अमेरिका संविधान में संशोधन प्रक्रिया क्या है? - amerika sanvidhaan mein sanshodhan prakriya kya hai?

American Samvidhan Sanshodhan

Pradeep Chawla on 10-09-2018

संयुक्त राज्य अमेरिका और आस्ट्रेलिया के संविधानों की संशोधन प्रक्रिया अत्यधिक जटिल है।

संविधान का विकास तीन प्रकार से होता है- परम्पराओं द्वारा, न्यायिक व्याख्या द्वारा तथा संविधान में संशोधन की पद्धति द्वारा।

परम्पराएं और प्रथाएं निश्चित तौर पर राजनितिक संस्थाओं के स्वरूप को निर्धारित करती हैं। जहां तक न्यायिक समीक्षा का प्रश्न है, भारत और अमेरिका के उच्चतम न्यायालयों द्वारा समय-समय पर संवैधानिक समस्याओं की व्याख्या भी की गई है किंतु लिखित संविधान के विकास का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत औपचारिक संशोधन ही है। किसी भी देश के संविधान में संशोधन किया जाना प्रमुखतः निम्नलिखित कारणों से आवश्यक हो जाता है-

  1. संविधान कोई साध्य न होकर साध्य की प्राप्ति हेतु साधन मात्र है। अतः उसे समय एवं राज्य की आवश्यकताओं का प्रतिरूप होना चाहिए। आधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्रांतिकारी दौर में कोई भी संविधान अनन्य स्थायित्व का दावा करते हुए कह नहीं सकता कि वह परिवर्तनशील परिस्थितियों के अनुकूल होने की क्षमता भी रखता है।
  2. संविधान के अंतर्गत वर्णित आदशों, लक्ष्यों एवं उद्देश्यों की पूर्ति हेतु संविधान के उन उपबंधों में संशोधन करना आवश्यक है, जो उनसे मेल नहीं खाते।
  3. सामाजिक एवं आर्थिक न्याय की प्राप्ति हेतु परम्परावादी मान्यताओं में शांतिपूर्ण परिवर्तन संविधान संशोधन के माध्यम से ही सम्भव है।
  4. संविधान संशोधन के माध्यम से उसमें कोई नई बात अथवा किसी नए तथ्य को समाविष्ट किया जाता है।
  5. संविधान की जन-आकांक्षाओं, इच्छाओं एवं आवश्यकताओं का प्रतिबिम्ब होना चाहिए। वर्तमान संविधान यदि मौजूदा आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकने में अक्षम है तो उसमें यथोचित परिवर्तन कर देने चाहिए।

सम्बन्धित प्रश्न



Comments Akash soni on 08-12-2021

Amerika savidhan ke stroto ki vyakhaya kijiye

Komal on 16-11-2021

Americi sanvidhan ki sansodhan prakriya ke sambandh me batay

kuldeeppateriyamaharaj on 05-09-2021

अमेरिका और स्पीटजरलैंड में संविधान संशोधन प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए ?

Rahul on 17-08-2021

Mahatma Gandhi ka Janm kab hua tha

Lipsa on 08-07-2021

America or svijilend ke savidhan sasodhan prakiya

Rohit on 07-07-2021

अमेरिका और स्विट्जरलैंड के संविधान के संशोधन की प्रक्रिया की तुलना कीजिए

Pankaj kumar on 09-04-2020

America me sambidhan sanshodhan ke baare me batayen

Ranjeet to on 06-03-2020

America me Sam smawidhan sansodhan ke process ka tarika in 300 words

Swati Singh on 28-12-2019

American ke samvidhana me sanghiye nayepalika ki Rachana or saktiya

Om choudhary on 21-11-2019

अमेरिका में मतदान करने की आयु कितनी है

sarvottam kumar on 12-05-2019

संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान की संशोधन प्रक्रिया है

सर्वोत्तम कुमार on 12-05-2019

संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान की संशोधन प्रक्रिया हैं


प्रश्न 13. ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस तथा स्विट्जरलैण्ड के संविधानों में संशोधन प्रक्रिया की विवेचना कीजिए।

अथवा ''अमेरिका तथा ब्रिटेन में संविधान संशोधन प्रक्रिया का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।

अथवा ''क्या यह कहना उचित होगा कि अमेरिका और स्विट्जरलैण्ड, दोनों ही देशों में संविधान संशोधन प्रक्रिया जटिल है ? विस्तार से विवेचना कीजिए।

अथवा ''अमेरिका तथा स्विट्जरलैण्ड की संविधान संशोधन प्रक्रियाओं का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।

