ पर चढ़ने के लिए
(ग) आपस में मिलने के लिए
(घ) कहीं चलने के लिए
उत्तर :
(ख) पेड़ पर चढ़ने के लिए

अपूर्व अनुभव पाठ में बच्चे पेड़ को क्या मानते थे? - apoorv anubhav paath mein bachche ped ko kya maanate the?

2. यासुकी-चान ……………… क्या करे वह?

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. तोत्तो-चान ने पेड़ पर चढ़ने का क्या उपाय किया था?
2. क्या यासुकी-चान सीढ़ी पर चढ़ गया? क्यों?
3. तोत्तो-चान ने क्या प्रयास किया?
4. दोनों की क्या दशा थी?
उत्तर :
1. तोत्तो-चान चौकीदार के छप्पर से एक सीढ़ी पेड़ तक घसीट लाई थी और उसे तने के सहारे लगा दिया था ताकि द्विशाखा तक पहुँचा जा सके।
2. नहीं, यासुकी-चान पहली सीढ़ी पर भी बिना सहारे के नहीं चढ़ पाया। पोलियो के कारण उसके हाथ-पैर बहुत कमजोर थे।
3. तोत्तो-चान यासुकी-धान को पीछे से धकियाने लगी, जिससे वह सौढ़ी पर चढ़ सके।
4. यासुकी-चान ने अपना पैर सीढ़ी से हटा लिया। वह हताशा में सिर झुकाकर खड़ा हो गया। तोत्तो-चान ने भी समझ लिया कि यह काम उतना आसान नहीं है जितना उसने समझा था।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. यासुकी-चान का कौन-सा अंग कमजोर था?
(क) मस्तिष्क
(ख) हाथ-पैर
(ग) आँखें
(घ) कोई नहीं
उत्तर :
(ख) हाथ-पैर

2. पेड़ से नीचे कौन उतर आया?
(क) यासुकी-चान
(ख) तोत्तो-चान
(ग) वायु चान
(घ) माओ चान
उत्तर :
(ख) तोत्तो-चान

3. यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने का काम कैसा था?
(क) आसान
(ख) कठिन
(ग) पक्का
(घ) ठीक
उत्तर :
(ख) कठिन

अपूर्व अनुभव पाठ में बच्चे पेड़ को क्या मानते थे? - apoorv anubhav paath mein bachche ped ko kya maanate the?

3. यासुकी-चान ……………. रही थी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. किसकी क्या इच्छा थी?
2. तोत्तो-चान किस प्रयास में लगी थी?
3. तोत्तो-चान ने क्या उपाय किया?
4. तोतो-चान किस बात पर हैरान थी?
उत्तर :
1. तोत्तो-चान की यह हार्दिक इच्छा थी कि यासुकी-चान उसके पेड़ पर चढ़े।
2. जय तोत्तो-चान ने यासुकी-चान का उदास-लटका चेहरा देखा तो वह उसे हँसाने के प्रयास में लग गई। उसने अपना गाल फुलाकर तरह-तरह के चेहरे बनाए।
3. तोत्तो-चान चौकीदार के छप्पर की चोर दौड़ी गई। वहाँ उसे एक तिपाई-सीढ़ी मिल गई इसे थामे रहना भी जरूरी नहीं था।
4. तोत्तो-चान इस बात पर हैरान थी कि उसमें इतनी शक्ति कहाँ से आ गई कि वह तिपाई-सीढ़ी को यहाँ तक खींच लाने में सफल हो सकी। यह तिपाई-सीढ़ी द्विशाखा तक पहुंच गई।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘यह उसकी हार्दिक इच्छा थी’-किसकी?
(क) यासुकी-चान की
(ख) तोत्तो-चान की
(ग) दोनों की
(घ) किसी की नहीं
उत्तर :
(ख) तोत्तो-चान की

2. उदास कौन था?
(क) यासुकी-चान
(ख) तोत्तो-चान
(ग) कोई नहीं
(घ) सभी
उत्तर :
(क) यासुकी-चान

3. तोत्तो-चान को चौकीदार के छप्पर से क्या वस्तु मिली?
(क) तिपाई-सीढ़ी
(ख) चारपाई
(ग) कुरसी
(घ) स्टूल
उत्तर :
(क) तिपाई-सीढ़ी

4. तिपाई की ऊपरी सीढ़ी कहाँ तक पहुँच गई?
(क) छत तक
(ख) द्विशाखा तक
(ग) पेड़ तक
(घ) घर तक
उत्तर :
(ख) द्विशाखा तक

अपूर्व अनुभव पाठ में बच्चे पेड़ को क्या मानते थे? - apoorv anubhav paath mein bachche ped ko kya maanate the?

