अंगदोरजी ने ऐसा क्या किया कि लेखिका उनके प्रति कृतज्ञ हो उठी? - angadorajee ne aisa kya kiya ki lekhika unake prati krtagy ho uthee?

लेखिका ने अंगदोरजी के प्रति किस तरह धन्यवाद ज्ञापित किया? इस पर उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?

ऐवरेस्ट के शिखर पर पहुँची भाव विभोर लेखिका ने ईश्वर और अपने माता-पिता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के बाद उठी और अपने दोनों हाथ जोड़कर अपने रज्जु-नेता अंगदोरजी के प्रति आदर भाव से झुकी। अंगदोरजी जिन्होंने उसे प्रोत्साहित किया और उसे लक्ष्य तक पहुँचाया। लेखिका ने उन्हें बिना ऑक्सीजन के एवरेस्ट की दूसरी चढाई चढ़ने पर बधाई भी दी। उन्होंने गले से लगाया और उसके कानों में फुसफुसाए, “दीदी, तुमने अच्छी चढ़ाई की। मैं बहुत प्रसन्न हूँ।”

अंगदोरजी ने ऐसा क्या किया था कि लेखिका उनके प्रति कृतज्ञ हो उठीं?

अंगदोरजी बिना ऑक्सीजन के चढ़ाई कर रहे थे।

लेखिका ने अंगदोरजी के प्रति आभार क्यों व्यक्त किया?

Solution. ऐवरेस्ट के शिखर पर पहुँची भाव विभोर लेखिका ने ईश्वर और अपने माता-पिता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के बाद उठी और अपने दोनों हाथ जोड़कर अपने रज्जु-नेता अंगदोरजी के प्रति आदर भाव से झुकी। अंगदोरजी जिन्होंने उसे प्रोत्साहित किया और उसे लक्ष्य तक पहुँचाया।

अंगदोरजी ने लेखिका से क्या पूछा?

अंगदोरजी जिन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया और मुझे लक्ष्य तक पहुँचाया। मैंने उन्हें बिना ऑक्सीजन के एवरेस्ट की दूसरी चढ़ाई चढ़ने पर बधाई भी दी। उन्होंने मुझे गले से लगाया और मेरे कानों में फुसफुसाया, “दीदी, तुमने अच्छी चढ़ाई की। मैं बहुत प्रसन्न हूँ!"

अंगदोरजी की पर्वत यात्रा की क्या विशेषता थी जिस पर लेखिका ने उन्हें बधाई दी?

(ग) अंगदोरजी की पर्वत-यात्रा की विशेषता यह थी कि वे बिना ऑक्सीजन लगाए पर्वत-यात्रा करते थे। उन्होंने दूसरी बार बिना ऑक्सीजन लगाए पर्वत शिखर को छूआ था। (घ) कर्नल खुल्लर ने लेखिका को पर्वत-शिखर छूने पर बधाई दी। उसे देश का गौरव कहा और उसकी उपलब्धि को अनूठी सफलता कहा।