उत्तर-

लॉर्ड मैकाले ने कहा था कि यदि किसी देश के संविधान में संशोधन पद्धति का अभाव होता है, तो संविधान जड़ हो जाएगा। सरकार के परिवर्तित स्वरूप के अनुरूप शासन विधानों में भी परिवर्तन की आवश्यकता होती है। आज के प्रगतिशील औद्योगिक समाज की आकांक्षाओं की पूर्ति संविधानों को नवीन स्थितियों के अनुरूप बनाकर की जाती है। नित नवीन परिस्थितियों के जन्म लेने के फलस्वरूप संविधान की धाराएँ पुरानी पड़ जाती हैं। संविधान समय के साथ गतिमान रहे, यह तभी सम्भव हो पाता है जब उसमें आवश्यकतानुसार संशोधन एवं परिवर्द्धन की प्रक्रिया अपनाई जाती रहे।

अमेरिका संविधान में संशोधन प्रक्रिया क्या है? - amerika sanvidhaan mein sanshodhan prakriya kya hai?

अमेरिकी संविधान में संशोधन –

की प्रक्रिया संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान अत्यन्त कठोर है, अतः इसमें संशोधन की प्रक्रिया अत्यन्त जटिल है। संविधान में संशोधन एक विशेष प्रक्रिया द्वारा किया जाता है, जो सामान्य विधि-निर्माण की प्रक्रिया से भिन्न है। संशोधन सम्बन्धी प्रस्ताव  -

(1) कांग्रेस के दोनों सदनों के दो-तिहाई सदस्यों द्वारा या दो-तिहाई राज्यों के विधानमण्डलों की माँग पर आयोजित विशेष सम्मेलन द्वारा प्रस्तावित किया जाता है। इसके उपरान्त उसके समर्थन की आवश्यकता पड़ती है। यह अनुसमर्थन भी दो प्रकार का हो सकता है  -

(i) तीन-चौथाई राज्यों के विधानमण्डलों द्वारा, या

(ii) तीन-चौथाई राज्यों के विशेष सम्मेलन की स्वीकृति।

व्यवहार में संशोधन की यह प्रक्रिया बहुत जटिल है। केवल 21वें संशोधन को छोड़कर प्रस्तुतीकरण एवं अनुसमर्थन की दूसरी पद्धति को ही अपनाया गया है। अमेरिकी संविधान में संशोधन की जटिल प्रक्रिया का ही परिणाम है कि वहाँ अब तक केवल 27 संशोधन ही हुए हैं।

(2) किन्तु अमेरिकी संविधान की कठोरता का यह अर्थ नहीं है कि अमेरिकी संविधान में आवश्यकतानुसार परिवर्तन नहीं किए जा सकते हैं। नई परिस्थितियों के अनुकूल संविधान में परिवर्तन होना स्वाभाविक था और यह परिवर्तन हुआ भी है। लॉर्ड ब्राइस ने लिखा है, "जैसे राष्ट्र बदला है, वैसे आवश्यक रूप से संविधान भी बदला है।"

विल्सन ने ठीक ही कहा है, "अमेरिका का संविधान ब्रिटिश संविधान से कम जीवित व उर्वर नहीं है।"

अमेरिकी संविधान संशोधन की रीति से यह स्पष्ट हो जाता है  -

(1) संशोधन पद्धति अत्यन्त जटिल है।

(2) देश की जनता को न तो संविधान में संशोधन प्रस्तावित करने का अधिकार है और न उसके पुष्टिकरण का।

(3) कितने समय में राज्यों द्वारा संविधान संशोधन की पुष्टि हो, इस पर कोई संवैधानिक प्रतिबन्ध नहीं है।

(4) संशोधन प्रस्ताव की पुष्टि थोड़े-से राज्यों केवल 14 या 15 की असहमति होने से रोकी जा सकती है।

स्विस संविधान की संशोधन पद्धति –

स्विस संविधान लिखित एवं कठोर है। अतः स्वाभाविक है कि उसकी भी संशोधन प्रक्रिया जटिल होगी। यह प्रक्रिया अमेरिकी संविधान की संशोधन प्रक्रिया से कम जटिल है। स्विस संविधान में संशोधन दो प्रकार से हो सकते हैंपूर्ण संशोधन और आंशिक संशोधन । दोनों संशोधन के तरीके भिन्न-भिन्न हैं। संविधान के पूर्ण संशोधन का अभिप्राय यह है कि पुराने संविधान के स्थान पर  नये संविधान की रचना की जाए, जैसा कि 1874 . में हुआ था। संवैधानिक संशोधन में जनमत संग्रह और आरम्भक का प्रयोग होता है।