4. काफी मेहनत …………. लड़ाते रहे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. किसकी, किस मेहनत के बाद यासुको-चान पेड़ की द्विशाखा पर पहुंच पाया था?
2. तोत्तो-चान ने यासुकी-चान से क्या कहा?
3. यासुकी-चान ने किस मुद्रा में क्या पूछा?
4. यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़कर क्या अनुभूति हुई?
उत्तर :
1. तोत्तो-चान ने यासुकी-चान की पोलियोग्रस्त उँगलियों में अपनी उँगलियाँ फंसाकर उसे पूरी ताकत से ऊपर खींचा था। तभी वह पेड़ की द्विशाखा पर पहुंच पाया था।
2. तोत्तो-चान ने यासुकी-चान के सम्मान में सिर झुकाकर कहा कि मेरे पेड़ पर तुम्हारा स्वागत है।
3. यासुकी-चान ने मुसकराते हुए तोत्तो-चान से पूछा कि क्या वह अंदर आ सकता है ?
4. यासुकी-चान ने पेड़ पर चढ़कर दुनिया की नई झलक देखी। इसे उसने पहले कभी नहीं देखा था। उसे पेड़ पर चढ़ने का विचित्र अनुभव हुआ।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. तोत्तो-चान ने यासुकी-चान का स्वागत कहाँ किया?
(क) अपने पेड़ पर
(ख) जमीन पर
(ग) तिपाई पर
(घ) सीढ़ी पर
उत्तर :
(क) अपने पेड़ पर

2. यासुकी-चान ने क्या पूछा?
(क) क्या पेड़ पर स्वागत है?
(ख) क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?
(ग) क्या मैं पेड़ पर चढ़ सकता हूँ?
(घ) क्या ऐसे चढ़ा जाता है?
उत्तर :
(ख) क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?

3. यासुकी-चान ने पेड़ पर क्या देखा?
(क) दुनिया की नई झलक
(ख) पेड़ों का दृश्य
(ग) नीला आसमान
(घ) सभी कुछ
उत्तर :
(क) दुनिया की नई झलक

अपूर्व अनुभव पाठ में बच्चे पेड़ को क्या मानते थे? - apoorv anubhav paath mein bachche ped ko kya maanate the?

अपूर्व अनुभव Summary in Hindi

अपूर्व अनुभव पाठ का सार

इस कहानी में दो पात्र हैं-एक बालिका तोत्ता-चान और उससे एक साल बड़ा लड़का यासुकी-चान। यासुकी-चान को पोलियों था अतः वह किसी पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था। सभागार में शिविर लगने के दो दिन बाद तोखे चान को एक साहसपूर्ण काम करने का दिन आया। उसने अपंग यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ने का न्योता दिया। तोमोए में प्रत्येक बच्चा बाग के एक-एक पेड़ को अपने खुद के चढ़ने का पेड़ मानता था। तोत्ता-चान अक्सर खाने की छुट्टी के समय या स्कूल के बाद पेड़ के ऊपर चढ़ी मिलती थी।

सभी बच्चे अपने-अपने पेड़ को निजी संपत्ति मानते थे। किसी दूसरे के पेड़ पर चढ़ने से पूर्व पूछना पड़ता था। यासुकी-चान पोलियोग्रस्त होने के कारण किसी पेड़ को अपना नहीं मान पाता था। घर से निकलते समय तोत्तो चान ने झूठ बोला था कि वह यासुकी-चान के घर डेनेनचोफु जा रही है पर उसने रॉकी को सच बता दिया था। जब तोत्तो-चान स्कूल पहुँची तो उसे यासुकी-चान मैदान में क्यारियों के पास मिला। जैसे ही यासुकी चान ने तोत्तो चान को देखा, वह पैर घसीटता हुआ उसकी ओर आया।

तोत्ता-चान यासुकी-चान को अपने पेड़ की ओर ले गई। वह चौकीदार के छप्पर से एक सीढ़ी घसीट लाई और उसे तने के सहारे ऐसे लगा दिया, जिससे वह द्विशाखा तक पहुँच जाए। उसने सीढ़ी को पकड़ लिया और यासुकी-चान को ऊपर चढ़ने की कोशिश करने को कहा, पर उसके हाथ-पैर इतने कमजोर थे कि वह बिना सहारे के पहली सीढ़ी भी नहीं चढ़ पाया।

वह सिर झुकाकर खड़ा हो गया। तोत्तो-चान कोई और उपाय सोचने लगी। वह चौकीदार के छप्पर से एक तिपाई-सीढ़ी खींच लाई। वह सीढ़ी द्विशाखा तक पहुँच रही थी। यासुकी-चान ने घबराकर तिपाई-सीढ़ी की ओर देखा। उसे पसीना आ रहा था। उसने निश्चय के साथ पाँव उठाकर पहली सीढ़ी पर रखा। तोत्तो-चान उसकी मदद कर रही थी।

यासुको-चान पूरी शक्ति के साथ जूझ रहा था और आखिर वह ऊपर पहुँच गया, पर तभी सारी मेहनत बेकार होती लगने लगी। तोत्तो चान तो सीढ़ी पर से द्विशाखा पर छलांग लगाकर पहुँच गई, पर यासुकी-चान को सीढ़ी से पेड़ पर लाने की हर कोशिश बेकार रही। तोत्तो चान की रुलाई छूटने को थी, क्योंकि वह चाहती थी कि वह यासुकी-चान को अपने पेड़ पर आमंत्रित कर तमाम नई-नई चीजें दिखाए।

तोत्तो चान ने यासुकी-चान की पोलियो से पिचकी और अकड़ी उँगलियों को अपने हाथ में थाम लिया और बोली-“तुम लेटे रहो, मैं तुम्हें पेड़ पर खींचने की कोशिश करती हूँ।” यह कहकर वह पूरी ताकत से यासुकी-चान को खींचने लगी। काफी मेहनत के बाद दोनों आमने-सामने पेड़ की द्विशाखा पर थे। तोत्तो ने सम्मान से सिर झुकाकर कहा-“मेरे पेड़ पर तुम्हारा स्वागत है।” यासुकी-चान ने मुस्कराते हुए पूछा-“क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?”

