मिर्ची में कौन सी दवा डाली जाती है? - mirchee mein kaun see dava daalee jaatee hai?

मिर्च की फसल में किसी भी तरह की बीमारी तथा रोग की दवा की जानकारी

किसान भाई आप की खेत में अगर मिर्च की फसल लगी है और किसी भी तरह की रोग या कीट लग गया है तो आप उस रोग की जानकारी यंहा पर उपलब्ध है तथा उसकी रोक थाम के लिए दवा की पूरी जानकारी उपलब्ध है |

क्र. रोग का नाम पहचान नियंत्रण की उपाय
1. थ्रिप्स पौधे की छोटी अवस्था में ही कीट पौधों की पत्तियों एवं अन्य मुलायम भागों से रस चूसते है जिसके कारण पत्तियां ऊपर की ओर मुड कर नाव के समान हो जाती हैं | बुवाई के पूर्व थायोमिथाक्जाम 5 ग्राम प्रति किलो बीज डॉ से बीजोपचार करें |

निम् बीज अर्क के 4 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें |

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रसायनिक नियंत्रण के अंतर्गत  फिप्रोनिल 5 प्रतिशत एस.सी. 1.5 मि.ली. / ली. पानी में मिलाकर छिड़काव करें |

2. डेमपिंग आफ (आर्दगलन) फफूंद जनित इस रोग में नर्सरी में पौधा भूमि की सतह के पास से गलकर गिर जाता है | मिर्च की नर्सरी उठी हुयी क्यारी पद्धति से तैयार करें जिसमें जल निकास की उचित व्यवस्था हो | बीजोपचार हेतु कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम. दवा / किलो बीज की दर से प्रयोग करें |
3. एन्थ्रेकनोज विकसित पौधों पर शाखाओं का कोमल शीर्ष भाग ऊपर से नीचे की ओर सूखना प्रारम्भ होता है | फसल चक्र अपनायें तथा स्वस्थ्य व प्रमाणित बीज बोयें | बुवाई पूर्व बीजोपचार अवश्य करें |

रोग का प्रारंभिक अवस्था में ही लाइटेक्स 50, इथेन 45, के 0.25 प्रतिशत घोल का 7 दिन के अंतराल पर आवश्यकता अनुसार छिड़काव करें |

4. सफ़ेद मक्खी इस कीट के शिशु एवं वयस्क पत्तियों की निचली सतह पर चिपक कर रस चूसते हैं | जिससे पत्तियां नीचे की तरह मुड जाती हैं | कीट की सतत निगरानी कर, संख्या के आधार पर डायमिथोएट की 2 मि.ली. मात्रा / लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें |

अधिक प्रकोप की स्थिति में थायोमिथाक्जाम 25 डब्लू जी. की 5 ग्राम 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें |

5. माइट यह बहुत ही छोटे कीट होतेहैं जो पत्तियों के साथ से रस चूसते हैं , जिससे पत्तियां नीचे की ओर मुड जाती है | निम् की निबोंली के सत के 4 %घोल का छिड़काव करें |

डायोकोफाल 2.5 मि.ली. या ओमाइट 3 मि.ली. / ली. पानी में मिलाकर छिड़काव करें |

6. जीवाणु जलम्लानी (बेकटीरिया लविल्ट) यह जीवाणु जनित रोग है शिमला मिर्च , बैगन तथा टमाटर में इसका अधिक प्रकोप होता है | पौध रोपण पूर्व बोर्डेकस मिश्रण के 1 प्रतिशत घोल या कापर आक्सीक्लोराइड 3 ग्रा. दवा / लिटर पानी में घोलकर मृदा उपचार अवश्य करें | या रोपा – उपचार करें |

ट्राइकोडर्मा विरिडी 4 ग्रा. और मेटालेकिसल 6 ग्रा. / किलो ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें |

7. पर्ण कुंचन विषाणु जनित इस रोग के कारण पौधें की पत्तियां छोटी होकर मुड जाती है तथा पौधा बौना हो जाता है , यह रोग सफ़ेद मक्खी कीट के कारण एक पौधे से दुसरे पौधे पर फैलता है | नर्सरी में रोगी पौधों को समय – समय पर हटाते रहें तथा स्वस्थ पौधों का ही रोपण करें |

रसचूसक कीटों के नियंत्रण हेतु अनुशंसित दवाओं का प्रयोग करें |

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मिर्च में कौन सी दवा डालनी चाहिए?

मिर्च की पौधषाला की तैयारी के समय 2-3 टोकरी वर्मी कंपोस्ट या पूर्णतया सड़ी गोबर खाद 50 ग्राम फोटेट दवा / क्यारी मिट्टी में मिलाऐं। बुवाई के 1 दिन पूर्व कार्बन्डाजिम दवा 1.5 ग्राम/ली. पानी की दर से क्यारी में टोहा करे। अगले दिन क्यारी में 5 सेमी दूरी पर 0.5-1 सेमी गहरी नालियाँ बनाकर बीज बुवाई करें।

मिर्ची में पहला स्प्रे कौन सा करें?

फूल निकलने के समय 0:52:34 की 4-5 ग्राम + बोरोन 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें

मिर्ची की ग्रोथ के लिए क्या करें?

Grow Green Chillies: अगर घर में कच्‍ची जगह न हो तो आप गमले या फिर कंटेनर में भी हरी मिर्च (Green Chillies) उगा सकते हैं. ... .
आपको गर्मी का मौसम आने के कुछ समय पहले ही हरी मिर्च को उगाने की तैयारी कर लेनी चाहिए. ... .
गमले में हरी मिर्च उगाने के लिए ज्‍यादा चीजों की जरूरत नहीं पड़ती..

मिर्च की फसल में प्रमुख रोग कौन से हैं उनके नियंत्रण के उपाय बताएं?

उकठा रोगः - मिर्च का यह रोग फफूँद के द्वारा होता है । इस रोग में पत्तियां नीचे की ओर झुक जाती हैं और पीली पड़कर सूख जाती हैं । अन्त में पूरा पौधा पीला पड़कर मर जाता है । खेत की ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई करनी चाहिए जिससे हानिकारक फफूँद तेज धुप से नष्ट हो जाय ।