पूर्ण संशोधन की रीति  -

संविधान में पूर्ण संशोधन का प्रस्ताव संघ सरकार की कार्यपालक संघीय परिषद् या व्यवस्थापिका, संघीय सभा अथवा जनता द्वारा पारित किया जा सकता है। जब यह प्रस्ताव पास हो जाता है, तो संशोधन जनता के पास जाता है और जनता का बहुमत तथा कैण्टनों का बहुमत प्राप्त होने पर वह संशोधन हो जाता है।

ऐसा भी हो सकता है कि पूर्ण संशोधन के सम्बन्ध में दोनों सदन एकमत न हों, तो जनता के समक्ष यह प्रश्न रखा जाता है कि संशोधन हो या नहीं। इस अवसर पर कैण्टनों से मत नहीं लिया जाता है। यदि जनता संशोधन के विपक्ष में मत देती है, तो संघीय सभा (विधानमण्डल) भंग कर दी जाती है और नवगठित विधानसभा पूर्ण संशोधन का कार्य पुनः प्रारम्भ करती है। परन्तु स्विट्जरलैण्ड में अभी तक ऐसी स्थिति नहीं आई है।

संशोधन का प्रस्ताव पचास हजार मतदाता प्रारम्भ करा सकते हैं। जनता का आवेदन-पत्र केन्द्र के विधानमण्डल (संघीय सभा) के पास जाता है और फिर वही प्रक्रिया अपनाई जाती है जो ऊपर लिखी हुई है।

आंशिक संशोधन की रीति  -

आंशिक संशोधन का प्रस्ताव भी संघीय विधानसभा या नागरिक कर सकते हैं। जब नागरिक ऐसा प्रस्ताव रखते हैं तो विधानमण्डल उसे अस्वीकार कर सकता है, स्वीकार कर सकता है, संशोधन कर सकता है, अपना विधेयक जनता के विधेयक के साथ जोड़ सकता है। सामान्यतः अधिकांश परिस्थितियों में लोक निर्णय लिया जाता है। न स्विस संविधान के संशोधन की विलक्षण बात यह है कि यहाँ पर संशोधन का अधिकार विधानमण्डल के साथ-साथ जनता को भी प्राप्त है। संशोधन को अन्तिम रूप में स्वीकार करने या न करने का उत्तरदायित्व नागरिकों को प्रदान किया गया है। किसी भी संशोधन प्रस्ताव को तब तक स्वीकार नहीं किया जा सकता है जब तक कि लोक निर्णय में मतदाताओं का बहुमत तथा कैण्टनों का भी बहुमत उनके पक्ष में न हो। यह व्यवस्था स्विस संविधान को वास्तविक रूप से बहुत ही अधिक लोकतान्त्रिक बनाती है। वैसे तो ऊपर से देखने में स्विट्जरलैण्ड की संविधान पद्धति काफी जटिल प्रतीत होती है, लेकिन व्यवहार में अमेरिकी संविधान से कम जटिल है। यह बात इस तथ्य से स्पष्ट है कि जहाँ स्विट्जरलैण्ड के संविधान में 1848 . से अब तक 60 के लगभग संशोधन हुए हैं, वहीं अमेरिका में 1789 . से लेकर अब तक केवल 27 संशोधन हुए हैं।

अमेरिका और स्विट्जलैण्ड में संशोधन प्रक्रिया का मूल्यांकन  -

बहुत से लोग यह सोचते हैं कि अमेरिका के संविधान में औपचारिक रूप स सशोधन की प्रक्रिया बहत जटिल है। संशोधन की वर्तमान प्रक्रिया के विरुद्ध हा मूल आपत्तियाँ उठाई जाती हैं। दोनों ही का आधार यह है कि प्रस्तावित संशोधनों की स्वीकृति के लिए प्रभावशाली तत्त्व राज्य है, जनता नहीं। यह तर्क दिया जाता है कि 3/4 राज्यों की स्वीकृति की आवश्यकता एक दकियानूसी व्यवस्था है। अतः यदि 14 राज्य एक विशाल बहुमत के द्वारा पारित संशोधन प्रस्ताव में बाधक बनना चाहें, तो रत्तीभर भी संशोधन सम्भव नहीं है। यह हो सकता है कि सबसे कम जनसंख्या वाले 14 राज्य उस संशोधन को पारित न होने दें, जिसे शेष सारा देश चाहता हो। यह तथ्य रोचक है कि सबसे कम जनसंख्या वाले 14 राज्यों की सामूहिक जनसंख्या अकेले न्यूयॉर्क की जनसंख्या से भी कम है। दूसरे शब्दों में, राष्ट्र के लोगों का दसवाँ भाग शेष 9/10 जनता को प्रशासनिक व्यवस्था में इच्छानुसार परिवर्तन करने से रोक सकता है। दूसरी ओर यह कहा जा सकता है कि ग्रामीण आबादी वाले राज्यों की बहुसंख्या सबसे बड़े 12 राज्यों पर, (उनकी इच्छा के विरुद्ध) कोई संशोधन थोप सकती है, चाहे उनकी जनसंख्या सारे देश की जनसंख्या की आधी ही क्यों न हो।