उस दिन यासुकी-घान ने दुनिया की एक ऐसी नई झलक देखी जैसी उसने पहले कभी नहीं देखी थी। वे दोनों गप्पें लड़ाते रहे। यासुकी-चान ने उमंग में भरकर बताया कि उसकी बहन अमेरिका में है। उसने एक चीज टेलीविजन के बारे में बताया है। वह कहती है कि इसमें वह सूमो-कुश्ती भी देख सकेगा। तोत्तो-चान सोचती रही कि सूमो पहलवान किसी डिब्बे में कैसे
समा सकता है।

अपूर्व अनुभव शब्दार्थ

उदास = निराश, दु:खी होना (Sad)। छप्पर = झोंपड़ी के ऊपर घास-पूस की छत (Hut), तिपाई = तीन पाँवों/पैरों वाली (Stool)। धामे = पकड़े (Caught)। तरबतर = लथपथ, डूबे हुए (Drenched)। तमाम = समस्त, सारी (Total)। जोखिम = खतरा (Danger)। भरोसा = विश्वास (Belief) झिझकता हुआ = हिचक या संकोच के साथ धीरे-धीरे (Hesitated)। सम्मान से = आदर के साथ (With regard)। झलक = तस्वीर (Picture)। सूमों = (जापानी पहलवान जो कुश्ती लड़ते हैं उन्हें सूमों बोला जाता है।) (A wrestler)। ताकना = देखना (To see)। आमंत्रित = बुलाया हुआ (Invited) स्थिर = टिका हुआ (Stable)। संपत्ति = प्रापर्टी (Property)। हताशा = निराशा (Distress)। हैरान = आश्चर्यचकित (Surprised)। सभागार = बैठक करने का बड़ा कक्ष (Meeting Place)। शिविर = किसी निश्चित उद्देश्य से एकत्र होना (Camp)। द्विशाखा = दो शाखाएँ (Two wigs)। निजी = अपनी (Own)। सूना = खाली-खाली, सुनसान (Empty place)। उत्तेजित = जोश में आना (Excited)। भेद = अंतर (Difference)।

बच्चे पेड़ को क्या मानते थे?

बच्चे अपने-अपने पेड़ को निजी संपत्ति मानते थे। किसी दूसरे के पेड़ पर चढ़ना हो तो उससे पहले पूरी शिष्टता से, “माफ़ कीजिए, क्या मैं अंदर आ जाऊँ?” पूछना पड़ता था। यासकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह न तो किसी पेड़ पर चढ़ पाता था और न किसी पेड़ को निजी संपत्ति मानता था।

पाठ अपूर्व अनुभव के अनुसार तोमोए में पेड़ और बच्चों के बीच क्या सम्बन्ध है?

उत्तर:- तोत्तो-चान का अनुभव – तोत्तो-चान स्वयं तो रोज ही अपने निजी पेड़ पर चढ़ती थी और खुश होती थी परंतु आज पोलियो से ग्रस्त अपने मित्र यासुकी-चान को पेड़ की द्विशाखा तक पहुँचाने से उसे प्रसन्नता के साथ-साथ अपूर्व आत्म संतुष्टि भी प्राप्त हुई।

अपूर्व अनुभव पाठ के माध्यम से क्या संदेश दिया गया है?

अपूर्व अनुभव. शीर्षक संस्मरण में यह सन्देश दिया गया है कि हमें सामान्यजन की तरह विकलांग व्यक्ति को कभी किसी से कम नहीं समझना चाहिए, बल्कि उनकी इच्छाओं को जानने का प्रयत्न करना चाहिए और उन्हें हर संभव सहारा प्रदान करना चाहिए। हमें तोत्तो-चान की तरह ही यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाकर उसकी इच्छाओं को पूरा करना चाहिए।

अपूर्व अनुभव पाठ में हरेक बच्चे का अपना पेड़ कहाँ पर था?

तोमोए में हरेक बच्चा बाग के एक-एक पेड़ को अपने खुद के चढ़ने का पेड़ मानता था। तोत्तो-चान का पेड़ मैदान के बाहरी हिस्से में कुहोन्बुत्सु जानेवाली सड़क के पास था। बड़ा सा पेड़ था उसका, चढ़ने जाओ तो पैर फिसल-फिसल जाते। पर, ठीक से चढ़ने पर ज़मीन से कोई छह फुट की ऊँचाई पर एक विशाखा तक पहुँचा जा सकता था