16 दिसंबर 1971 को कितने पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया? - 16 disambar 1971 ko kitane paakistaanee sainikon ne aatmasamarpan kiya?

1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध को खत्‍म हुए आज 50 साल पूरे हो गए। 16 दिसंबर 1971 की शाम 4.35 बजे पाकिस्‍तानी सेना की पूर्वी कमान ने सरेंडर किया था। उस शाम ढाका में आत्‍मसमर्पण पत्र पर हस्‍ताक्षर करते लेफ्टिनेंट जनरल ए.के. नियाजी और उन्‍हें निहारते तब पूर्वी कमान के कमांडर रहे ले. जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा की तस्‍वीर आज भारतीय सेना प्रमुख की कुर्सी की ठीक पीछे लगी है।

महज 13 दिन चले युद्ध में पाकिस्‍तान कई मोर्चों पर हारा। न सिर्फ पूर्वी सेक्‍टर में, बल्कि पश्चिमी सेक्‍टर में भी। एक नजर, 1971 युद्ध में लड़ी गईं उन 5 लड़ाइयों पर जिन्‍होंने पाकिस्‍तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।

बसंतसर की लड़ाई

16 दिसंबर 1971 को कितने पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया? - 16 disambar 1971 ko kitane paakistaanee sainikon ne aatmasamarpan kiya?

पंजाब में रावी की एक सहायक नदी है, बसंतसर। 12 दिन की यह लड़ाई उस इलाके पर कब्‍जे की पाकिस्तानी कोशिश की वजह से हुई, जिसमें जम्‍मू को पंजाब से जोड़ने वाली सड़कें थीं। रणनीतिक रूप से यह इलाका बेहद महत्‍वपूर्ण था। अगर पाकिस्‍तान यहां हावी हो जाता तो वह पूरे जम्‍मू से बाकी भारत का संपर्क काट सकता था। दरअसल, पूर्वी मोर्चे पर पाकिस्‍तान को भारत का मुकाबला करने में काफी परेशानी हो रही थी। ध्‍यान भटकाने के लिए उसने पश्चिमी सेक्‍टर में मोर्चा खोला। मकसद था, युद्ध को लंबा खींचना।

भारतीय सेना ने चौंकाने की नीयत से जरपाल इलाके में पाकिस्‍तानी चौकियों पर हमला किया। 4 दिसंबर, बसंतसर की लड़ाई शुरू हो चुकी थी। परिस्थितियां भारत के खिलाफ थीं, मगर सैनिकों ने बाद के दिनों में गजब जज्‍बा दिखाया। पाकिस्‍तान को पीछे तो खदेड़ा ही गया, भारत की सेना पाकिस्‍तान में इतना भीतर घुस चुकी थी कि सियालकोट में मौजूद पाकिस्‍तान सेना का बेस कुछ ही दूर रह गया था।

पाकिस्‍तान के पास जवाबी हमला करने का कोई रास्‍ता नहीं था। उसे लग रहा था कि भारत अब बड़ा हमला करेगा। डर का नतीजा, बिना शर्त आत्‍मसमर्पण का प्रस्‍ताव। संघर्ष विराम हुआ। भारत उस वक्‍त 1,000 वर्ग किलोमीटर से ज्‍यादा के इलाके पर कब्‍जा किए बैठा था। बाद में पाकिस्‍तान के 350 वर्ग मील इलाके को भारत में शामिल किया गया।

जिस 'बांग्लादेश' को दबाकर रखा, आज उसकी तरक्की के ये नंबर देख शर्म से पानी-पानी हो जाएगा पाक!

लोंगेवाला की लड़ाई

16 दिसंबर 1971 को कितने पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया? - 16 disambar 1971 ko kitane paakistaanee sainikon ne aatmasamarpan kiya?

4-5 दिसंबर की रात, टैंकों से लैस 4,000 पाकिस्‍तानी सैनिकों ने लोंगेवाला बॉर्डर पोस्‍ट पर हमला किया। लोंगेवाला पश्चिमी सीमा पर मौजूद रणनीतिक रूप से बेहद अहम पोस्‍ट थी। पाकिस्‍तानी सैनिक 5 दिसंबर की सुबह करीब 1 बजे बॉर्डर पार कर आगे बढ़े। सुबह के करीब 4.30 बजे होंगे जब उनके टैंकों पर भारतीय पोस्‍ट की नजर पड़ी। सुबह के 7 बजते-बजते भारतीय वायु सेना के विमानों ने हमला किया और पाकिस्‍तानी टैंकों के परखच्‍चे उड़ा दिए। पूरे दिन रुक-रुककर हमले होते रहे मगर भारतीय सैनिकों ने हर बार उनका मुंहतोड़ जवाब दिया।

दोपहर के 3.30 बजे पाकिस्‍तानी सेना ने पूरी ताकत के साथ हमला किया मगर भारतीय जवान डटे रहे। फिर IAF के विमानों ने उस इलाके को पाकिस्‍तानी टैंकों की कब्रगाह बना दिया। दुश्‍मन के 37 टैंक बर्बाद हो गए थे, वो 250 गाड़‍ियां छोड़कर भाग खड़े हुए। 5-6 दिसंबर की रात भारतीय सैन‍िकों ने दबाव बढ़ा दिया और पाकिस्‍तान के 10 किलोमीटर भीतर घुसकर मानितवाला पोस्‍ट कब्‍जा ली। संघर्ष विराम की घोषणा ने पाकिस्‍तान को और नुकसान से बचा लिया।