यह तर्क भी दिया गया है कि प्रत्यक्ष रूप से जनता की ओर से न तो प्रस्ताव आता है और न कोई संशोधन जनमत संग्रह के लिए जनता के सामने प्रस्तुत किया जाता है। अतः यह व्यवस्था कुछ कम लोकतान्त्रिक है।

अमेरिका की भाँति स्विट्जरलैण्ड में संविधान को संशोधित करने की प्रक्रिया जटिल तथा कठिन है। स्विट्जरलैण्ड में कोई भी संशोधन तब तक स्वीकृत नहीं होता है जब तक कि मतदाताओं के द्वारा उसका अनुमोदन नहीं हो जाता है। अन्य किसी भी देश में संविधान संशोधन प्रक्रिया में जनता का इतना अधिक हाथ नहीं होता है। दोहरे बहुमत-मतदाताओं एवं कैण्टनों के बहुमत का प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि न केवल आधे से अधिक नागरिक प्रस्ताव के पक्ष में हों, बल्कि वे विभिन्न कैण्टनों के निवासी भी हों। नागरिकों का बहुमत कुछ एक बड़े कैण्टनों में ही केन्द्रित न हो। इस प्रकार नागरिकों की बहुसंख्या प्रभुसत्ता का प्रत्यक्ष प्रयोग कर सकती है। संशोधन की यह प्रक्रिया कठिन है। यह उल्लेखनीय है कि न तो कैण्टनों की विधायिकाओं को संशोधन प्रस्तावित करने का अधिकार है और न ही (संघीय सभा से पारित होने के पश्चात्) उनको स्वीकति देने या न देने का अधिकार है।

फाइनर तथा लावेल जैसे विद्वानों का मत है कि स्विट्जरलैण्ड की अपेक्षा अमेरिका का संविधान अधिक कठोर है। उनके इस मत का आधार यह है कि अमेरिका के संविधान में तब तक कोई संशोधन नहीं हो सकता है जब तक कि कांग्रेस के दो-तिहाई बहुमत से सम्बन्धित विधेयक पारित न हो जाए और जब तक तीन-चौथाई राज्य उसका अनुमोदन न कर दें। इसके विपरीत स्विट्जरलैण्ड में संघीय सभा के साधारण बहुमत से प्रस्ताव स्वीकार किया जा सकता है और मतदाताओं तथा कैण्टनों के केवल स्पष्ट (साधारण) बहुमत से उसका अनुमोदन हो जाता है। यह ठीक है कि देखने में अमेरिका की संशोधन प्रक्रिया अधिक जटिल प्रतीत होती है। यह भी सत्य है कि स्विट्जरलैण्ड में अब तक 60 संशोधन हए हैं, जबकि अमेरिका में केवल 27 संशोधन हुए हैं। परन्तु हमारा यह विश्वास है कि आम जनता के मतों का बहुमत प्राप्त करना तीन-चौथाई राज्यों की विधायिकाओं की स्वीकृति प्राप्त करने से भी अधिक कठिन है।

ब्रिटिश संविधान में संशोधन प्रक्रिया –

ब्रिटिश संविधान नमनीयता का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस संविधान में साधारण और संवैधानिक विधियों में कोई मौलिक अन्तर नहीं माना जाता है। जिस पद्धति से प्रभुत्वपूर्ण ब्रिटिश संसद बहुमत से कानून बनाती है, उसी प्रकार यह महत्त्वपूर्ण संवैधानिक बात को परिवर्तित कर सकती है।

