वर्तमान में जीने के लिए क्या करें? - vartamaan mein jeene ke lie kya karen?

वर्तमान में जीना सिखाता है ध्यान

ध्यान न कर सकने के बड़े कारणों में से एक यह है कि लोगों के पास पर्याप्त समय नहीं है। लेकिन अगर वे ध्यान करना आरंभ करते हैं तो पाते हैं कि उनके पास अधिक समय है। इसकी वजह है कि वे केंद्रित हो सकते हैं...

लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 10 Jun 2014 12:09 AM

ध्यान न कर सकने के बड़े कारणों में से एक यह है कि लोगों के पास पर्याप्त समय नहीं है। लेकिन अगर वे ध्यान करना आरंभ करते हैं तो पाते हैं कि उनके पास अधिक समय है। इसकी वजह है कि वे केंद्रित हो सकते हैं और अधिक कार्य कर सकते हैं। ध्यान का नियमित अभ्यास बेहतर अंतज्ञान की ओर ले जाता है। यह मन को तीक्ष्ण बनाता है एवं विश्राम द्वारा मन को विकसित करता है।

क्या आप ने निरीक्षण किया है कि आप के मन में हर पल क्या चलता रहता है? यह भूतकाल और भविष्य के बीच में डोलता रहता है। यह या तो जो बीत गया है, उसमें व्यस्त है या फिर भविष्य के बारे में सोचता रहता है। ज्ञान, मन के इस तथ्य से जागरूक होना है। इस बात से जागरूक होना है कि जब आप यह लेख पढ़ रहे हैं, तब मन में क्या चल रहा है। जानकारी तो पुस्तकें पढ़ने या इंटरनेट को देख कर भी प्राप्त की जा सकती हैं। आप किसी भी विषय पर पुस्तक खोल सकते हैं, लेकिन मन की जागरूकता पुस्तक से नहीं सीखी जाती।

मन की एक और प्रवृत्ति है। यह नकारात्मक को जकड़े रहता है। अगर 10 सकारात्मक घटनाओं के बाद एक नकारात्मक घटना हो जाए तो मन नकारात्मक घटना से चिपका रहेगा। ध्यान द्वारा आप मन की इन दो प्रवृत्तियों से सजग हो जाएंगे और उसे वर्तमान में ले आएंगे। ख़ुशी, आनंद, उत्साह, कार्यक्षमता ये सब वर्तमान में हैं। जब आप ध्यान द्वारा मन को उन्नत करते हैं तो इसकी नकारात्मकता को पकड़े रखने की प्रवृत्ति अदृश्य हो जाती है। आप वर्तमान क्षण में जीने का सामथ्र्य पा लेते हैं और भूतकाल को छोड़ने में सक्षम हो जाते हैं।

अपने दैनिक जीवन में आप सभी प्रकार की परिस्थितियों से रूबरू होते हैं, जो चुनौतीपूर्ण व आप पर भार डालने वाली हो सकती हैं। आप को जागरूकता के ऐसे स्तर की आवश्यकता है, जिससे आप अच्छा चुन सकें। ध्यान मन की विभिन्न अवस्थाओं के बीच संतुलन ला सकता है। आप भीतर के कठोर पहलुओं तथा नाजुक पहलुओं में अदल-बदल करना सीख सकते हैं। जरूरत पड़ने पर आप टिके भी रह सकते हैं और जरूरत पड़ने पर पकड़ ढीली भी कर सकते हैं। यह क्षमता सभी में उपस्थित है और ध्यान आपको इन अवस्थाओं के बीच सहजता से अदल—बदल करने के लिए समर्थ बनाता है। यह सारा अभ्यास कठोर और नाजुक पहलुओं के बीच आगे-पीछे, अदल—बदल करने की क्षमता का विकास करने के लिए है।


व्यक्ति के दैनिक जीवन में ध्यान करने से चेतना की पांचवीं अवस्था, जिसे ब्रह्म चेतना कहते हैं, प्रकट होती है। ब्रह्म चेतना का अर्थ है पूरे ब्रह्मांड को स्वयं का भाग रूप समझना। जब हम विश्व को अपने भाग की तरह गोचर करते हैं, तब प्रेम प्रभावशाली रूप से विश्व तथा हमारे बीच प्रवाहित होता है। यह प्रेम हमें जीवन के विरोधात्मक बलों एवं उपद्रवों पर काबू पाने के लिए सशक्त करता है। क्रोध और निराशा पल भर के लिए आकर ओझल हो जाने वाली क्षणिक भावनाएं मात्र बन जाती हैं। विश्राम व क्रिया विरोधाभासी मूल्य हैं, लेकिन वे एक-दूसरे के पूरक हैं। आप जितनी गहराई में विश्रम करने में सक्षम हैं, क्रिया में आप उतने ही अधिक गतिशील होंगे। ध्यान इस क्षण को स्वीकार करना और प्रत्येक क्षण को गहराई में पूर्ण रूप से जीना है।

चंचलता, उग्रता, इच्छा और महत्वाकांक्षा मन को उत्तेजित करते हैं और उसे भविष्य की योजनाओं में या भूतकाल के बारे में व्यस्त रखते हैं। सच्ची मुक्ति अतीत और भविष्य से मुक्ति है। ज्ञान, समझदारी और अभ्यास का संगम जीवन को सम्पूर्ण बनाता है। जब आप चेतना की उच्चतर अवस्था में आगे बढ़ते हैं तो पाते हैं कि विभिन्न परिस्थितियों और उपद्रवों से असंतुलित हो कर अब आप नहीं गिरते। नियमित अभ्यास दिन भर शांति और ऊर्जा प्रदान करता है तथा आपके तंत्रिका तंत्र को उन्नत करके जीवन की गुणवत्ता को पूरी तरह से बदल देता है। आप एक सुंदर व्यक्ति बन जाते हैं, जो किसी शर्त के बिना जीवन में विभिन्न मूल्यों को अनुकूल बनाने में समर्थ होता है।