ऑपरेशन ट्राइडेंट

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नवंबर, 1971 में भारतीय नौसेना से कहा गया कि पूर्वी पाकिस्‍तान में मौजूद पाकिस्‍तानी सैनिकों तक किसी भी तरह की मदद न पहुंचने दी जाए। इसके लिए कराची बंदरगाह पर मौजूद पाकिस्‍तानी नौसेना के मुख्‍यालय का रास्‍ता रोकना था। 3 दिसंबर को, भारतीय नौसेना ने बॉम्‍बे से दीव तक का सफर तय किया। 4 दिसंबर की शाम 5 बजे, जब नौसेना कराची से करीब 150 मील दूर थी, ऑपरेशन ट्राइडेंट शुरू करने का हुक्‍म दिया गया।

रात का अंधेरा था, भारत की मिसाइल बोट्स तेजी से कराची की ओर बढ़ीं और मिसाइलें छोड़ दीं। पाकिस्‍तान भौचक्‍का रह गया, उसे लगा कि हवाई हमला हुआ है। भारतीय नौसेना ने उस हमले में PNS मुहाफिज, PNS खैबर और MV वीनस चैलेंजर को तो डुबोया ही, पाकिस्‍तान का हौसला भी डुबो दिया।

तंगैल एयरड्रॉप

16 दिसंबर 1971 को कितने पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया? - 16 disambar 1971 ko kitane paakistaanee sainikon ne aatmasamarpan kiya?

तंगैल में इस ऑपरेशन का का मकसद जमुना नदी पर बने पूंगली ब्रिज पर कब्‍जा करना था। ऐसा करके पाकिस्‍तान की 93वीं ब्रिगेड का रास्‍ता रोक दिया जाता। तंगैल में भारतीय सेना के पैराट्रूपर्स को एयरड्रॉप किया गया। करीब 700 पैराट्रूपर्स ने हवा में जम्‍प किया और नीचे पहुंचकर दुश्‍मन का इंतजार किया। दूसरे विश्‍व युद्ध के बाद यह सबसे बड़ा पैराड्रॉप ऑपरेशन था। चश्‍मदीद कहते हैं कि उस दिन आसमान में बस पैराशूट्स ही पैराशूट्स नजर आ रहे थे।

पुल पर भारत का कब्‍जा हो जाने से भारत को माणिकगंज-ढाका रोड पर नियंत्रण हासिल हो गया। वापस लौटते पाकिस्‍तानी सैनिकों को ढाका जाने से रोक लिया गया। कई सैनिक खुले खेतों में भागे, कुछ लड़ते-लड़ते मारे गए और बहुत सारे बंदी बना लिए गए। तंगैल एयरड्रॉप की पूरी कहानी पढ़ने के लिए क्लिक करें

मेघना हेली-ब्रिज

16 दिसंबर 1971 को कितने पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया? - 16 disambar 1971 ko kitane paakistaanee sainikon ne aatmasamarpan kiya?

8 दिसंबर तक, मेघना नदी तक का इलाका कब्‍जाया जा चुका था मगर उसके आगे जाने में एक अड़चन थी। आशूगंज पुल जो कि नदी को पार करने का इकलौता रास्ता था, पर पाकिस्‍तानी सेना की एक टुकड़ी किलेबंदी कर चुकी थी। फिर भी, भारतीय सैनिकों ने कुछ पुराने दांव-पेचों में जरा बदलाव कर कदम आगे बढ़ा दिए। 9 दिसंबर की रात में, IAF ने पूरी 311 ब्रिगेड को वहां पहुंचा दिया। करीब 600 सैनिक सबसे पहले पहुंचे। अगले 36 घंटों के दौरान 110 से ज्‍यादा बार उड़ान भरी हुई।

इधर यह ऑपरेशन जारी था, उधर 73 ब्रिगेड ने नदी को नावों और रिवरीन क्राफ्ट्स पर पार करना शुरू कर दिया। राजपुरा के बाद मजबूती से पांव जमाने के लिए, सैनिकों को फिर से हेलिकॉप्‍टर में बिठाकर नगसिंगड़ी पहुंचाया गया। 14 और 15 दिसंबर तक दौड़कांडी और बैद्दर बाजार पर भारतीय सेना कब्‍जा कर चुकी थी, हेलिकॉप्‍टर्स की मदद से।

1971 के युद्ध में कितने पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया?

दो दिन बाद ही 16 दिसंबर 1971 को शाम करीब 5 बजे जनरल नियाजी ने 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने सरेंडर कर दिया।

16 दिसम्बर 1971 को कितने पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया?

युद्ध आधिकारिक तौर पर 16 दिसंबर को समाप्त हुआ. 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल नियाजी के कुल 93,000 सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अब तक का सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण भी था.

1971 के लोंगेवाला युद्ध में कितने भारतीय सैनिक मारे गए?

लोंगेवाला की लड़ाई 4-5 दिसंबर की रात, टैंकों से लैस 4,000 पाकिस्‍तानी सैनिकों ने लोंगेवाला बॉर्डर पोस्‍ट पर हमला किया। लोंगेवाला पश्चिमी सीमा पर मौजूद रणनीतिक रूप से बेहद अहम पोस्‍ट थी।

पाकिस्तान के सैनिक कितने मारे गए?

सुरक्षाबलों पर हुए हमलों की विस्तृत जानकारी देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि इन आतंकी हमलों में सुरक्षाबलों और अन्य संस्थानों के कम से कम 323 सैनिक मारे गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इन हमलों में सुरक्षाबलों और अन्य संगठनों के 718 सैनिक व अधिकारी घायल हुए हैं।