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विसर्ग संधिविसर्ग का स्वर या व्यंजन के साथ मेल होने पर जो परिवर्तन
होता है, उसे विसर्ग संधि कहते है। उदाहरण – संस्कृत में संधियां तीन प्रकार की होती हैं- स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि। इस पृष्ठ पर हम विसर्ग संधि का अध्ययन करेंगे ! विसर्ग संधि की परिभाषाविसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन वर्ण के आने पर विसर्ग में जो विकार उत्पन्न होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं। विसर्ग संधि के उदाहरण तप: + वन = तपोवन विसर्ग संधि के प्रकार
संस्कृत में संधि के इतने व्यापक नियम हैं कि सारा का सारा वाक्य संधि करके एक शब्द स्वरुप में लिखा जा सकता है। उदाहरण – ततस्तमुपकारकमाचार्यमालोक्येश्वरभावनायाह। अर्थात् – ततः तम् उपकारकम् आचार्यम् आलोक्य ईश्वर-भावनया आह । विसर्ग संधि के नियमविसर्ग संधि के काफी नियम हैं, पर नियमों के जरीये इन्हें सीखना इन्हें अत्यधिक कठिन बनाने जैसा होगा ! इस लिए केवल कुछ उदाहरणों के ज़रीये इन्हें समझने का प्रयत्न करते हैं! नियम 1.विसर्ग के पहले यदि ‘अ’ और बाद में भी ‘अ’ अथवा वर्गों के तीसरे, चौथे पाँचवें वर्ण, अथवा य, र, ल, व हो तो विसर्ग का ओ हो जाता है। जैसे –
नियम 2.विसर्ग से पहले अ, आ को छोड़कर कोई स्वर हो और बाद में कोई स्वर हो, वर्ग के तीसरे, चौथे, पाँचवें वर्ण अथवा य्, र, ल, व, ह में से कोई हो तो विसर्ग का र या र् हो जाता है। जैसे –
नियम 3.विसर्ग से पहले कोई स्वर हो और बाद में च, छ या श हो तो विसर्ग का श हो जाता है। जैसे –
नियम 4.विसर्ग के बाद यदि त या स हो तो विसर्ग स् बन जाता है। जैसे –
नियम 5.विसर्ग से पहले इ, उ और बाद में क, ख, ट, ठ, प, फ में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग का ष हो जाता है। जैसे –
नियम 6.विसर्ग से पहले अ, आ हो और बाद में कोई भिन्न स्वर हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है। जैसे –
नियम 7.विसर्ग के बाद क, ख अथवा प, फ होने पर विसर्ग में कोई परिवर्तन नहीं होता। जैसे –
विषय-सूचि
इस लेख में हम संधि के भेद विसर्ग संधि के बारे में पढेंगे। विसर्ग संधि की परिभाषाजब संधि करते समय विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन वर्ण के आने से जो विकार उत्पन्न होता है, हम उसे विसर्ग संधि कहते हैं। जैसे: विसर्ग संधि के उदाहरण :
विसर्ग संधि के नियम :नियम 1: अगर कभी शब्द में विसर्ग के बाद च या छ हो तो विसर्ग श हो जाता है। ट या ठ हो तो ष तथा त् या थ हो तो स् हो जाता है। जैसे: उदाहरण:
नियम 2: अगर कभी संधि के समय विसर्ग के बाद श, ष या स आये तो विसर्ग अपने मूल रूप में बना रहता है या उसके स्थान पर बाद का वर्ण हो जाता है। उदाहरण :
नियम 3: अगर संधि के समय विसर्ग के बाद क, ख या प, फ हों तो विसर्ग में कोई विकार नहीं होता। उदाहरण:
नियम 4: अगर संधि के समय विसर्ग से पहले ‘अ’ हो और बाद में घोष व्यंजन या ह हो तो विसर्ग ओ में बदल जाता है। उदाहरण :
नियम 5: अगर संधि के समय विसर्ग से पहले अ या आ को छोड़कर कोई अन्य स्वर हो तथा बाद में कोई घोष वर्ण हो तो विसर्ग के स्थान र आ जाता है। जैसे: उदाहरण :
नियम 6: अगर संधि के समय विसर्ग के बाद त, श या स हो तो विसर्ग के बदले श या स् हो जाता है। जैसे: उदाहरण :
नियम 7: अगर संधि करते समय विसर्ग से पहले अ या आ हो तथा उसके बाद कोई विभिन्न स्वर हो, तो विसर्ग का लोप हो जाता है एवं पास-पास आये हुए स्वरों की संधि नहीं होती। जैसे: उदाहरण:
नियम 8:
उदाहरण:
विसर्ग संधि से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं। सम्बंधित लेख:
Post navigationविसर्ग संधि का उदाहरण कौन सा है?विसर्ग के पहले हृस्व स्वर/व्यंजन हो तो उसका उच्चारण त्वरित 'ह' जैसा करना चाहिए; और यदि विसर्ग के पहले दीर्घ स्वर/व्यंजन हो तो विसर्ग का उच्चारण त्वरित 'हा' जैसा करना चाहिए। विसर्ग के पूर्व 'अ'कार हो तो विसर्ग का उच्चारण 'ह' जैसा; 'आ' हो तो 'हा' जैसा; 'ओ' हो तो 'हो' जैसा, 'इ' हो तो 'हि' जैसा... इत्यादि होता है।
विसर्ग कितने हैं चार उदाहरण भी दीजिए?(ख) इक् (प्रथम सूत्र के द्वितीय वर्ण 'इ' से लेकर द्वितीय सूत्र के अन्तिम वर्ण 'क्' के मध्य आने वाले सभी वर्ण) इ, उ, ऋ तथा लृ । 2022-23 (ग) अक् (प्रथम सूत्र के प्रथम वर्ण 'अ' से लेकर द्वितीय सूत्र के अन्तिम वर्ण 'क्' के मध्य आने वाले सभी वर्ण) अ, इ, उ, ऋ तथा लृ । वर्ण दो प्रकार के होते हैं— स्वर तथा व्यञ्जन।
विसर्ग संधि की पहचान कैसे होती है?विसर्ग संधि विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन मेल से जो विकार होता है उसे विसर्ग संधि कहते है। दूसरे शब्दों में- स्वर और व्यंजन के मेल से विसर्ग में जो विसर्ग होता है उसे विसर्ग संधि कहते है। हम ऐसे भी कह सकते हैं- विसर्ग ( : ) के साथ जब किसी स्वर अथवा व्यंजन का मेल होता है तो उसे विसर्ग-संधि कहते हैं।
विसर्ग संधि से आप क्या समझते हैं उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए?सन्धि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है 'मेल' या जोड़। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है। संस्कृत, हिन्दी एवं अन्य भाषाओं में परस्पर स्वरो या वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार को सन्धि कहते हैं। जैसे - सम् + तोष = संतोष ; देव + इंद्र = देवेंद्र ; भानु + उदय = भानूदय।
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