  • होम
  • वीडियो
  • सर्च
  • वेब स्टोरीज
  • ई-पेपर

  • होम
  • वीडियो
  • सर्च
  • वेब स्टोरीज
  • ई-पेपर

  • Hindi News
  • Local
  • Haryana
  • Hisar
  • वर्तमान में जीने से तनाव होंगे कम, एकाग्रता और याददाश्त बेहतर होगी : गिरिश पटेल

वर्तमान में जीने से तनाव होंगे कम, एकाग्रता और याददाश्त बेहतर होगी : गिरिश पटेल

तनाव के बहुत से कारण हैं। 98 प्रतिशत तनाव भूतकाल व भविष्यकाल के बारे में सोचते रहने से होता है। हम उसी में जीते हैं, मगर वर्तमान में कभी नहीं जीते। वर्तमान का पूरा आनंद लेना है, तभी तनाव कम होगा। वर्तमान में जीना बहुत बड़ी उपलब्धि है। ये उदगार मुंबई से पहुंचे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मनोचिकित्सक डॉ. गिरीश पटेल ने व्याख्यान देते व्यक्त किए। कार्यक्रम का आयोजन प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा बालसमंद रोड स्थित पीस पैलेस में ‘सम्पूर्ण स्वास्थ्य एवं खुशमय जीवन की शुरुआत’ विषय पर किया गया।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में जीने से एकाग्रता बढ़ेगी, याददाश्त अच्छी होगी। तनाव हमें अपने स्वयं के विचारों के कारण ही आता है यदि हम समस्या के बारे में अपना दृष्टिकोण ही बदल दें तो समस्या ही बदल जाएगी। डॉ. पटेल ने कहा कि बीमार होने के बाद हम जो कष्ट उठाते हैं उससे अच्छा है प्रतिदिन हम कुछ मेहनत करें, तो बीमारियां होंगी ही नहीं। इस अवसर पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आरके जैन, जेल अधीक्षक सतपाल कासनियां, डॉ. रमेश जिंदल, अग्रोहा सीडीपीओ कुसुम मलिक, ओमप्रकाश मलिक, प्रो. वेद गुलियानी, डॉ. सोमप्रकाश, राजकुमार गांधी सीए, डॉ. सोमप्रकाश, एमएल बजाज, वेदप्रकाश गावड़ी, डॉ. आरके मलिक व डॉ. आरके कौशिक आदि उपस्थित थे।

व्याख्यान देने से पूर्व डॉ. गिरीश पटेल का स्वागत करते ब्रह्मकुमारीज संस्थान के गणमान्य पदाधिकारी।

डॉ. पटेल ने हेल्थ टिप्स दिए
मीठा खाने से 78 प्रकार के नुकसान होते हैं जितना मीठा कम खाओगे उतना शरीर स्वस्थ रहेगा।

आहार ही औषधि है जो भी खाएं सावधानी से खाएं जब भूख लगे तभी खाएं व भोजन भूख के अनुसार ही लें।

फलों का सेवन खाली पेट करें। जो चीजें शरीर के लिए हानिकारक हैं उनका परहेज करें।

मेडिटेशन से मानसिक शक्तियों का संतुलन होता है व व्यवहार में परिवर्तन आता है।

अस्थमा के रोगियों के लिए मेडिटेशन सबसे उपयोगी है।

व्यायाम के लिए समय जरूर निकालें।

सुबह उठकर 15 मिनट पैदल सैर करने से 25 प्रकार के फायदे होते हैं।

वर्तमान में जीने के लिए क्या करना चाहिए?

तो फिर हो जाइए तैयार हमारे इन टिप्स के जरिए पल-पल और भरपूर जिंदगी जीने के लिए..
ध्यान से सुनने की आदत डालिएः.
अपने विचारों पर गौर करेंः.
धीरे-धीरे खाएं और भोजन का स्वाद लेंः.
होशहवास में सांस लेंः.
एक वक्त में एक काम पर फोकस करेंः.
रोजाना करें दया के कामः.
आभारी रहेंः.
हर दिन के लिए जिओः.

वर्तमान में रहना क्या है?

वर्तमान में रहना है खुश रहना आप वर्तमान समय में इसे महसूस करके केवल आनंद और खुशी का अनुभव कर सकती हैं। आपको प्राप्त होने वाली खुशी या अनुभव स्पर्शरेखा और धन पर निर्भर नहीं करता है, बल्कि यह आपके जीवन में आपके आभारी होने की क्षमता पर निर्भर करता है।

वर्तमान काल में जीना क्यों जरूरी है?

वर्तमान में जीने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि उन्हें भविष्य की चिंता नही होती क्योंकि वर्तमान से ही भविष्य बनता है। वर्तमान में जीने का यही लाभ है की हम जीवन को जी रहे है . भुत और भविष्य के बारे में सोच कर हम जो जीते है उसे जीवन नहीं कहने कहते है . वर्तमान में जीने से हम एक एक क्षण का आनंद ले सकते है .

जिंदगी जीने का मूल मंत्र क्या है?

असतो मा सदगमय; तमसो मा ज्योतिर्गमय; मृत्योर्मा अमृतम् गमय ।। ।। ऊँ शान्ति शान्ति ऊँ।। यही मेरे जीवन जीने का मूल मंत्र है।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग