वृश्चिक राशि में कौन सा दोष है? - vrshchik raashi mein kaun sa dosh hai?

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Shani transit 2022: शनिदेव इस साल यानी साल 2022 में दो बार अपना राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं। शनि देव हर अढ़ाई साल के बाद अपनी राशि बदलते हैं और ज्योतिष के राशि चक्र की सभी 12 राशियों के भ्रमण में 30 साल लगाते हैं। एक राशि में अपना सफर पूरा करने के बाद शनि देव को उसी राशि में आने में 30 साल लग जाते हैं।

वृश्चिक राशि में कौन सा दोष है? - vrshchik raashi mein kaun sa dosh hai?

शनिदेव 29 अप्रैल 2022 को सुबह 7 बजकर 52 मिनट पर मकर से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। शनि 30 साल बाद अपनी कुम्भ राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं और उनके कुंभ में प्रवेश करते ही कर्क और वृश्चिक वालों पर शनि की ढैय्या शुरू हो जायेगी। साथ ही मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी।

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29 अप्रैल 2022 को शनि देव कुंभ राशि में आने के बाद सभी 12 राशियों को प्रभावित करेंगे। इस बार विलक्षण संयोग भी बन रहा है कि 29 अप्रैल को मकर राशि से कुंभ राशि में जाने के अढाई महीने बाद 12 जुलाई 2022 को फिर उल्टी गति चलते हुए यानी वक्री अवस्था में शनिदेव फिर से मकर राशि में आ जाएंगे और 17 जनवरी 2023 तक मकर राशि में रहने के बाद फिर से कुंभ राशि में जाएंगे। इस तरह वर्ष 2022 में पहले 29 अप्रैल और फिर 12 जुलाई को शनि के दो बार राशि परिवर्तन से सभी 12 राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इस बारे में आपको बताया जाएगा।

हमारे ज्योतिष में और नवग्रहों में शनि देव को एक प्रमुख स्थान हासिल है। इन्हें न्याय का देवता और कर्म का कारक माना गया है। ऐसा माना जाता है कि शनि देव जिस पर प्रसन्न हो जाएं, उसे रंक से राजा बना देते हैं और जिन पर उनकी क्रूर दृष्टि पड़ती है, उस व्यक्ति की मुसीबतें बढ़ जाती हैं। ऐसा भी माना जाता है कि हमारे इसी जीवन में शनि हमारे कर्मों के मुताबिक हमें फल देते हैं।

जन्म कुंडली में शनि की शुभ स्थिति जहां लाभ प्रदान करती है, वहीं अशुभ स्थिति जीवन में दिक्कत, परेशानी और आर्थिक संकटों का कारण भी बनती है। यही कारण है कि शनि देव को हर कोई शांत रखना चाहता है और हर कोई शनि की कृपा पाने को लालायित रहता है।

शनि देव नाराज होने पर धन में कमी लाते हैं, धन हानि कराते हैं। जॉब और बिजनेस में दिक्कतें पैदा करते हैं। यहां तक कि कई बार जॉब से भी व्यक्ति को हाथ धोना पड़ता है। इस दौरान रोग भी घेर लेते हैं, दांपत्य जीवन में भी दिक्कतें आने लगती हैं। व्यक्ति की जमा पूंजी नष्ट हो जाती है। कर्ज बढ़ जाता है।

शनिदेव अपनी साढ़ेसाती, ढैया और अपनी महादशा व अंर्तदशा में व्यक्ति को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। शनि देव व्यक्ति के कर्मों के आधार पर फल प्रदान करने वाले देवता के रूप में जाने जाते हैं।

वैदिक ज्‍योतिष में शनि को सबसे मंद गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है और यह एक राशि में अढ़ाई साल तक रहते हैं। यही कारण है कि शनि का प्रभाव व्यक्ति अधिक समय तक रहता है।

वृश्चिक राशि में कौन सा दोष है? - vrshchik raashi mein kaun sa dosh hai?

29 अप्रैल 2022 को जब शनि देव अपना राशि परिवर्तन करेंगे तो वृश्चिक राशि वालों के लिए उनका राशि परिवर्तन कैसा रहेगा ? वृश्चिक राशि वाले क्या खोएंगे, क्या पाएंगे ..?  उनके जीवन में क्या अच्छा रहेगा ? कहां दिक्कत रहेगी ? शनि वृश्चिक राशि वालों को कैसे फल प्रदान करेंगे और कहां सचेत रहना होगा।

शनि इस साल 2022 के शुरुआत में वृश्चिक राशि के जातकों के लिए तीसरे भाव से गोचर करेगा। तीसरा भाव भाई और पराक्रम का स्थान कहलाता है। शनि तीसरे स्थान पर गोचर करते हुए आपकी कुंडली के 5वें , 9वें और 12वें भाव को देखेंगे। 5 वां भाव विद्या बुद्धि व संतान भाव है। 9वां भाव हमारा भाग्य स्थान होता है और 12वां भाव विदेश यात्रा, शैय्या सुख, लाभ- हानि और हॉस्पिटलाइजेशन का भाव होता है।