ब्रिटिश संसद द्वारा किए गए संशोधनों को इंग्लैण्ड का सर्वोच्च न्यायालय अवैध घोषित नहीं कर सकता। मैरियट का मत है कि ब्रिटिश संविधान में लचीलापन इसलिए और भी अधिक है क्योंकि इसमें औपचारिक संशोधन के बिना भी संशोधन हो सकता है। संविधान में जो संशोधन परम्पराओं के परिवर्तन द्वारा होते हैं, वे ऐसे ही संशोधन होते हैं, क्योंकि उनके द्वारा किसी भी औपचारिक कानून सम्बन्धी संशोधन के बिना ही शासन का संवैधानिक ढाँचा बदल जाता है। लॉर्ड ब्राइस के शब्दों में, "संविधान के ढाँचे को बिना तोड़े ही आवश्यकतानुसार उनको खींचा और मोड़ा जा सकता है और जब संकट का समय निकल जाता है, तो वे अपने रूप को उस पेड़ की भाँति धारण कर लेते हैं जिसकी बाहरी शाखाओं को ऊँची गाड़ी निकालने के लिए एक ओर खींच दिया गया था।" लचीलेपन के कारण ही ब्रिटेन के संविधान ने हर तूफान का सरलता से मुकाबला किया है।

फ्रांस के संविधान में संशोधन प्रक्रिया –

फ्रांस के संविधान में संशोधन की प्रक्रिया अत्यधिक जटिल रखी गई है। फ्रांस में संशोधन करने का उपक्रम सरकार की ओर से या व्यक्तिगत सदस्यों की  ओर से हो सकता है। संशोधन प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों द्वारा एक रूप में पारित होना चाहिए। इसके उपरान्त दो प्रक्रियाओं में से किसी एक को अपनाया जा सकता है। प्रथम, प्रस्ताव के जनमत संग्रह द्वारा स्वीकृत होने पर संविधान में संशोधन होता है। द्वितीय, यदि राष्ट्रपति के विचार में जनमत संग्रह की आवश्यकता नहीं है, तो प्रस्ताव संसद के संयुक्त अधिवेशन में भेजा जाएगा और 3/5 मत से पारित होने पर संविधान में संशोधन होगा। उल्लेखनीय है कि संविधान संशोधन द्वारा शासन के गणतन्त्रीय स्वरूप को बदला नहीं जा सकता और न ही ऐसा कोई संविधान हो सकता है जो राज्य क्षेत्र की अखण्डता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता हो।

निष्कर्ष  -

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि ब्रिटेन को छोड़कर अमेरिका, स्विट्जरलैण्ड व फ्रांस में संविधान में परिवर्तन के लिए कठिन प्रक्रिया का सहारा लेना पड़ता है। तथ्य तो यह है कि संशोधन प्रक्रिया के द्वारा संविधान में जान आती है, अन्यथा संविधान मृतप्राय हो जाएंगे और कभी भी उखाड़ कर फेंक दिए जाएंगे।

अमेरिकी संविधान के संशोधन प्रक्रिया क्या है?

इस प्रकार अमेरिकी संविधान के संशोधन की प्रक्रिया अत्यन्त जटिल है । 1789 से अभी तक संशोधन के लिए लगभग 5500 प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए हैं किन्तु उनमें 27 ही पारित हुए हैं। 216 वर्षों में मात्र 27 संशोधनों का पारित होना इसकी जटिलत को इंगित करता है ।

संविधान अमेरिका में कितने संशोधन हैं?

अमेरिकी संविधान में संशोधन की पद्धति अमेरिकी संविधान विश्व के अन्य संविधानों की तुलना में कठोर है। अब तक इसमें केवल 27 संशोधन ही हुए हैं। संविधान के अनुच्छेद 5 में संशोधन की प्रक्रिया का उल्लेख है

अमेरिका संविधान का कौन सा अनुच्छेद संशोधन प्रक्रिया के लिए प्रदान करता है?

करना लोकतंत्र का विरोध करना है। संविधान में संशोधन कैसे किया जाता है? अनुच्छेद 368... संसद अपनी संवैधानिक शक्ति के द्वारा और इस अनुच्छेद में वर्णित प्रक्रिया के अनुसार संविधान में नए उपबंध कर सकती है, पहले से विद्यमान उपबंधों को बदल या हटा सकती है।

अमेरिका एवं स्विट्जरलैंड के संविधान संशोधन में क्या अंतर है?

वैसे तो ऊपर से देखने में स्विट्जरलैण्ड की संविधान पद्धति काफी जटिल प्रतीत होती है, लेकिन व्यवहार में अमेरिकी संविधान से कम जटिल है। यह बात इस तथ्य से स्पष्ट है कि जहाँ स्विट्जरलैण्ड के संविधान में 1848 ई. से अब तक 60 के लगभग संशोधन हुए हैं, वहीं अमेरिका में 1789 ई. से लेकर अब तक केवल 27 संशोधन हुए हैं।