29 अप्रैल तक जब शनि तीसरे भाव में गोचर करेगा तो यह समय आपको कठिन परिश्रम करने के लिए अधिक सक्रिय बना सकता है। इस दौरान आपके साहस, सामर्थ्य और पराक्रम में वृद्धि हो सकती है लेकिन थोड़ा आप अग्रेसिव भी रहेंगे यानि थोड़ी नेचर आपकी गुस्सैल रहेगी। इस दौरान आप साहसिक और खेल गतिविधियों में हिस्सा ले सकते हैं। साथ ही इस दौरान आप अपनी शारीरिक फिटनेस का भी ख़ास ख़्याल रख सकते हैं।

29 अप्रैल 2022 को शनि आप के चौथे भाव में आ जाएंगे और आपको शनि की ढैया भी शुरू हो जाएगी और अढा़ई महीने तक यानी 12 जुलाई तक आप शनि की ढैया के प्रभाव में रहेंगे। शनि जब चौथे भाव में प्रवेश करेंगे तो उनकी दृष्टि आपकी कुंडली के छठे, 10वें और पहले भाव पर पड़ेगी। कुंडली का छठा भाव रोग व्याधि शत्रु पीड़ा का भाव होता है। 10 वां भाव कर्म स्थान,  राज दरबार और पिता का भाव होता है जबकि पहला भाव आदमी की नेचर, उसकी मेंटालिटी और उसकी पर्सनैलिटी का भाव होता है। शनि के इस भाव में गोचर के दौरान विद्यार्थियों की पढ़ाई से थोड़ी एकाग्रता टूट सकती है। बिजनेस में भी थोड़ा ठहराव आ सकता है लेकिन जो लोग अस्वस्थ हैं, उन्हें स्वास्थ्य लाभ होगा। शत्रुओं पर जीत हासिल होगी परंतु पिता की सेहत प्रभावित हो सकती है, जिससे आप चिंतित रहेंगे।

12 जुलाई के बाद फिर से शनि वक्री अवस्था में अपनी पिछली राशि में लौट आएंगे तो वह आप के तीसरे भाव में गोचर करेंगे। इस अवधि में आपके संबंध अपने छोटे भाई-बहनों से बहुत अच्छे रहने की संभावना है।  आपके हर प्रयास में भाई-बहनों का आपको पूरा सहयोग मिलेगा। आपके प्रभाव में वृद्धि होगी। आपका यश और मान बढ़ेगा। आपके कुछ ऐसे अटके हुए कार्य भी बन जाएंगे, जिन्हें लेकर आप थोड़ा आशंकित चले आ रहे हैं।

खास उपाय: हर शनिवार को शाम के समय काले कुत्ते को दूध और रोटी खिलाएं। गरीबों को अनाज, काला कंबल आदि का दान कर सकते हैं । कुष्ठ रोगियों की सेवा करें। ऐसा करने पर शनिदेव की कृपा हासिल होगी।

गुरमीत बेदी

वृश्चिक राशि में कौन सा दोष है? - vrshchik raashi mein kaun sa dosh hai?

वृश्चिक राशि में कौन कौन से ग्रह खराब चल रहा है?

*वृश्चिक राशि के जातक का मंगल बद है तो मंगल से संबंधित बीमारियों में पेट के रोग, हैजा, पित्त, भगंदर, फोड़ा, नासूर और आमाशय से संबंधित समस्याएं होने लगती हैं। *मानसिक रोगों में अति क्रोध, विक्षिप्तता, चिढ़चिढ़ापन, तनाव, अनिद्रा आदि मंगल के अशुभ होने की निशानी है।

वृश्चिक राशि वाले खतरनाक क्यों होते हैं?

वृश्चिक राशि के जातक अपने स्वभाव के कारण खतरनाक कहलाते हैं, क्योंकि इनका स्वभाव गुस्सैल और जिद्दी होता है. हालांकि, वृश्चिक राशि में कुछ खासियत भी होती है.

वृश्चिक राशि वालों की कमजोरी क्या है?

वृश्चिक राशि के जातकों की सबसे बड़ी कमजोरी यह होती है कि वे अपने साहस का इस्तेमाल करने और सीधा हमला करने से डरते हैं। हालांकि अपने साहस का प्रयोग करने की बजाय ये अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए व्यापक और चालाक योजनाएं बनाते हैं। बुद्धिमता की कमी के कारण वृश्चिक राशि के लोग खुद अपने लिए समस्या उत्पन्न कर लेते हैं।

वृश्चिक राशि का शत्रु कौन है?

तुला, धनु तथा मेष राशि के साथ यह उदासीन रहता है। वृष राशि के साथ उसका विरोधी आकर्षण होता है। मिथुन व कन्या राशि वालों से कभी नहीं बनेगी, झगड़े चलते रहेंगे। इनकी वृश्चिक राशि वालों के साथ भी पटरी नहीं बैठती।